- क्या स्व. कुमार साहब की विरासत नही संभाल सकी अंबिका सिंहदेव?
- पांच वर्ष में जैसा बोया वैसा ही काटने का समय करीब!
- कई वर्गो से बनी दूरी,पार्टी के वरिष्ठ साथ ही कार्यकर्ता भी रहे निशाने पर!
- अक्टूबर के पहले पखवाड़े में अचार संहिता प्रभावी होते ही विधायक अंबिका सिंहदेव का कार्यकाल अनौपचारिक रूप से होगा समाप्त।
- जिन्होंने पिछले चुनाव में किया था उनका विरोध वह आज हैं साथ और खास,जिन्होंने दिलाई थी जीत की थी मदद वह हो गए पराए।
-रवि सिंह-
कोरिया 29 सितम्बर 2023 (घटती-घटना)। जब सत्ता रहती है तो उसका नशा सर चढकर बोलता है, सत्ता की गर्मी के आगे कार्यकर्ता तो क्या नेता भी जमीन पर पैर नही रखते। यह दृश्य वर्तमान में प्रदेश सरकार में संसदीय सचिव और बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र की विधायक अंबिका सिंहदेव की स्थिति देखकर भी कहा जा सकता है, उन्हे स्व कुमार साहब की राजनीतिक विरासत मुफ्त में मिली थी,एक ऐसा योद्वा जो कि अपराजेय रहा हो, सादा जीवन उच्च विचार लेकर अपने जीवन के अंतिम समय तक भी सिर्फ आम जन और कोरिया की फिक्र की हो जिसने,उनकी विरासत ऐसे ही डूब जाएगी किसी ने सोचा भी नही था, आज आलम यह है कि उनके नाम का उपयोग सिर्फ राजनैतिक लाभ लेने के लिए किया जाने लगा है। इसी के साथ ही बीते 4-5 दशक से राजनीति का केन्द्र बिंदू रहे कोरिया पैलेस के राजनीतिक जीवन पर भी खतरा मंडराता हुआ नजर आने लगा है,कहा जा सकता है कि अब लंबे समय तक कोरिया पैलेस से कोई विधायक इस क्षेत्र में नही आ सकेगा,जैसा कि संकेत मिल रहा है उसके अनुसार अक्टूबर के पहले पखवाड़े में चुनाव हेतु अचार संहिता प्रभावी हो जाएगी, और उसके साथ ही अनौपचारिक रूप से विधायक अंबिका सिंहदेव का कार्यकाल भी समाप्त हो जाएगा। वहीं वर्तमान में विधायक पद की जिम्मेदारी निभा रही अंबिका सिंहदेव आगामी चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई हैं लेकिन अंतर पिछले और आज के चुनाव को लेकर यदि देखा जाए तो इतना जरूर है की जो पिछले चुनाव में उनके विरोध में थे उनकी हार की प्रत्याशा में थे वह आज करीब हैं और जिन्होंने तन मन से पिछले चुनाव में उनकी मदद की थी वह आज हाशिए पर हैं किनारे कर दिए गए हैं। कुल मिलाकर यदि आज की वर्तमान स्थिति की बात की जाए तो आज वर्तमान विधायक संघर्ष में नजर आ रही हैं जबकि यदि उन्होंने स्व कुमार साहब की विरासत को उनकी विचारधारा को सम्हाला होता आज उनकी स्थिति मजबूत होती संघर्ष वाली नहीं होती।
काका का सपना पूरा करने का वादा,लेकिन सपना चकनाचूर?
