अंबिकापुर@महात्मा गांधी का जीवन दर्शन वर्तमान परिदृश्य में भी प्रासंगिकःअवस्थी

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अंबिकापुर, 03 अक्टूबर 2023 (घटती-घटना)। महामना मालवीय मिशन सरगुजा के तत्वावधान में महात्मा गांधी व लाल बहादुर शास्त्री के जन्मदिवस पर व्याख्यानमाला का आयोजन शहर के भारतेंदु भवन, गांधी स्टेडियम में किया गया। संस्था के सभी सदस्य गांधी चौक पर चार बजे एकत्र हुए और महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आरएन अवस्थी ने कहा कि महात्मा गांधी का जीवन दर्शन वर्तमान परिदृश्य में भी प्रासंगिक हैं। वे सत्य, अहिंसा के न्यायमूर्ति थे। मुख्य अतिथि सुरेन्द्र गुप्ता ने कहा महात्मा गांधी के व्यक्तित्व का अनुश्रवण भारतवर्ष के लोग ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व करता है। वे कर्तव्यपरायणता के साथ किसी कार्य को करते थे। विशिष्ट अतिथि बह्माशंकर सिंह ने कहा महात्मा गांधी भारतवर्ष को आजाद कराने में जिस सिद्धांत को संपादित किए वह सत्य और अहिंसा का मार्ग है। युद्ध से समझौता के द्वार बंद हो जाते हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता जेपी श्रीवास्तव ने कहा गांधीजी के आदर्शों को अपनाकर देश की बड़ी से बड़ी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। इनके बताए गए रास्तों पर चलकर सामाजिक द्वेषता को खत्म किया जा सकता है। पार्षद द्वितेन्द्र मिश्रा ने कहा आज दो-दो महापुरुषों महात्मा गांधी और लालबहादुर शास्त्री का जन्मदिवस है। शास्त्री जी का जीवन दर्शन सादगी का परिचायक है। भारतवर्ष के प्रधानमंत्री होते हुऐ भी उन्होंने संपूर्ण जीवन सादगी पूर्ण बिताया। शासकीय संसाधनों का उपयोग अपने निजी जीवन में कभी नहीं किया। गीतकार एवं कवि अंजनी पांडेय ने गांधी दर्शन और वर्तमान भूमंडलीय परिदृश्य पर विश्लेषणात्मक तथ्य को सामने रखा। प्रगतिशील लेखक संघ के पूर्व अध्यक्ष वेदप्रकाश अग्रवाल ने गांधी जी को अहिंसा का पुजारी बताया वहीं कवि देवेन्द्र दुबे ने आध्यात्मिक विचारों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। कृषि वैज्ञानिक डॉ. बीके सिंह ने कहा कि गांधी जी समस्याओं का समाधान गीता ग्रंथ में ढूंढ़ते थे, उनके विचार आध्यात्मवादी थे। मंच संचालन करते हुए वरिष्ठ समाजसेवी राज नारायण द्विवेदी ने कहा व्यक्ति और व्यक्तित्व का मापदंड उसके व्यहारिक गुणधर्म में अपनाए गए आचरण से किया जाता है। कालखंड में यदि जनमानस स्वीकार करता है तो वह महापुरुष बन जाता है। महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री का आचरण व्यवहार और कथन एक जैसा था, वे हमेशा अडिग रहे। सत्यमेव जयते का पालन करते रहे इसलिए उन्हें महात्मा कहा गया। कार्यक्रम में हरिशंकर त्रिपाठी, दुर्गा प्रसाद तिवारी, जेआर कुशवाहा, हरिशंकर सिंह, मदन मोहन मेहता, प्रीतपाल सिंह अरोरा, प्रकाश कश्यप ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में शिक्षक सच्चितानंद पांडेय, जेपी गुप्ता, नारायण प्रसाद गुप्ता, बीएल गुप्ता सहभागी रहे।


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