- शर्मा अस्पताल कई नियमों पर नहीं उतरता खरा फिर भी कार्यवाही से प्रशासन क्यों है डरता?
- सांसद विधायक का सपना देख रहे भाजपा नेता का अस्पताल क्यों संचालित हो रहा नियम विरुद्ध?
- जिस भूमि पर शर्मा अस्पताल संचालित है उस भूमि का न तो व्यपवर्तन कराया गया है और न ही नगर पालिका से अनापत्ति ही है,वैध नक्शा लेआउ भी नहीं है प्राप्त:सूत्र।
- शर्मा अस्पताल के नियम विरुद्ध संचालन को लेकर हुई है उच्च स्तरीय शिकायत, हो सकती है कार्यवाही:सूत्र।
- नियमों को ताक पर रखकर शर्मा अस्पताल में हो रही है सोनोग्राफी।
- बैकुंठपुर विधायक के निवास के सामने नियम विरुद्ध तरीके से शर्मा अस्पताल का संचालन क्या विधायक करवा पाएंगी कार्यवाही?
- सांसों पर संकट है, और सही अस्पताल की चौखट चुन पाना सबसे बड़ी चुनौती है।
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 21 सितम्बर 2023 (घटती-घटना)। अक्सर आरोपों में घिरे रहने वाला शर्मा अस्पताल एक बार फिर सुर्खियों में है इस बार शर्मा अस्पताल की शिकायत उच्च स्तरीय की गई है जिसमें आरोप लगाया गया है कि यह अस्पताल नर्सिंग होम एक्ट नियम के विरुद्ध अवैध तरीके से संचालित हो रहा है, यहां तक की बगैर पंजीयन के अल्ट्रासाउंड सोनोग्राफी भी हो रही है, जो काफी गंभीर आरोप के साथ शिकायत हुई है, यदि उसमें थोड़ी सी भी सत्यता है तो फिर यह भी बात बड़ी गंभीर है कि यह अस्पताल बैकुंठपुर विधायक के निवास स्थल के सामने संचालित है और उसके बाद भी इस अस्पताल पर कार्यवाही ना होना कहीं ना कहीं सवालिया निशान खड़ा करता है, वैसे यह अस्पताल जिन सज्जन डॉक्टर का है वह इस समय विधायक व सांसद के दौड़ में चल रहे हैं और इस समय समाज से भी उनका नाता खासा गहरा है उनके ऊपर लगे आरोपों का अध्ययन किया जाए आरोपों की भी कमी नहीं है पर यह इतने प्रभावशील व्यक्ति हैं की नियम को ताक में रख रखकर अपने अस्पताल का संचालन कर रहे हैं कमियां इनके अंदर लाख है लगता है उन कमियों को दूर करने व अपने अवैध अस्पताल को वैध करने के लिए यह सांसद व विधायक बनना चाहते हैं पर क्या वह जो बनना चाहते हैं वह बन पाएंगे यह बड़ा सवाल है?
