अंबिकापुर,18 सितम्बर 2023 (घटती-घटना)। वैश्विक टीबी बीमारी के नियंत्रण हेतु चल रहे प्रयासों के बीच जांच सुविधाओं का विस्तार अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हो रहा है। टीबी बीमारी की जांच के लिए आरटीपीसीआर मशीन पुणे से मंगाया गया है। जिसे हमर लैब से संचालन किया जाएगा। जिसे कंपनी के इंजीनियर द्वारा इंस्टाल किया जाएगा। 25 लाख की लागत से स्थापित हो रही जांच मशीन की उपलधता से टीबी के संक्रमितों को वास्तव में किस दवा का कितना डोज दिया जाना है, इसका पता चल सकेगा। अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में छाीसगढ़ के पहला आरटीपीसीआर मशीन लगने जा रहा है, जो जिले ही नहीं संभागवासियों के लिए बड़ी उपलçध है। इस जांच मशीन के लगने से जहां एक ओर मरीजों के रोग प्रतिरोधक क्षमता का सही आंकलन होगा, वहीं निर्धारित अवधि तक दवा का सेवन करने के बाद भी स्वास्थ्य लाभ नहीं मिलने जैसी नैदानिक परिस्थितियों से निजात मिलेगा। विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि बढ़ती दवा प्रतिरोधक क्षमता भी टीबी नियंत्रण के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है, इसे देखते हुए बेहतर टीबी निदान और परीक्षण की कड़ी को बढ़ावा देते हुए हमर लैब में आरटीपीसीआर की जांच सुविधा सुनिश्चित की गई है। अभी तक टीबी के संभावित मरीजों की जांच छाती का एक्स-रे, ट्रू नॉट सहित अन्य जांच से की जाती थी। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय संबद्ध जिला अस्पताल के टीबी नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. शैलेंद्र गुप्ता ने बताया कि टीबी की जांच के लिए लगने वाले आरटीपीआर मशीन से एक साथ 32 खखार के सैंपल की जांच होगी। इस जांच से इस बात का सटीक पता चल पाएगा कि टीबी इंफेक्शन से पीडि़त के लिए कौन सा दवा कारगर होगा। उन्होंने बताया कि वर्षों से चार दवाइयां टीबी संक्रमितों को दी जा रही है। इन दवाओं में से कुछ दवाएं टीबी के कीटाणुओं के लिए काम नहीं आ पाती हैं। कई बार छह माह तक दवा का डोज लेने के बाद भी बीमारी ठीक नहीं हो पाती है, ऐसे में आरटीपीसीआर जांच सुविधा टीबी के संक्रमितों के लिए उपयोगी साबित होगी। टीबी से संक्रमित व्यक्ति को जांच रिपोर्ट के अनुसार दवा की उपलधता सुनिश्चित कराई जाएगी।
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