बिलासपुर@हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय को दी कड़ी चेतावनी

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मृत कर्मचारी के परिजन को मिला न्याय


बिलासपुर,24 नवम्बर 2023 (ए)।
बिलासपुर हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी के बर्खास्त कर्मचारी को 9 साल बाद न्याय दिया.लेकिन जीत की खुशी को सुनने के लिए कर्मचारी अब इस दुनिया में नहीं है.केस लड़ने के दौरान ही दो साल पहले कर्मचारी की मौत हो चुकी है. लिहाजा अब इस मामले में कोर्ट उसके परिवार वालों को इसका लाभ देने के निर्देश दिए हैं.
पूरा मामला बिलासपुर के केंद्रीय विश्वविद्यालय का है. जिसमें प्यून कम प्लम्बर की नियुक्ति को बर्खास्त किया गया था. कोर्ट ने माना की जांच अधिकारी ने प्रश्नोत्तर पैटर्न पर सवाल पूछकर नियम विपरीत काम किया है. गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी बिलासपुर में 1994 में प्यून कम प्लंबर के पद पर पंतराम सूर्यवंशी की नियुक्ति की गई थी. नियुक्ति के बाद 2008 में पंतराम को प्लंबर पद पर पदोन्नति दी गई.
गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने के बाद 11 अगस्त 2011 को आरोप पत्र देकर पंतराम सूर्यवंशी से जवाब मांगा गया. इसमें अधिकारियों से दुर्व्यवहार जैसे आरोप लगाए गए थे.विभागीय जांच के दौरान जांच अधिकारी ने उनसे प्रश्न उत्तर के पैटर्न पर सवाल किया. इसके बाद रिपोर्ट विश्वविद्यालय को सौंपी दी गई. जिसके बाद कुलपति ने अनुशासनिक अधिकारी के रूप में इन्हें बर्खास्त किया. जबकि यह कुल सचिव का क्षेत्राधिकार होता है.
याचिकाकर्ता पंतराम सूर्यवंशी ने 2014 में हाई कोर्ट की शरण ली. हाई कोर्ट में लगभग 9 साल तक यह मामला चलता रहा और अंत में याचिकाकर्ता प्यून पंतराम की जीत हुई. लेकिन इस जीत की खुशी मिलने के पहले ही पंतराम सूर्यवंशी की 2021 में मौत हो गई. मामले में कोर्ट ने उनके उत्तराधिकारियों को सभी देयकों के साथ भुगतान करने का निर्देश जारी किया है. मामले में कोर्ट ने माना की जिन अधिकारियों के पास जो अधिकार नहीं थे उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम किया है. जिसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को कड़ी चेतावनी दी गई है और कार्यक्षेत्र में रहकर काम करने को कहा है.


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