बैकुण्ठपुर@क्या बैकुण्ठपुर में सिर्फ साहू समाज को भाजपा से ही टिकट चाहिए या फिर कांग्रेस से भी टिकट की वह करेंगे मांग?

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  • क्या कांग्रेस पार्टी में बैकुण्ठपुर विधानसभा से साहू समाज को नहीं मिल सकता प्रतिनिधित्व,यह बात स्वीकार कर चुका है साहू समाज?
  • यदि साहू समाज का जनसंख्या साहू समाज के लिए विधायक तय कर सकता है तो क्या साहू समाज अपना प्रत्याशी निर्दलीय उतारने होगा तैयार?
  • साहू समाज बैकुण्ठपुर विधानसभा में सत्ताधारी दल कांग्रेस पर क्यों नही डालता दबाव,समाज से ही किसी को मिले प्रतिनिधित्व का मौका?
  • क्या साहू समाज बैकुण्ठपुर विधानसभा में सत्ताधारी दल से हो चुका है नाउम्मीद,या भाजपा में साहू समाज की दावेदारी सत्ताधारी दल द्वारा प्रायोजित है?
  • बैकुण्ठपुर विधानसभा में सिर्फ साहू समाज को बीजेपी से टिकट चाहिए या फिर भईया लाल राजवाड़े का विरोध कर सत्ता पक्ष के विधायक का समर्थन करना उद्देश्य है इसके पीछे
  • बैकुण्ठपुर विधानसभा में भाजपा द्वारा साहू समाज से तय किया जाए विधानसभा प्रत्याशी,साहू समाज का इसके लिए राजधानी दौरा जारी।
  • साहू समाज विधानसभा में अपने समाजिक मतदाताओं की संख्या के आधार पर भाजपा पर बना रहा दबाव।

-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 07 अक्टूबर 2023 (घटती-घटना)। चुनाव आते ही राजनीतिक पार्टियों को समाज के नेतृत्वकर्ताओं द्वारा ब्लैकमेल व सौदे बाजी करने का प्रयास शुरू हो चला है, इस समय सामाजिक नेतृत्व वाले लोग राजनीतिक पार्टियों से अपना जनसंख्या के आधार पर हक मांगने लगे हैं और वह हक विधायक प्रत्याशियों को लेकर मांगा जा रहा है, अब ऐसे में सवाल यह उठता है क्या विधायक किसी समाज का प्रतिनिधित्व करता है या फिर सभी लोगों के लिए चुन के आने वाला पद है? इस समय हम बात कर रहे हैं साहू समाज का जिसे हर बार राजनीतिक पार्टियों ने मौका दिया है पर इस बार सरगुजा संभाग से मौका मांगने की तैयारी है, सरगुजा संभाग स्तर पर साहू समाज राजनीतिक दलों से विधायक प्रत्याशी चाहता है, पर इस समय कोरिया जिले के बैकुंठपुर विधानसभा में साहू समाज भारतीय जनता पार्टी से टिकट मांग रहा है पर सवाल यह उठता है कि यदि साहू समाज को किसी भी पार्टी से टिकट चाहिए तो फिर दोनों पार्टियों से क्यों नहीं मांग रही? सिर्फ भारतीय जनता पार्टी से ही टिकट की मांग क्यों कर रहा साहू समाज? क्या साहू समाज भईया लाल राजवाड़े को पसंद नहीं करता इस वजह से वह मांग कर रहा है या फिर सत्तापक्ष की विधायक का समर्थन कर रहा है इसलिए मांग कर रहा है? इसके पीछे भाजपा के ही कुछ नेताओं का दिमाग तेज गति से दौड़ रहा है, यह भी सूत्रों का कहना है। वैसे साहू समाज जिस तरह बैकुंठपुर से भाजपा पार्टी से समाज के किसी व्यक्ति को मौका देने की मांग कर रहा है, उसके बाद यह सवाल उठने लगा है की केवल भाजपा से ही क्यों साहू समाज टिकट मांग रहा है? जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 