बैकुण्ठपुर@क्या बैकुंठपुर में चल रही है गलत कामों में बादशाहत साबित करने की लड़ाई,कौन होगा गलत कामों का बेताज बादशाह…क्या यह है लड़ाई की वजह?

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  • वर्चस्व व बादशाहत की लड़ाई में एक दूसरे की लंका लगाने में लगे हैं धुरंधर।
  • बिल्डर की लंका लग चुकी अब डॉक्टर की लंका लगने वाली है।
  • वर्चस्व को बनाए रखने के लिए एक दूसरे की टांग खिंचाई जारी है।
  • बिल्डर के चाहने वाले कहते हैं कि उसके कॉलोनी से शहर की खूबसूरती बढ़ी हैतो वही डॉक्टर को चाहने वाले कहते हैं कि वह भगवान तो नहीं पर भगवान से कम भी नहीं।
  • जिला अस्पताल किसी काम का नहीं,डॉक्टर साहब का अस्पताल नहीं होता तो लोगों के लिए इलाज मुश्किल होता।
  • बादशाहत कायम करने के लिए राजनीतिक पार्टियों का भी लिया जा रहा है सहारा।

-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 19 अक्टूबर 2023 (घटती-घटना)। एक समय देश में अंडरवर्ल्ड डॉन या अपने-अपने क्षेत्र के लिए डॉन बनने की होड़ होती थी और अपने अपने क्षेत्र में अपना एक दहशत व वर्चस्व बनाया जाता था जिसे दहशत में तब्दील कर दिया जाता था, यह बातें तकरीबन कई दशक पुरानी है पर कुछ ऐसा ही इस समय बैकुंठपुर क्षेत्र में देखा जा रहा है, अपना प्रभाव बनाने के लिए गलत काम करने वाले एक दूसरे के दुश्मन है, कौन ज्यादा प्रभाव स्थापित कर सकता है और कौन अपना दहशत बना सकता है इसे लेकर जोर आजमाइश जारी है, पहले एक डॉक्टर साहब ने बिल्डर को नेस्तनाबूत करने के लिए अपने एक दामाद के पहचान वाले पुलिस अधीक्षक का भी सहयोग लिया, यह लड़ाई तकरीबन साल 2 साल चली और बिल्डर को जेल हुई, जेल से आने के बाद बिल्डर ने डॉक्टर साहब के खिलाफ लड़ाई शुरू की और उनकी कमियों व उनके मान-सम्मान के किले को ढहाना शुरू किया जो ढहता ही चला जा रहा है। इससे एक चीज तो अच्छी है की शहर में वर्चस्व को लेकर जो लड़ाई गलत कामों को लेकर शुरू हुई थी, वह अब धीरे से गलत काम खत्म करने में तब्दील हो गई है, जैसा की कहीं ना कहीं बिल्डर ने भी अपनी कमियों की वजह से व अपनी गलतियों की वजह से काफी मुसीबतें झेली और आज वह शायद सही पटरी में चलने का प्रयास कर रहा है और जो गलत पटरी में चल चुके हैं, अब वह प्रतिष्ठित डॉक्टर की पोल खोलने पर लगे हुए है उनके खिलाफ कार्रवाई हो इसके लिए उनका प्रयास जारी है, इस समय प्रतिष्ठित डॉक्टर की कमियां सामने आ रही है और कार्यवाहियां हो रही हैं यह आश्चर्य की बात ही है क्योंकि यह भी काफी बड़ा मामला साबित होता जा रहा है और डॉक्टर की एक एक करके कई ऐसी गलतियां मनमानियां सामने आ रही हैं जो साबित करती हैं की डॉक्टर ने अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए नियम कायदों को ठेंगा दिखाना ही उचित समझा और वह बिना परवाह बिना भय ऐसा करते रहे।
कहा जाता है की जब गलत करने वाले दो व्यक्ति टकराते हैं तो शहर का भला होता है कुछ ऐसा ही इस समय देखने को मिल रहा है बिल्डर और डॉक्टर की आपसी तकरार में शहर का भला होता दिख रहा है, जहां बिल्डर के विरुद्ध कई कार्यवाहियां हुईं जिसमे उसके कई ऐसे निर्माण ध्वस्त किए गए कई उसके अतिक्रमण हटाए गए जो उसके द्वारा गलत तरीके से किए गए थे और उससे किसी को नुकसान हुआ था, बिल्डर भले सभी मामलो मे न्यायालय की शरण में हो और उसका फैसला भी आना बाकी हो मामलो का