अंबिकापुर/बैकुण्ठपुर,@क्या तत्कालीन संयुक्त संचालक शिक्षा सरगुजा को अंधेरे में रखकर कार्यालय के लिपिकों ने संशोधन आदेश में खेला बड़ा खेल?

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  • क्या तत्कालीन संयुक्त संचालक की जानकारी में केवल अधिकृत 385 शिक्षकों का संशोधन आदेश हुआ था जारी और 115 अनाधिकृत रूप से आदेश हुआ था जारी?
  • व्यक्तिगत लेनदेन कर लिपिकों ने 385 की बजाय लगभग 500 लोगों का संशोधन आदेश किया था जारी,लेकिन 115 को निरस्तीकरण से बचाया गया:सूत्र
  • वर्तमान संयुक्त संचालक ने रिकॉर्ड के अनुसार केवल 385 संशोधन आदेश को निरस्त करने का किया है आदेश
  • सैकड़ो शिक्षकों का आदेश जिन्हें लिपिकों ने गोपनीय तरीके से जारी किया था, नहीं है निरस्तीकरण सूची में उनका नाम
  • गोपनीय तरीके से जारी संशोधन आदेश वाले शिक्षकों का निरस्तीकरण सूची में नाम ना आने देने को लेकर पुनः की गई वसूली:सूत्र

रवि सिंह –
अंबिकापुर/बैकुण्ठपुर,11 सितम्बर 2023 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ शासन शिक्षा विभाग द्वारा वन टाइम रिलैक्सेशन के तहत बड़े पैमाने पर एलबी संवर्ग के सहायक शिक्षकों का शिक्षक पद पर और माध्यमिक शाला के शिक्षकों का प्रधान पाठक के पद पर पूरे छत्तीसगढ़ में पदोन्नति किया गया था। लेनदेन की खबरों के बीच विधानसभा के सत्र में तत्कालीन शिक्षा मंत्री द्वारा पदोन्नति उपरांत पदस्थापना के लिए सर्कुलर और नियम जारी किया गया, परंतु उन सर्कुलर और नियमों को धता बताते हुए संभागीय संयुक्त संचालक कार्यालय द्वारा बड़े पैमाने पर शिक्षकों से करोड़ों रुपए की वसूली कर मनमाना पदस्थापना आदेश जारी किया गया, जिसमें महिलाओं, दिव्यांग शिक्षकों और गंभीर रूप से पीडि़त शिक्षकों को दरकिनार करते हुए, वरिष्ठता को भी धता बताते हुए बड़े पैमाने पर पदस्थापना में घोटालेबाजी की गई।
इसको लेकर असंतुष्ट शिक्षकों ने जब संयुक्त संचालक कार्यालय सरगुजा संभाग के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज करानी चाही तो उनकी समस्याओं का निराकरण करने के बजाय शिकायतकर्ताओं को ही निलंबित कर दिया गया और भ्रष्टाचार तथा घोटालेबाजी की पोल न खुलने पाये इसके लिए घोटाले को मूर्त रूप देने हेतु नए तरीके ईजाद किए गए। लेनदेन वालों शिक्षकों से फर्जी मेडिकल प्रमाण पत्र लिए गए, प्रथम जारी आदेश में घोटाले की पोल न खुलने पाये, इसके लिए सेटिंग वाले शिक्षकों को इच्छित स्थान पर पदस्थापना देने के बजाय गोपनीय तरीके से दोबारा विकल्प पत्र भरवा कर एक दूसरे के ईच्छित स्थान पर पदस्थापना दी गई कुछ दिनों के बाद उनसे आपसी समन्वय और सामंजस्य का आवेदन लेकर उनके आदेशों को संशोधित कर दिया गया इस पूरे मामले की पोल सोशल मीडिया व्हाट्सएप में बधाई संदेश द्वारा प्रसारित एक चैट से हुई, जिसमें काउंसलिंग प्रक्रिया के दरमियान ही एक शिक्षक द्वारा कनिष्ठ शिक्षकों के इच्छित स्थान पर पदस्थापना का बधाई संदेश प्रसारित कर दिया गया।
दैनिक घटती-घटना खबर का परिणाम यह हुआ कि पूरे मामले में राज्य सरकार द्वारा कमिश्नर स्तरीय जांच समिति बैठा दी गई…