14 साहू समाज के प्रत्याशियों को मौका दिया था, पूरे प्रदेश में और उनमें से केवल एक ही प्रत्याशी जीत दर्ज कर पाया था, शेष को हार का सामना करना पड़ा था, वहीं इसके मुकाबले सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी ने आधे प्रत्याशियों को मौका दिया था साहू समाज से जिसमे से दो को हार का सामना करना पड़ा था, वहीं अधिकांश सीटों पर जहां भाजपा से साहू समाज के प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे उन्हे हार का मजा चखाने वाले गैर साहू समाज से प्रत्याशी थे।
बैकुंठपुर विधानसभा में इस बार साहू समाज भाजपा पर दबाव बना रहा है और समाज से ही किसी को प्रत्याशी बनाए जाने की मांग कर रहा है, वैसे भाजपा में बैकुंठपुर विधानसभा से कुछ साहू समाज के नेता ऐसे हैं जो दावेदार हो सकते हैं, पार्टी के लिए फायदेमंद भी हो सकते हैं लेकिन वह टिकट की दौड़ में उतना आगे नहीं हैं जितना वह आगे मान रहे हैं जिनके जितने की संभावना नगण्य है। अनिल साहू, सहित सुभाष साहू यह नाम जहां टक्कर वाले माने जा सकते हैं तो वहीं जोर आजमाइश करने वाले अन्य कहीं दौड़ में भी नहीं हैं, यह देखा सुना जा रहा है। साहू समाज के जो दावेदार ज्यादा प्रयास कर रहे हैं वह विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनकर किसी पार्टी के लिए जीत सुनिश्चित कर सकते हैं, यह अधिकांश समाज के ही लोगों द्वारा स्वीकार नहीं किया जा रहा है। वैसे साहू समाज को लेकर भाजपा ने कभी अनदेखी जैसा व्यवहार नहीं किया, वहीं वर्तमान में प्रदेश अध्यक्ष भी समाज से ही आते हैं, वहीं भाजपा की जारी पहली सूची में ही 4 साहू समाज से आने वाले प्रत्याशियों को भाजपा ने मौका देकर बता दिया है की वह साहू समाज को लेकर कितना गंभीर है, आगे और भी टिकट भाजपा साहू समाज के लोगों को देगी यह भी तय है लेकिन सरगुजा संभाग में वह टिकट देगी या नहीं यह अभी तय नहीं है।
साहू समाज के प्रवक्ताओं ने अपनी बातों से विरोधाभास का माहौल उत्पन्न किया दोनो प्रमुख राजनीतिक दलों के सामने
साहू समाज ने सरगुजा संभाग से समाज के लिए टिकट की मांग विधानसभा चुनाव के मद्देनजर करने के लिए बैठक आयोजित की, बैठक में समाज की आपसी रणनीति तय हुई जिसमे निर्दलीय भी चुनाव साहू समाज लड़ सकता है, समाज किसी समाज प्रत्याशी सहारे यह संभावना जाहिर की गई यदि टिकट दोनो राष्ट्रीय पार्टी संभाग में समाज से आने वाले किसी पार्टी सदस्य को नहीं देते हैं। समाज के एक प्रवक्ता ने यह कहा की साहू समाज बैकुंठपुर से भाजपा से टिकट की मांग करता है तो वही साहू समाज प्रत्याशी के लिए वहीं भटगांव सहित प्रेमनगर में से किसी एक सीट पर कांग्रेस से समाज अपेक्षा रखता है। वहीं ऐसा होने पर समाज दोनो दलों को लेकर सकारात्मक रुख अपनाएगा चुनाव में। साहू समाज प्रवक्ता की बात विरोधाभास जैसी समझ में आई। दोनो दल ही यदि उनकी बात मान लेते हैं और कांग्रेस भटगांव या प्रेमनगर से किसी साहू समाज प्रत्याशी को वहीं भाजपा बैकुंठपुर से किसी साहू समाज