अंबिकापुर@श्रद्धालुओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर की समृद्धि की कामना

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लोक आस्था का महापर्व छठ का तीसरा दिन…छठ घाटों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़…

अंबिकापुर,19 नवम्बर 2023 (घटती-घटना)। लोक आस्था का महापर्व छठ हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। रविवार की शाम को व्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। सडक¸ों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। कई श्रद्धालु अपने घर से दंडवत देते हुए छठ घाटों तक पहुंचे। इस दौरान परिवार के लोग भी उपस्थित थे। छठ घाट पर पहुंचने के बाद व्रतियों ने नदी तालाबों और जलाशयों में उतर कर स्नान किया। इसके बाद पानी में ही खड़े होकर श्रद्धालुओं ने दोनों हाथ से प्रसाद से भरे सूप से अस्ताचलगामी को अर्घ्य अर्पित किया। इस दौरान परिवार के लोगों ने लोटा में पानी और दूध से व्रतियों को अर्घ्य दिलाया। अर्घ्य अर्पित करने का सिलसिला सूर्यास्त होते तक चलता रहा।
लोक आस्था का महापर्व छठ यूपी, बिहार, झारखंड के साथ-साथ पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। अंबिकापुर में भी छठ करने वालों की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ती जा रही है। छठ व्रतियों की लगातार बढ़ रही संख्या को देखते हुए लगभग हर मोहल्लों में छठ घाट बनाए गए हैं। शहर के प्रमुख शंकर घाट स्थित छठ घाट में प्रतिवर्ष काफी संख्या में श्रद्धालु छठ करने पहुंचते हैं। यहां महामाया छठ पूजा सेवा समिति द्वारा पूरी तैयारी की गई थी। समिति द्वारा व्रतियों की सुविधा को देखते हुए टेंट पंडाल सहित अन्य सुविधाएं प्रदान की गई थी। इसी तरह शहर से लगे घुनघुट्टा नदी तट पर श्याम घुनघुट्टा छठ सेवा समिति द्वारा व्यापक तैयारी की गई थी। यहां छठ व्रतियों के लिए समिति द्वारा टोकन की व्यवस्था की गई थी। टोकन के माध्यम से व्रतियों ने अपने-अपने स्थान पर पूजा की। यहां शहर के अलावा आसपास के ग्रामीण क्षेत्र से भी काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। व्रतियों को यहां स्नान करने के लिए शुद्ध जल व पर्याप्त जगह काफी पसंद आई। इसी तरह शहर के शंकरघाट के अलावा मौलवी बांध, मैरीन ड्राइव तालाब, सतीपारा तालाब, जेल तालाब, खैरबार नहरपारा, गोधनपुर तालाब, खर्रा स्थित घाटों को आकर्षक ढंग से सजाया गया था। छठ व्रत अटूट आस्था का पर्व है। मान्यता है कि छठ व्रत करने पर उनकी सारी मन्नतें पूर्ण होतीं हंै। ऐसे में श्रद्धाल अपने घर से ही दंडवत देते हुए छठ घाटों तक पहुंचे। अर्घ्य के लिए दोपहर करीब तीन बजे से ही सडक¸ों एवं गलियों में व्रतियों की भीड़ दिखने लगी। महिलाएं छठी मइया का गीत गाते व पुरुष सिर में सूपा व दउरा रख नंगे पैर घाट की ओर रवाना हुए। जैसे-जैसे शाम होती गई, व्रतियों की भीड़ बढ़ती गई। व्रतियों की सुविधा के लिए सडक¸ों से लेकर घाटों तक विशेष व्यवस्था की गई थी। व्रतियों को परेशानियों से बचाने के लिए सडक¸ों की साफ-सफाई हुई थी। छठ घाटों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं ने डूबते भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य दिया। छठ घाटों पर सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस मुस्तैद रही। सबसे ज्यादा भीड़ शंकरघाट में देखने को मिली। यहां पुलिस द्वारा काली मंदिर के पास मोटरसाइकिल की पार्किंग एवं संजय पार्क बैरियर से तकिया मोड़ तक चार पहिया वाहनों को रोक दिया गया था।
आज सुबह उगते सूर्य को देंगे अर्घ्य
सोमवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व 36 घंटे के कठिन उपवास का भी समापन होगा। शाम को अर्घ्य देने के बाद कई छठ व्रती पूरी रात घाट पर ही रुके। जबकि और लोग अपने-अपने घर वापस चले गए थे।


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