कोरबा@जिला अस्पताल में बायो मेडिकल वेस्ट को किया गया आग के हवाले

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कोरबा 25 नवम्बर 2023 (घटती-घटना)। जिले के जिला अस्पताल में उस वक्त हंगामा मच गया जब अस्पताल के कैंपस में काला धुआं उठने लगा । मामले की जानकारी लेने पर यह ज्ञात हुआ के कुछ कर्मचारियों द्वारा पी.पी.ई किट एवं दवाइयों के एम्पूल को किया जा रहा आग के हवाले । यह कर्मचारियों द्वारा क्यों किया जा रहा था यह तो अब तक साफ नहीं हो सका पर इन एम्पूल की शीशियों एवं पी.पी.ई किट को आग के हवाले करने से जो वायु प्रदूषण एवं धमाके हुए साथ ही एमपुल की छोटी छोटी सीसी फटने से कांच के टुकड़े इधर उधर बिखरने लगे, जिससे कोई भी बड़ी दुर्घटना हो सकती थी । बता दें कि जिस वक्त इस घटना को अंजाम दिया गया उस वक्त मरीजों का अस्पताल में आवाजाही बना हुआ था । कर्मचारियों ने बताया के साफ सफाई के कारण इस कार्य को किया गया है । इस करतूत की जानकारी जब रविकांत जाटवर से मांगी गई तब उन्होंने इस संबंध में कोई जानकारी उन्हें नही होने की बात कही गई एवं जानकारी मिलते ही वे तत्काल मौके पर वास्तु स्थिति से अवगत हुए, और आग बुझाने का आदेश दिया साथ ही स्टोर इंचार्ज को नोटिस जारी कर इस मामले पर विस्तार पूर्वक जानकारी मांगी गई । यहां बताना लाजमी होगा की कोरोनाकाल में जो शासन द्वारा डॉक्टरों एवं नर्सों के सुरक्षा के लिए डिस्पोजल पीपीटी किट की व्यवस्था की गई थी, जिससे उनको मरीजों के इलाज के दौरान संक्रमण न हो, पर इन वस्तुओं का विभाजन विभागों एवं डॉक्टरों को नहीं किए जाने से लाखों रुपए के यह पी.पी.डिस्पोजल किट स्टोर में ही रह गए द्य जानकारों का कहना है के स्टोर इंचार्ज के निष्कि्रयता के चलते चूहे खा गए, और इन्हें छिपाने के लिए स्टोर इंचार्ज ने साफ सफाई के नाम पर आग के हवाले कर दिया । घटना के दौरान मीडिया को सामने देख अधजले एवं चूहे खाए हुए पी.पी.किट को पुनः अस्पताल में रखवा दिया गया । बता दें की जन स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से कोई भी बायो मेडिकल वेस्ट को या तो जमीनों में गाड़ दिया जाता है या फिर शहर से बाहर रिहायशी इलाके से दूर खुले स्थान पर जलाया जाता है जिससे लोगों के स्वास्थ्य में कोई विपरीत प्रभाव न पड़े ढ्ढ जिसकी जानकारी अस्पताल स्टाफ को होने के बावजूद उनके द्वारा इस तरह घटना को अंजाम देना कहीं न कहीं विवादास्पद संदेह को जन्म देता है ,के इतने जल्दबाजी में यह कदम क्यों उठाया गया, जिसकी जानकारी उच्चाधिकारियों तक को नहीं थी। अब देखना होगा के अस्पताल के उच्चाधिकारी इस मामले को कितने गंभीरता से लेते है एवं आगे इस मामले में क्या कार्यवाही करेंगे ।


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