बैकुण्ठपुर/एमसीबी@क्या विधायकों को केवल सत्ता का सुख और आम जनता कार्यकर्ताओं से मिलने वाला सम्मान भर चाहिए?…संगठन के आहवान को सफल बनाना क्या उनकी नहीं कार्यकर्ताओं मात्र की जिम्मेदारी है?

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  • क्या विधायकों को प्रदेश कांग्रेस पार्टी के आंदोलन से कोई लेना देना नहीं?
  • क्या कोरिया सहित नवीन जिले एमसीबी में प्रदेश कांग्रेस पार्टी के आहवान पर आयोजित रेल रोको आंदोलन औपचारिकता साबित हुई?
  • दोनों ही जिलों में क्यों नहीं शामिल हुए कार्यक्रम में एक भी विधायक,किसी तरह जिलाध्यक्षों पूरी की औपचारिकता?
  • एमसीबी जिले में तो कांग्रेसी नेता रेलवे स्टेशन के भीतर भी न कर सके प्रवेश,कहा रेल्वे बल ने बाहर रोका।
  • कोरिया जिले में जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में रेल्वे स्टेशन में घुसकर की गई नारेबाजी,स्टेशन अधीक्षक को दिया गया ज्ञापन।
  • प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आहवान को विधायकों ने नहीं लिया गंभीरता से,नहीं पहुंचा कोई भी विधायक।
  • कई टिकट के दावेदार और उनके समर्थक भी नहीं पहुंचे रेल रोको कार्यक्रम में,बनाई आहवान से दूरी।
  • क्या इसी तरह करेंगे मिशन 2023 फतह,प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आहवान को ही विधायक नहीं दे रहे तव्वजो?

बैकुण्ठपुर/एमसीबी 15 सितम्बर 2023 (घटती-घटना)। कोरिया जिले का विभाजन हुआ और एक जिले को विभाजित कर दो जिला बना दिया गया, यह विभाजन प्रदेश के मुख्यमंत्री ने यह कहते हुए किया की अब व्यवस्था और शासकीय तंत्र का विकेंद्रीकरण करने का वक्त है जिससे विकास अंतिम व्यक्ति तक पहुंच सके। जिला विभाजन से जहां एक तरफ मनेंद्रगढ़ शहर में उत्सव का माहौल बना वहीं कोरिया जिले को मातम में देखा गया, वहीं एमसीबी नवीन जिले में शामिल चिरमिरी,भरतपुर खड़गवां आज तक अपना भविष्य किस जिले में उज्ज्वल है को लेकर मंथन ही कर रहें हैं, वहीं जिला विभाजन के बाद प्रशासनिक कसावट भले देखने को मिल रही है लेकिन यदि राजनीतिक दलों की स्थिति अनुसार देखा जाए तो राजनीतिक दल कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों सहित संख्या बल के मामले में कमजोर नजर आ रहे हैं और वह कहीं न कहीं यह महसूस कर रहें हैं की संयुक्त अविभाजित जिला जब हुआ करता था तब वह अधिक संगठित थे और किसी दलीय आहवान पर वह अधिक बेहतर कर पाते थे अच्छी संख्या के साथ कर पाते थे कोई कार्यक्रम या विरोध प्रदर्शन।
बात हाल फिलहाल में प्रदेश कांग्रेस पार्टी की तरफ से आहवान किए गए रेल रोको आंदोलन को लेकर की जाए तो यहां भी यही देखने को मिला की कार्यक्रम दोनो ही जिलों में असफल साबित हुआ और किसी तरह कुछ नेताओं ने औपचारिकता पूरी की मात्र। वहीं दोनो ही जिलों में निर्वाचित तीन विधायक होने के बावजूद एक भी विधायक इस अभियान से आहवान से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नहीं जुड़ा और कार्यक्रम किसी तरह ज्ञापन देने मात्र तक सीमित रहा। बैकुंठपुर में कोरिया जिला कांग्रेस कमेटी के द्वारा किया गया रेल रोको आंदोलन रेलवे स्टेशन के अंदर पहुंच कर संपन्न हुआ, यही मात्र उसकी उपलब्धि रही वहीं एमसीबी नवीन जिले में तो कांग्रेसी रेलवे स्टेशन में भी प्रवेश नहीं कर सके और जिलाध्यक्ष का बयान भी आया की रेलवे सुरक्षा बल ने उन्हे बाहर ही रोक दिया। कुल मिलाकर यह आहवान अपनी सफलता तक नहीं पहुंच सका,जनता तक इसका संदेश इसके उद्देश्य की जानकारी पहुंचा पाने में दोनो जिलों के कांग्रेसी नेता असफल रहे जो देखने को मिला।


दोनो ही जिलों में विधायकों ने नहीं लिया प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आहवान में हिस्सा
कोरिया सहित एमसीबी जिले में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आहवान पर रेल रोको आंदोलन आयोजित तो किया गया लेकिन कहीं भी कोई विधायक जिले का शामिल नहीं हुआ जो देखने को मिला,यह कहा जाए यदि की विधायकों ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आहवान को गंभीरता से नहीं लिया तो गलत नहीं होगा। विधायक क्यों आहवान में शामिल नहीं हुए इसको लेकर कोई स्पष्ट जानकारी तो सामने नहीं आई लेकिन उनका क्षेत्र में न होना इसकी वजह मानी जा रही है ऐसा बताया जा रहा है।
क्या विधायकों को केवल सत्ता का सुख और आम जनता कार्यकर्ताओं से मिलने वाला सम्मान भर चाहिए,आहवान को सफल बनाना क्या उनकी नहीं कार्यकर्ताओं मात्र की जिम्मेदारी है?