प्रत्याशी को मौका दे देती है, ऐसी स्थिति में साहू समाज किस तरफ ज्यादा मेहनत समर्थन देगा यह उन्होंने स्पष्ट नहीं किया जो राजनीतिक दलों के लिए चिंता का भी विषय हो सकता है, वहीं समाज को वह सौदे के हिसाब से भी आंककर किनारे कर सकते हैं, यह भी एक संभावना है। साहू समाज की बैठक में या  एक दल विशेष से मांग की जानी थी टिकट की या फिर दोनो दलों से टिकट की मांग करते हुए उनकी मंशा स्पष्ट होनी थी, लेकिन जैसा देखा गया और जो प्रेस वार्ता हुई, उसके अनुसार यह साबित हुआ की समाज के कई दावेदार संभाग के कई विधानसभा से दावेदारी करना चाहते हैं और यदि एक दो विधानसभा से किसी दल ने किसी समाज सदस्य को मौका भी दिया तो अन्य सीटों पर साहू समाज का किसी दल विशेष के लिए समर्थन मिल पाएगा यह संभव नहीं लगता। साहू समाज अपनी एकता कुल मिलाकर अपनी बैठक के बाद साबित नहीं कर सका यह माना जा सकता है, क्योंकि उनकी मांग राजनीतिक दलों से कम थी राजनीतिक दलों के लिए संख्या आधारित चेतावनी ज्यादा थी।
साहू समाज ने बैठक कर संभाग में दोनो दलों से की समाज से ही किसी को टिकट देने की मांग,टिकट नहीं दिए जाने पर निर्दलीय चुनाव में उतरने की चेतावनी भी
सरगुजा संभाग में दोनो दलों से साहू समाज ने मांगे टिकट, नही देने पर दिया नारा नेतृत्व दीजिए नही नेतृत्व बदल देंगे, बैकुंठपुर विधानसभा के बैकुंठपुर स्थित साहू समाज के सामुदायिक भवन में  साहू समाज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया, कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस और भाजपा से संभाग में एक सीट पर टिकट की मांग की, समाज के प्रवक्ता देश के विख्यात पर्वतारोही राहुल गुप्ता ने बताया कि बीते 20 वर्षों से हम अपनी बारी का इंतजार कर रहे है, 8 माह से हम जब से चुनावी टिकट को लेकर प्रकिया शुरू हुई है, समाज ने राष्ट्रीय स्तर से लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनो दलों से हम टिकट की मांग करते आये है, भाजपा ने संभाग की 5 सीटों में से 2 में अपने अधिकृत प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है जिसका हम स्वागत करते है, हम बैकुंठपुर विधानसभा में मजबूत है, यहां समाज के लगभग 26 हजार वोटर है, इसी तरह प्रेमनगर में 36 हजार, भटगॉंव में 11 हजार, अम्बिकापुर में 14 हजार, मनेन्द्रगढ़ में 13 हजार, भरतपुर सोनहत में 12 हजार सामाजिक वोटर है। पूरे संभाग में 1 लाख 20 हजार से ज्यादा वोटर है और हम संभाग की हर सीट पर जीत हार तय करते है। उन्होंने कहा कि यदि हमको बैकुंठपुर विधानसभा से बीजेपी टिकट देती है तो हम सब समाज को लेकर इस सीट पर जीत दर्ज करवा कर दिखाएंगे, न सिर्फ बैकुंठपुर बल्कि पूरे संभाग में भाजपा को जीत दिलवाने का पूरा प्रयास करेंगे, पर यदि हमको टिकट नही देती है पार्टी का नुकसान होगा। हो सकता है साहू समाज अपना निर्दलीय प्रत्याशी भी उतार दे, उन्होंने कहा कि अभी समय है दोनो पार्टी हमारे प्रस्ताव पर विचार कर ले, कांग्रेस ने अभी टिकट की घोषणा नही की है यदि