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले ही पूर्व वित्तमंत्री रहे डॉ. रामचंद्र सिंहदेव का निधन हो गया था,जिसके बाद अंबिका सिंहदेव ने खुद को उनके उत्तराधिकारी के रूप में पेश किया। वैसे स्व कुमार साहब ने अपने राजनैतिक जीवन में किसी को उत्तराधिकारी के रूप में घोषित नही किया था,लेकिन उनके निधन के बाद खुद को उत्तराधिकारी के रूप में सामने लाकर श्रीमती सिंहदेव ने बैकुंठपुर क्षेत्र की जनता को काका के सपनो को पूरा करने का विश्वास दिलाया,जनता जो कि स्व कुमार साहब से भावनात्मक रूप से जुड़ी थी इस वजह से अंबिका सिंहदेव को कांग्रेस से टिकट मिलने पर अपना भरपूर समर्थन जनता ने उन्हें दिया और अंबिका सिंहदेव ने तात्कालिक मंत्री भैयालाल राजवाड़े को लगभग 5300 मतो से पराजित कर दिया वहीं वह विधायक बनी। लेकिन उसके बाद काका के सपनो को पूरा करने की बात तो दूर उनके सपनो के कोरिया को चकनाचूर करना अंबिका सिंहदेव की बड़ी कामयाबी मानी जाती है,जिसमे जिला विभाजन बड़ा मुद्दा है जो आज भी कोरिया जिले के लोगों के लिए एक मानसिक पीड़ा का विषय है।
चंद लोगो से घिरी रही विधायक
वर्ष 2018 में विधायक बनने के बाद श्रीमती अंबिका सिंहदेवे ने स्व कुमार साहब की तुलना में एकदम विपरीत काम करना प्रारंभ किया,शुरू में ही ऐसे लोगो को दूर किया गया जो कि पैलेस और कुमार साहब के इर्द गिर्द रहा करते थे। श्रीमती सिंहदेव ने एकदम नई टीम बनाई जिसमे 90 प्रतिशत युवा कार्यकर्ता थे,जो कि पैलेस से हमेशा दूर रहे। लंबे समय तक युवाओ से उन्हे घिरे देखा गया,लेकिन समय के साथ वे सभी खासमखास कार्यकर्ता भी अंबिका सिंहदेव से दूर हो गए। जिनमे से आज कई ऐसे हैं जो कि पार्टी में अंबिका सिंहदेव के घूर विरोधी माने जाते हैं,वहीं जब उनके साथ जुड़े कुछ युवा या अधिकांश युवा जो पिछले चुनाव से उनसे जुड़े हुए थे दूर हुए उनके साथ अब वह जुड़ गए जो पिछले चुनाव में उनके विरोधी थे पार्टी के विरोधी थे और पार्टी की हार की मंशा के साथ आगे खड़े थे,अब वह खास हैं और इस बीच पूरे पांच सालों के कार्यकाल के दौरान यदि संगठन और वरिष्ठ पदाधिकारियों सहित कर्मठ कार्यकर्ताओं से जुड़ाव की बात विधायक के संदर्भ में की जाए तो वह बिलकुल नहीं रही और आज भी एक निश्चित दूरी बनी हुई है।
जनता का विश्वास नही कर सकीं हासिल
स्व कुमार साहब की कार्यशैली एकदम भिन्न थी,जिससे कि वे आज भी लोगो के दिलो मे राज करते हैं। ईमानदार छवि के कारण अलग साख रखने वाले कुमार साहब की उत्तराधिकारी के रूप में जनता ने अंबिका सिंहदेव को हाथो हाथ लिया था,किंतु अपने कार्यशैली के कारण अंबिका सिंहदेव के कार्यकाल को विवादित श्रेणी में माना जाने लगा,शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र मे उनकी पकड़ कमजोर होती चली गई,और आज की स्थिति में जनता का विश्वास भी उनसे खत्म हो गया। आज उनकी सबसे बड़ी यदि कमजोरी या उनकी तरह से अनदेखी कहा जाए तो यह कहा जा सकता है की वह जनता से सीधा जुड़ाव कायम नहीं कर सकीं,अब अंतिम समय में वह भोज भंडारा आयोजित कर कुछ सहानुभूति हासिल करने की जुगत में लगी हुई हैं जिसमे भी उन्हे सफलता हासिल होगी यह लगता नहीं क्योंकि यह एक प्रलोभन है और स्व कुमार साहब राजनीति में प्रलोभन के विरोधी थे और यही वजह था की उन्होंने राजनीतिक सन्यास लिया था,इसलिए कहा जा सकता है की स्व कुमार साहब को जानने वाला और उनको मानने वाला कभी प्रलोभन बांटकर चुनाव लड़ने आने वाले के साथ खड़ा नहीं होगा साथ नहीं देगा यह तय है।
