अंबिकापुर@क्या कोतवाली पुलिस आरोपियों को संरक्षण देने के लिए है या फिर लोगों को न्याय देने के लिए?

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दो युवकों ने एक युवक को बेरहमी से मारा रिपोर्ट दो दिन बाद दर्ज हुई पर आरोपी अभी भी खुलेआम घूम रहे, पुलिस बनी मूकदर्शक
घटना की पूरी वारदात सीसीटीवी में कैद पर सीएसपी ने कहा कार्यवाही चाहिए या फिर सीसीटीवी
आरोपीयों के विरुद्ध गाली-गलौज एवं धमकी देने का कोतवाली थाने में आवेदन देने के 1 घंटे बाद युवक पर हुआ प्राणघातक हमला
आदतन अपराधियों के हमले से एक युवक हुआ बुरी तरह से घायल…दीपू उर्फ दीपा,विक्की उर्फ विकेश,दीपक व एक अन्य के हमले से गंभीरावस्था में सुमित गुप्ता हुआ अस्पताल भर्ती
आरोपियों के हौसले बुलंद…पुलिस से गहरी साठगांठ का आरोप…आदर्श आचार संहिता का फायदा उठाकर आरोपियों ने किया हमला… दो दिन के बाद भी आरोपी पुलिस के गिरफ्त से बाहर!
आरोपियों ने एक युवक को इतना मारा था कि वह गंभीर रुप से घायल हो गया जिसे जिला अस्पताल मेडिकल कॉलेज में एडमिट करना पड़ा

  • भूपेन्द्र सिंह-
    अंबिकापुर,21 नवम्बर 2022(घटती-घटना)। सरगुजा जिले के अंबिकापुर शहर की कोतवाली पुलिस के कार्यप्रणाली पर उठ रहा सवाल …और सवाल भी उठे तो क्यों ना…क्योंकि इनकी कार्यप्रणाली ही है न्याय के विरुद्ध है ? एक ऐसा ही मामला सामने आया है जिसमें कोतवाली पुलिस की कार्य प्रणाली पर सवाल उठना लाजिमी है। मतदान दिवस के दिन एक युवक के साथ आदतन अपराधियों की नोंक-झोंक हो गई जिस पर आदतन अपराधियों ने उसे युवक को गाली -गलौज की जिस पर युवक ने कोतवाली थाना में जाकर इसकी शिकायत दर्ज कराई पर शिकायत की कॉपी मिली भी नहीं और पावती के लिए 1 घंटे बाद बुलाया गया,जब 1 घंटे बाद युवक सिटी कोतवाली जा रहा था कि इसी बीच आदतन अपराधियों ने उस पर प्राणघातक हमला कर दिया युवक गंभीर रूप से घायल हो गया,दो-तीन युवकों ने लोहे के रॉड व डंडे से बहुत मारा जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया और नाक से खून भी निकलने लगा और जबड़ा भी टूट गया,जिला अस्पताल ले जाने के बाद उनके परिजनों ने अपराधियों की शिकायत थाना में दर्ज कराई पर अपराध तो दर्ज हो गया पर पुलिस न जाने उन्हें पकड़ने में क्यों घबरा रही? खुलेआम वह घूम रहे हैं। वहीं परिजनों का कहना है कि पुलिस उन्हें संरक्षण दे रही है अब ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या पुलिस अपराधी किस्म के लोगों को संरक्षण देती है या फिर आम आदमी को न्याय दिलाने के लिए बैठी है?
    मिली जानकारी के अनुसार मायापुर अंबिकापुर निवासी सुमित गुप्ता अपने मित्र सूरज गुप्ता को 17 नवंबर मतदान दिवस के दिन सुबह 10ः00 बजे उसके घर घुटारापारा छोड़ने जा रहा था इसी बीच चांदनी चौक नानंदाउ पान ठेला के पास मायापुर निवासी विक्की गुप्ता उर्फ विकेश एवं घुटरापारा निवासी दीपक उर्फ दीपू गुप्ता मिल गए और सुमित गुप्ता को पुरानी लड़ाई-झगड़ा की बात को लेकर गाली-गलौज करने लगे, जिस पर वह मामले को जैसे-तैसे कर शांत कर वहा से निकल कर इसकी शिकायत अंबिकापुर कोतवाली में देने पहुंचा जहां पर थाना प्रभारी मौजूद नहीं थे पर उसने लिखित शिकायत दे कर आया पर वहां पर मौजूद पुलिसकर्मी ने उसे पावती नहीं दी कहा कि 1 घंटे बाद आकर ले जाना, 1 घंटे बाद जब व अपने शिकायत की पावती लेने जा रहा था उसी समय उसी स्थान पर फिर से मायापुर निवासी विक्की गुप्ता व दीपक गुप्ता मिल गए और सुमित गुप्ता को गाली गलौज करने के बाद उसे लड़ाई करने लगे और एक युवक ने लोहे की रॉड से उसके ऊपर प्राण घातक घमला कर दिया और फिर उसे हाथ-मुक्का और डंडे से खूब मारे जिसे देख मोहल्लेवासियों ने बीच-बचाव किया तब कहीं जाकर आरोपी वहां से भागे।जिस वजह से सुमित बुरी तरीके से घायल हो गया और उसे घायल अवस्था में ही जिला अस्पताल मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए ले जाया गया, जहां पर डॉक्टरों ने गंभीर चोट भी बताई इसके बाद उसके परिजन वहां पहुंचे और परिजनों ने मारपीट की घटना की शिकायत फिर थाने में दर्ज कराई जिसके बाद मामला तो पुलिस ने पंजीकृत कर लिया पर आरोपियों को पकड़ने में उनकी दिलचस्पी बिल्कुल भी नहीं है, खुले आम व घूम रहे हैं और पीडि़त के परिजनों को गाली गलौज मोबाईल में कर रहे हैं और धमकी दे रहे हैं की रिपोर्ट वापस ले लो नहीं तो ठीक नहीं होगा। ऐसे में अंबिकापुर के कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठता है कि आखिर क्या पुलिस आरोपियों को संरक्षण देगी या फि र इतने गंभीर मामले में आदतन अपराधियों को गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही।
    पुलिस से कैसे करें न्यायिक उम्मीद?
    अंबिकापुर पुलिस पूरी तरीके से एजेंट बनकर काम कर रही है अपराध वहां पर आते हैं पर लोगों को डरा धमका कर या फिर सांठ-गांठ कर उसे मामले को वहीं पर दबा दिया जाता है, यही वजह है कि वहां पर कानून व्यवस्था पूरी तरीके से चरमरा चुकी है वहां पर बैठे पुलिस कप्तान भी इसे गंभीरता से नहीं ले पा रहे हैं आलम यह होता जा रहा है की अंबिकापुर सिटी कोतवाली के अंतर्गत गुंडागर्दी हावी होती जा रही। और सबसे अजीब बात तो यह है कि पुलिस को जहां लोगों के न्याय के लिए आनी चाहिए वहां पर वह आरोपियों को ही संरक्षण करते अमूमन देखे जाते हैं,पुलिस पर शहर के लोगों का यह भी आरोप है कि वहां पर पुलिस एजेंट की तरह काम करती है और पैसे लेने-देने पर अपराध दर्ज होते हैं और धाराएं बढ़ती और कम होती हैं।
    आखिर पुलिस क्यों नहीं गिरफ्तार
    कर रही आरोपियों को ?

