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बैकुण्ठपुर@क्या भाजपा प्रत्याशी को टोपी व चश्मा पहनना सिखाने वाले संभालेंगे प्रचार का जिम्मा?

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  • क्या भईयालाल राजवाड़े के लिए तीन काल साबित हो सकते हैं अप्पू,सलमान व जानू जायसवाल?
  • अपने प्रत्याशी को पिछले चुनाव में हराने के बाद साल से क्षेत्र से  दूर रहने वाले फिर से प्रत्याशी तय होने पर बनने  लगे करीबी।
  • बिलासपुर से आकर शहर के रामसेतु होटल में चार दिन से डाले हुए हैं डेरा।
  • टोपी व चश्मा पहनना सिखाने वाले घूम रहे भाजपा प्रत्याशी के इर्द-गिर्द जिस वजह से बाकी कार्यकर्ताओं में है रोष।
  • दो ठेकेदार तो एक है कर्मचारीक्या इनके सहयोग से ही भाजपा प्रत्याशी निकालेंगे विधानसभा का चुनाव?
  • इन तीनों का भाजपा प्रत्याशी के इर्द-गिर्द घूमना भाजपा के लिए ही नुकसान।
  • तीनों की सक्रियता केवल अपने ही स्वार्थ पूर्ति तक रहती है सीमित,पार्टी संगठन कार्यकर्ता से ऊपर खुद को मानते हैं यह तीनों।
  • पिछले चुनाव में भईयालाल राजवाड़े के लिए इनकी भी उपस्थिति उनके इर्द गिर्द बनी थी काल, स्वार्थ पूर्ति में लगे लोग ही बने थे हार की वजह।
  • जिन्हे दस लोग भी जानते नहीं वह जब हो जाते हैं किसी के विधायक बनते ही विधायक के खास जनता विधायक को भी इसलिए देती है पांच साल का वनवास।
  • भईयालाल राजवाड़े मामले में तीन युवा चेहरे बिगाड़ सकते हैं उनका समीकरण।
  • पांच साल मेहनत करने वाला पार्टी कार्यकर्ता ऐसे ही स्वार्थी लोगों की वजह से हो जाता है उपेक्षित।
  • भईयालाल राजवाड़े को खुद को यदि सभी का हितैसी साबित करना होगा,ऐसे अवसरवादियों से बचना होगा।

-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 15 अक्टूबर 2023 (घटती-घटना)। विधानसभा चुनाव में बैकुंठपुर विधानसभा से भाजपा ने पांचवीं बार भईयालाल राजवाड़े पर दांव लगाया है और यह दावा आखरी बार भी है इस बार भईयालाल राजवाड़े के लिए चुनाव जीतना काफी अहम भी है नहीं तो इतिहास के पन्नों में इनकी भी उपलब्धि कम हो जाएगी और इस बार में काफी सोच विचार के चुनाव लड़ना होगा, क्योंकि यह चुनाव इनके लिए और उनके नाम के लिए भविष्य तय करेगा और हो सकता है कि उनके परिवार के लिए भी यह चुनाव भविष्य उसके भविष्य से जुड़ा हो, कई मायनों में यह चुनाव जीतना भाजपा प्रत्याशी भईयालाल राजवाड़े के लिए जरूरी है, भईयालाल राजवाड़े जनाधार वाले नेता भी हैं पर इतना भी उनका जनाधार नहीं है की चुनाव परिणाम को अपने पक्ष में कर लें खुद अकेले के दम पर, इसलिए इन्हें कई खामियों को दूर करके अच्छाइयों के साथ चुनाव लड़ना होगा, उनकी पुरानी खामियां फिर से यदि दोहराई गई तो चुनाव के परिणाम उनके लिए निराशाजनक होंगे, कुछ ऐसा ही इस समय शहर में चर्चा का विषय है की तीन पूर्व मंत्री के करीबी जिन्होंने उन्हें टोपी व चश्मा पहनना सिखाया था वह एक बार फिर 5 साल बाद उनके करीब पहुंच गए हैं, एक तो बैकुंठपुर विधानसभा से ढाई सौ किलोमीटर दूर बिलासपुर में रहते हैं और हारने के बाद 5 साल दूरी बनाकर रखी थी पर अचानक टिकट फाइनल होने पर फिर से बैकुंठपुर में डेरा डाल दिया है और भाजपा प्रत्याशी की इर्द-गिर्द देखे जा रहे हैं बताया जा रहा है की यह शहर के रामसेतु होटल में तीन दिन से ठहरे हुए हैं यह भईयालाल राजवाड़े के करीबी होने के  साथ-साथ भाजपा