शिकायतों के अनुसार मामला हैं छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के बैकुंठपुर का जहां व्यवस्था की खामी का खामियाजा यहां के निवासियों को उठाना पड़ रहा है, जहां स्वास्थ्य सेवाओं का माखौल एक निजी अस्पताल के द्वारा उड़ाया जा रहा है, इतना ही नहीं वर्षों से लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा जिला मुख्यालय का एक ऐसा निजी अस्पताल जिसके प्रचार प्रसार से आसपास के गांव की दीवारें पटी पड़ी है, जानकारी के अनुसार बैकुंठपुर स्थित शर्मा नर्सिंग होम के पास ना तो अस्पताल का वैध लाइसेंस है और ना ही अल्ट्रासाउंड सोनोग्राफी का पंजीयन। उसके बाद भी अस्पताल के संचालक डॉ राकेश शर्मा के द्वारा नियमों एवं कड़े कानून की परवाह किए बगैर धड़ले से अवैध निजी अस्पताल का नियम विरुद्ध संचालन करते हुए सोनोग्राफी की जाती है, जबकि कुछ दिन पूर्व राज्य के टीम के द्वारा नियमों के उलंघन के कारण शर्मा अस्पताल में सोनोग्राफी सुविधा को निलंबित कर सील बंद कर दिया गया था, अस्पताल के संचालक डॉक्टर राकेश कुमार शर्मा के अपील पर सुनवाई करते हुए संचालक स्वास्थ्य सेवाएं छत्तीसगढ़ ने यह आदेश दिया था कि डॉ राकेश शर्मा को गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी करने की योग्यता नहीं है और सिर्फ डॉक्टर रजनी शर्मा ही सोनोग्राफी कर सकेंगी, वह भी इसके लिए पंजीयन के बाद और सोनोग्राफी का पंजीयन तभी प्राप्त हो सकता है जब अस्पताल का वैध लाइसेंस होगा।
अस्पताल के लिए जो दस्तावेज होना चाहिए वह भी नहीं है शर्मा हॉस्पिटल के पास
प्राप्त जानकारी के अनुसार शर्मा अस्पताल जहां संचालित है उस जमीन का न तो स्वास्थ्य सेवाओं हेतु व्यपवर्तन ही है, ना ही नगर पालिका से भवन का नक्शा पास है और ना ही नगर तथा ग्राम निवेश से अनापत्ति ही है, पार्किंग की भी कोई व्यवस्था नहीं है ऐसे में अस्पताल का लाइसेंस मिलना सिर्फ लक्ष्मी मैया की कृपा से ही संभव हो हुआ है जो माना जा सकता है, सूत्रों के अनुसार बिना वैध लाइसेंस के अस्पताल का संचालन करना एन एच एक्ट एवं बिना वैध लाइसेंस के अल्ट्रासाउंड सोनोग्राफी का संचालन करना पीसीपीएनडीटी एक्ट का उल्लंघन है, जिस पर मान्यता रद्द करने से लेकर कड़े सजा का भी प्रावधान है फिर भी इस तरह नियम विरुद्ध तरीके से निजी नर्सिंग होम सहित अन्य सुविधाओं का संचालित करना कितना सही है और जिम्मेदार का सब कुछ देखकर चुप रहना भी समझ के परे है।
शहर के बीचों बीच बिना किसी वैध लाइसेंस के 100 बिस्तरों का अस्पताल अवैध रूप से संचालित होना कितना सही?
शहर के बीचों बीच बिना किसी वैध लाइसेंस के 100 बिस्तरों का अस्पताल अवैध रूप से धड़ल्ले से चल रहा है, अस्पताल के लिए जरूरी एमटीपी एक्ट का पंजीयन शर्मा अस्पताल के पास है या नहीं यह जांच का विषय है, जन चर्चा के अनुसार डॉक्टर राकेश कुमार शर्मा उच्च राजनीतिक एवं प्रशासनिक पकड़ वाले व्यक्ति हैं इसलिए लोगों के जान से बेखौफ होकर खिलवाड़ करते रहते हैं उनके द्वारा सारे नियम व कानून को इसलिए भी जेब में रखकर निर्भीक होकर काम किया जाता है क्योंकि डॉक्टर राकेश शर्मा भारतीय जनता पार्टी चिकित्सा प्रकोष्ठ के जिला संयोजक हैं क्या किसी पार्टी का पदाधिकारी होना या राजनीतिक और प्रशासनिक पहुंच अपने आप में सारे अवैध काम के लिए लाइसेंस दे देती है यह बड़ा सवाल है, आखिर शर्मा अस्पताल जैसे अस्पतालों पर स्वास्थ्य सुविधा से जुड़े लोग जिम्मेदार लोग ताले क्यों नहीं जड़ देते? अवैध रूप से संचालित यह अस्पताल मरीजों से लाखों रुपए लूट रहे हैं क्योंकि इन पर कोई अंकुश नहीं है और चिकित्सा विभाग आखिर शर्मा अस्पताल की मान्यता और अनियमितताओं की बार-बार शिकायत आने के बाद भी किसके डर से कार्रवाई करने में उनके हाथ पैर कांपते हैं यह भी बड़ा सवाल है?
