अंबिकापुर@धान के साथ ही अब कोसा पालन भी किसानों की कमाई का बड़ा जरिया

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अंबिकापुर,29 नवम्बर 2022 (घटती-घटना)। सरगुजा के किसान धान के साथ-साथ कोसा पालन करने में भी रुचि दिखा रहे हैं। ग्रामोद्योग रेशम विभाग भी लगातार गांव-गांव में सर्वे कर किसानों को कोसा उत्पादन के लिए प्रेरित कर रहा है। जिला मुख्यालय अंबिकापुर के अलावा सकालो, सीतापुर, डांडक़ेसरा, बनेया सहित अन्य गांवों में लगभग ८० हेक्टेयर भूमि में लगे अर्जुन के पेड़ों पर कोसा का पालन कर किसान लाखों रुपए कमा रहे हैं। इस काम में लगभग १ हजार से ज्यादा लोग जुड़े हैं। कोसा पालन से लकर रेशम बनाने तक का काम कर रहे हैं। सरगुजा में ग्रामोद्योग रेशम विभाग की पहल पर कोसा पालन व रेशम धागा बनाने का काम काफी दिनों से चल रहा है। धीरे-धीरे यह स्कोप काफी बढ़ रहा है। जिले के किसान इस काम से जुड़ कर कोसा पालन कर रहे हैं और अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे हैं।  १००० हजार से ज्यादा लोग कोसा पालन से लेकर रेशम बनाने का काम कर रहे हैं। अंबिकापुर स्थित रेशम विभाग की १० हेक्टेयर भूमि, सकालो में १५, सीतापुर में १० डांडक़ेसरा में १० व बनेया में २० हेक्टेयर में लगे अर्जुन-साजा के पेड़ों पर कोसा कृमि चढ़ाया जाता है। इस कृमि के माध्यम से कोसा का पालन किया जाता है। किसान साल में दो बार कोसा का पालन करते हैं। कोसा पालन करने के बाद उससे रेशम बनाए जाते हंै। रेशम बनाने का काम बेलखरिखा में हो रहा है। यहां का रेशम धागा छत्तीसगढ़ के अलावा यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल व झारखंड तक जाता है। 

कृषि के साथ-साथ कोसा पालन

सरगुजा में कोसा कृमि पालन लोगों के लिए रोजगार का बढिय़ा अवसर उपलब्ध करा रहा हैं। रेशम कीट पालन को अपना कर लोग अपने अतिरिक्त आय का जरिया बना रहे हैं। किसान आनंद मिंज पिछले ६ वर्षों से कोसा पालन कर रहे हैं। विनोद राम १९९६ से कोसा पालन कर रहे हैं। कोसा पालन के साथ-साथ कृषि का भी काम करते हैं। आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए नियमित बचत कर परिवार के लिए नियमित सुविधा भी जुटा लिए।

कोसा पालन कर किसानों को हो रहा दोहरा लाभ

अर्जुन के पेड़ों की व्यापकता किसानों के लिए अतिरिक्त लाभ कमाने का जरिया बनती जा रही है। इन पेड़ों पर कोसा पालन कर किसान अब खेत के साथ-साथ मेड़ों से भी आमदनी ले रहे हैं। कृषि में नवाचार को अपनाने वाले किसान दोहरा लाभ कमा रहे हैं। 

एक हेक्टेयर में लगे अर्जुन पेड़ों पर एक लाख कोसा

रेशन विभाग के फील्ड अधिकारी शिवनारायण ङ्क्षसह ने बताया कि १ हेक्टेयर भूमि पर लगे अर्जुन पेड़ों पर लगभग १ लाख कोसा तैयार होता है, जिसे किसानों द्वारा पालन करने के बाद निकाला जाता है। कोसा को ए, बी व सी श्रेणी में छांटा जाता है। ए ग्रेड का कोसा प्रति नग तीन रुपए बेचा जाता है। 


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