बैकुण्ठपुर@राजनीति में युवाओं का भविष्य तो चौपट हो ही रहा अब क्या राजनीति में बच्चों के भी भविष्य को चौपट करने की है तैयारी?

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  • क्या जिन बच्चों के हाथ में किताब व पीठ पर स्कूल के बैग होने चाहिए अब उनके हाथों और कंधों पर कांग्रेस के प्रचार की जिम्मेदारी?
  • बैकुंठपुर विधानसभा में क्या कांग्रेस के कार्यकर्ता कम पड़ गए कि अब बच्चों से करवाया जा रहा प्रचार प्रसार?

बैकुण्ठपुर 10 नवम्बर 2023 (घटती-घटना)। बैकुंठपुर विधानसभा में कांग्रेस पार्टी का प्रचार जोर शोर से जारी है, कांग्रेस कार्यकर्ता भाजपा कार्यकर्ताओं से ज्यादा मेहनत कर रहे हैं वह अपने समय का पूरा सदुपयोग कर रहे हैं गांव मोहल्ला टोला में वह घर घर दस्तक दे रहे हैं वहीं भाजपा कार्यकर्ता मंचों तक ही सीमित हैं जमीनी प्रचार प्रसार उनका शून्य है घोषणाओं को लेकर भी भाजपा कार्यकर्ता मौन हैं जनता तक घोषणाओं को पहुंचा पाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं, एक जगह बैठकर ही उनका प्रचार प्रसार संपन्न हो जा रहा है यह देखा जा रहा है वहीं कांग्रेस कार्यकर्ता बड़ी शिद्दत से प्रचार में लगे हुए हैं, इसमें कोई शक नहीं जो नजर भी आ रहा है, लेकिन इसी बीच कांग्रेस पार्टी के प्रचार की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर डाली जा रही हैं जिसमे नाबालिक बच्चे स्कूल जाने लायक बच्चे कांग्रेस का झंडा लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस का प्रचार कर रहे हैं जिसे लेकर सोशल मिडिया पर बहस जारी है की राजनीति में युवा वर्ग तो अपना भविष्य चौपट कर ही रहा है वहीं अब नाबालिक बच्चों को भी राजनीति में इस्तेमाल किया जा रहा है जो उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ जैसा मामला है।
सोशल मीडिया में डाली गई कुछ पोस्टों को पढ़ने के बाद यह सच भी लगता है की जिन नाबालिक साथ ही स्कूल जाने लायक बच्चों को प्रचार में इस्तेमाल किया जा रहा है उनके कंधे पर हाथों में कांग्रेस पार्टी के प्रचार की जिम्मेदारी डाली गई है उन्हे स्कूल जाने के लिए प्रेरित करना पढ़ने के लिए प्रेरित करना ज्यादा जरूरी है। वैसे जिन बच्चों के हाथों में कांग्रेस का झंडा नजर आ रहा है जो नाबालिक और कम उम्र के बच्चे हैं वह किसी नेता या कार्यकर्ता के बच्चे नहीं हैं यह सबसे बड़ा सच है, वहीं सवाल उठ रहा है की जब बच्चों से प्रचार की नौबत है तो अपने बच्चों से भी प्रचार करवाएं नेता और कार्यकर्ता जबकि वह ऐसा नहीं करते नजर आ रहे। वैसे हो सकता है खबर आने के बाद कोई नेता या कार्यकर्ता नई फोटो भेजकर यह साबित करे की उसके भी बच्चे प्रचार में शामिल थे लेकिन वर्तमान तस्वीर में किसी नेता का नाबालिक बच्चा प्रचार में शामिल नहीं है यह सबसे बड़ा सत्य है। राजनीति में युवा वर्ग आजकल ज्यादा सक्रिय नजर आने लगा है और उसका कारण यह माना जाता है की युवा वर्ग को सफलता का यह सबसे सरल माध्यम नजर आता है जहां न पूंजी की जरूरत है न ही मेहनत की न ही दिनभर खाने पीने की ही चिंता वहीं प्रत्याशी के जितने पर उसे अपने लिए आसानी से रोजगार की उपलब्धता की आशा रहती है इसलिए वह सक्रिय रहते हैं वैसे युवाओं के सोच के विपरीत ही जब उनका प्रत्याशी जीतकर आता है उन्हे परिणाम मिलता है क्योंकि कुछ को छोड़कर शेष को झुनझुना ही मिलता है जो वह बजाते रहते हैं और आगे अपनी रोजी रोटी के जुगाड में लग जाते हैं। अब युवाओं के बाद छोटे बच्चों को भी राजनीति में उपयोग किया जा रहा है जो भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
क्या कंग्रेसी प्रत्यासी के समर्थको में जागरूकता की कमी?
