बैकुण्ठपुर@दैनिक घटती-घटना खबर का असर, शर्मा अस्पताल की जांच हुई शुरू

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  • शिकायतकर्ता के हर बिंदुओं की सूक्ष्मता से हो रही जांच
  • अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी के नेतृत्व में बैकुंठपुर के शर्मा हॉस्पिटल पहुंची जांच टीम,राजस्व,स्वास्थ्य,नगरीय प्रशासन विभाग सहित पुलिस बल था साथ में।
  • हॉस्पिटल पंजीयन नवीनीकरण का है मामला,हॉस्पिटल को लेकर शहर निवासी संजय अग्रवाल ने की है गंभीर शिकायत।
  • जांच दल में शामिल मुख्य चिकित्सा एवम स्वास्थ्य अधिकारी करते रहे जांच के दौरान शर्मा हॉस्पिटल संचालक की मदद,सूत्र।
  • अन्य विभाग अपनी जांच रिपोर्ट तैयार करने के दौरान दिखे पूरी तरह पारदर्शी प्रक्रिया अपनाते।
  • शर्मा हॉस्पिटल नर्सिंग होम एक्ट अंतर्गत नहीं है पंजीकृत,हॉस्पिटल भवन का निर्माण बिना डायवर्सन,बिना नगर निवेश अनापत्ति वहीं बिना नगर पालिका अनुमति के बनाया गया है,हुई है ऐसी शिकायत।
  • हॉस्पिटल में बिना अनुमति सोनोग्राफी सहित एक्सरे सहित जांच सुविधा की जाती है प्रदान,यह भी है शिकायत।

-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 02 अक्टूबर 2023 (घटती-घटना)। शर्मा अस्पताल के अनियमित को लेकर हुई थी बड़ी शिकायत जिस खबर को खबर को घटती-घटना ने बड़ी प्रमुखता के साथ प्रकाशित कर जांच की मांग की थी, इसके बाद बैकुंठपुर शहर के शर्मा हॉस्पिटल का 2 अक्टूबर को संयुक्त जांच दल ने निरीक्षण किया और हॉस्पिटल को लेकर कई तरह की जांच की, इस दौरान जांच दल का गठन किया गया था जिसका नेतृत्व जिला अतिरिक्त दंडाधिकारी कर रहे थे वहीं इस दल में स्वास्थ्य विभाग की टीम सहित राजस्व विभाग की टीम,नगरीय प्रशासन की टीम जिसमे नगर एवम ग्राम निवेश की टीम शामिल थी सहित पुलिस बल की भी मौजूदगी थी।
ज्ञात हो की पिछले कुछ दिनों से खास सुर्खियों में रहे शर्मा हॉस्पिटल पर अब प्रशासन का शिकंजा कसता नजर आ रहा है, उच्च न्यायालय जाकर फंस गए डॉक्टर शर्मा की खबर सच नजर आते दिख रही है, माननीय उच्च न्यायालय के आदेशानुसार 10 दिवस के अंदर शर्मा हॉस्पिटल के लाइसेंस आवेदन का निराकरण किया जाना है, जिस पर कलेक्टर कोरिया ने कार्यवाही करते हुए, पांच सदस्य टीम का गठन कर शर्मा हॉस्पिटल के निरीक्षण एवं उनके द्वारा प्रस्तुत आवेदन के साथ संलग्न दस्तावेज के परीक्षण हेतु बनाकर 3 अक्टूबर तक जांच रिपोर्ट मांगी है, 2 अक्टूबर को सुबह से ही शर्मा हॉस्पिटल के निरीक्षण हेतु कलेक्टर द्वारा बनाई गई टीम ने अपनी कार्रवाई करना शुरू कर दिया, जिसमें राजस्व विभाग, नगर तथा ग्राम निवेश विभाग, स्वास्थ्य विभाग एवं नगर पालिका के अधिकारी एवं कर्मचारी अपर कलेक्टर नीलम  टोप्पो के अध्यक्षता में सक्रिय नजर आए। शर्मा हॉस्पिटल के आसपास लोगों की काफी भीड़ देखने को मिली, साथ ही डॉक्टर राकेश शर्मा जो की उच्च राजनीतिक एवं प्रशासनिक पकड़ रखते हैं काफी परेशान नजर आए।
क्या डॉक्टर राकेश शर्मा के राजनीतिक भविष्य पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है?
