- जन जन के मन में दिख रहा अंबिका सिंहदेव के खिलाफ आक्रोश।
- 2018 के कट्टर समर्थक हुए दूर,अब सिर्फ स्टाफ से लेकर गिनती के समर्थक कर रहे प्रचार प्रसार।
- कांग्रेस की बैठक में भी नही जुटी थी भीड़,क्या अंबिका के लिए मन से एक हो पाएंगे कांग्रेसी दिग्गज?
- विधायक के कार्यकाल में भाजपाई तो क्या कांग्रेसी भी हुए प्रताड़ित,अब चुनाव के वक्त सभी भुनाने में लगे।
- बैकुंठपुर शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में भी अंबिका के खिलाफ बनी है लहर।
- एकजुट हुई भाजपा अब अंबिका सिंहदेव के लिए खतरा।
–रवि सिंह-
कोरिया 26 अक्टूबर 2023 (घटती-घटना)। बैकुंठपुर की विधायक अब विधानसभा सहित जिले के लोगों को अलग ही तरह से अपनी ओर आकर्षित करने में लगी हुई हैं, ऐन चुनाव के वक्त वह अब कोरिया जिले को संभाग का दर्जा दिलाने की बात कर रही हैं वहीं वह अपनी तरफ से इस बात की घोषणा करती नजर आ रही हैं की यदि जनता उन्हे इस बार मौका देती है तो वह कोरिया जिले को संभाग का दर्जा दिलाएंगी और इस तरह वह जिले को अलग पहचान देंगी, जबकि यही वह विधायक हैं जिन्होंने जिला विभाजन मामले को हंस कर स्वीकार कर लिया नवीन गठित जिले के विधायकों को सार्वजनिक रूप से मिठाई खिलाती भी नजर आईं जिसको लेकर उस समय उनकी फजीहत भी हुई, अब वह जिले के लोगों को संभाग का सपना दिखाना चाह रही हैं और उनके ही काका के सपनों के कोरिया को वह फिर से आबाद करने की बात कर रही हैं जो उनके ही कार्यकाल में बर्बाद कर दिया गया।
वैसे यदि वर्तमान स्थिति चुनाव को लेकर बैकुंठपुर विधानसभा की देखी जाए तो वर्तमान विधायक कांग्रेस की पुनः प्रत्याशी घोषित हुई अंबिका सिंहदेव का जन जन के मन में विरोध है वहीं अक्रोश भी है कुछ या यह कहें अधिकांश लोग जिला विभाजन का कारण उन्हे ही मानते हैं और उनके ही कारण ऐसा हुआ वह समझते हैं। वर्तमान विधायक का कार्यकाल भी काफी चर्चा में रहा जनता सहित कांग्रेस के कार्यकर्ता पदाधिकारी हों या विपक्षी दल भाजपा के समर्थक सभी वर्तमान विधायक के कार्यकाल में एक जैसी ही स्थिति में रहे किसी को समझ में ही नहीं आया की विधायक करना क्या चाहती हैं और करती क्या हैं, विधायक को लेकर पार्टी में ही उनकी स्वीकार्यता पुनः प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर नहीं देखी जा रही है जो इस बात से साबित होता है की जब विधायक को दोबारा प्रत्याशी बनाया गया तब एक बैठक राजीव भवन में रखी गई जिसमे गिने चुने ही कांग्रेसी पहुंचे न वरिष्ठ पहुंचे न आम कार्यकर्ता संख्या शून्य से जरा अधिक ही दिखी,पहली बैठक में दिखी संख्या ही यह सवाल खड़ा करती है की क्या मन से कांग्रेसी एक होकर विधायक के लिए काम कर पाएंगे वैसे ऐसा लग नही रहा है। शहर हो या ग्रामीण क्षेत्र वर्तमान विधायक साथ ही कांग्रेस प्रत्याशी का विरोध हर जगह नजर आ रहा है जो साबित कर रहा है की उनके झांसे में शायद ही जनता इस बार आए जो संभाग बनाने का झांसा वह दे रही हैं। भाजपा अब एकजुट हो चुकी है सभी नेता एक साथ एक मंच पर सवार हो चुके हैं और यह कांग्रेस प्रत्याशी लिए अच्छी खबर नहीं है क्योंकि वह भाजपा के अंदरूनी विरोध के सहारे ही ज्यादा उम्मीद लगाए बैठी थीं जो अब उन्हे नाउम्मीद करने वाली स्थिति में तब्दील हो चुकी है।
काका के सपनों के कोरिया हुआ बर्बाद हुआ विभाजित,अब विधायक जिले को संभाग का दर्जा दिलाने की बात कर मांग रहीं समर्थन,लोग झांसे में आयेंगे नहीं तय
बैकुंठपुर की विधायक साथ ही कांग्रेस से आगामी विधानसभा के लिए घोषित प्रत्याशी जो स्व डॉक्टर रामचंद्र सिंहदेव जी की भतीजी हैं वह अब अपने लिए यह कहकर चुनाव में जनता से समर्थन मांग रहीं हैं की वह जीतकर आती हैं तो वह जिले को संभाग का दर्जा दिलाएंगी,वहीं जिले की जनता यह मानती है की जिला विभाजन उन्हीं की सहमति का परिणाम है,उनके काका का सपना जब बर्बाद हो रहा था जिला विभाजित हो रहा था वह मौन थीं,अब जनता संभाग बनाने को लेकर उनके घोषणा के समर्थन में नहीं आने वाली वह झांसे में नहीं आने वाली यह तय नजर आ रहा है,विधायक का कोई नहीं सुनना चाहता इस मामले में यह लगने लगा है।
