- खबरों से संज्ञान लेकर कलेक्टर एसपी ने अपने अधिकृत वाहन के नंबर प्लेट पीले कर लिए पर जिपं सीईओ आज भी सफेद नंबर प्लेट वाली वाहन में चल रही हैं क्या उनकी वाहन निजी है?
- क्या जिला पंचायत सूरजपुर सीईओ की अधिग्रहित वाहन व्यावसायिक पंजीयन की नहीं है?
- यदि व्यावसायिक पंजीयन की नहीं है तो फिर किस नियम के तहत अधिग्रहित किया गया वाहन?

सूरजपुर 10 अक्टूबर 2023 (घटती-घटना)। जो वाहन सूरजपुर कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक सूरजपुर व जिला पंचायत सीईओ के लिए अधिग्रहित की गई है उन वाहनों को व्यवसायिक कहने का आशय की टैक्सी में पंजीकृत वाहन होना चाहिए, पर क्या ऐसा है यह बड़ा सवाल है? क्योकि जिले के पुलिस अधिकारी, जिला प्रशासनिक अधिकारी व जिला पंचायत सीईओ को सफेद नम्बर प्लेट वाली वाहने लेकर सड़कों पर दौड़ रही है इस खबर को बड़ी प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया गया था, इसके बाद उतनी ही सजगता से सूरजपुर के कलेक्टर और एसपी ने संज्ञान लेते हुए नियम को ध्यान में रखते हुए अपने अधिग्रहित वाहन जो व्यावसायिक में पंजीयन है उसके नंबर प्लेट तत्काल आगे पीछे पीले कर लिए, उन्होंने अपनी जागरूकता दिखाते हुए सजगता का परिचय दिया, पर वहीं जिला पंचायत सीईओ सूरजपुर अपने आप को कलेक्टर व एसपी से ऊपर समझ बैठी हैं? इसी वजह से उन्होंने अपनी वाहन तो बदल ली और उन्हें लगा कि उनकी वाहन बदलने से लोगों की नजर उन पर नहीं पड़ेगी पर आज भी वह जिस वाहन पर चल रही है उसे नियम विरुद्ध तरीके से अधिग्रहित किया गया है, वह वाहन आज भी निजी में पंजीयन है जबकि व्यावसायिक वाहनों को ही अधिग्रहित करना है यही नियम है पर इसके बावजूद उनके द्वारा नियम का पालन नहीं किया जा रहा और नियम विरुद्ध तरीके से अधिग्रहित वाहन में जिला पंचायत सीईओ बोर्ड लगाकर चल रही हैं। जिला सूरजपुर में शासकीय विभागों में लगी वाहन बिना निविदा के जुगाड़ व सेटिंग से चल रही हैं।
नियमो की अनदेखी क्यों?
सूत्रों का मानना है कि सबसे बड़ी अनियमितता हो रही है वह भी वाहन अधिग्रहण में, बिना निविदा के वाहनों का अधिग्रहण करना नियम की अनदेखी है, विभाग में सब कुछ सेटिंग से चल रहा है, जिसकी सेटिंग तगड़ी है उसका वाहन अधिग्रहित हो जायेगा और बिल निकालने में जो पुलिस का सहयोग करेगा और बात बाहर नहीं करेगा, उसकी वाहन अधिग्रहित हो जाएगी पर अधिग्रहण करने के दौरान पुलिस कुछ ऐसी गलती भी कर रही है जो कहीं ना कहीं अपराध की श्रेणी में आता है, वह गलती है वाहन दस्तावेजों की अनदेखी, पुलिस वाहन अधिग्रहण करने से पहले वाहनों का बिना दस्तावेज जांचे उसे किराए पर अधिग्रहित कर रही है, जबकि यह भूल गए कि किराए पर वाहन अधिग्रहित करने के लिए व्यवसायिक में पंजीकृत वाहनों का ही अधिग्रहण होना चाहिए, निजी में पंजीकृत वाहनों का अधिग्रहण कर पुलिस की बत्ती, तो कई पद का बोर्ड लगा उसी वाहन में घूम रहे हैं, पुलिस के कई अधिकारी ना जाने उन्हें इस बात की जानकारी है या नहीं, जिले के पुलिस विभाग, जिला प्रशासन व जिला पंचायत में सफेद नम्बर प्लेट की वाहने विभागीय अधिकारियों को लेकर सड़कों पर दौड़ रही है।
सफेद नंबर प्लेट वाली वाहन शासकीय विभाग में दौड़ रही किराए पर