कोरोना काल के समय भी आई थी अनियमितता की शिकायत
कोरोना के समय भी ऐसी कई अनियमितता इस अस्पताल की उजागर हुई है यहां तक की न्यायिक जांच का आदेश भी दिया गया था और उस न्यायिक जांच की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने की जगह कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों के मदद से उस जांच रिपोर्ट को ही गायब करने का प्रयास चल रहा है, 20 से 30 बेड के अवैध रूप से संचालित अस्पताल में 100 से 150 मैरिज तक भर्ती रहते हैं, यहां मरीज मजबूरी में आते हैं क्योंकि यह शहर में इकलौता निजी नर्सिंग होम या चिकित्सालय है जहां जल्दबाजी में लोग बेहतर सुविधा के लिए पहुंचते हैं और बाद में लूटकर जाते हैं, वैसे इस अस्पताल नर्सिंग होम के बारे में यदि बात की जाए तो यहां का शुल्क राजधानी से किसी बड़े सर्व सुविधायुक्त अस्पताल की बजाए भले ही न्यूनतम सुविधा वाला हो लेकिन यहां शुक्ल का जो मूल्य है वह यहां इलाज कराने वाले ही बाद में बताते हैं।
अल्ट्रासाउंड सोनोग्राफी का काम इन निजी अस्पतालों के लिए कामधेनु की तरह
आपको बता दें कि अल्ट्रासाउंड सोनोग्राफी का काम इन निजी अस्पतालों के लिए कामधेनु की तरह है इसमें पहले मरीज का सोनोग्राफी किया जाता है फिर मरीज को ट्यूमर या अन्य कोई बीमारी का भय दिखाकर उसका ऑपरेशन कर मोटा पैसा वसूल किया जाता है, डॉक्टर को देवदूत की तरह माने जाने वाले इस पवित्र सेवा कार्य को डॉ राकेश कुमार शर्मा जैसे लोगों ने अपने अवैध कार्यों से अशोभनीय धंधा बना दिया है जो की अन्य सेवाभावी डॉक्टरों के लिए शर्मिंदगी की वजह बनता है। डॉ राकेश शर्मा ने जो की सोनोग्राफी के कार्यों के लिए योग्य एवं पात्र नहीं है उस कार्य को डॉक्टर का लेवल लगाकर लोगों को ठगने का कार्य किया है, डॉक्टर शर्मा अस्पताल में ठगी का यह कार्य धड़ल्ले से चल रहा है, इस तरह के अवैध कार्यों को अंजाम देकर डॉक्टर शर्मा ने क्षेत्र में जमीन संपत्ति खरीद कर अच्छी खासी संपत्ति अर्जित कर ली है, कई बार लोगों ने उनके खिलाफ शिकायत की लेकिन नेताओं की पनाह एवं उच्च प्रशासनिक पकड़ होने के कारण आज तक उनके विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है ताजुब्ब है कि जिला मुख्यालय के बीच विधायक के निवास के सामने बिना लाइसेंस के अस्पताल का संचालन किया जा रहा है।
संचालक विधायक व सांसद बनने की रेस की दौड़ में
जन चर्चा इस बात की भी है कि डॉक्टर राकेश कुमार शर्मा बैकुंठपुर विधानसभा से भाजपा की टिकट लाने हेतु प्रयासरत हैं यदि किन्हीं कारण वश विधायक का टिकट इनको नहीं मिला तो कोरबा लोकसभा से सांसद बनकर अपने अवैध कामों में राजनीतिक संरक्षण का चादर ओढ़ा देंगे, वैसे डॉक्टर शर्मा की राजनीति में सफल होने की संभावना न के बराबर है क्योंकि इनका जन सेवा से कभी कोई वास्ता नहीं रहा है, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मिली भगत से उनके अवैध अस्पताल संचालित हैं, जबकि पूर्व में भी डॉक्टर शर्मा अस्पताल को स्मार्ट कार्ड में भारी अनियमितता मिलने के कारण शासकीय योजनाओं से निष्कासित किया जा चुका है, उसके बाद भी जननी सुरक्षा योजना का लाभ बिना लाइसेंस वाले अस्पताल के मरीजों को कैसे मिल रहा है और इस पर स्वास्थ्य विभाग एवं प्रशासन कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है यह गंभीर सवाल है।
