- क्या उच्च न्यायालय जाकर फस गए शर्मा अस्पताल के संचालक?
- क्या भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ जिला कोरिया संयोजक डॉक्टर का अपना अस्पताल ही है नियम विरुद्ध तरीके से संचालित व निर्मित?
- डॉक्टर का कई दशकों पुराना शहर में संचालित अस्पताल क्या है बगैर किसी अनुमति अवैध तरीके से संचालित?
- क्या अस्पताल भवन को नहीं मिला है नगर पालिका से अनापत्ति,क्या नगर ग्राम निवेश विभाग से भी नहीं मिली है अनापत्ति निर्माण की?
- क्या भवन जिस भूमि पर निर्मित है वह नहीं है आज भी व्यपवर्तित,क्या नहीं है निर्माण की अनुमति?
- शहर निवासी की शिकायत पर क्या होगी अस्पताल पर कार्यवाही,क्या होगी जांच?
- क्या भूमि व्यपवर्तन का आवेदन इस बात की स्वीकारोक्ति की आज तक भवन अस्पताल सहित अन्य सभी को लेकर कोई अनुमति डॉक्टर शर्मा के पास नहीं?
- डॉक्टर की पुत्री हैं एक भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी,उनके साथ के कई अधिकारी हैं छत्तीसगढ़ कैडर में अधिकारी।
- पुत्री के संपर्क और उनकी पहचान का डॉक्टर को मिलेगा फायदा की जाएगी उनकी मदद कहते हैं सूत्र।
- स्वास्थ्य विभाग छत्तीसगढ़ के एक बड़े अधिकारी भी करेंगे डॉक्टर की मदद,डॉक्टर पुत्री के साथ की ही चयनित अधिकारी हैं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी की पत्नी,सूत्र।
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 26 सितम्बर 2023 (घटती-घटना)। बैकुंठपुर के शर्मा अस्पताल के पंजीयन के नवीनीकरण के लिए वर्ष 2019 दिसंबर में आवेदन किया गया था पर आज तक पंजीयन नहीं हो पाया, जिसकी वजह सिर्फ यह थी कि लाइसेंस के लिए जो नियम पूरे होने थे या अस्पताल लाइसेंस के अनुरूप नहीं था इस वजह से लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं हो पाया था, ऐसे में सवाल यह उठता है क्या शर्मा अस्पताल के संचालक हाई कोर्ट से 10 दिन की अवधि लेकर आ गए हैं क्या 10 दिन में कलेक्टर कोरिया लाइसेंस जारी कर देंगे जब 3 साल में भी नहीं हो पाया था वही नवीनीकरण?
ऐसा लगता है कि उच्च न्यायालय जाकर फंस गए हैं शर्मा अस्पताल के संचालक डॉक्टर राकेश शर्मा जहां एक ओर उनके खिलाफ पीसी पीएनडीटी एक्ट के तहत कार्यवाही पर कोई रोक लगाने का आदेश उच्च न्यायालय ने नहीं दिया है, वहीं दूसरी ओर डॉक्टर राकेश शर्मा के अस्पताल के नवीनीकरण के आदेश आवेदन पर 10 दिन के अंदर फैसला करने हेतु कलेक्टर कोरिया को निर्देशित किया है, सवाल यह है कि जो डायवर्सन एवं अन्य दस्तावेज डॉक्टर राकेश शर्मा के द्वारा 2 साल में भी उपलब्ध नहीं करा पाया गया क्या वह 10 दिनों में उपलब्ध करा लेंगे, यदि वह ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उनके अस्पताल के नवीनीकरण का आवेदन 10 दिनों के अंदर निरस्त कर दिया जाएगा? इसी बीच डॉ राकेश शर्मा के द्वारा 26 सितंबर को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के आठ बिंदुओं के नोटिस का जवाब प्रस्तुत किया गया, जिसके पहले बिंदु में डॉ राकेश शर्मा के द्वारा जवाब दिया गया कि मेरे द्वारा संचालित शर्मा अस्पताल का लाइसेंस विधिवत जारी है, जिसके नवीनीकरण की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है, नवीनीकरण के लिए 2 दिसंबर 2019 की छाया प्रति संलग्न किया गया है, साथ ही यह भी अपने जवाब में डॉक्टर राकेश शर्मा ने लिखा है कि कोविड के प्रकोप के दौरान राज्य शासन ने नवीनीकरण की अवधि में एक वर्ष यानी 2021 तक संपूर्ण राज्य के लिए नर्सिंग होम के पंजीयन के नवीनीकरण को छूट प्रदान की थी साफ है कि शर्मा अस्पताल