- निर्वाचन आयोग जहां अधिक से अधिक मतदान हो इसके लिए चलाता रहा अभियान वहीं कर्मचारियों को मतदान से वंचित रखना कहां तक उचित?
- डाक मत पत्र जारी करने में जिला निर्वाचन विभाग की उदासीनता खुलकर आई सामने,कर्मचारियों के मतदान के लिए जिला निर्वाचन विभाग की सुस्त कार्यप्रणाली देखने को मिली
- अन्य जिलों में कार्यरत कर्मचारी ज्यादा रहे परेशान,उन्हे न मिला अवसर न ही उन्हे मिला मतदान के लिए सही दिशा निर्देश
- पहली बार कर्मचारियों से मतदान तिथि पूर्व कराया गया मतदान,फिर भी कर्मचारी रहे मतदान से वंचित यह निर्वाचन आयोग के लिए होना चाहिए चिंता का विषय
- क्या कर्मचारियों के लिए दिया जायेगा अवसर उन्हे मिलेगा अभी भी मतदान के लिए अवसर यह भी है बड़ा सवाल?
- मतदान दलों में नियोजित कई कर्मचारी कहीं न कहीं नजर आ रहे दुखी,मतदान की मंशा के बावजूद उन्हे नहीं मिला मतदान का अवसर
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,24 नवम्बर 2023(घटती-घटना)। छाीसगढ़ में विधानसभा निर्वाचन 2023 दिनांक 17 नवंबर को संपन्न हुआ निर्वाचन इस बार अलग तरीके से संपन्न हुआ जिसमे कर्मचारियों के परेशान होने की कई मामलो में उन्हे देर से सूचना मिलने की वाहन व्यवस्था सहित भोजन व्यवस्था को लेकर शिकायत सामने आई लेकिन फिर भी कर्मचारियों ने अपना फर्ज निभाया और मतदान कार्य को कुशलता और अपनी कर्मठता से किसी तरह से सफलता पूर्वक संपन्न कराया। मतदान दलों में नियोजित कर्मचारियों को इस बार अपने मतदान के लिए भी परेशान देखा गया वहीं कई कर्मचारी मतदान से वंचित हो गए जैसी की सूचना सामने आ रही है।
इस बार कर्मचारियों के लिए अलग से नियम लाया गया था मतदान के लिए कर्मचारियों को इस बार मतदान दिवस से पूर्व मतदान करना था जो पहली बार देखा गया। जो कर्मचारी अन्य विधानसभा में नियोजित किया गया था मतदान के लिए उसके लिए यह व्यवस्था थी की वह डाक मतपत्र से मतदान कर ले और वह भी वह मतदान दिवस से पूर्व मतदान करे जिसके लिए अधिकतम समय अवधि 15 नवंबर तय की गई थी वहीं जो कर्मचारी अपने ही विधानसभा क्षेत्र में नियोजित किए गए थे उनके लिए ई डी सी मतदान करने की व्यवस्था की गई थी जिसके अनुसार वह अपने नियोजित मतदान केंद्र में ही मतदान कर सकते थे जबकि वह अपने उस मतदान केंद्र में नहीं मतदान कर सकते थे जहां का निवास स्थान है। पहली बार समय पूर्व कर्मचारियों के मतदान कराने के पीछे की मंशा यह थी की कर्मचारी पहले बाद में मतदान किया करते थे और वह माहौल को भांप जाते थे और उसी अनुसार वह मतदान करते थे वहीं इस दौरान उनके मतों की खरीदी बिक्री भी हुआ करती थी जिसकी वजह से ही इस बार कर्मचारियों से पहले मतदान करा लिया गया। वैसे मतदान दलों में नियोजित कर्मचारियों से समय पूर्व मतदान कराया गया इसको लेकर कर्मचारियों ने कोई शिकायत नहीं की और न उन्हे इसका कोई मलाल रहा उन्हे कहीं न कहीं प्रसन्न देखा गया की उन्हे पहले अवसर मिला और वह पहले मतदान कर सके और उन्हे अपने मत को अपनी मंशा अनुसार अपने पसंद के उम्मीदवार या दल को देने का मौका मिला।
मतदान से वंचित होना कर्मचारियों के लिए रहा पीड़ादायक
वहीं कुछ कर्मचारियों को मतदान से वंचित होना पड़ा यह कर्मचारियों के लिए जरा पीड़ादायक रहा और उनके लिए निराशाजनक रहा जैसा सुनने में आया यह वह कर्मचारी हैं जो अन्य जिलों में या तो निवासरत कार्यरत थे और वहीं के मतदान दलों में नियोजित थे। अन्य जिलों में उन्हे मतदान के लिए डाक मत पत्र उपलध नहीं कराया गया जबकि पहले कर्मचारियों को उनके गृह विधानसभा का डाक मत पत्र उनके कार्यक्षेत्र विधानसभा क्षेत्र में चुनाव के दौरान उपलध कराया जाता था जिससे वह अपने पसंद का उम्मीदवार चुन सकें और अपने मत का प्रयोग कर लोकतंत्र की मजबूती में अपना योगदान दे सकें। इस बार के निर्वाचन में अन्य जिलों में कार्यरत और वहां के मतदान दलों में नियोजित कर्मचारियों को समय से यह नहीं बताया गया की उन्हे अपने गृह जिले या विधानसभा में जाकर ही वहां जिला निर्वाचन अधिकारी से या संबंधित से जो डाक मत पत्र की व्यवस्था देख रहा है से संपर्क