टिकट पर भी मंडरा रहा खतरा
आम चर्चा के अनुसार अंबिका सिंहदेव की स्थिति कांग्रेस के अन्य दावेदारों की तुलना में काफी कमजोर है,सर्वे में भी उनकी स्थिति दयनीय बतलाई गई है। कांग्रेस संगठन सूत्रो से मिल रही जानकारी के अनुसार इस बात की काफी संभावना है कि अंबिका सिंहदेव की टिकट काट दी जाए जिसके बाद वेदांति तिवारी या अशोक जायसवाल में से किसी एक को मौका मिल सकता है। वैसे योगेश शुक्ला भी बड़े दावेदार हैं पार्टी को जीत दिला सकते हैं यह भी एक धड़ा जो बड़ा धड़ा है मानता है क्योंकि योगेश शुक्ला दमदार शख्सियत हैं और उनका क्षेत्र में दबदबा भी है।
दीदी और बुआ की उपाधि तो मिली लेकिन जनता से बन गई दूरी
विधायक निर्वाचित होने के बाद बैकुंठपुर विधायक के आसपास दिखलाई देने वाले युवा कार्यकर्ताओ में से कुछ ने उन्हे दीदी की उपाधि दी तो कुछ ने बुआ कहा दीदी,दीदी और बुआ कहते चुनिंदा कार्यकर्ता अब सोशल मीडिया में भी दीदी है तो मुमकिन है कहकर पोस्ट करने लगे हैं हमारी अंबिका दीदी के नाम पर सोशल मीडिया में भी पेज बनाया गया है लेकिन इतनी उपाधि मिलने के बाद भी क्षेत्रीय जनता से उनकी दूरी स्पष्ट दिखलाई देती है,जो कि आने वाले चुनाव में टिकट मिलने पर अंबिका सिंहदेव को भारी पड़ सकती है।
हर वर्ग रहा परेशान
विधायक अंबिका सिंहदेव के कार्यकाल में कांग्रेस नेता ही नहीं बल्कि हर वर्ग निशाने पर रहा,आम नागरिक हो या शासकीय अधिकारी,कर्मचारी। किसी भी वर्ग से उनकी नजदीकी नही रही जो कि आने वाले चुनाव में उनके लिए परेशानी का सबब बन सकती है।
कार्यकर्ताओ से कई बार हुआ हाट टाक
विधायक अंबिका सिंहदेव की अपने ही कार्यकर्ताओ से हमेशा विवाद की स्थिति बनी रही,कई ऐसे मौके पर देखने को मिला जिसमें सार्वजनिक कार्यक्रम में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं से उन्हे हाट टाक करते देखा गया।
गुटो में बंटी रही कांग्रेस
15 वर्ष बाद 2018 में सत्ता में आने के बाद भी बैकुंठपुर क्षेत्र में कांग्रेस कई गुटो में बंटी रही, एक गुट विधायक अंबिका सिंहदेव ने भी तैयार कर लिया था,जो कि हर कार्य में दखलंदाजी करते देखे गए। गुटबाजी का ही परिणाम था कि तीन वर्ष पूर्व संपन्न हुए जिला पंचायत के चुनाव में कुड़ेली क्षेत्र से वेदांति तिवारी को कांग्रेस पार्टी का समर्थन नही मिला था,जबकि वे दो बार कांग्रेस की टिकट से विधायक का चुनाव लड़ चुके थे। इस चुनाव में कांग्रेस ने अनिल जायसवाल को समर्थन दिया था। वहीं जीत बिना समर्थन पाए ही वेदांती तिवारी दर्ज कर ले गए जबकि विधायक पार्टी समर्थित उम्मीदवार के साथ खड़ी रहीं