    घटना के तीन दिन बाद भी पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर पाई है इसकी वजह न जाने क्या है? पर लोगों का मानना है कि पुलिस आरोपियों को संरक्षण दे रही है परिजनों का कहना है कि आरोपियों की गिरफ्तारी न होने की वजह से आरोपी दिनदहाड़े घूम रहे हैं और घरों में घुस के गाली-गलौज कर रहे हैं पर पुलिस इस पर कुछ भी नहीं कर रही है।
    सरगुजा के पुलिस कप्तान
    को लेना होगा संज्ञान

    सरगुजा जिले के पुलिस कप्तान को भी इस मामले में संज्ञान लेना होगा ताकि पीडि़त को न्याय मिल सके और अपराधी को सजा, पीडि़त को सिर्फ अब यह उम्मीद सरगुजा पुलिस अधीक्षक से ही रह गई है क्योंकि स्थानीय अधिकारी व पुलिस तो आरोपी को संरक्षण देने में जुटे हुए हैं।
    सीएसपी को पीडि़त ने सबूत देने के लिए सीसीटीवी कैमरा में कैद वीडियो का होना बताया पर सीएसपी का जवाब रहा एकदम रुखा
    पीडि़त ने हुई घटना को सच साबित करने के लिए पुलिस को सीसीटीवी में कैद फुटेज की जानकारी दी ताकि उन्हें सच का सबूत मिल सके पर सीएसपी साहब सबूत को दरकिनार कर यह कहते पाए गए कि आपको कार्यवाही चाहिए या फिर सीसीटीवी अब सीएसपी साहब के इस वाक्य को सुनकर आप क्या समझेंगे यह भी सोचनीय विषय।
    जांच अधिकारी भी कर रहे खानापूर्ति
    मामला गंभीर है एक व्यक्ति को काफी छोटे आई हैं पर इसके बावजूद जांच अधिकारी हाथ पर हाथ धरे धरे बैठे हुए हैं आरोपी को पकड़ने में उनकी दिलचस्पी बिल्कुल नहीं है और ऐसा लग रहा है कि आरोपी को संरक्षण भी यही दे रहे हैं।

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