ले के पुलिस विभाग, जिला प्रशासन व जिला पंचायत में सफेद नम्बर प्लेट की वाहने विभागीय अधिकारियों को लेकर सड़कों पर दौड़ रही है, जबकि वाहने पीले नम्बर प्लेट की होनी चाहिए जो अधिग्रहण नियम के अनुसार होना चाहिए, पूरे मामले में कौन इस पूरे मामले में नियमो की अनदेखी कर रहा है यह तो सपष्ट नहीं है लेकिन जानकारों की माने तो यह बड़ी गलती है और यह नियमो के विरुद्ध है। सूत्रों की माने तो कई जिलों में निविदा के तहत वाहने अधिग्रहित की गई हैं, सरगुजा संभाग के कई जिलों में बिना निविदा के ही वाहनों को किराए पर लगाया जा रहा है, उसमें भी सबसे बड़ा सवाल यह है कि वाहन भी जो विभाग को लगानी है उसका पंजीयन व्यवसायिक में होना चाहिए पर बिना व्यवसायिक पंजीयन वाली वाहने भी धड़ल्ले से विभाग में पुलिस की बत्ती लगाकर दौड़ रही है, कुछ ऐसे ही वाहनों की तस्वीर भी सामने आई है जिसमें रजिस्ट्रेशन बता रहे हैं कि वाहने व्यवसायिक पंजीयन कि नहीं है क्या इस वजह से सफेद नंबर प्लेट वाहन में लगी हैं, जिसमें पुलिस की बत्ती भी ऊपर लगी हुई है अब यह वाहन किसने लगाया कैसे लगी यह जांच का विषय है।
क्या शासकीय विभागों में वाहन अधिग्रहित करने की एक नई पॉलिसी आ गई है?
इस समय शासकीय विभागों में वाहन अधिग्रहण करने की एक नई पॉलिसी आ गई है शासकीय वाहन होने के बावजूद भी कई वाहने अलग-अलग विभागों में बाहर से अधिग्रहण किए जाते हैं, जिसके लिए निविदा भी निकलती है पर कई विभागों में बिना निविदा के सेटिंग से ही वाहन लग जाती हैं, कुछ ऐसा ही सूरजपुर जिले में भी हो रहा है जहां पुलिस विभाग स्वास्थ्य विभाग सहित कई विभागों में वाहनों का अधिग्रहण किया गया है, जिसे लेकर इस समय सूरजपुर जिला सुर्खियों में है वाहन को यदि किसी भी विभाग को किराए पर दिया भी जाता है तो उसका नियम है की निजी उपयोग की वाहने नहीं कमर्शियल में पंजीकृत वाहन ही दी जाती है पर शहर के सेटिंग इतनी अच्छी है कि वह निजी वाहन भी अपने नाम पर लगाकर विभाग से पैसे उठा रहे हैं, इस तरह की बातें इस समय जन चर्चा का विषय है वहीं सूत्रों की मानें तो यदि विभाग में लगे वाहनों के दस्तावेज खंगाला जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा पर दस्तावेज खंगालने का अधिकार ना तो पत्रकार के पास है और ना अन्य के पास, इसकी जांच यदि उच्च स्तर पर हो तो सारे फर्जीवाड़ा सामने खड़े हो जाएंगे, सूचना के अधिकार में भी जानकारी नहीं दे पाते है कर्मचारी, कई लोगों ने सूचना का अधिकार भी लगाया और कहीं ना कहीं दबाव पूर्वक होने की वजह से यह जानकारी भी ठंडे बस्ते में रह गई।
जिला पंचायत सीईओ सफेद नंबर प्लेट वाली वाहन में
सूरजपुर जिला पंचायत सीईओ जो बहुत नियम का हवाला देती हैं पर खुद व्यवसायिक पंजीकृत यानी के टैक्सी परमिट की वाहन में नहीं निजी वाहन में चल रही हैं जो नियम के तहत नहीं है। अधिग्रहण करने के लिए हमेशा व्यवसायिक पंजीयन वाले वाहनों का उपयोग होता है पर यहां पर निजी पंजीयन वाले वाहनों का उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है जो नहीं होना चाहिए। अधिग्रहण की हुई सभी वाहने पीले नंबर प्लेट वाली होनी चाहिए पर यहां तो सफेद नंबर प्लेट वाली वाहनों को ही दौड़ाया जा रहा है। अधिकारियों को गाड़ी तो वीआईपी चाहिए यहां तक कि साफ-सुथरी चाहिए हर दिन गाड़ी का टॉवल बदलना चाहिए और गाड़ी में किसी तरह की कोई महक नहीं आना चाहिए रिक्वायरमेंट तो ऐसी करते हैं पर नियम की बात आती है तो नियम ना जाने इनके दिमाग के बाहर कहां चला जाता है।