और काफी बड़ी हार मिली,उप चुनाव जिला पंचायत का भी देखा गया जहां विधायक ने खुद प्रत्याशी चयन किया खुद उसकी जीत की जिम्मेदारी उन्होंने ली लेकिन जब परिणाम सामने आया वह काफी बड़ा अंतर लेकर सामने आया और जिसके अनुसार काफी बड़ी हार पार्टी की हुई। पार्टी के लिए क्षेत्र क्रमांक 6 का जिला पंचायत उप चुनाव सेमीफाइनल था जिसमे पार्टी चारों खाने चित्त हुई और जीत विपक्ष की दर्ज हुई। वहीं उसी जिला पंचायत क्षेत्र में जब कांग्रेस एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरी थी तब भले ही हार ही मिली थी लेकिन अंतर का इतना बड़ा नही था जैसा इस बार का रहा इस बार हार तिगुने से अधिक मतों से हुई पिछले चुनाव की अपेक्षा।
मनोनित पार्षदों को भी हटवा दिया
कांग्रेस सरकार के द्वारा प्रदेश के सभी नगरीय निकायो में अपने नेताओ को पार्षद मनोनित किया गया था,बैकुंठपुर व शिवपुर चरचा नगर पालिका क्षेत्र में वर्ष 2019 में एल्डरमैन बनाये गये थे,जो कि विधायक अंबिका सिंहदेव के समर्थक माने जाते थे। लेकिन यह हास्यापद ही कहा जा सकता है कि एल्डरमैन बनाये गए नेताओं की अंबिका सिंहदेव से दूरी बढ गई जिसके बाद कार्यकाल खत्म होने के पहले ही दोनो निकायो के एल्डरमैनो को बदल दिया गया। इससे भी विधायक की खूब किरकिरी हुई।आज वह भी विधायक से नाराज हैं दूर हैं क्योंकि उन्हें कहीं न कहीं यह आभास हुआ कि उनकी गलती क्या थी जिस वजह से उन्हे हटाया गया और उन्हे कहीं न कहीं बेजार किया गया।
लोगो को हमेशा टार्गेट करती रही विधायक
विधायक अंबिका सिंहदेव के बारे मे यह भी प्रचलित है कि उनके द्वारा बेवजह लोगो को टार्गेट किया जाता रहा है। ऐसे भी लोगो के खिलाफ षडयंत्र किया गया जिनका उनसे दूर दूर तक वास्ता नही रहा।
अब आई जनता की याद तो बढा जनसंपर्क
पूरे साढे चार साल विधायक अंबिका सिंहदेव ने अलग तरह की राजनीति की,कार्यकर्ता और नेता तो क्या आम जनता से भी उनकी दूरी सार्वजनिक है। लेकिन अब जब चुनाव का समय नजदीक आ गया है तो उन्हे जनता की याद आने लगी है और उनका दौरा तेज हो गया है। हलाकि यह पब्लिक है सब जानती है।
पति से विवाद पर गिरी साख
इस वर्ष के प्रारंभ में विधायक अंबिका सिंहदेव का पति से आपसी विवाद की घटना भी सामने आई थी,उनके पति ने सोशल मीडिया में सिलसिलेवार कई पोस्ट किये और कई चैकाने वाले खुलासे किये थे। इस घटना से भी विधायक अंबिका सिंहदेव की काफी किरकिरी हुई और उनक साख गिरी है।
निज सहायक ने भी डूबोया
विधायक अंबिका सिंहदेव ने एक पत्रकार को अपना निज सहायक बनाया और निज सहायक के ईष्ट मित्रो से ही वे घिरी रहती थी। पूरे कार्यकाल में यह देखा गया कि अंबिका सिंहदेव ने निज सहायक के ईशारे पर ही काम किया। वे सभी लोग निशाने पर लिये गए जिनसे निज सहायक की कही न कही आपसी विवाद रही। निज सहायक ने गलत – गलत सलाह देकर विधायक को डूबोने में कोई कमी नही की है। जमीन दलालो के साथ मिलकर निज सहायक ने भी खूब अफरा तफरी किया है जैसा कि सूत्रो का कहना है। निज सहायक से नेता,कार्यकर्ता के साथ सरपंच,सचिव व शासकीय अधिकारी कर्मचारी भी परेशान रहे।
