बैकुण्ठपुर@आखिर किस बड़े नेता का फोन आया कि यवत सिंह को अंतिम दिन प्रचार के लिए निकलना पड़ा?

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  • कांग्रेस से यवत सिंह ही एक ऐसे नेता थे जो अभी तक प्रचार से दूरी बनाए रखे थे अंतिम दिन उन्हें शामिल होना पड़ा।
  • कांग्रेस की एक भी सभा में यवत सिंह नहीं हुए शामिल जिसका कांग्रेस को हुआ नुकसान।
  • पटना 84 के दो दिग्गज नेता लाल विजय प्रताप सिंह व यवत सिंह नहीं दिखे किसी भी आमसभा में।
  • लाल विजय प्रताप सिंह को लेकर क्या प्रत्याशी ने नहीं की पूछ परख जिस वजह से एक भी सभा में नहीं दिखे।

बैकुण्ठपुर 16  नवम्बर 2023 (घटती-घटना)। बैकुंठपुर विधानसभा भले ही कांग्रेस के लिए अच्छा रहा यहां से हर बार कांग्रेस को ही जीत मिली बैकुंठपुर विधानसभा के लिए कांग्रेस के सबसे ज्यादा नेता पटना 84 से ही आते थे, पटना 84 ही बैकुंठपुर विधानसभा के लिए कांग्रेसी गढ़ माना जाता था, समय के साथ धीरे-धीरे यहां पर भाजपा ने भी अपना पकड़ बनानी शुरू की और अब स्थिति भाजपा के लिए पहले के मुकाबले थोड़ा अच्छी हो गई, जो पटना 84 कोरिया कुमार के समय पूरा उनके लिए काम करता था उनके राजनीतिक संन्यास के बाद से अचानक क्या परिवर्तन आया कि पटना 84 के नेताओं को ही पिछले 5 वर्ष में दरकिनार किया गया और चुनावी वर्ष में फिर से याद कर उन्हें मनाने का प्रयास किया गया, कुछ ने तो कांग्रेस के विचारधाराओं की वजह से चुनाव प्रचार में देख भी गए पर कुछ ने तो एकदम ही किनारा कर लिया, यदि दिग्गजों में बात की जाए तो लाल विजय प्रताप सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शामिल है उसके बाद यवत कुमार सिंह यह दोनों नेता कहीं ना कहीं पटना की शान है पर इन दोनों नेताओं का अचानक कांग्रेस के प्रत्याशी से मन न मिलाना कहीं ना कहीं कमियों को दर्शाता है, इस बार के विधानसभा चुनाव में लाल विजय प्रताप सिंह एक भी आम सभा में बैठे दिखाई नहीं दिए, कुछ ऐसा ही दृश्य यवत कुमार सिंह को भी लेकर देखा गया, जहां कयास लगाए जा रहे थे कि यवत सिंह कांग्रेस प्रत्याशी के प्रचार में उतरेंगे और उनका समर्थन करेंगे पर ऐसा पूरे प्रचार के समय नहीं दिखा, अंतिम दिन ऐसा क्या हुआ कि यवत कुमार सिंह को अपनी कसम तोड़कर चुनाव प्रचार में उतरना पड़ा? आखिर किसका फोन आया था इस बात को जानने को लेकर क्षेत्र में लोगों की लालसा बढ़ चुकी है? अब देखना यह होगा कि यवत सिंह के एक दिन के भ्रमण से पटना 84 को कितना मजबूत किया जा सकता है और भाजपा को कितना पीछे धकेला जा सकता है?
पूरे चुनाव प्रचार अभियान से यवत सिंह ने बनाए रखी दूरी,अंतिम दिन निकले प्रचार में,कितना मिलेगा लाभ परिणाम के बाद होगा तय
