अंबिकापुर,@खतरों के खिलाड़ी सत्यम को 29 बार सांप ने डसा,अब तक किया ६ हजार सांपों का रेस्क्यू

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अंबिकापुर,06 नवम्बर 2023 (घटती-घटना)। स्नेक मैन सत्यम द्विवेदी इकोसिस्टम को बचाने के लिए हर कोशिश कर रहे हैं। उन पर इकोसिस्टम का ऐसा जुनून है कि अब तक वह 29 से अधिक बार रेस्क्यू के दौरान सर्पदंश के शिकार भी हो चुके हैं। इसके बावजूद भी वह अपनी जान को हथेली पर रखकर सांप सहित अन्य वन्य जीवों को बचाने में लगे हैं। वह अब तक 6000 से अधिक सांपों का रेस्क्यू कर चुके हैं। कंप्यूटर साइंस व एलएलबी की पढ़ाई कर चुके सत्यम का मानना है कि सांप वास्तव में पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। ये उतने हानिकारक नहीं होते जितना हम सोचते हैं।
सरगुजा संभाग में स्नेक मैन के नाम से विख्यात हो चुके सत्यम द्विवेदी अपनी जान की परवाह किए बगैर सांपों को पकडक¸र जंगलों में आजाद कर उनके जीवन को बचाने का काम कर रहे हैं। सत्यम द्विवेदी अब तक 6 हजार से अधिक सांपों का रेस्क्यू कर चुके है। रेस्क्यू में दुर्लभ सफेद करैत के साथ कई जहरीले सांप शामिल हैं। यहीं नहीं रेस्क्यू के दौरान सत्यम द्विवेदी लगभग 29 बार सर्पदंश का भी शिकार हो चुके हैं। रेस्क्यू के दौरान कुछ जहरीले सांपों ने भी डस लिया है पर खुद की सूझबूझ और तत्काल अस्पताल पहुंचकर एंटी स्नेक वेनम लगवाने से उनकी जान अब तक सलामत है। इतने खतरों के बावजूद सांपों के साथ कई बेजुबान जानवरों को बचाने की मुहिम छेड़ रखी है।
सत्यम ने बताया कि जब मैं कंप्यूटर साइंस से बीएससी व एलएलबी करने के बाद वर्ष 2016 में पीएससी की तैयारी कर रहे थे, तभी मेरे जेहन में बेजुबान जानवरों की सेवा करने की भावना उत्पन्न हुई। फिर अपने कॅरियर को छोडक¸र सांपों को रेस्क्यू करने काम शुरू किया। इसके बाद से लगातार सांपों का रेस्क्यू करते आ रहा हूं। सत्यम द्विवेदी बताते हैं कि पर्यावरण के लिए सांप बहुत ही जरूरी है, इसलिए उन्हें बचाकर में जंगलों में छोड़ देता हूं।
100 से अधिक जीवों को आश्रय
सत्यम द्विवेदी बीते 5 वर्षों से सरगुजा की जैव विविधता के संरक्षण हेतु प्रयासरत हैं। बीते 5 वर्ष में उन्होंने 6000 से अधिक सर्प का रेस्क्यू , 1500 से अधिक पंछियों की जान बचाई है। वहीं प्रति वर्ष 50 से अधिक पौधे भी लगाते हैं। वहीं घायल सांपों, पंछियों के संरक्षण हेतु संभाग का एक मात्र मां महामाया पशु पुनर्वास केंद्र संचालित कर रहे हैं। यहा उन्होंने 100 से अधिक घायल, बीमार, दृष्टि हीन जीवों को आश्रय प्रदान किया है।
ऐसे खतरनाक वन्य
जीवों को भी बचाया
सत्यम ने बीते वर्षों में कैंसर से जूझ रहे सर्प, घायल विशाल काय बाज सहित मॉनिटर लिजार्ड का भी उपचार कराकर जीवन बचाया है। कभी कुएं में उतरकर तो कभी 80-90 किमी की यात्रा कर बेजुबान जीवों को जीवन देने का काम किया है। सत्यम ने बताया कि सफेद करैत ( कॉमन एल्बिनो करैत) व शहर में कौतूहल का केन्द्र बने मॉनिटर लिजार्ड का भी रेस्क्यू किया है।


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