जिला चिकित्सालय में हुआ समर्थको का कब्जा
विधायक अंबिका सिंहदेव के इर्द गिर्द घुमने वाले ऐसे कई कार्यकर्ता हैं कि जिनकी पहचान शहर में विवादित की श्रेणी में विख्यात है।,ऐसे चंद लोगो ने विधायक के प्रभाव में जिला चिकित्सालय को अपना अड्डा बना लिया है,मानव सेवा के नाम पर उनके समर्थक जिला चिकित्सालय से ही अपना घर भी चला रहे हैं और वहां के हर कार्यो में उनका हस्तक्षेप है। वर्तमान अस्पताल अधीक्षक भी ऐसे समर्थको के प्रभाव में हैं। जिला चिकित्सालय की कैंटीन से लेकर पार्किंग में विधायक समर्थको ने विवाद करते हुए कब्जा कर लिया है। जिला चिकित्सालय में होने वाली खरीदी भी विधायक समर्थको के माध्यम से की जाती है। और इनके आगे जिला चिकित्सालय तो क्या जिला प्रशासन भी नतमस्तक है। विधायक समर्थको को जिला चिकित्सालय में दलाली करते भी देखा गया है। उम्मीद है शायद अचार संहिता प्रभावी होते यहां से विधायक समर्थको की दलाली और हस्तक्षेप समाप्त हो जाए।
नगरपालिका के निर्माण कार्य में हस्तक्षेप
पूरे कार्यकाल में विधायक अंबिका सिंहदेव का नगरपालिका परिषद बैकुंठपुर के निर्माण कार्यो में भी जबरजस्त हस्पक्षेप रहा है,उनके निर्देशन में नपा उपाध्यक्ष ने निर्माण कार्यो में खूब मनमानी की चहेते और नौसिखिये ठेकेदारो को काम दिलाया गया,जिसकी बदौलत आज नपा के निर्माण कार्यो की गुणवत्ता भगवान भरोसे है। घटिया निर्माण कार्य से नागरिक भी परेशान रहते हैं।
थाना से लेकर कार्यालयो में भी किया इंटरफेयर
विधायक ने थानो में होने वाले पुलिसिया कार्यवाही और अन्य प्रकार की शिकायतो में खूब इंटरफेयर किया,कई ऐसे मामले जिनसे उनका दूर दूर तक वास्ता नही था, उसमें हस्तक्षेप कर कार्यवाही कराने में दिलचस्पी दिखाई। पत्रकारों के खिलाफ भी षडयंत्र में भागीदारी निभाई यहां तक कि एक महिला अधिकारी के सपोर्ट में पत्रकार के खिलाफ महिला आयोग की सुनवाई में भी जबरन हस्तक्षेप की कोशिश की। अन्य शासकीय कार्यालयों में उनका प्रभाव देखा गया,यहां तक कि कई बार रेत खदानों तक जाकर ट्रेक्टर पकड़वाने जैसा कार्य भी उनके द्वारा किया गया। यह सभी कार्य उनकी असफलता के परिचायक है और आगामी चुनाव में टिकट मिलने की स्थिति में उनके लिए परेशानी का सबब बनेंगे इस बात से इंकार नही किया जा सकता,उपेक्षित कई कांग्रेसी भी इस बात की हामी भरते हैं।
जिला विभाजन सबसे अहम मुद्वा,मुख्यालय का भी नही हुआ विकास
आगामी चुनाव में कोरिया जिले का असंतुलित विभाजन भी अहम मुद्वा रहेगा, जिस प्रकार जिले का असंतुलित विभाजन कर यहां के निवासियो के साथ कुठाराघात किया है यह दर्द लोग गई दशक तक नही भूल पांएगे। इस निर्णय से कोरिया के भविष्य पर भी खतरा मंडराने लगा है,दो ब्लाक के इस जिले में खड़गंवा विकासखंड के बचरापोड़ी तहसील अंतर्गत आने वाले गांव को लेकर अस्थिरता बनी हुई है, प्रशासनिक दृष्टि से भी यह जिला काफी छोटा माना जाने लगा है। कोरिया जिला मुख्यालय में भी बहुप्रतिक्षित मांग सड़क चौड़ीकरण एक बार फिर खटाई में पड़ चुका है।