कांग्रेस सरगुजा संभाग से हमे एक सीट पर टिकट देती है तो पूरे संभाग की सीटों पर साहू समाज उनका समर्थन करेगा। दोनो राजनीतिक दल इस बात को जान ले। उन्होंने कहा कि ये पहली प्रेस वार्ता है इसका सिलसिला जारी रहेगा और हमारी रणनीति समाज समय समय पर अवगत कराते रहेंगे। उन्होंने कहा कि हमारा किसी से विरोध नही है। हमारी मांग को दोनो दल समझे और हमारे साथ हमारे समाज की शक्ति को देखते हुए टिकट दे।
साहू समाज की बैठक और प्रेस वार्ता सौदेबाजी से कम नहीं नजर आई,जबकि इस बीच उनकी रणनीति स्पष्ट भी नहीं दिखी
साहू समाज ने जो बैठक टिकट के लिए दो राजनीतिक दलों पर दबाव बनाने के लिए की वह बेनतीजा उद्देश्य विहीन कही जा सकती है क्योंकि बैठक के बाद जो बातें समाज की तरफ से सामने आईं उससे यह जाहिर होता है की यह एक तरह की सौदेबाजी करने की कोशिश थी जिसमे समाज सफल इसलिए नहीं हुआ क्योंकि समाज के प्रवक्ता जिन्हे भी बोलने की आजादी मिली उन्होंने किसी दल के प्रति आस्था स्पष्ट साबित नहीं की,कुल मिलाकर सौदेबाजी का प्रयास था और जिन्हे बात सामने रखने का अवसर मिला वह ठिक ढंग से बात रख नहीं सके पूरी बैठक बेनतीजा साबित हुई कहा जा सकता है।
साहू समाज में ही एक एक विधानसभा से कई दावेदार,समाज उन्हे कैसे करेगा एकजुट इसको लेकर नही आया समाज की तरफ से बयान
साहू समाज ने संख्या के आधार पर संभाग में टिकट की मांग के लिए अपनी बैठक रखी,बैठक के बाद साहू समाज ने अपनी रणनीति भी जाहिर की,वहीं बैकुंठपुर से समाज ने भाजपा से टिकट की मांग की,लेकिन समाज से कौन उम्मीदवार होगा यह समाज ने स्पष्ट नहीं किया,बैकुंठपुर में समाज से कई दावेदार हैं जो भाजपा से ही टिकट की उम्मीद रखते हैं,उनमें से एक दो को छोड़कर शेष समाज से भी समर्थन जुटा पाएंगे यह समाज के कुछ लोगों का कहना है की ऐसा शायद ही संभव हो पाए,ऐसी स्थिति में किसे भाजपा मौका दे कौन बैकुंठपुर से उम्मीदवार हो यह साहू समाज को बताना चाहिए था क्योंकि आपस में ही समाज में कई दावेदारों को लेकर आपसी सहमती नहीं है
साहू समाज का टिकट को लेकर ज्यादा दबाव भाजपा पर,क्या कांग्रेस से टिकट की उम्मीद बैकुंठपुर विधानसभा में नहीं रखता साहू समाज?
बैकुंठपुर विधानसभा में साहू समाज भाजपा से टिकट की मांग कर रहा है,साहू समाज कांग्रेस पार्टी से टिकट की मांग प्रमुखता से करता इस विधानसभा में नहीं आया है जबकि कांग्रेस से इस विधानसभा में जनपद उपाध्यक्ष ने अपनी दावेदारी टिकट के लिए की है जिसे समाज का समर्थन उस स्तर पर नहीं मिल पा रहा है जितनी की मांग साहू समाज भाजपा से टिकट के लिए कर रही है। यह देखकर लगता है की बैकुंठपुर विधानसभा में साहू समाज भाजपा से ही आशान्वित है कांग्रेस से उसकी उम्मीदें नगण्य हैं
सामाजिक संख्या के आधार पर टिकट वितरण किया गया तो कई अन्य समाज जिनकी संख्या कम है उस समाज के दावेदार टिकट की दौड़ से हो जायेगें बाहर
