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एमसीबी/बैकुण्ठपुर@बैकुंठपुर से विधायक की दौड़ से बाहर हुए एक नेता अपनी ही पार्टी की कब्र खोदने क्यों में जुटे हुए हैं?

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भाजपा के दो प्रत्याशियों के बीच दरार भी पैदा कर दी है।

एमसीबी/बैकुण्ठपुर 09 नवम्बर 2023 (घटती-घटना)। बैकुंठपुर विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी की दौड़ में शामिल रहे एक नेता आजकल अपनी ही पार्टी की कब्र खोदने में लगे हुए हैं वहीं वह भाजपा के दो अलग अलग विधानसभाओं के प्रत्याशियों के बीच दरार पैदा करने का भी काम कर रहे हैं।
बता दें की यह नेता भाजपा के बैकुंठपुर विधानसभा प्रत्याशी की कई पुरानी विडियो और उनके बयानों को अलग अलग लोगों से सोशल मीडिया में पोस्ट कराने का काम कर रहे हैं जिससे बैकुंठपुर के भाजपा प्रत्याशी को अधिक से अधिक नुकसान पहुंचाया जा सके। खुद को प्रबल दावेदार मानकर चल रहे भाजपा से टिकट के वह भी बैकुंठपुर विधानसभा से यह नेता भाजपा की सरकार प्रदेश में तो चाहते हैं लेकिन दो विधानसभा में यह भाजपा प्रत्याशियों की जीत नहीं देखना चाहते। ऐसे भी लोग भाजपा में हैं और भाजपा अनुशासित पार्टी होने की बात करती है यह कुछ न समझ में आने वाली बात जैसी बात है। भाजपा प्रत्याशियों में बैकुंठपुर के भाजपा प्रत्याशी ऐसे प्रत्याशी हैं जो आसपास के कई विधानसभा में अपना जनाधार कहें या समर्थक कहें रखते हैं वहीं एक प्रत्याशी इस बार ऐसे विधानसभा से चुनाव में हैं भाजपा प्रत्याशी जहां बैकुंठपुर भाजपा प्रत्याशी का अच्छा खासा जनाधार है जो उनके लिए काम आ सकता है लेकिन जिस भाजपा दावेदार का टिकट कटा है वह आपस में दो प्रत्याशियों के बीच यह कहकर दरार पैदा कर रहे हैं की सरकार बनने की स्थिति में आपस में टकराव की स्थिति उत्पन्न होगी और फिर एक प्रत्याशी के लिए दिक्कत होगी। भाजपा में विरोध का यह स्वरूप नया देखने को मिल रहा है जब टिकट नहीं मिलने पर एक दावेदार खुलकर तो विरोध नहीं कर पा रहा है लेकिन वह अंदर ही अंदर भाजपा प्रत्याशियों को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहा है और जिससे पार्टी को नुकसान होने की पूरी आशंका है। भाजपा ने इस बार नई रणनीति के तहत टिकट का वितरण किया है जो जिताऊ दिखा उसे ही भाजपा ने टिकट दिया और लाख विरोध के बाद भी भाजपा ने अपने प्रत्याशियों को बदलने का प्रयास नहीं किया जिसका फायदा भी देखने को मिल रहा है।
अविभाजित कोरिया की तीनो सीटों के मुकाबला कांटे का
भाजपा के प्रत्याशियों की स्थिति मजबूत मानी जा रही है खासकर विभाजित कोरिया जिले की तीनो सीटों के मुकाबला कांटे का है और कहीं से एकतरफा कुछ भी नहीं है ऐसे में अब जो पार्टी संगठित होकर अपने प्रत्याशी के लिए काम कर पाई वह निश्चित जीत दर्ज करेगी वहीं भीतरघात हुआ तो नुकसान भी तय है। अब ऐसे में भाजपा के लिए मुश्किल यह है की टिकट के दावेदार ही भीतरघात से बाज नहीं आ रहे हैं। वैसे भीतरघात से निपटने भाजपा पूरी तैयारी में है, वह इससे पूर्व से ही वाकिफ थी ऐसा माना जा रहा है और वह इसके लिए रणनीति के तहत काम भी कर रही है इसलिए भीतरघात करने वालों की पहचान भी होती जा रही है जो भाजपा सूत्रों का ही कहना है जिनसे पार्टी चुनाव के बाद परिणाम के बाद हिसाब लेगी ऐसा बताया जा रहा है। कुल मिलाकर भाजपा की दो विधानसभा सीट इस समय एक भाजपा नेता के निशाने पर है और उस नेता पर भाजपा संगठन की निगाहें भी हैं।
क्या हमेशा के लिए अपनी दावेदारी समाप्त करना चाहते है नेताजी?
वैसे भाजपा सूत्रों की ही माने तो बैकुंठपुर से भाजपा प्रत्याशी के विरुद्ध जो सोशल मिडिया पोस्ट डाली जा रही है वह किसके इशारे पर डाली जा रही है यह भाजपा संगठन जान चुकी है क्योंकि यह गलती उसी से हुई है जिसने कहने पर पोस्ट सोशल मिडिया पर पोस्ट किया या जिसने लाइक किया। भाजपा संगठन पल पल नजरें जमाए बैठी है और सोशल मिडिया पर भाजपा संगठन का ध्यान सबसे ज्यादा है। वैसे अपनी ही पार्टी की कब्र खोदने की जुगत में लगे नेता जी का असर ज्यादा देखने को नहीं मिल पा रहा है, उनको लेकर अब अन्य भी समझ चुके हैं की उनकी दावेदारी संभव नहीं हुई इसलिए वह अब ऐसा कुछ करेंगे यह तय ही था इसलिए भाजपा से जुड़े लोग इसे ज्यादा तुल भी नहीं दे रहे हैं लेकिन वह यह जरूर कहते सुने जा रहे हैं की पार्टी संगठन में रहकर ऐसा करना गलत है वार सामने से होना चाहिए पीठ पीछे से नहीं। पार्टी के कार्यकर्ता यह भी कहते सुने जा रहे हैं की ऐसा करके अब वह नेता जो ऐसा कर रहे हैं हमेशा के लिए अपनी दावेदारी समाप्त करते जा रहे हैं और उन्हे फिर दावेदार के रूप में स्वीकार कर पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होगा।
भाजपा को कितना नुकसान पहुंचा पाते हैं?
अब देखना है की नेताजी दो विधानसभा में भाजपा को कितना नुकसान पहुंचा पाते हैं जबकि अभी स्थिति टक्कर की है और जीत हार जनता और कार्यकर्ता के समर्थन और मेहनत से होनी है। कार्यकर्ताओं का मानना है की पार्टी प्रमुख होनी चाहिए अवसर किसी के लिए स्थाई नहीं होता एकदिन अवसर सभी को मिलना है फिलहाल प्रत्याशी और पार्टी की जीत जरूरी है जो होगी यह उनका विश्वास है और विरोध करने वाले पार्टी के हितैसी नहीं कहे जा सकते यह उनका मानना है।


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