लेकिन प्रथम रूप से जो कार्यवाहियां हुईं उसके अनुसार शहर को फायदा हुआ जिसमे एक बड़ा फायदा उस भूमि मामले में हुआ जो कन्या महाविद्यालय के समाने की भूमि है, जहां अब शासकीय निर्माण हो पा रहा है जो शासकीय भूमि थी लेकिन बिल्डर ने उसे किसी तरह अपने नाम करा लिया था बाद में उसे शिकायतों के बाद वह जमीन छोड़ना पड़ा यह एक तरह से शहर के लिए फायदेमंद कहा जा सकता है, यह तो बिल्डर की तरफ से शहर को फायदे की बात हुई जबकि बिल्डर पर हुई कार्यवाहियों के बाद यह देखा गया की शहर को फायदा ही हुआ, अब बिल्डर के बाद शहर के नामी हॉस्पिटल सहित डॉक्टर पर कार्यवाही हो रही है कार्यवाही बिल्डर की शिकायत पर चल रही है क्यों की पहले बिल्डर के खिलाफ प्रशासन को डॉक्टर गोपनीय जानकारी दे रहे थे जैसा बताया जाता है, वहीं अब डॉक्टर की पोल पट्टी जो काफी अधिक है उसकी जानकारी बिल्डर प्रशासन को दे रहे हैं और डॉक्टर की तरफ प्रशासन की कार्यवाही लगातार जारी है, डॉक्टर पर जो कार्यवाही हुई और जो कुछ सामने आया उसे देखकर शहर वासी भी अचरज में हैं क्योंकि किसी को नहीं मालूम था की शहर का ख्याति प्राप्त निजी हॉस्पिटल बिना नियम कायदों के पालन किए संचालित था, यहां तक की हॉस्पिटल की भवन जिस जमीन पर बनी हुई है वह भी व्यपवर्तित नहीं है जो हॉस्पिटल मामले में होनी चाहिए थी और इसी आधार पर हॉस्पिटल को पंजीयन मिलना था,अब जब यह समाने आया है की हॉस्पिटल बिना पंजीयन संचालित था वहां जारी कई स्वास्थ्य सुविधाएं बिना अनुमति बिना विशेषज्ञ चिकित्सक या ऑपरेटर मिल रही थी और जिसके कारण वहां प्रशासन ने ताला जड़ दिया। कुछ ऐसे भी है जो बादशाह बनने के लिए जुआ सट्टा व दारू का अवैध कारोबार कर रहे हैं उनकी बादशाहत इसी से ही बनी हुई है।
न्यायिक जांच में 302 के दोषी पाए जाने वाले डॉक्टर कुछ लोगों के लिए भगवान है क्योंकि वह उस डॉक्टर के वेतन भोगी कर्मचारी हैं?
डॉक्टर साहब की पोल पट्टी जैसे जैसे खुलती जा रही है वैसे वैसे उनकी आज तक की असलियत लोगों के शहरवासियों के समाने आते जा रही है,वह कैसे शहर में जिला मुख्यालय में रहकर नियम कायदों को ठेंगा दिखा रहे थे यह लोग अब समझ पा रहे हैं जान पा रहे हैं जैसे जैसे उनको लेकर खुलासे हो रहे हैं, डॉक्टर की मुसीबत बढ़ती देख और उनकी असलियत सामने आने से कुछ लोग अब उन्हे भगवान बताने से भी नहीं परहेज कर रहे हैं, एक समर्थक डॉक्टर के तो उन्हे भगवान से कम नहीं मान रहे हैं यह समर्थक उनके वेतन भोगी कर्मचारी हैं जैसा बताया जाता है, डॉक्टर साहब वैसे तो एक मामले में न्यायिक जांच के बाद 302 के आरोपी पाए गए हैं, मामला भी ऐसा है की उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति का ऐसी बीमारी कहें या महामारी का अपने हॉस्पिटल में रखकर इलाज किया जिसका न तो उन्हे तजुर्बा था और न ही उस इलाज के लिए उनका हॉस्पिटल अनुमति रखता था, उक्त व्यक्ति की मौत हॉस्पिटल की मनमानी की वजह से बिना तजुर्बा इलाज की वजह से हुई थी जो न्यायिक जांच में साबित हुआ फिर भी उनके वेतनभोगी समर्थक उन्हे भगवान की उपाधि दे रहें हैं। वैसे जिस व्यत्ति की मृत्यु डॉक्टर सहित अस्पताल की लापरवाही मनमानी की वजह से हुई उसे न्याय मिले और यह कैसे संभव हो यह खुद समर्थक नहीं कह रहे कहीं।डॉक्टर साहब को भगवान मानने वाले अंधभक्त को लगता है की डॉक्टर साहब से जुड़े मामले की उसको नहीं है जानकारी?