कोरिया जिले सहित नवीन जिले एमसीबी में प्रदेश कांग्रेस कमेटी की तरफ से आहवान किए गए रेल रोको आंदोलन कार्यक्रम में दोनो जिलों के कोई भी विधायक शामिल नहीं देखे गए, विधायकों की अनुपस्थिति में संगठन के लोगों ने कार्यकर्ताओं ने जैसे तैसे कार्यक्रम की खानापूर्ति पूरी की अब ऐसे में सवाल यह उठता है की क्या संगठन के आहवान की सफलता की जिम्मेदारी विधायकों की नहीं है केवल कार्यकर्ताओं की मात्र जिम्मेदारी है? वहीं विधायक केवल सत्ता सुख कार्यकर्ताओं सहित आम जनता से सम्मान लेने निर्वाचित हुए हैं दल के प्रति उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है, वैसे कोरिया जिले सहित एमसीबी जिले के विधायकों का रेल रोको कार्यक्रम में शामिल नहीं होना दर्शाता है की उन्हे संगठन से ज्यादा उसके आहवान से ज्यादा अपने मान सम्मान से मतलब है टिकट से मतलब है जिससे उन्हें वह मान सम्मान मिलता रहे।
कोरिया जिले में रेल रोको अभियान रेलवे स्टेशन के भीतर नारेबाजी सहित स्टेशन अधीक्षक को ज्ञापन देने तक सीमित देखा गया
कोरिया जिले में यदि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आहवान पर आयोजित रेल रोको कार्यक्रम की सफलता को लेकर बात की जाए तो देखा गया की यह कार्यक्रम रेलवे स्टेशन के भीतर नारेबाजी साथ ही स्टेशन अधीक्षक को ज्ञापन देने तक सीमित रहा। जीतने लोग भी जुटे उन्होंने रेलवे स्टेशन में जिलाध्यक्ष के साथ नारेबाजी की और उन्होंने नारेबाजी करने के बाद स्टेशन अधीक्षक को ज्ञापन दिया।
एमसीबी जिले में रेल रोको कार्यक्रम रोककर कांग्रेसियों ने मनाया भरतपुर सोनहत विधायक के प्रतिनिनिधि का जन्मदिवस,कार्यक्रम को बनाया जन्मदिवस उत्सव
एमसीबी जिले में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आहवान को जिसके अंतर्गत रेल रोककर विरोध प्रदर्शन करना था उसे जन्मदिवस कार्यक्रम के रूप में परिवर्तित कर दिया गया और इस दौरान भरतपुर सोनहत विधायक के प्रतिनिधि का जन्मदिवस मनाते कांग्रेसी देखे गए, जन्मदिवस मानकर जब कांग्रेसी नेता खाली हुए उन्होंने रेलवे स्टेशन के समाने जाकर फोटोग्राफी कराई और जिलाध्यक्ष जिला कांग्रेस कमेटी ने एक बयान जारी कर दिया की उन्हे उनके साथियों को रेलवे स्टेशन के अंदर रेलवे सुरक्षा बल ने नहीं जाने दिया और बाहर ही उनका आंदोलन संपन्न हुआ। कहा जाए तो वहां आहवान को मजाक बना दिया गया और वहां जन्मदिवस की बधाई और शाम को आयोजन जन्मदिन को लेकर ही चर्चा होती रही जो देखने को मिला।जिलाध्यक्ष ने यह भी वहां कहा की मनेंद्रगढ़ में एक दो ट्रेन ही आती है और अब ऐसे में कैसे वह किस ट्रेन को रोकें।
कोरिया जिले में जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में यह लोग हुए शामिल,कई विधायक पद के दावेदार भी विधायक की ही तरह रहे कार्यक्रम से नदारत