राजनीतिक दल यदि यह देखकर और तो तय करके टिकट तय करेंगे की किस विधानसभा में किस जाति समुदाय की संख्या अधिक है और उसी समुदाय जाति के उम्मीदवार को यदि वह चुनाव में प्रत्याशी बनाएगी तो ऐसे में कई ऐसे दावेदार टिकट की दौड़ से बाहर हो जायेंगे जिनके समाज की जनसंख्या कम है किसी विधानसभा में और वह टिकट के प्रबल दावेदार भले चले आ रहे हों। वैसे बैकुंठपुर विधानसभा से कांग्रेस पार्टी के हिसाब से बात की जाए तो इस विधानसभा में पार्टी ने हमेशा ऐसे प्रत्याशी को मैदान में उतारा है जिसकी खुद की सामाजिक जनसंख्या बिल्कुल कम रही है जीत हार तय करने वाली नहीं रही है। वर्तमान विधायक के हिसाब से भी देखा जाए तो उनको लेकर जातीय समीकरण उनका बिल्कुल कमजोर है जाति समुदाय की संख्या नगण्य जैसी है।
संख्या के आधार पर टिकट की मांग राजनीति के लिए शुभ संकेत नहीं
यदि जातीय जनसंख्या के आधार पर किसी को पार्टियां उम्मीदवार बनाने लगें तो यह आने वाले समय में राजनीति के लिए शुभ संकेत नहीं है,यदि यह परंपरा जारी हो गई तो छोटी आबादी छोटे जनसंख्या समूह का भला कभी नहीं हो सकेगा वहीं यह भी तय हो जायेगा की ज्यादा संख्या वाली जातियां दबाव बनाकर कुछ भी हासिल करने का प्रयास करेंगे और यह अन्य जातियों के लिए घातक होगा क्योंकि जाति संख्या बल के आधार पर टिकट मांगने वाला यदि चुनाव जीत कर आएगा वह अन्य समाज को हाशिए पर रखेगा,उसका भला नहीं सोचेगा।
योग्यता,काबिलियत के बाद यदि जातीय समीकरण के आधार पर संयुक्त रूप से आंकलन कर दिया जाए टिकट तभी बेहतर लोकतंत्र की स्थापना हो सकेगी
टिकट वितरण में जातीय समीकरण को आधार न बनाया जाए यह भी कहना गलत होगा और न्याय संगत नहीं होगा,यदि ऐसा आवश्यक है तो योग्यता काबिलियत के बाद जातीय समीकरण देखा जाए संयुक्त आंकलन किया जाए तब टिकट दिया जाए ऐसा करना ही लोकतंत्र के लिए लाभदायक होगा जनहितकारी निर्णय होगा।
साहू समाज को लेकर भाजपा का पिछला अनुभव अच्छा नही
भाजपा ने पिछले चुनाव में साहू समाज पर प्रदेश में सबसे ज्यादा विश्वास किया था,साहू समाज को भाजपा ने इसी तरह के दवाब के कारण 14 सीटों से उम्मीदवार बनाया था जिसमे से भाजपा एक ही सीट बचा पाई थी जबकि भाजपा ने साहू समाज के लोगों को ऐसे सीटो से मौका दिया था जहां सबसे ज्यादा समाज के ही मतदाता थे ।अब देखना यह भी है की क्या साहू समाज को लेकर भाजपा दोबारा दांव खेलती है जबकि पिछली बार भी समाज ने यह कहकर ही टिकट मांगा था की वह सभी सीटों पर जीतकर आएंगे।
बीते चुनाव में दो-दो मंत्रियों ने हमारी ताकत देख ली है
सुनील साहू जनपद सदस्य भैयाथान ने कहा की साहू समाज लगातार सरगुजा संभाग से टिकट की मांग दोनो प्रमुख राष्ट्रीय दल से करता आ रहा है, यदि मौका इस बार मिलता है तो समाज दल का साथ देगा जो दल मौका देगा वहीं यदि बात शक्ति प्रदर्शन और संख्या बल पर आधारित है और उसी आधार पर टिकट तय होगा तो हम उसके लिए भी तैयार हैं और हम आगे शक्तिप्रदर्शन के लिए तैयार हैं। बीते चुनाव में दो दो मंत्रियों ने हमारी ताकत देख ली है यदि फिर देखना चाहते  है तो हम तैयार है। 


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