डॉक्टर साहब को उनका जो समर्थक भगवान से कम नहीं मानना चाहता वह लगता है डॉक्टर साहब की करतूतों से वाकिफ नहीं है,डॉक्टर साहब का अस्पताल जिसमे हाल में ही ताला लगाया है प्रशासन ने उसे भी वह नहीं देखना चाहता जानना चाहता वह केवल वही जानना देखना चाहता है जो उसे डॉक्टर साहब बताएं मात्र,बात बात में डॉक्टर को हां में जवाब देना ही उसकी नौकरी है इसलिए वह डॉक्टर साहब के मामले में इससे ज्यादा कुछ कहने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाता,डॉक्टर साहब तीन दशकों से ज्यादा समय से बिना अनुमति अस्पताल चला रहे हैं वह बिना डायवर्सन भूमि पर अस्पताल चला रहे हैं वह बिना अनुमति बिना विशेषज्ञ कई स्वास्थ्य सुविधा मरीजों को प्रदान कर रहे हैं उनकी जान से खिलवाड़ कर रहे थे यह समर्थक जान कर भी नहीं जानना चाहता,कुल मिलाकर जो डॉक्टर साहब कहें वही सही उसकी नौकरी है यही लगता है।
बच्चा चोरी व गर्भपात वाला डॉक्टर कैसे भगवान हो सकता है?
हॉस्पिटल पर संचालक पर अनगिनत आरोप लग चुके हैं,बच्चा चोरी का आरोप गर्भपात नाबालिक का कराने का आरोप सहित मनमुताबिक इलाज का शुल्क लेने के कई आरोपों से डॉक्टर घिर चुके हैं पहले,आरोप लगे भले ही उनको लेकर बड़ी कार्यवाही डॉक्टर पर नहीं हुई लेकिन आरोप लगे जरूर और जब जब आरोप लगे डॉक्टर की फजीहत भी हुई, डॉक्टर के कई आरोपों पर डॉक्टर न्यायालय की शरण में भी हैं,ऐसे में आरोपों से घिरे डॉक्टर भगवान हो सकते हैं यह अतिश्योक्तिपूर्ण कथन माना जायेगा इससे ज्यादा कुछ नहीं।
बिना अनुमति किसी मरीज का इलाज करने वाला डॉक्टर क्या सही में भगवान है
डॉक्टर ने अपने हॉस्पिटल में शहर निवासी सुनील तिवारी नामक व्यक्ति का इलाज शुरू किया इलाज भी ऐसी बीमारी का महामारी का जिसके इलाज के लिए उनका हॉस्पिटल अधिकृत ही नहीं था,एपेडिमिक एक्ट के तहत उक्त बीमारी के इलाज की सुविधा प्रदेश के गिने चुने निजी अस्पतालों में ही थी शेष शासकीय अस्पतालों में भी अलग से उस बीमारी के लिए व्यवस्था की गई थी और उसके लिए अलग भवन और व्यवस्था तय थी, बीमारी कोरोना थी जिसका इलाज डॉक्टर साहब ने अपने हॉस्पिटल में करने की कोशिश की, मरीज सुनील तिवारी को अन्य हॉस्पिटल में एडमिट मरीजों के साथ ही एडमिट किया जबकि उक्त बीमारी में नियमानुसार बीमार को बिल्कुल अलग रखा जाना था क्योंकि बीमारी संक्रमण फैलाने वाली थी इलाज के दौरान बीमार सुनील तिवारी की मौत भी हो गई और जिसको लेकर हुई जांच में डॉक्टर दोषी भी पाए गए, अब ऐसे डॉक्टर भगवान हैं तो फिर भगवान भी नहीं बचा पाएंगे मरीज को तय है।
यदि डॉक्टर साहब भगवान हैं तो फिर सांसद बनने का वह सपना क्यों देख रहे?
डॉक्टर साहब भगवान हैं तो वह लोकसभा सांसद क्यों बनना चाहते हैं यह भी सवाल है,वैसे उनका राजनीतिक कैरियर अब भाजपा पार्टी ही तय करेगी क्योंकि उन पर लगे गंभीर आरोपों के बाद भाजपा उन्हे प्राथमिक सदस्य भी रखती है यह बड़ा सवाल है,वैसे भगवान को लोकसभा क्यों जाना है यह सोचने वाली बात जरूर है क्योंकि भगवान तो सर्वव्याप्त हैं।
क्या अवैध कारोबार में संलिप्त लोग ही श्रेष्ठ बनना चाहते हैं?
श्रेष्ठ बनने के लिए क्या अवैध कार्य में संलिप्त रहना जरूरी है,क्या अवैध कार्य में लिप्त होना ही श्रेष्ठ बनने के लिए पहली काबिलियत मानी जाती है। यदि ऐसा है तो फिर साफ सुथरी छवि वाले कब श्रेष्ठ बन पायेंगे वह श्रेष्ठ बन पायेंगे भी की नहीं यह देखने वाली बात होगी।


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