होना यह चाहिए की प्रचार के दौरान किसी गांव में जाने पर राजनीतिक दल के लोग बच्चों को रैलियों से दूर रखें और उनके हाथों में झंडा देकर उन्हें नारा लगाने कहने से बचें क्योंकि अभी से उनके मन में राजनीतिक विचारधारा का प्रवेश कराना कतई घातक है क्योंकि अभी उन्हे पढ़ना लिखना है और आगे बढ़ना है वहीं अभी वह नासमझ हैं और उन्हे पढ़ाई के लिए ही प्रेरित करने की जरूरत है उन्हे झंडा पकड़ाने की जरूरत नहीं है उनका कंधा और हांथ अभी पढ़ाई का ही बोझ उठाए तभी बेहतर समाज का निर्माण संभव है। कांग्रेस के प्रचार में बच्चों का झंडा लेकर आगे आगे चलना नारे लगाना कहीं से अनुचित है और इसे सही नहीं कहा जा सकता है। सोशल मीडिया में लोग यह भी लिखते नजर आ रहे हैं की क्या कांग्रेस के पास कार्यकर्ताओं की कमी हो गई है जो उन्हे अबोध नाबालिक बच्चों की जरूरत प्रचार के लिए पड़ गई है।
विधानसभा अध्यक्ष के कार्यक्रम में भी कांग्रेस ने स्कूली बच्चों की भीड़ जुटा कर जागरूकता की कमी जाहिर की थी
वैसे विधानसभा अध्यक्ष के कार्यक्रम में भी कांग्रेस ने स्कूली बच्चों की भीड़ जुटाकर कार्यक्रम को सफल दिखाने का प्रयास किया था जिसमे एक निर्दोष प्राचार्य निलंबित कर दिए गए जबकि उनकी गलती से ज्यादा बड़ी गलती स्कूल परिसर में आमसभा और हेलीकॉप्टर उतारने की अनुमति देने वाले अधिकारी की गलती थी,उपस्थित प्रशासन के कर्मचारियों की पुलिस विभाग के कर्मचारियों की गलती थी जिन्होंने बच्चों को हेलीकॉप्टर देखने की उत्सुक्तता से रोकना मुनासिब नहीं समझा अनुमति देते समय स्कूल को कोई निर्देश जारी नहीं किया स्कूल परिसर में प्रतिबंधित क्षेत्र नहीं बनाया।खैर निर्वाचन के दौरान शिक्षक हाशिए पर रहता है जो पटना के स्कूल ग्राउंड कार्यक्रम के दौरान भी देखा गया शिक्षक प्राचार्य निलंबित हो गए वहीं जिस पार्टी का कार्यक्रम था उसके नेता को नोटिस मात्र मिला जिसका जवाब उन्होंने दे दिया मामला समाप्त हो गया। अब इस मामले में किस पर कार्यवाही होगी जबकि यहां भी स्कूल जाने लायक छात्र ही झंडा पकड़े नजर आ रहे हैं वहीं कुछ स्कूल ड्रेस में भी हैं। निर्वाचन आयोग क्या इस मामले में भी प्रत्याशी को नोटिस देगा कार्यवाही करेगा बड़ा सवाल है।
कांग्रेस में क्या कार्यकर्ताओं का अभाव है जो बच्चे झंडा उठाकर कर रहे प्रचार?
जो तस्वीर सोशल मीडिया में डाली गई है जिसमे कांग्रेस का प्रचार बच्चे कर रहे हैं कांग्रेस नेता झंडा उनके हांथ में देकर खुद आगे आगे चल रहे हैं को देखकर यह भी सवाल उठाया जा रहा है की क्या कांग्रेस में कार्यकर्ताओं का अभाव है जिसके कारण स्कूल जाने योग्य बच्चे कांग्रेस के प्रचारक बने हुए हैं यह सवाल सोशल मीडिया पर उठाया जा रहा है। छोटे बच्चों के हाथों में कांग्रेस के झंडे का विरोध सभी करते नजर आ रहे हैं।
युवा वर्ग वैसे ही कर रहा राजनीति के चक्कर में अपना भविष्य बर्बाद,अब छोटे बच्चे क्या राजनीतिक दलों के निशाने पर हैं?
आजकल युवा वर्ग का रुझान राजनीति की तरफ ज्यादा है,उन्हे यह सफलता का सबसे आसान मार्ग नजर आता है,वह एक राजनीतिक दल की विचारधारा या एक बड़े नेता के साथ जुड़कर अपना भविष्य बनाने के चक्कर में लगे हुए हैं। युवाओं में अधिकांस की उम्मीद धरी रह जाती है वहीं कुछ सफल हो जाते हैं और उन्हे देखकर ही अन्य युवा प्रेरित रहते हैं और लगे रहते हैं राजनीतिक दलों के साथ और अंत में उन्हे समझ तब आती है जब उनकी उम्र गुजर जाती है और सफलता की जगह झंडा ही उनके हांथ में रह जाता है। अब छोटे बच्चों के हाथों में राजनीतिक दलों का झंडा नजर आ रहा है,क्या अब छोटे बच्चों के भविष्य को भी बर्बाद करने की तैयारी है। सवाल उठ रहे हैं और इसका जवाब कौन देगा इसका इंतजार सबको है।


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