एमसीबी@चुनाव संपन्न करने जाने से लेकर चुनाव संपन्न करा कर आने तक कर्मचारियों की हुई दुर्दशा…जिम्मेदारों ने नहीं निभाई सही तरीके से जिम्मेदारी

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  • अव्यवस्थाओं के बीच भी कर्मचारियों ने अपना निभाया दायित्व मिली जिम्मेदारियों को किया पूरा, चुनाव हुआ संपन्न लोकतंत्र के भागीदारी में इन्होंने दिखाई अपनी कड़ी मेहनत।
  • कठिन परिस्थितियों में भी मतदान दल में शामिल कर्मचारियों ने चुनाव संपन्न कर लोकतंत्र को मजबूत करने में निभाई भागीदारी।
  • चुनाव संपन्न कराकर भले ही जिला निर्वाचन अधिकारी अपनी पीठ थपथपा रहे हैं पर परेशानी तो कर्मचारियों को झेलनी पड़ी।
  • कुछ पुरुष कर्मचारी जहां अपनी पहुंच से ड्यूटी कटवाकर घर में रहे वहीं महिला कर्मचारियों ने उनकी जगह सम्हाला मोर्चा निभाई जिम्मेदारी। 

-रवि सिंह-
एमसीबी 19 नवम्बर 2023 (घटती-घटना)। विधानसभा निर्वाचन 2023 को लेकर यदि किसी जिले में चुनाव संपन्न करने में कर्मचारियों को समस्या हुई है तो वह है एमसीबी जिला जहां के दोनों विधानसभा के चुनाव में शामिल मतदान दल को सिर्फ परेशानियों का सामना करना पड़ा, परेशानियों के बीच भी मतदान दल में शामिल कर्मचारियों ने सफलतापूर्वक चुनाव संपन्न कराया पर इसका श्रेय कर्मचारियों को मिलने के बजाय अधिकारी ही लेते दिखे, निर्वाचन अधिकारी से लेकर उनके नीचे के अधिकारी सभी ने चुनाव संपन्न करने का श्रेय खुद लिया पर चुनाव संपन्न कराने में परेशानियों के बीच भी काम करने वाले कर्मचारी की मेहनत को दरकिनार किया गया। प्रशासनिक अधिकारी जनसंपर्क के माध्यम से अपना श्रेय बटोरने में लग रहे, वही कर्मचारीयों को घर से केंद्र और सेंटर से बूथ पहुंचने तक सिर्फ परेशानियों का सामना करना पड़ा अपना पैसा खर्च कर केंद्र तक पहुंचे अपना पैसा खर्च कर अपना पेट भरा और सारी समस्याओं के बावजूद उन्होंने पूरे समय मतदान कराने में अपनी सहभागिता निभाई। वैसे इस बार चुनाव आयोग ने अपनी तैयारियों को लेकर कई घोषणाएं की थीं वहीं जिला निर्वाचन कार्य में लगे अधिकारियों के भी बड़े बड़े दावे थे लेकिन जो कुछ देखा सुना गया चुनाव कार्य में संलग्न कर्मचारियों की स्थिति को लेकर वह अलग ही कहानी बयां कर गया और अव्यवस्था की पोल खोल गया।
दो दिन पूर्व भेजी गई 34 मतदान दल कर्मचारियों की टीम को ज्यादा होना पड़ा परेशान
दूरस्थ वनांचल क्षेत्र के दूरस्थ क्षेत्रों के 34 पोलिंग बूथ के लिए दो दिन पूर्व मतदान दलों को रवाना किया गया था,34 दल के कर्मचारियों को सुबह 7 बजे एमसीबी जिले में बुलाया गया और सामग्री उन्हे 11 बजे तक प्रदान की गई,सामग्री लेकर वह रवाना हुए जिसमे ईवीएम नहीं था और वह उन्हे कोटाडोल से मिलना था,किसी तरह देर शाम वह कोटाडोल पहुंचे तो उन्हे बताया गया उनका ठहराव कोटाडोल के स्कूल में एक साथ होगा,लगभग 200 लोगों को एकसाथ एक स्कूल में रखा गया,मतदान दलों को सबसे ज्यादा असुविधा नित्यक्रिया निपटाने में हुई वहीं वहां उन्हे जो भोजन दिया गया उसे लेकर कर्मचारियों की माने तो वह जानवरों के खाने योग्य भी नहीं था, बोरे से चावल जो की किसी शासकीय उचित मूल्य दुकान का चावल था सीधे पका दिया गया जिसमे कीड़े साफ नजर आ रहे थे जिसे कर्मचारियों ने कीड़ा फ्राई चावल की संज्ञा दी,वहीं सब्जी में सोयाबड़ी और आलू की उबली सब्जी के साथ मसूर की दाल परोसी गई,सुबह नाश्ते में भी उन्हे जो पोहा दिया गया वह भी खाने योग्य नहीं था जैसा बताया जा रहा है। चावल जला भी दिया गया था और कच्चा भी था,कुल मिलाकर कर्मचारियों ने भूख मिटाने के लिए जानवरों के लिए भी जो उचित नहीं था वह भोजन किया।