दरअसल भारतीय जनता पार्टी के टिकट से सांसद बनने का सपना देख रहे डॉक्टर राकेश शर्मा को अपनी राजनीतिक भविष्य पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है, जानकारी के मुताबिक डॉ राकेश शर्मा के द्वारा फर्जी दस्तावेज एवं भूमि संबंधित गलत जानकारी देकर लाइसेंस के नवीनीकरण हेतु आवेदन दिया गया था, उन्हें इस बात का अंदेशा नहीं था कि सभी विभाग उनके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों की गंभीरता से जांच करेंगे, इसी बीच शिकायतकर्ता ने एक और शिकायत पत्र साक्ष्य के साथ प्रस्तुत कर डॉक्टर राकेश शर्मा की मुसीबतें काफी बढ़ा दी हैं, जिसमें  डॉक्टर राकेश शर्मा के द्वारा बिना पात्रता के सोनोग्राफी करने व अपने कुटरचित लेटर पैड में सोनोलॉजिस्ट लिखवाकर लोगों को भ्रमित करने व ठगने के साथ-साथ कोविड में हुई सुनील तिवारी की मौत पर हुए नाययिक जांच में डॉक्टर राकेश शर्मा हॉस्पिटल को दोषी पाए जाने संबंधित जानकारी निरीक्षण दल को उपलब्ध करा दी है. अब देखना यह है कि वर्षों से बिना लाइसेंस के चल रहे शर्मा हॉस्पिटल को लाइसेंस मिलता है या  प्रशासन के द्वारा ताला लटकवा दिया जाता है. जानकारी के मुताबिक शिकायत इतनी गंभीर की डॉक्टर राकेश शर्मा के ऊपर अपराधिक प्रकरण भी दर्ज होने से इंकार नहीं किया जा सकता, कुछ अपुस्ट सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि पूरे प्रकरण को रफा दफा करने के लिए बहुत ऊपरी स्तर से कोशिश चल रही है, इसमें मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की भूमिका संदिग्धनजर आ रही है, कुल मिलाकर लोगों के चर्चाओं का बाजार गर्म है, लोग कह रहे हैं कि अनैतिक कार्य करने वाले डॉक्टर राकेश शर्मा के दिन अब पूरे हो गए हैं।
1 घंटा विलंब से ही सही जांच टीम पहुंची और फिर हॉस्पिटल की जांच शुरू हुई
यह जांच शहर निवासी संजय अग्रवाल की शिकायत के आधार पर की गई है और यह जांच होनी है ऐसा माना भी जा रहा था जो 2 अक्टूबर को की गई। हॉस्पिटल की जांच की जाएगी इसको लेकर हॉस्पिटल को 30 सितंबर को एक सूचना भेज दिया गया था। सूचना देने के बाद एकबार लगा था की यह जांच टल भी सकती है लेकिन 2 अक्टूबर को समय से 1 घंटा विलंब से ही सही जांच टीम पहुंची और फिर हॉस्पिटल की जांच शुरू हुई। नगर पालिका सहित राजस्व की टीम जहां हांथ में मीटर टेप लेकर हॉस्पिटल बिल्डिंग की नाप जोख करते देखे गए वहीं पुलिस बल सुरक्षा में तैनात दिखा जबकि बात स्वास्थ्य विभाग की यदि की जाए तो स्वास्थ्य विभाग का अमला हॉस्पिटल के अंदर मौजूद रहा और उसने क्या जांच की और क्या क्या अनियमितता पाई गई इसका खुलासा नहीं हो सका।
कौन के रहा मदद?