जन जन के मन में है वर्तमान विधायक के प्रति आक्रोश
बैकुंठपुर विधायक कांग्रेस प्रत्याशी के लिए जन जन के मन में आक्रोश नजर आ रहा है,सबसे ज्यादा आक्रोश कांग्रेस कार्यकर्ताओं में ही है,सभी अंदर से विरोध में हैं।जैसी करनी वैसी भरनी भी कांग्रेसी ही कहते नजर आ रहे हैं क्योंकि पांच सालों के कार्यकाल में विधायक ने किसी को तव्वजो नहीं दी वहीं उनके निज सचिव को लेकर भी सवाल उठते रहे उनके कार्यप्रणाली को लेकर,याचना लेकर जाने वालों के लिए भी निज सचिव तैनात रहते थे जो निगरानी रखते थे जो कहीं न कहीं विधायक के लिए आज का विरोध साबित हो रहा है उनका,रेत मामला भी जनता भूलना नहीं चाहती वह यह मानकर चलती है की मुफ्त की रेत भी हजारों में उन्हे इन्ही विधायक के कार्यकाल में लेना पड़ा।कुल मिलाकर विधायक का जन संपर्क शून्य रहा और क्षेत्र में उनका जाना आना भी लोगों के दुख सुख में कम रहा जो उनके लिए घातक हो गया।
पिछले चुनाव के कट्टर समर्थक हुए विधायक से हुए दूर,निज कर्मचारियों के अलावा विधायक के साथ कोई नहीं
बैकुंठपुर विधायक लाख जतन कर लें उनके साथ केवल उनके कर्मचारी हैं और कोई नहीं है,कार्यकर्ता सहित अन्य पार्टी का कोई वरिष्ठ उनके लिए दिल से काम नहीं करने वाला दिखावा ही वह करेगा यह तय है। कुल मिलाकर इस बार विधानसभा में भईयालाल को उनके पिछले कार्यकाल उनके योगदान के प्रतिफल में मत मिलेगा उनकी जीत सुनिश्चित दिख रही है जो तय है।प्रत्याशी घोषित होने के बाद पहली बैठक में ही नहीं पहुंचे कांग्रेसी,यह बैकुंठपुर कांग्रेस प्रत्याशी के लिए उनकी पहली हार साबित हुई
बैकुंठपुर विधानसभा से इस बार कांग्रेस पार्टी से कई दावेदार थे उनमें से कई जितने योग्य थे क्योंकि वर्तमान विधायक का विरोध था उसके बावजूद वर्तमान विधायक को ही प्रत्याशी कांग्रेस ने बनाया जिसके बाद पार्टी की पहली बैठक बुलाई गई जिसमे गिने चुने कांग्रेसी पहुंचे और वहीं साबित हो गया जीत से दूर हो गईं विधायक।
मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने कांग्रेस ने अधिकतम पद संगठन में बांटा मुस्लिम समुदाय के लोगों को,अन्य समुदाय इससे भी हुआ नाराज,खासकर पटना क्षेत्र में
बैकुंठपुर विधायक ने अपने कार्यकाल के अंतिम समय में सबसे ज्यादा संगठन में पद मुस्लिम समुदाय के लोगों को प्रदान किया खासकर पटना क्षेत्र में एक साथ पांच से छह लोगों को विधायक ने बड़े पद दिए मुस्लिम समुदाय जहां इससे गद गद हुआ वहीं अन्य समुदाय में यह संदेश गया की हर पद पर एक ही समुदाय को पद देना कहीं न कहीं विधायक का गलत निर्णय था जबकि अन्य कई योग्य सामने उपलब्ध थे।
साहू समाज भी हुआ विधायक सहित कांग्रेस प्रत्याशी से नाराज
वर्तमान विधायक साथ ही कांग्रेस प्रत्याशी से साहू समाज भी पूरी तरह नाराज हो गया है जिसका कारण एक ही है विधायक के खास समर्थकों ने आशा साहू की दावेदारी कमज़ोर करने के लिए आशा साहू जो की कांग्रेसी हैं उन्हे भाजपाई साबित करने हर हथकंडा अपनाया जो साहू समाज को उद्वेलित कर गया,साहू समाज को ही विधायक समर्थक भाजपाई बताकर गलत कर गए जिससे समाज नाराज हुआ है जो विधायक के विपक्ष में जायेगा जो तय है।
चुनाव परिणाम वर्तमान विधायक पूर्व विधायक के परफॉर्मेंस पर भी होगा आधारित
बैकुंठपुर विधानसभा का चुनाव परिणाम वर्तमान विधायक पूर्व विधायक के परफॉर्मेंस पर आधारित होगा, पूर्व विधायक जहां इलाज वाले बाबा हैं वहीं वर्तमान केवल कर्मचारियों से निज सचिव से घिरी हुई मात्र जिसका भी नुकसान वर्तमान विधायक को भुगतना पड़ेगा। इस बार जनता आकलन भी करेगी कि वर्तमान विधायक का कार्यकाल अच्छा था या फिर पूर्व विधायक का कार्यकाल अच्छा रहा, जनता इस बार तुलनात्मक फैसला लेगी जैसा जान चर्चाओं का विषय है। इस बार जनता अपना मत दोनों विधायक के कार्य करने के तरीके व जानते के बीच कौन ज्यादा सजग था जनता किस विधायक से आसानी से मिलती थी कौन विधायक जनता के लिए ज्यादा काम करता था सारे तुलना के पैरामीटर को नापने के बाद जनता अपना विधायक चुने वाली है इस पर कौन भारी पड़ेगा यह तो परिणाम बताया।