प्रत्याशी पूर्व विधायक पूर्व मंत्री रह चुके भईयालाल राजवाड़े के पिछले कार्यकाल में खूब कमाई की है और अपना नाम खूब कमाया है पर अपने प्रत्याशी के लिए कुछ ऐसा नहीं किया कि वह 2018 में भी उनकी वापसी हो सके, यही वजह थी कि 2018 में भाजपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा था, यह फुल टाइम ठेकेदार है और व्यापारी हैं अब उनके करीब आने से शहर में चर्चा का विषय है और वही ईमानदारी से काम करने वाले कार्यकर्ताओं में रोष है की फिर से यह प्रत्याशी के करीब आकर अपना लाभ साधना चाह रहे हैं। बिलासपुर में रहते हुए काफी प्रॉपर्टी बन चुके हैं और इस बार फाइनेंसर भी ना बने यह आशंका भी बनी हुई है? वही एक सरकारी कर्मचारी हैं वह भी पूर्व कैबिनेट मंत्री के आशीर्वाद से ही बने हैं उनका भी पूर्व कैबिनेट मंत्री के करीब रहना लाभ नहीं नुकसान ही है और तीसरे युवक के बारे में भी ऐसा ही कुछ निकलकर पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच से आ रहा है की अब यह तीनो आगे आगे होकर चलेंगे और जब पांच साल विपक्ष का अवसर था पार्टी कार्यकर्ता संघर्ष कर रहे थे यह अपने अपने नौकरी व्यवसाय में मस्त थे और इन्होंने पार्टी की न तो सुध ली और न कभी सामने आकर मुसीबत में पार्टी का साथ दिया। इन तीनो के बारे में यह भी कहा जा रहा है की तीनो मौका परस्त हैं और उन्हे शुरुआती रूझान में जीत नजर आ रही है इसलिए वह आगे आगे अपनी मौजूदगी दिखा रहे हैं और यदि पार्टी प्रत्याशी की हार होगी यह फुर्र हो जायेंगे पलायन कर जाएंगे, इनकी प्रत्याशी के आस पास मौजूदगी पार्टी कार्यकर्ताओं को खलने लगी है और कार्यकर्ता अभी से निराश हैं की पार्टी प्रत्याशी फिर वही गलती दुहराने जा रहे हैं जिसकी वजह से हार हुई थी, यह तीन ऐसे युवा हैं जिन्हे शहर में ही कुछ गिने चुने लोग जानते हैं ग्रामीण क्षेत्रों में यह खुद परिचय के मोहताज हैं जबकि भाजपा का गढ़ ही ग्रामीण क्षेत्र है विधानसभा में। इस बात का दबा घटती-घटना नहीं करता पर जनचर्चा में इस बात की खूब चर्चा है।
मंत्री रहते स्टाफ के रूप में भर्ती हुआ इनमे से एक युवक
अमित गुप्ता उर्फ अप्पू भाजपा का पुराना कार्यकर्ता है जो कि भईयालाल राजवाड़े के पिछले कार्यकाल में सहयोगी के रूप में काम करता था, मंत्री रहते स्टाफ के रूप में भर्ती हुआ जिसका मानदेय मंत्रालय से मिलता था, बाद में मंत्री कोटा से मंत्रालय में पदस्थ हो गया और चतुर्थ श्रेणी  के पद पर काम कर रहा है। सभी नेताओ को गाली देकर बात करने में माहिर, जनसंपर्क निधि में जबरजस्त खेल खेला गया था, अपने स्व मामा के वाहन चालकों के नाम पर जनसंपर्क निधि राशि निकालने की बात आई थी, भईयालाल के कार्यकाल में दो बार अपना घर बनवाने की जानकारी भी सूत्रों से मिली है। ऐसी जानकारी है कि कांग्रेस के कई परिवार एवं नेताओं से भी संबंध है जिससे की पूर्व मंत्री के लिए सेटिंग कराते हैं, पूर्व कार्यकाल में चरचा के कांग्रेसियों को भी भईयालाल से सटाने का काम किया था। प्रभाव का इस्तेमाल कर ठेकेदारी का काम भी करता है, रायपुर मंत्रालय में चतुर्थ श्रेणी के पद पर है लेकिन खुद को पीए बताकर दबाव डालता रहा भईयालाल को अपने कब्जे में लेकर यहां तक बोला गया है कि इस बार मंत्री बनने के पहले ही ओएसडी आदि की पहचान कर लिया हूं। शासकीय कर्मचारी होने के बावजूद चुनाव में चुपचाप संलिप्तता बनी हुई है, ऐसा सूत्रों का कहना है।
