कोरिया@क्या सोशल मीडिया समूह में गाली गलौज करना अपराध की श्रेणी में नहीं आता है?

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  • ताजा मामले की बात की जाए तो व्हाट्सएप समूह में गाली गलौज करने वाले के खिलाफ हुई शिकायत पर पटना थाना ने अपराध दर्ज करने से किया इनकार, शिकायत आईजी को।
  • क्या पुलिस को अपने मंशा अनुसार अपराध दर्ज करने का है अधिकार,क्या यही है लोक सेवक के अधिकार?
  • लोक सेवक अपने अधिकारों का कर रहे दुरुपयोग जनता के लिए बनी परेशानी।
  • यदि व्हाट्सएप समूह में गाली गलौज धमकी देना अपराध नहीं तो फिर कोई भी किसी को भी गाली गलौज करने के लिए बना सकता है सोशल मीडिया समूह को माध्यम?

-रवि सिंह-
कोरिया 29 नवम्बर 2022 (घटती-घटना)। जिस प्रकार संचार क्रांति के दौर में लोग बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए जिस तरह सोशल मिडिया काफी कारगर साबित हो रहा है इसी प्रकार संचार क्रांति का दुरुपयोग भी कहीं ना कहीं देखने को मिल जाता है, पहले के समय में लोग आमने-सामने की दुश्मनी किया करते थे पर इस समय संचार क्रांति के युग में लोग सोशल मीडिया पर दुश्मनी करके अपनी भड़ास निकालना चाहते हैं, सोशल मीडिया जहां पर अच्छे संदेशों का माध्यम था वहीं अब वह कुछ आसामाजिक, गुंडा प्रवृत्ति व नशेड़ियों के लिए सोशल मीडिया गाली गलौज व धमकी देने का माध्यम बन गया है और यह माध्यम इसलिए बन गया है क्योंकि उन्हें इस बात का बिल्कुल भी भय नहीं है की कानून भी कोई चीज होती है, यहां पर भी अपराध दर्ज हो सकता है पर यदि कानून के रखवालों का भी रुख को देख ले तो वह भी इन्हीं शरारती तत्वों के जैसे ही हैं, लोक सेवक तो भले ही यह हैं पर अपने लोक सेवा धर्म अपनाने से परहेज करते हैं, इसकी वजह भी इनकी खुद की सोच है, सोशल मीडिया पोस्ट को सार्वजनिक माना जाता है और सार्वजनिक प्लेटफार्म पर खुलेआम गाली गलौज व धमकी दी जा रही है पर पुलिस के पास शिकायत पहुंचने पर इसमें अपराध नहीं बनता कुछ ऐसा ही मामला इस समय सामने आया है, शिकायत होने पर मामला पंजीकृत करने से थाना ने मना किया और न्यायालय की शरण में जाने का आदेश दिया। पुलिस वालों का कहना है कि इसमें लोक स्थान नहीं आता जिस वजह से मामला अपराध योग्य नहीं है अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या कोई भी सोशल मीडिया में सार्वजनिक तौर पर किसी को भी गंदी-गंदी गाली गलौज व धमकी दे सकता है और उस पर कोई कानूनी कार्यवाही भी नही होगी? इसका मतलब की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कानून व्यवस्था का पालन नहीं होता? कोरिया पुलिस ने अपने कार्यवाही का नजीर प्रस्तुत किया है और उनके अनुसार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गाली गलौज व धमकी देने पर कोई अपराध नहीं बनता है,लेकिन वही कानून के जनक जानकारों का कहना है कि ऐसा कृत्य अपराध की श्रेणी में आता है, खुद पुलिस के ही कई ऐसे अनुभवी कर्मचारियों का कहना है कि ऐसे कई मामलों में अपराध पंजीबद्ध है पर यदि अपराध की श्रेणी में यह आता है फिर भी इसके बावजूद पुलिस का अपराध पंजीबद्ध ना करना सोचनीय विषय है।
यह है पूरा मामला
व्हाट्सएप ग्रुप संपूर्ण कोरिया जिसके एडमिन अजीत पाटकर स्वयं हैं इसी ग्रुप में अजीत पाटकर नाम के व्यक्ति का मोबाइल नंबर 7999485916 भी जुड़ा है। प्रदेश सहित कोरिया जिले में भी दिनांक 3 दिसंबर 2023 तक आदर्श आचार संहिता लागू है एवम इस दौरान सोशल मीडिया पर भी निर्वाचन आयोग पुलिस विभाग की कड़ी निगरानी है। अजीत पाटकर नाम के ऊक्त व्यक्ति द्वारा संपूर्ण मीडिया ग्रुप में एक पत्रकार के लिए अश्लील गालियां दी गई हैं साथ की उनके माता पिता के लिए अमर्यादित टिप्पणी की गई है महिला जाति के लिए अपमानजनक लिखा गया है साथ ही पत्रकार जान माल को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी गई है जिसका स्क्रीन शॉट उपलब्ध है। शिकायतकर्ता के द्वारा इसके संबंध में 24/11/2023 घटना के संबंध में बताया गया है। अजीत पाटकर जो स्वयं को भाजपा का मीडिया प्रतिनिधि बताता है के द्वारा मेरे द्वारा प्रकाशित समाचार के कारण रंजिश रखते हुए गालियां और धमकी दी गई है जिससे मेरी जान को भी खतरा है और मेरे विरुद्ध मान हानि कारक गलत समाचार भी 25/11/2023 प्रकाशित किया गया है, उक्त समाचार में मेरी फोटो भी लगाई गई है और मेरे लिए कई आप्पतिजनक बातें लिखीं गई हैं। उसे व्हाट्सएप समूह में कई पत्रकार सहित मेरे कुछ दोस्त भी सदस्य हैं जिन्होंने इस पूरे वाक्य को देखा है और मुझे बताया है। अजीत पाटकर द्वारा किए गए कृत्य के संबंध में संज्ञेय अपराध होने से अपराध धारा 506  भा. द .वि ,मेरी माता अर्थात महिला के समंध में अश्लील अमर्यादित टिप्पणी के आधार पर धारा  509 ख भा द वि साथ में धारा  500  भा द वि का अपराध दर्ज कर विवेचना करने का आग्रह किया गया है।