के पास अस्पताल के संचालन का वैध लाइसेंस नहीं है, नवीनीकरण इसलिए नहीं हो पा रहा है क्योंकि शर्मा अस्पताल के पास जहां अस्पताल संचालित है वहां का डायवर्सन ही नहीं है, अस्पताल की बिल्डिंग बिना डायवर्शन के अवैध रूप से इसलिए निर्मित कहा जा सकता है, क्योंकि व्यवसायिक उपयोग के लिए यदि भवन निर्मित है तो उसका नियम पालन करते हुए निर्माण होना आवश्यक था, जिसके लिए डॉक्टर रजनी शर्मा की ओर से मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की नोटिस मिलने के बाद 21 सितंबर 2023 को एसडीएम कार्यालय में आवेदन दिया गया है, अपने जवाब के बिंदु क्रमांक 2 में डॉक्टर राकेश शर्मा के द्वारा यह लिखा जाना की 27 अप्रैल में संस्था के विरुद्ध की गई कार्यवाही के बाद नर्सिंग होम में सोनोग्राफी बंद है यह डॉक्टर राकेश शर्मा बिलकुल झूठा एवं गुमराह करने वाला जवाब दिए है, जबकि शिकायतकर्ता संजय अग्रवाल ने स्पष्ट अपनी शिकायत में लिखा है कि उनके पास गर्भवती महिला का डॉक्टर राकेश शर्मा के द्वारा एवं डॉक्टर संकल्प शर्मा के द्वारा अन्य मरीज के सोनोग्राफी करने का वीडियो एवं रिपोर्ट सारे प्रमाणिक दस्तावेज हैं, देखना है की पीसीपीएनडीटी एक्ट के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग एवं कलेक्टर कोरिया के द्वारा तथ्यात्मक एवं प्रमाणिक साक्ष्य मिलने के बाद कार्यवाही की जाती है या नहीं?
सोनोग्राफी की रिपोर्ट हो रही जारी फिर क्यों झूट बोल रहे है संचालक की शर्मा अस्पताल में पूर्णतया बंद है सोनोग्राफी?
बिंदु क्रमांक 3 में डॉ राकेश शर्मा के द्वारा अपर कलेक्टर के पत्र के संदर्भ में मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा लाइसेंस के पंजीयन के लिए आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए लिखे गए पत्र को ही अपने जवाब में इंकार कर दिया, जिसमें भूमि के डायवर्सन एवं अन्य दस्तावेज की मांग की गई थी, डॉ राकेश शर्मा ने पुनः झूठी जानकारी अपने जवाब में देते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को लिखा है कि डॉक्टर संकल्प के द्वारा पीसीपीएनडीटी एक्ट का उल्लंघन नहीं किया गया और ना ही सोनोग्राफी किया गया है, सोनोग्राफी का काम शर्मा अस्पताल में पूर्णतया बंद है जबकि डॉ राकेश शर्मा एवं डॉ संकल्प शर्मा के द्वारा सोनोग्राफी का कार्य निरंतर किया जा रहा है जिनकी रिपोर्ट और वीडियो शिकायतकर्ता संजय अग्रवाल के पास में है, अपने जवाब के बिंदु क्रमांक 5 में डॉक्टर राकेश शर्मा के द्वारा लिखा गया है कि पीटीपी एक्ट के अनुक्रम में संस्था में कोई कार्य नहीं किया जा रहा है, जबकि शर्मा अस्पताल गर्भपात कराने के लिए विख्यात है, इसके संचालक डॉक्टर राकेश शर्मा एक नाबालिक आदिवासी लड़की के सात माह का गर्भपात करने के एक प्रकरण में उच्च न्यायालय से जमानत पर हैं, डॉक्टर राकेश शर्मा ने अपने जवाब में इस बात को स्वीकार किया है कि आरएसबी एवं स्मार्ट कार्ड में कुछ कमियों के कारण संस्था यानी शर्मा अस्पताल को निलंबित किया गया है, डॉक्टर राकेश शर्मा ने नोटिस के जवाब में यह स्वीकार किया है कि उनके द्वारा अस्पताल में जननी सुरक्षा योजना के तहत कार्य किया जा रहा है जबकि उनकी संस्था का वैध पंजीयन नहीं है, बल्कि पंजीयन के नवीनीकरण का आवेदन प्रस्तावित है, अपने जवाब के आठवी एवं अंतिम बिंदु में डॉक्टर राकेश शर्मा ने माना है कि उनका निश्चेतक का पंजीयन छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल में नहीं है, इस प्रकार उनके द्वारा छत्तीसगढ़ में निश्चेतना का कार्य नियमानुसार नहीं किया जा