करना है और वहीं आवेदन कर डाकमत पत्र का उपयोग करना है,उन्हे जब तक पता चला की उन्हे डाक मतपत्र उनके गृह जिले के गृह विधानसभा क्षेत्र से प्राप्त होगा तब तक देर हो चुकी थी और वह मतदान से वंचित हो गए। वैसे अन्य जिले में कार्यरत और मतदान दलों में नियोजित कर्मचारियों के लिए अपने जिले या विधानसभा क्षेत्र में जाकर डाक मत पत्र जारी कराना भी असंभव बनाए रखा गया था क्योंकि आदर्श आचार संहिता की वजह से वह अपने कार्य क्षेत्र मुख्यालय से बाहर चुनाव संपन्न होने तक नहीं जा सकते थे इसलिए भी वह प्रयास नहीं कर सके वहीं कुछ दूरस्थ पदस्थ होने के कारण भी नहीं पहुंच सके जैसा सुनने में आया। पास के जिलों में और विधान सभा क्षेत्र में पदस्थ या नियोजित मतदान दलों के कर्मचारियों ने प्रयास किया भी लेकिन जब तक पहुंचे उन्हे डाक मत पत्र हेतु आवेदन प्रारूप के समाप्त होने की सूचना दे दी गई और वह भी मायूस होकर लौट गए। कुल मिलाकर मतदान दलों में नियोजित कर्मचारियों में से कइयों को मतदान से वंचित होना पड़ा।
भारत निर्वाचन आयोग कोई मतदाता मतदान से वंचित न होने पाए इस प्रयास में लगा रहा… वहीं मतदान दलों में नियोजित कर्मचारियों ही अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर सके
एक तरफ जहां भारत निर्वाचन आयोग कोई मतदाता मतदान से वंचित न होने पाए इस प्रयास में लगा रहा वहीं मतदान दलों में नियोजित कर्मचारियों में से ही कइयों को अपने मताधिकार के प्रयोग का अधिकार नहीं मिल सका जो चिंता का विषय कहा जा सकता है। इसके लिए जिम्मेदार कौन है यह तो निर्वाचन आयोग को तय करना है लेकिन मतदान दलों में नियोजित कर्मचारियों को मतदान का अधिकार मिलना चाहिए यह कर्मचारियों की मांग है। कर्मचारियों की माने तो इस बार सब कुछ नया जैसा अनुभव था। मतदान कार्य कराते कई कर्मचारियों के अनुसार उनकी उम्र बीतने को है लेकिन इस बार जैसी स्थिति कभी पहले नहीं देखी गई थी उनका ही कहना है। कर्मचारियों की माने तो इस बार मतदान दलों में नियोजित कर्मचारियों को कई मामलों में परेशानी का समाना करना पड़ा जबकि पहले की विपरीत परिस्थितियों में भी मतदान कार्य उन्होंने कराया है लेकिन ऐसी परिस्थिति कभी पहले सामने नहीं आई थी। मताधिकार से वंचित होने के मामले में कर्मचारियों की एक ही राय सामने आई की निर्वाचन आयोग को मामले में ध्यान अवश्य देना चाहिए क्योंकि एक एक मत यदि महत्वपूर्ण है तो मतदान दलों में नियोजित कर्मचारियों का मत महत्वपूर्ण क्यों नहीं माना जा रहा है यह कर्मचारियों का सवाल है।
इस बार निर्वाचन आयोग ने कर्मचारियों से पहले मतदान कराकर एक नया प्रयोग किया लेकिन वह प्रयोग असफल साबित दिख रहा है…
वहीं कर्मचारियों के अनुसार ही वह मात्र ऐसे लोग नहीं है जिसमे से अधिकांश को मताधिकार का प्रयोग कर पाने से वंचित होना पड़ा कई ऐसे भी अशासकीय कर्मचारी थे जिसमे वाहन चालक प्रमुख हैं जो मतदान दलों को लाने ले जाने नियोजित थे लेकिन उन्हें डाक मत पत्र मिला की नहीं यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। मतदान दलों में खासकर अन्य जिलों में विधानसभाओं में कार्यरत नियोजित मतदान दल कर्मचारियों को मतदान से वंचित होने पर उदास देखा गया यह सत्य है। पुलिस विभाग में भी यह देखा गया,कई पुलिस कर्मी भी मतदान से वंचित हुए उन्हे मतदान का मताधिकार का प्रयोग करने का अवसर नहीं मिला जबकि उन्हे भी एक नागरिक होने मतदाता होने के नाते मताधिकार के प्रयोग करने का अधिकार था। इस बार निर्वाचन आयोग ने कर्मचारियों से पहले मतदान कराकर एक नया प्रयोग किया जरूर लेकिन अब वह प्रयोग असफल प्रयोग साबित हो रहा है कहीं न कहीं यह साबित कर रहा है की पूर्व की प्रकिया और कर्मचारियों के लिए मताधिकार प्रयोग का अलग एवम अतिरिक्त समय दिया जाना आवश्यक है तभी सभी मतदाता अपना मताधिकार का उपयोग कर पाएंगे। वैसे इस बार दिव्यांग मतदाता बुजुर्ग मतदाता के लिए घर पर ही मतदान करने की सुविधा प्रदान की गई थी लेकिन मतदान दलों में नियोजित कर्मचारियों के मामले में निर्वाचन आयोग उदासीन नजर आया यह अलग देखने को मिला।