यवत सिंह ने पूरे चुनाव अभियान के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी के प्रचार अभियान से दूरी बनाए रखी थी,यवत सिंह की दूरी कई सवाल खड़े कर रही थी जिसका जवाब भी कांग्रेस के लोग नहीं दे पा रहे थे वहीं वह अंतिम दिवस प्रचार में निकले और प्रचार किया भी उन्होंने अब देखना है की उनका अंतिम दिन किया गया प्रचार कितना कारगर होता है। वैसे परिणाम के दिन ही यह तय होगा की वह कितना कारगर साबित हुए एक दिन के प्रचार में कांग्रेस प्रत्याशी के लिए।
मंचों पर योजनाएं बताने में माहिर हैं यवत सिंह,उनके पास शासन की योजनाओं की रहती है अच्छी खासी जानकारी
यवत सिंह वैसे तो पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रहे हैं वहीं उनका राजनीतिक अनुभव भी अच्छा खासा माना जाता है कांग्रेस के प्रथम पंक्ति के नेताओं के वह शामिल रहने वाले नेता कभी हुआ करते थे वहीं स्व कुमार साहब के भी वह करीबी थे,यवत सिंह मंचों पर सार्थक और योजनाओं की बात बताने वाले नेताओं में शुमार माने जाते हैं। शासन की योजनाओं की कांग्रेस की योजनाओं की जितनी अच्छी जानकारी वह मंचो से देते हैं वह कोई और नहीं दे पाता, उनका पूरे प्रचार अभियान में नहीं निकल पाना कांग्रेस के लिए नुकसानदायक जरूर रहा।
यवत सिंह का अंतिम दिवस प्रचार में निकलना लोगों के बीच चर्चा का विषय,माना जा रहा है किसी का फोन आया और उन्हे मजबूरी में प्रचार में निकलना पड़ा
यवत सिंह का अंतिम दिन चुनाव में निकलना चर्चा का विषय बना हुआ है,माना जा रहा और ऐसी चर्चा भी है की किसी बड़े नेता का फोन आया और वह उनकी मजबूरी बनी और उन्हे प्रचार में निकलना पड़ा,वैसे चर्चा यह भी है की किस नेता ने उन्हे मजबूर किया होगा,सभी का मानना है की उन्हे किसी न किसी ऐसे नेता का फोन आया है जिसकी बात वह काट नहीं सके। वैसे माना यह भी जा रहा है की उन्हे सरकार बनने की स्थिति में कोई पद देने की भी बात हुई है।
यवत सिंह की पांच साल नहीं हुई थी पूछ परख,विधायक के बैनर पोस्टरों से भी थे गायब
यवत सिंह वैसे अंतिम दिवस कांग्रेस प्रत्याशी वर्तमान विधायक के लिए प्रचार में निकल जरूर गए लेकिन यदि विधायक सहित वर्तमान प्रत्याशी को लेकर यह आंकलन किया जाए की उन्होंने वरिष्ठ मानकर उन्हें कितना सम्मान दिया तो यही जानकारी सामने आयेगी की उन्होंने अपने बैनर पोस्टरों में भी यवत सिंह को जगह नहीं दिया था। वैसे यवत सिंह ने फिर भी बड़ा दिल दिखाया और वह अंतिम समय में ही सही कांग्रेस प्रत्याशी के लिए प्रचार में निकल पड़े।
कांग्रेस प्रत्याशी सभी कांग्रेसियों को अपने पक्ष में कर पाने में हुईं सफल,जो जैसे मान पाया वैसे उसे मनाया गया
कांग्रेस प्रत्याशी को राजनीति का कच्चा खिलाड़ी माना जा रहा था लेकिन जैसा देखा गया टिकट पाने से लेकर सभी बड़े कांग्रेसियों को अपने पक्ष में करने में वह सफल हो गईं,जो जिस तरह मान सका वैसे उसे मनाया गया जो दबाव में आया दबाव से जो बड़े नेता के दबाव में आया उसे बड़े नेता के दबाव से कुल मिलाकर वह सभी को किसी न किसी तरह अपने पक्ष में प्रचार करने मजबूर कर ले गईं।


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