सकता उनके द्वारा ऑनलाइन आवेदन की जो छाया प्रति जवाब के साथ प्रस्तुत की गई है वह नोटिस मिलने के बाद की है, जानकारी के मुताबिक जब तक छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल में पंजीयन नहीं होता है तब तक छत्तीसगढ़ राज्य में कार्य करने की पात्रता नहीं होत, डॉ राकेश शर्मा के द्वारा अपने जवाब में शिकायत को शरारतपूर्ण एवं राजनीतिक द्वेष के द्वारा किए जाने का उल्लेख किया गया है, जबकि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा दिए गए नोटिस के हर बिंदु प्रमाणित एवं साक्ष्य के साथ हैं, अपने झूठ जवाब से डॉक्टर राकेश शर्मा के द्वारा प्रस्तावित कार्रवाही से बचने का प्रयास किया जा रहा है।
पीसीपीएनडीटी एक्ट में डॉक्टर शर्मा अस्पताल में कार्यवाही तय है
जानकारी के मुताबिक पीसीपीएनडीटी एक्ट में डॉक्टर शर्मा अस्पताल में कार्रवाही तय है डॉ राकेश शर्मा एवं डॉ संकल्प शर्मा के खिलाफ पीसीपीएनडीटी के उल्लंघन के पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं, 26 सितंबर को माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा शर्मा अस्पताल के लाइसेंस में 10 दिनों के अंदर फैसला लेने का निर्देश संबंधित अधिकारी को दिया गया है ऐसे में देखना यह है कि जो डायवर्सन भवन का नक्शा और कमियां डॉक्टर राकेश शर्मा के द्वारा 2019 से 2023 तक नहीं पूरी कर पाए हैं उनको 10 दिनों में यह कैसे पूरा कर पाते हैं, 10 दिनों में किसी भी हाल में संबंधित अधिकारी को या तो नर्सिंग होम का लाइसेंस देना होगा या फिर रिजेक्ट करना होगा जो भी हो पीसीपीएनडीटी एक्ट में कार्रवाई तय लगती है और उच्च न्यायालय के 26 सितंबर के आदेश के बाद डॉक्टर राकेश शर्मा के मुसीबतें बढ़ती नजर आ रही है क्योंकि अगर मांग के अनुसार दस्तावेजों की पूर्ति डॉक्टर शर्मा के द्वारा 5 अक्टूबर तक नहीं किया जाता है तो उनके द्वारा प्रस्तुत शर्मा अस्पताल के नवीनीकरण का लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा देखने वाली बात यह भी होगी इतने आरोप प्रमाणित होने के बाद भारतीय जनता पार्टी चिकित्सा प्रकोष्ट के जिला संयोजक डॉ राकेश शर्मा के ऊपर कोई कार्रवाई करती है या नहीं?
जब अस्पताल में सोनोग्राफी बंद है फिर कैसे जारी हो रहा है सोनोग्राफी रिपोर्ट साथ ही उसकी तस्वीर?
शर्मा अस्पताल संचालक ने स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आठ बिंदुओ के जवाबी नोटिस के जवाब में बिंदु क्रमांक 4 जिसमे अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन का संचालन पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत पंजीयन के बिना किया जा रहा है को लेकर जो जवाब स्वास्थ्य विभाग को शर्मा अस्पताल संचालक ने दिया है उसमे उन्होंने लिखा है की अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन का संचालन ही नहीं किया जा रहा है जबकि घटती घटना के पास अस्पताल का इसी माह के 19 तारीख का एक सोनोग्राफी रिपोर्ट साथ ही अस्पताल की रिपोर्ट उपलब्ध है जो बताती है की किस तरह जवाब देते समय झूठ बोला गया है। शर्मा अस्पताल ने स्वास्थ्य विभाग को यदि यह जवाब दिया है की अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन नहीं संचालित है वह सुविधा बंद है तो फिर कैसे यह रिपोर्ट और सोनोग्राफी फोटो अस्पताल की ही जारी हुई है जो 19 सितंबर की है। कुल मिलाकर अस्पताल संचालक झूठा जवाब देकर बचना चाहते हैं जबकि साक्ष्य उनके खिलाफ सामने हैं। स्वास्थ्य विभाग को भी मामले में संज्ञान लेना चाहिए और मामले में जांच कर कार्यवाही करना चाहिए।