कोरिया जिले में रेल रोको आंदोलन के दौरान यदि देखा जाए तो जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में विधायक की टिकट मांग रहे यह प्रमुख और मजबूत दावेदार मौजूद रहे जिसमे वेदांती तिवारी,अशोक जायसवाल,अनिल जायसवाल,संगीता राजवाड़े प्रमुख थे वहीं अन्य में कुछ प्रकोष्ठों के अध्यक्ष भी मौजूद रहे,अभी जारी नई कई प्रकोष्ठों की कार्यकारणी के कई महत्वपूर्ण जिम्मेदार पदाधिकारी इस कार्यक्रम में नजर नहीं आए यह भी देखा गया।।कई प्रकोष्ठ के अध्यक्ष भी नदारत रहे। कुल मिलाकर जो खुद को कर्मठ साबित करते चले आ रहें हैं और मौजूद दिखे और जिन्हे लाभ से मतलब है और पार्टी की गतिविधियों से आहवान से उन्हे कोई लेना देना नहीं होता वह नजर नहीं आए। बताया यह भी जा रहा है की कई ऐसे लोग भी इस कार्यक्रम में नहीं पहुंचे जो विधानसभा चुनाव में खुद के लिए टिकट की मांग कर रहे हैं और उनके समर्थक भी नदारत दिखे,विधायक के कुछ खास समर्थक कार्यक्रम में नजर नहीं आए यह भी वहां चर्चा का विषय रहा।
एनएसयूआई कोरिया ने भी युवाओं को जुटा पाने में साबित की उदासीनता
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर आयोजित रेल रोको अभियान के दौरान एन एसयूआई कोरिया भी युवाओं को जुटा पाने में असमर्थ रहा जो देखने को मिला। अनुशासन की बात करने वाले एन एस यू आई जिलाध्यक्ष कोरिया के पूरे आहवान सफलता  मामले में इसलिए भी कमजोर कहे जा सकते हैं क्योंकि उनकी नव मनोनित टीम भी इस दौरान पूरी तरह उपस्थित नहीं दिखी,वहीं न ही कार्यक्रम का लाइव प्रसारण ही किया गया जबकि कई बार लाइव प्रसारण उनके द्वारा किया जाता है। कुल मिलाकर इस प्रदेश कांग्रेस कमेटी की तरफ से आहवान किए गए कार्यक्रम में विरोध प्रदर्शन में उनकी उदासीनता देखने मिली।
कैसे सत्ताधारी दल साथ ही मुख्यमंत्री के मिशन 2023 को कोरिया एवम एमसीबी जिले के विधायक बनाएंगे सफल?…कैसे होगी मिशन 2023 में कांग्रेस पार्टी की फतह
प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रदेश की सत्ता में काबिज कांग्रेस पार्टी वहीं मुख्यमंत्री लगातार आगामी विधानसभा चुनाव वर्ष 2023 को लेकर एक तरह से मिशन बनाकर जुट चुके हैं वहीं उनके वर्तमान विधायक अभी अपने टिकट के ही चक्कर में लगे हैं और राजधानी से लेकर हर उस जगह जरूर जा रहे हैं जहां टिकट काटना और बंटना उन्हे पता चल पा रहा है। विधायक पार्टी के ही आहवान को अपने क्षेत्र में उपस्थित होकर सफल बनाते नही देखे जा रहे हैं,पार्टी ने रेल रोको आंदोलन इसलिए किया था की रेल की वर्तमान व्यवस्था को जन जन तक वह पहुंचाए और यह बता सके की कैसे वर्तमान में रेल की यात्रा दुखदाई बनी हुई है,लेकिन इस अभियान आहवान को कोरिया के एमसीबी जिले के विधायकों ने तवज्जो नहीं दिया और कार्यक्रम में मौजूद नजर नहीं आए। अब वह मिशन 2023 की तैयारी में लगे मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस पार्टी को किस तरह अभियान में सफलता दिलाएंगे यह सवाल जरूर खड़ा होता है।


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