शिकायत पर अपराध पंजीबध न होने को लेकर आईजी से शिकायत
मामला एक सोशल मीडिया वाट्सएप समूह में गाली गलौज से जुड़ा हुआ है जिसमे जिसके नाम से जिसकी माता जी के नाम से गाली गलौज की गई है वह खुद प्रार्थी बनकर पुलिस थाना पटना पहुंचा और लिखित आवेदन शिकायत की प्रस्तुत कर कार्यवाही की मांग की दोषी पर।पटना पुलिस ने खासकर पटना थाना प्रभारी ने यह कहकर मामला पंजीबद्ध करने से इंकार कर दिया की सोशल मीडिया का मामला है और इसमें पुलिस कुछ नहीं कर सकती है आप न्यायालय जाएं। अब प्रार्थी आईजी सरगुजा के पास शिकायत करने पहुंचा है और वहां से उसे न्याय मिलने की उम्मीद है। अब देखना है की आईजी सरगुजा मामले में न्याय दिला पाते हैं या नहीं।
कोरिया पुलिस की कार्यप्रणाली क्या सबसे खराब?
कोरिया पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी मामले से सवाल खड़ा हो गया है। सोशल मिडिया किसी आपत्तिजनक पोस्ट पर यदि कोरिया पुलिस अपराध दर्ज करने से मना करती है तो समझा जा सकता है की कानून व्यवस्था के मामले में उसकी सक्रियता कितनी है यह इसी मामले से समझा जा सकता है। सोशल मिडिया में गाली गलौज और आपत्तिजनक लिखना और साथ ही किसी की माता के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग करना कोरिया पुलिस के लिए यदि अपराध की श्रेणी का मामला नहीं है तो फिर जिले में आईटी सेल के नाम पर क्या कोरिया पुलिस के पदस्थ कर्मचारी बेवजह का वेतन ले रहे हैं फालतू का कुर्सी तोड़ते हैं। कुल मिलाकर आईटी सेल केवल नाम मात्र की एक संस्था बनकर रह गई है कोरिया पुलिस की यह कहना भी अब गलत नहीं होगा।
क्या कोरिया पुलिस के अधिकारियों का जब मन करेगा तब अपराध दर्ज करेंगे और यदि मन नहीं करेगा तो नहीं करेंगे?
सोशल मिडिया में आपत्तिजनक पोस्ट मामले में कई अपराध कोरिया पुलिस पहले दर्ज कर चुकी है,एक मामले में तो कोरिया पुलिस ने आज के प्रार्थी जो सोशल मिडिया में खुद के लिए आप्तिजनक लिखे जाने अपने परिजनों के लिए आपत्तिजनक लिखे जाने मामले में कार्यवाही चाहता है कोरिया पुलिस ने एक सोशल मिडिया पोस्ट के आधार पर गंभीर धाराओं के तहत मामला पंजीबद्ध कर लिया था जबकि जिस पोस्ट के लिए अपराध पंजीबद्ध किया गया था वह आज के मामले के प्रार्थी ने न किया था न ही उस वाट्सएप समूह का वह एडमिन ही था,जबकि जिस मामले में आज प्रार्थी कार्यवाही चाहता है उस वाट्सएप समूह का गाली गलौज करने वाला खुद ही एडमिन है और खुद ही गाली देने वाला। पूरे मामले में सवाल यह उठता है की क्या कोरिया पुलिस कानून से ऊपर उठकर खुद तय करने में विश्वास रखती है की कौन सा मामला अपराध की श्रेणी में आता है कौन सा नहीं। वह अपराध निर्धारण की खुद इकाई है क्या?
पुलिस के पास खात्मा का प्रावधान फिर भी अपराध दर्ज करने से जो करते हैं परहेज?
पुलिस किसी मामले में अपराध यदि दर्ज करती है और बाद में यदि वह मामला गलत पाया जाता है तो पुलिस खात्मा करने के लिए स्वतः स्वतंत्र होती है। अब फिर क्यों पुलिस एक मामले में एक प्रार्थी को यह कहकर अपराध दर्ज नहीं कर रही है की यह मामला अपराध की श्रेणी का नही है। अपराध दर्ज करके भी पुलिस जांच उपरांत मामला फर्जी होने पर खात्मा कर सकती है। लेकिन पटना थाने में सभी सबूत दिए जाने के बाद भी यह कहा जा रहा है की अपराध कारीत हुआ घटना स्थल ज्ञात नहीं इसलिए अपराध हुआ ही नहीं यह माना जायेगा। सोशल मिडिया में दी गई खुलेआम धमकी और गाली गलौज को लेकर कोरिया पुलिस की निष्क्रियता यह साबित करती है की वह आम लोगों के जान माल के हिफाजत से वास्ता नहीं रखना चाहती है। कुल मिलाकर वह जब बड़ी घटना को अंजाम दे दिया जायेगा तभी अपराध दर्ज करेगी यह उसके द्वारा स्पष्ट कर दिया गया। जिस मामले में शिकायत की गई थी उसमे खुलेआम धमकी है जान माल को नुकसान पहुंचाने की बात है। अब क्या जान माल को जब नुकसान पहुंच जाएगा तब पुलिस कार्यवाही करेगी।


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