यदि निष्पक्ष जांच हो गई तो आ सकते हैं चौंकाने वाले तथ्य सामने
जन चर्चा तो यह भी है कि यदि शर्मा अस्पताल की निष्पक्ष जांच हुई तो कई चौंकाने वाले मामले इस अस्पताल से जुड़े हुए सामने आएंगे, निश्चेतक की योग्यता रखने वाले डॉक्टर राकेश शर्मा का निश्चेतक का पंजीयन छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल में है या नहीं यह भी जांच का विषय हो सकता है इनके बेखौफ होकर अवैध अस्पताल संचालन करने के तरीके से ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासन ने ही इन्हें पनाह दे रखी है. मीडिया में इस अस्पताल को लेकर सच्चाई सामने आने के बाद और जिले के ऊर्जावान एवं स्वास्थ्य सेवाओं के लिए संवेदनशील कलेक्टर इस पर क्या कार्यवाही करते हैं या देखने वाली बात होगी, आपको यदि कभी भी शर्मा अस्पताल जाना पड़े तो इस बात पर गौर अवश्य कीजियेगा कि आपकी सोनोग्राफी किस डॉक्टर के द्वारा की जा रही है, बेहोशी का इंजेक्शन किस डॉक्टर के द्वारा दिया जा रहा है और अस्पताल का वैध लाइसेंस है या नहीं, जागरूक बनिए, आपके ऊपर बहुत से लोगों की जिम्मेदारी है आपका जीवन बहुत कीमती है।
आय से अधिक संपत्ति जमीन संपत्ति लगातार बढ़ रही है डॉक्टर शर्मा की,क्या इसकी भी जानकारी नहीं जिम्मेदारों के पास
डॉक्टर शर्मा की जमीन मामले में संपत्ति लगातार बढ़ रही है,केवल बैकुंठपुर या कोरिया जिले में ही इनके पास इतनी जमीन संपत्ति इक्कट्ठी हो गई है की अब यह किसी जमींदार से कम नही हैं,वैसे शहर में ही इनके खेत खलिहान आज लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं,केवल सेवा से अर्जित धन संपत्ति है यह और यह उनकी ईमानदारी से अर्जित संपत्ति है यह कहना जल्दबाजी होगा क्योंकि यह जांच का भी विषय है और सतर्कता विभाग सहित आयकर विभाग के लिए विचारणीय भी की क्या इतने कम समय में वह भी सेवा क्षेत्र से चिकित्सा क्षेत्र से जुड़कर इतनी संपत्ति अर्जित की जा सकती है। वैसे इनकी कई जमीन संपत्तियों के सामने इनका नाम बड़े बड़े अक्षरों में लिखा देखा जा सकता है वह इनके ही नाम से है यह कहना भी जल्दबाजी वाली बात होगी फिर भी जांच होना जरूरी है की आखिर संपत्ति है किसकी।
बैकुंठपुर के एक पूर्व विधायक पूर्व मंत्री ने भी मामले में लिया था संज्ञान,तब नहीं हो सकी थी कोई कार्यवाही
यदि शर्मा अस्पताल की अनियमितता और बिना किसी नियम का पालन कर उसके संचालन की बात की जाए तो इस मामले में बैकुंठपुर के एक पूर्व विधायक एवम पूर्व मंत्री ने भी संज्ञान लिया था और कार्यवाही हो इसके लिए प्रयास उन्होंने किया था जो सूत्रों का कहना है वहीं तब वह कार्यवाही में सफल नहीं हो सके थे और मामला दब गया था,अब क्या वर्तमान विधायक इस तरफ ध्यान देंगी क्या वह कार्यवाही की अनुशंसा करेंगी यदि मामला सही मायने में अनुचित तरीके से अस्पताल संचालन का है यह देखने वाली बात होगी क्योंकि आम जनता आज वहां जाकर मजबूरी में लूटने मजबूर है जिसका फायदा अस्पताल संचालक उठा रहा है।