वहीं यह भी बात सूत्रों से सामने आई की स्वास्थ्य विभाग हॉस्पिटल संचालक के पक्ष में नजर आया जिसने मदद करने का भी प्रयास किया जैसा की सूत्रों का ही दावा है, अब सच्चाई क्या है यह तो जांच रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा लेकिन जानकारों की माने और शिकायत जो हॉस्पिटल की हुई है उसके बिंदुओ को लेकर यदि बात की जाए तो यह माना जा रहा है की अनियमितता काफी है हॉस्पिटल में और शिकायत के बाद यह मामला शासकीय विभागों के संज्ञान में आया है और गड़बड़ी हॉस्पिटल में मिली होगी यह भी तय है।
बिना प्रशिक्षित रेडियोलॉजिस्ट के कई मशीनी जांच सुविधा मरीजों को प्रदान की जाती रही है
जैसा की सूत्रों के हवाले पता चला है उसके अनुसार शर्मा हॉस्पिटल में बिना प्रशिक्षित रेडियोलॉजिस्ट के कई मशीनी जांच सुविधा मरीजों को प्रदान की जाती रही है और जिसकी पुष्टि करती कुछ तस्वीरें कुछ वीडियो कुछ जांच रिपोर्ट जिसमे हॉस्पिटल का नाम दिनांक और मरीज को क्या जांच में बताया गया उल्लेखित है वह सामने आए हैं जो साबित करते हैं की हॉस्पिटल में कई तरह की मशीन संचालित है जिससे मरीजों का जांच किया जाता है और जांच हॉस्पिटल संचालक उनके पुत्र जो खुद चिकित्सक हैं सहित हॉस्पिटल के अन्य चिकित्सक करते हैं और सुविधा बिना पंजीयन के मरीजों को प्रदान करते हैं। शर्मा हॉस्पिटल संचालक हाल ही में तब से ज्यादा चर्चे में आए हैं जबसे उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा है और उन्होंने भाजपा से खुद को लोकसभा प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर मेहनत शुरू की है।
राजनीतिक महत्वाकांक्षा से जोड़कर भी देखा जाता रहा
हॉस्पिटल संचालक भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ के जिला संयोजक पद पर कार्य कर रहे हैं और एक दो वर्ष के दौरान उन्होंने राजनीति में काफी तेजी से आगे बढ़ने का क्रम जारी रखा हुआ था जो लोगों के लिए भी आश्चर्य का विषय बना हुआ था क्योंकि सार्वजनिक जीवन जीने का अभिनय हॉस्पिटल संचालक लगातार करते देखे जा रहे थे और इसके पहले का उनका जीवन उनका लोगों से जुड़ाव बिल्कुल नहीं था जो आश्चर्य का कारण बना। हॉस्पिटल संचालक इन दो वर्षो से क्षेत्र में काफी सक्रिय नजर आ रहे थे,किसी के परिवारिक कार्यक्रमों में शिरकत की बात हो या कहीं किसी सार्वजनिक आयोजन की बात हो पूजा पाठ के अयोजन हो या किसी के दुख में ही शरीक होने की बात हो हॉस्पिटल संचालक दो वर्षों से हर जगह नजर आते रहे जिसे उनके राजनीतिक महत्वाकांक्षा से जोड़कर भी देखा जाता रहा। हॉस्पिटल संचालक जिनपर पहले मरीजों से उल जलूल तरीके से इलाज का शुल्क वसूलने का आरोप लगता रहा कई गंभीर आरोप भी लगते रहे उनका सार्वजनिक जीवन प्रवेश लोगों के लिए भी विचारणीय बना जो लोगों की चर्चाओं में सुना जाता रहा वहीं उनका हॉस्पिटल उनके हॉस्पिटल में जारी स्वास्थ्य सुविधाएं बिना अनुमति बिना किसी नियम के संचालित था


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