रायपुर@सीजी पीएससी मामला पहुंचा सुप्रीमकोर्ट

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न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की कोर्ट में 6 अक्टूबर को होगी सुनवाई


रायपुर,27 सितम्बर 2023 (ए)।
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की कोर्ट में 6 अक्टूबर को सुनवाई की तारीख तय हुई है। पहले 27 सितंबर को सुनवाई होनी थी, लेकिन किसी कारणवश सुनवाई की तारीख आगे बढ़ा दी गई है। यह मामला 2003 की चर्चित भर्ती परीक्षा से जुड़ा है, जिसका रिजल्ट 2005 में जारी हुआ था। इस मामले में हाईकोर्ट के फैसले को एक चयनित ने सुप्रीमा कोर्ट में चुनौती दी है। कुल 166 लोगों को पार्टी बनाया गया है। इनमें राज्य के मुख्य सचिव, पीएससी के सचिव व चेयरमैन के साथ ही चयन सूची में शामिल उम्मीदवार शामिल हैं। इनमें से अधिकांश इस वक्त सरकारी सेवा में हैं। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ महिला अफसर चंदन संजय त्रिपाठी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। त्रिपाठी डिप्टी कलेक्टर चयनित हुईं थीं।
बता दें कि 2003 की यह भर्ती परीक्षा बेहद चर्चित रही है। इसका रिजल्ट 2005 में जारी हुआ था। चयन प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का आरोप लगा। हाईकोर्ट में करीब 6 याचिका दाखिल की गई। इधर, भर्ती में गड़बड़ी को देखते हुए तत्कालन राज्यपाल केएम सेठ ने तब के पीएससी चेयरमैन अशोक दरबारी को पद से हाट दिया। वहीं, राज्य सरकार ने मामले की जांच ईओडब्ल्यू और एसीबी को सौंप दी।
भर्ती के लिखाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने वालों में वर्षा डोंगरे, चमन सिन्हा और रविंद्र सिंह सहित अन्य शामिल थे। इन लोगों ने आरटीआई के माध्यम से भर्ती की पूरी जानकारी पीएससी से हासिल की। इसमें गलत स्केलिंग कर नीचे के क्रम के उम्मीदवार को ऊपर करने, मानव विज्ञान विषय के दो पेपर को अलग-अलग नियम से जांचकर कुछ लोगों को अधिक नंबर देने का पता चला। इसके आधार पर 2006 में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। हाईकोर्ट में करीब 10 वर्ष तक मामला लंबित रहा। जून 2016 में मामले को तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक गुप्ता की एकलपीठ के सामने सुनवाई के लिए रखा गया। कोर्ट ने पीएससी को मानव विज्ञान के दोनों पेपरों की एक नियम बनाकर कोर्ट की निगरानी में जांच करने, इसके आधार पर रिस्केलिंग कर नई मैरिट सूची तैयार कर अभ्यार्थियों का साक्षात्कार लेकर चयन सूची जारी करने का आदेश दिया था। इसके साथ ही चयनित होने वाले नए उम्मीदवार को 2003 से वरिष्ठता का लाभ देते और अपात्र होने वाले चयनित उम्मीदवार को बाहर करने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट के इसी फैसले को चंदन संजय त्रिपाठी ने 2016 में ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। जहां सुप्रीमा कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया, तब से मामला लंबित है।
इस भर्ती में हुई गड़बड़ी की जांच की जिम्मेदारी तत्कालीन सरकार ने ईओडब्ल्यू को सौंपी थी। इंस्पेक्टर एसके सेन ने इसकी जांच की और 31 दिसंबर 2011 को अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंप दी। इस जांच में गड़बड़ी की बात सही पाई गई है। रिपोर्ट में इसके लिए तीन लोगों को जिम्मेदार बताया गया है। इसमें पीएससी के तत्कालीन चेयरमैन अशोक दरबारी, परीक्षा नियंत्रक बीपी कश्यप और अनुभाग अधिकारी लोमेस कुमार मदरिया का नाम शामिल हैं।


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