एक दिन पूर्व रवाना मतदान दलों को भी मतदान केंद्र पहुंचने में लगा शाम तक का वक्त,किसी तरह वह चुनाव कार्य संपन्न कराने कर सके तैयारी
एक दिन पूर्व जिन मतदान दलों को भेजा गया उनकी भी परेशानी कम नहीं थी,उन्हे भी सामग्री देने में विलंब किया गया और उनका मतदान केंद्र भी दूरस्थ वनांचल क्षेत्र था उन्हे भी केंद्र तक पहुंचने में देर शाम हो गई और वह किसी तरह मतदान कराने खुद को तैयार कर पाए,दिनभर के सफर के बाद थके कर्मचारी जो भोरे से ही उठे हुए थे उन्हे देर शाम पहुंचने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ा।
महिला कर्मचारियों की लगी ड्यूटी,कुछ पुरुष कर्मचारी अपनी ड्यूटी जुगाड से कटवा पाने में रहे सफल
चुनाव के दौरान पहली बार जिले में यह देखा गया की महिला कर्मचारियों की ड्यूटी पुरुष कर्मचारियों के साथ लगाई गई,महिला कर्मचारियों ने जिम्मेदारी का बेहतर निर्वहन भी किया लेकिन वहीं कुछ पुरुष कर्मचारी जुगाड से अपनी ड्यूटी कटवाने में सफल रहे जो कहीं न कहीं अव्यवस्था कही जा सकती है क्योंकि जिनकी ड्यूटी काटी गई वह उम्र में ज्यादा उम्र के नहीं थे जबकि कई ऐसे कर्मचारियों ने ड्यूटी किया जो उम्र दराज थे और कहीं न कहीं उनका यह अंतिम चुनाव कार्य भी था बाद के चुनाव के पहले वह सेवानिवृत हो जाएंगे।
प्रशिक्षण से लेकर चुनाव संपन्न होने तक कर्मचारियों के सामने रही असमंजस की स्थिति
प्रशिक्षण से लेकर चुनाव संपन्न होने तक यह देखने सुनने को मिला की कर्मचारी पूरे समय असमंजस में रहे,कब जाना है दल में कौन है और कहां से उनका संपर्क होगा यह अंतिम दिन स्पष्ट हुआ,कर्मचारियों की माने तो पहले ऐसा नहीं होता था,सब कुछ स्पष्ट हो जाता था प्रशिक्षण के दौरान ही केवल मतदान कराने कहां जाना है यह गोपनीय हुआ करता था जो अंतिम दिन पता चला करता था,कुल मिलाकर प्रशिक्षण सहित चुनाव संपन्न होने तक कर्मचारियों के समाने स्पष्ट स्थिति नहीं देखी गई।
पहले रवाना होने वाले दल और पहले वापस आने वाले दल का हुआ सम्मान,जो दूरस्थ क्षेत्र के दल थे वह सम्मान के भी नहीं थे जिम्मेदारों की नजर में हकदार
चुनाव के दौरान यह देखा गया की जो दल पहले रवाना हुआ और जो पहले वापस आया उसका सम्मान बकायदा फूल बुके सहित मीठा खिलाकर किया गया वहीं जो दल बाद में रवाना हुए और सुबह तक दूरस्थ क्षेत्र होने के कारण लौट सके उनके सम्मान के लिए कोई उपस्थित नहीं था न ही उनकी किसी ने सुध ही ली,उन्होंने समान जमा किया और फिर वह घरों के लिए रवाना हुए।
मनेंद्रगढ़ से बैकुंठपुर आने के लिए परेशान दिखे मतदान दल के कर्मचारी
जो मतदान दल में संलग्न कर्मचारी दूरस्थ क्षेत्रों में गए थे उनकी स्थिति सबसे ज्यादा खराब रही,सुबह तक वह पहुंच सके सामग्री जमा करने वहीं जब वह पहुंचे और सामग्री जमा कर लिया तो उन्हे बैकुंठपुर आने के लिए वाहन के लिए इंतजार करना पड़ा,सूत्रों की माने तो सभी ने किराए की गाड़ी की और घर वापस लौटे,मतदान दलों के लिए यह सबसे बड़ी मुसीबत साबित हुई क्योंकि उन्हे सवारी गाड़ियां मिल नहीं रही थीं वहीं उन्हे ज्यादा पैसे देकर घर वापसी करना पड़ा जो दुखद पहलू रहा इस चुनाव का।


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