बैकुण्ठपुर@गांधी,गोडसे की कहानी के भरोसे कांग्रेस का हो रहा प्रचार…भाजपा भी कर रही कांग्रेस पर प्रहार

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  • चुनावी सभा में योजनाओं सहित उपलब्धियों को बताने में कोई नेता नहीं दिखा रहा दिलचस्पी,सभी आरोप प्रत्यारोप के भरोसे चुनाव जितने की जुगत में
  • क्या जनता को आपसी द्वेष जताकर राजनीतिक दल करेंगे अपने पक्ष में,योजनाओं घोषणाओं पर नेताओं को क्या खुद नहीं भरोसा?
  • अपनी योजनाओं को बताते हुए भी एक दूसरे को कोसते नजर आ रहे नेता, जनता का विश्वास लेने कर रहे मशक्कत

-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 07 नवम्बर 2023 (घटती-घटना)। दूसरे चरण के चुनाव का प्रचार प्रदेश में जोर पकड़ चुका है, प्रदेश की बात करें या बैकुंठपुर विधानसभा की हर जगह राजनीतिक दल के नेता जोर शोर से प्रचार में लगे हुए हैं वहीं सभी दल और दलों के नेता जगह जगह आमसभा आयोजित कर मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं,आमसभा में नेताओं का जो वक्तव उद्बोधन सुना जा रहा है उसको यदि समझा जाए तो किसी को भी अपनी योजनाओं और अपनी उपलçधयों पर भरोसा नहीं है, सभी एक दूसरे पर आरोप लगाकर चुनाव में अपने पक्ष में पार्टी के पक्ष में पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में मतदाताओं को करने में लगे हुए हैं। इस दौरान मर्यादाओं का भी उलंघन देखने सुनने को मिल रहा है वहीं गांधी गोडसे की कहानी भी मतदाताओं को सुनाई जा रही है। आजाद देश में आज की लोकतांत्रिक व्यवस्था किस दिशा में जा रही है यह सोचने वाला विषय बन गया है। व्यक्तिगत आरोप लगाए जा रहे हैं कुछ का उद्बोधन ऐसा भी सुनने को मिल रहा है जिससे यह समझा जा रहा है की वह अपने पार्टी के प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार नहीं कर रहे हैं वह अपना आक्रोश अपनी व्यक्तिगत कोई दुश्मनी चुनावी मंच से भंजाने की कोशिश में लगे हुए हैं, कुल मिलाकर मामला ऐसा नजर आ रहा है की अपने अपने प्रत्याशी के लिए मतों की अपील मंचों से कम देखी जा रही है आरोप प्रत्यारोप ज्यादा देखा जा रहा है जबकि चुनाव के समय राजनीतिक मंचों पर राजनीतिक दलों के नेताओं को अपनी पार्टी की योजनाओं को साथ ही अपनी घोषणाओं को जनता के समक्ष रखना चाहिए व्यक्तिगत मामलों से बचना चाहिए। वैसे जो भी हो जनता भी इस बीच राजनीतिक दलों के भाषण से एक दूसरे दलों की खासकर नेताओं की बुराई सुनने का मजा ले रही है और मनोरंजन भाव से वह सबकुछ स्वीकार कर चलती बन रही है।
पिछले विधानसभा चुनाव में भी व्यक्तिगत आरोपों से मंचों पर दिया जाता था उद्बोधन,वही फिर है जारी
पिछले विधानसभा चुनावों की बात करें तो उस समय भी आमसभा के दौरान एक दूसरे दल और प्रत्याशी के लिए काफी आक्रोश साथ ही विरोध परस्पर अलग अलग दलों के नेताओं ने अपना जाहिर किया था,वैसा ही कुछ अभी भी देखने को मिल रहा है। सत्ताधारी दल भी इसमें पीछे नहीं है वह भी आरोपों के सहारे चुनाव जीतने की तैयारी में नजर आ रही है। पिछले चुनाव में जहां तत्कालीन सत्ताधारी दल के प्रत्याशी के लिए जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी उनके समर्थक मंचों से विरोध जाहिर करते थे व्यक्तिगत कटाक्ष करते थे आज वह स्थिति एक क्षेत्रीय दल के नेताओं की देखी जा रही है जो सत्ताधारी दल के प्रत्याशी के विरुद्ध माहौल बनाने व्यक्तिगत आरोप भी प्रत्याशी पर लगा रहे हैं,वहीं इस बार अंतर इतना है की सत्ताधारी दल के मंच पर अधिकांश वही नजर आ रहे हैं जिन्होंने पिछले चुनाव में वर्तमान कांग्रेस प्रत्याशी के विरुद्ध चुनाव लडा था या प्रत्याशी के समर्थक थे आज वह सत्ताधारी दल के प्रत्याशी के समर्थक हैं।


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