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बैकुण्ठपुर@भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशी एक दूसरे के कार्यकाल पर बोलने से क्यों बच रहे,समर्थकों ने सिर्फ संभाल रखा है मोर्चा आरोप-प्रत्यारोप का?

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5 साल पटना 84 को उपेक्षित करने वाली विधायक को अब पटना 84 के लोगों से मिलने के लिए कार्यालय की पड़ी जरूरत
भाजपा कांग्रेस के विधायक प्रत्याशी जबान फिसल न जाए इस वजह से काफी कम बोलकर आम सभा को संबोधित कर कर रहे हैं
दोनों पार्टी के प्रत्याशियों के लिए राह आसान नहीं दोनों कहीं ना कहीं मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए शब्दों को लेकर सजग दिख रहे
पूर्व विधायक व वर्तमान विधायक के कार्यकाल को लेकर कोई हमलावर है तो वह सिर्फ गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ही है

-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 07 नवम्बर 2023 (घटती-घटना)। 10 साल विधायक व सत्ता का मजा चख चुके भाजपा प्रत्याशी व 5 साल विधायक व सत्ता का मजा चखने वाली कांग्रेस प्रत्याशी को बैकुंठपुर विधानसभा में करनी पड़ रही है बहुत ज्यादा मेहनत, और सिर्फ मेहनत की वजह है अपने कार्यकाल को अच्छे तरीके से संचालित ना कर पाना, 10 साल वाले विधायक की बात करें तो उनके तक जनता का पहुंचना वह उनसे फोन पर बात करना आसान था, अपने छोटे-छोटे कामों को करवाना उनसे आसान था साथ ही कार्य करने में विधायक बीजेपी कांग्रेस नहीं करते थे, सभी लोगों का काम करने के लिए वह तैयार रहते थे, उन्होंने कभी दूसरी पार्टी का व्यक्ति है यह कहकर कभी भी किसी काम को मना नहीं किया न किसी को दरवाजे से भगाया, यही वजह था कि उनका जनाधार कभी कम भी नहीं हुआ उनका कार्यकाल जाने के बाद भी लोगों को इस बात का अफसोस सताता रहा वही 5 साल विधायक व सत्ता का सुख भोगने वाले कांग्रेस प्रत्याशी का काम करने का तरीका बिल्कुल भी अलग था, इतना अलग था कि पूरे 5 साल अपने ही पार्टी के लोगों को संतुष्ट नहीं कर पाई आम आदमी तक तो पहुंच पाना ही उनके लिए मुश्किल था, आम आदमी का उनसे मिलना सरल बिल्कुल नहीं रहा, सिर्फ वहां पर कुछ लोगों के माध्यम व समय लेने के बाद ही मिलना हो पता था, गरीब तबके के ट्रैक्टर मलिक पूरे कार्यकाल में रेत को लेकर परेशान रहे विधायक तक जाकर कार्यवाही करवाती थीं, कार्यवाही भी चुन के विरोधियों पर होती थी रेत के खदान तक जाकर कार्रवाई करने वाली पहली विधायक बनी, कई तरीके से इनकी कार्यप्रणाली लोगों के लिए निराशाजनक रही यदि इन्हें लोग पसंद कर भी रहे हैं तो उसकी सिर्फ एक वजह है राज्य के मुख्यमंत्री का चेहरा व्यक्तिगत तो इन्हें इनके पार्टी के लोग भी पसंद नहीं कर पा रहे हैं आज जब इन दोनों प्रत्याशियों को एक दूसरे के कार्यकाल से परेशान हुए लोगों को साधना था तो यह एक दूसरे के खिलाफ कुछ भी बोलने से परहेज करते नजर आ रहे, पर वही जनता की 5 साल की परेशानी इस समय विपक्षी दल के प्रत्याशी भी नहीं रख पा रहे हैं और वर्तमान विधायक तो अपने कार्यों से नहीं अपने काका के सहानुभूति से इस बार भी लोगों से वोट मांगने का प्रयास कर रही है अपने किए हुए कार्यों को लेकर बिल्कुल भी नहीं।
5 साल बाद पटना 84 के लोगों से मिलना आसान हो उसके लिए उन्हें कार्यालय खोलने की याद आई
वर्तमान विधायक ने अब पटना में विधायक कार्यालय खोलने की बात की है यदि वह जीतकर आती हैं,पांच सालों तक उन्हे इसकी याद नहीं आई यह जनता का कहना है। विधायक ने कहा है की अब वह पटना में कार्यालय खोलेंगी और वहीं फरियादियों से मुलाकात करेंगी यदि वह जीतकर आती हैं।लोगों का कहना है यह निर्णय वह पहले ली होती उन्हे इतनी मेहनत इस क्षेत्र में नहीं करनी पड़ती,पटना क्षेत्र में उनका आना जाना कम ही हुआ है और जनता से उनकी दूरी देखी भी जा रही है इसलिए उन्हे कार्यालय खोलने की याद आ रही है ऐसा कहा जा रहा है,वहीं उन्हे पहले कार्यालय खोलना था यह भी लोग कह रहे हैं।
सिर्फ काका के नाम पर ही फिर से वोट मांगना अपने किए हुए कार्यों का क्या?
वर्तमान विधायक अपने काका के नाम पर ही इस बार भी लोगों से वोट मांग रही हैं,अपने कार्यकाल की बात करके वह वोट नहीं मांग रही हैं। लोगों का कहना है की अपनी उपलब्धि की बजाए अपने स्वर्गीय काका की उपलब्धि बताकर वोट मांगना क्या उन्हे खुद के कार्यकाल की उपलब्धियों पर ही भरोसा नहीं है।
पहली बार बिना जाने भी आपने मुझे अपना प्यार दिया और अब तो 5 साल में आप जान चुके हैं तो आपसे और भी प्यार की अपेक्षा है,पर कैसे अपेक्षा कर रही हैं यह भी सवाल है
विधायक साथ ही कांग्रेस प्रत्याशी क्षेत्र में अब यह कहकर भी वोट मांग रही हैं की पांच साल पहले उन्हे बिना जाने लोगों ने समर्थन प्यार दिया था,इस बार तो वह पांच साल से यहीं रही हैं उन्हे लोग जान चुके हैं ऐसे में उन्हे इस बार और अधिक स्नेह की जरूरत है । कांग्रेस प्रत्याशी की इस बात से यह भी सवाल उठता है की जब वह अधिकांश समय विधानसभा से ही बाहर रही हैं और पूरे कार्यकाल में उनका राजधानी सहित प्रदेश से बाहर ही ज्यादा दौरा रहा है ऐसे में वह फिर ऐसा नहीं करेंगी लोगों की जरूरत में उनके साथ रहेंगी यह कैसे माना जा सकता है। कुल मिलाकर उनके बातों पर अब विश्वास कम ही करते लोग नजर आ रहे हैं।


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