भईया लाल को गाली देते फिरता था लेकिन धीरे धीरे करीब हुआ
जानू जायसवाल पूर्व में स्व तीरथ गुप्ता का खास था, भईयालाल को गाली देना फितरत था, लेकिन धीरे धीरे करीब हुआ और भईयालाल के श्रम मंत्री रहते बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़ क्षेत्र में कारखानों से सेटिंग का काम करता था, ट्रांसफर पोस्टिंग में भी खेल करता था। पहले बैकुंठपुर निवास करता था अब बिलासपुर निवास करता है, भईया लाल के कार्यकाल में खास बनकर संपत्ति बनाया, फूफा बिलासपुर में हैं उनके प्रभाव से काम कर भईया लाल को अपने कब्जे में किया हुआ है, मंत्रालय से काम दिलाता है कमीशन पर, और पूर्व मंत्री को भी खर्च देता है, जिससे कि समाज के लोगो द्वारा शिकायत के बाद भी जानू जायसवाल को दूर नहीं किया गया, शैलेष शिवहरे को भईयालाल से दूर करने में अहम भूमिका, जब शैलेश शिवहरे नगर पालिका अध्यक्ष थे तब खूब सप्लाई किया और शैलेश शिवहरे को ही चुना लगाया, अब भईयालाल राजवाड़े के लिए काम करने पहुंचा है युवक, कितना प्रभाव है यह भाजपा के कार्यकर्ता ही बता सकते हैं।
चापलूसी कर खास कार्यकर्ता बना हुआ है
सलमान अहमद वार्ड और घर परिवार से भी भाजपा को वोट नहीं दिला सकता, पिछले कार्यकाल में भईयालाल  का करीबी बना, बड़बोला पन ज्यादा। कई बड़े नेताओं के बारे में भईयालाल को भड़काकर खास बनने की कोशिश भागीरथी नल जल योजना के तहत भरतपुर क्षेत्र में भी खूब काम किया, पिछले कार्यकाल में भईयालाल के साथ दिन भर चिपका रहता था जिससे की कई कार्यकर्ता दूर हुए थे, थोड़ा भी प्रभाव नहीं लेकिन चापलूसी कर खास कार्यकर्ता बना हुआ है।
पार्टी कार्यकर्ताओं ने अंदर ही अंदर ठाना है,करीब नजर आए तीनों कार्यकर्ता खेलेंगे अंदर से विरोध का खेल
जैसी की जानकारी निकलकर सामने आ रही है पार्टी के अंदरखाने से बताया जा रहा है की पार्टी कार्यकर्ता इन तीनो को लेकर काफी विचार मंथन कर रहे हैं और कार्यकर्ताओं का अपना मत है की यदि यह तीनो ज्यादा आगे पीछे नजर आए अंदरखाने कार्यकर्ता ही प्रत्याशी के विरूद्ध खेल खेल जायेंगे क्योंकि उन्होंने पिछला भी कार्यकाल इन्ही के कारण भुगता है और यही कुछ लोग मंत्री रहते भईयालाल राजवाड़े के आसपास घेरा डाल लिए थे जिससे भईयालाल की आम लोगों से दूरी बन गई थी, वहीं यह ऐसे कुछ लोग हैं जिनको हार से वास्ता नहीं है इन्हे जीत से वास्ता है और यह मौके की तलाश में आज सामने हैं जीत मिली यह यहीं डट जाएंगे हार मिली भाग जायेंगे, असल लड़ने वाला कार्यकर्ता इनसे इसी लिए चिढ़ा हुआ है क्योंकि यह अवसरवादी मतलबी लोग हैं किसी के लिए यह स्थाई अपना मत नहीं रखते न समर्थन यह लोग विशुद्ध व्यवसाई हैं।
राजवाड़े समाज के अलावा कार्यकर्ताओं की ही मेहनत दिलाएगी भईयालाल राजवाड़े को जीत,चापलूस व्यवसाई नहीं दिला सकते जीत
भईयालाल राजवाड़े की जीत दो ही तरीकों से संभव है एक राजवाड़े समाज की एकजुटता एक तरफा मतदान से वहीं कार्यकर्ताओं के समर्थन और उनकी मेहनत से, अब इसके बीच दलाल तबके के लोग व्यवसाई लोग यदि आयेंगे भईयालाल की जीत में रोड़ा ही अटकाएंगे ऐसे लोग, भईयालाल राजवाड़े को ऐसे लोगों से सतर्क रहना होगा सम्हलकर रहना होगा क्योंकि कार्यकर्ता पार्टी के उनके लिए मत अंतर बढ़ाएंगे ऐसे व्यापारी नहीं जिन्हे जनता जानती भी नहीं न जानना चाहती न वह क्षेत्र में रहते हैं।


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