दैनिक घटती-घटना खबर का परिणाम यह हुआ कि पूरे मामले में राज्य सरकार द्वारा कमिश्नर स्तरीय जांच समिति बैठा दी गई शिकायतों का दौर चलता रहा तथा वे शिक्षक नेता जो इस पूरी मामले में घोटाले से कहीं ना कहीं लेनदेन के प्रकरण से जुड़े थे, उन्होंने तत्कालीन संयुक्त संचालक को बेदाग साबित करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी तत्कालीन संयुक्त संचालक का अभिनंदन आयोजित किया, प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उनका महिमा मंडन किया, परंतु सरगुजा संभाग में शिक्षक प्रमोशन मामले को लेकर दैनिक घटती-घटना के संवाददाता की पैनी नजर थी, जिसे समय-समय पर अपने अखबार के माध्यम से प्रकाशित कर घोटाले और भ्रष्टाचार की पोल खोलने में दैनिक घटती-घटना ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी परिणाम यह हुआ कि पूरे मामले में राज्य सरकार द्वारा कमिश्नर स्तरीय जांच समिति बैठा दी गई संभवत वर्तमान सरकार के कार्यकाल में यह पहला ऐसा व्यापक घोटाला साबित हुआ जिसके लिए राज्य सरकार ने स्वयं कमर कसी और तत्कालीन शिक्षा मंत्री समेत चार संभाग के संभागीय संयुक्त संचालक अनेक जिला शिक्षा अधिकारी एवं कई अधिकारी कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया। जांच समिति में वही पाया गया जिसका प्रकाशन समय-समय पर दैनिक घटती-घटना ने अपने अखबार के माध्यम से किया था और अंततः राज्य सरकार ने भी यह माना कि शिक्षक पदोन्नति उपरांत पदस्थापना में बड़े पैमाने पर शिक्षकों से रूपयों का लेनदेन कर भ्रष्टाचार एवं घोटाला किया गया है जिसके अंजाम में समिति की रिपोर्ट अनुसार वर्तमान शिक्षा मंत्री द्वारा एवं छाीसगढ़ शासन के समन्वय समिति द्वारा आदेश जारी कर पदोन्नति उपरांत काउंसलिंग के बाद के समस्त संशोधित आदेशों को निरस्त करने का फैसला लिया गया। वर्तमान में स्थिति यह है कि दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर एवं सरगुजा संभाग में पदोन्नति उपरांत संशोधित समस्त आदेशों को निरस्त कर शिक्षकों को 10 दिवस के भीतर पूर्व में जारी आदेश अनुसार कार्य स्थल पर ज्वाइनिंग देने का आदेश पारित किया गया है समय सीमा के भीतर उपस्थिति न देने वाले शिक्षकों का पदोन्नति स्वयमेव निरस्त माना जाएगा जो की आदेश में उल्लेखित है।
संयुक्त संचालक सरगुजा संभाग कार्यालय में घोटाले के ऊपर हुआ घोटाला
विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार शिक्षक पदोन्नति उपरांत पदस्थापना के लिए तत्कालीन संयुक्त संचालक सरगुजा द्वारा रूपयों के लेनदेन के एवज में 385 शिक्षकों का संशोधित पदस्थापना आदेश जारी किया गया था, परंतु कार्यालय में पदस्थ बाबूओं ने कुछ ऐसा प्रपंच रचा की बगैर अधिकारी की जानकारी में आए उनके हस्ताक्षर के मैनुअल इनिशियल्स से 385 की बजाए लगभग 500 शिक्षकों को संशोधित आदेश जारी कर दिया गया जिसकी वसूली व्यक्तिगत तौर पर बाबुओं ने स्वयं की और जिसकी जानकारी उच्च अधिकारी को लगने तक नहीं दी। कार्यालय में पदस्थ बाबूओं का खेल ऐसा रहा की किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी और करोड़ों के और भी ऊपर करोड़ का खेल उनके द्वारा व्यक्तिगत रूप से खेला गया सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इसकी पोल धीरे-धीरे खुलती नजर आ रही है, जब राज्य शासन द्वारा समस्त संशोधित आदेशों को निरस्तीकरण का आदेश पारित किया गया तो, सरगुजा संभाग से 385 शिक्षकों की सूची बनाकर उनके संशोधित आदेशों को निरस्त किया गया परंतु घटती घटना के सूत्र के अनुसार कई सारे ऐसे शिक्षक जिनका आदेश तो संशोधित हुआ था, परंतु उनका निरस्तीकरण सूची में नाम नहीं है जिसकी एक बानगी और उदाहरण विगत दिवस घटती घटना में लगे खबर में बताई गई है, जिसमें एक शिक्षक का पदस्थापना को लेकर स्पष्ट उदाहरण उल्लिखित है ऐसे कई शिक्षक हैं, जिनका प्रथम पदस्थापना आदेश संशोधित हुआ था, जो वर्तमान में संशोधित आदेश के अनुसार कार्य भी कर रहे हैं, परंतु निरस्तीकरण सूची में उनका कहीं नाम नहीं है। यह अपने आप में बड़ा हास्यास्पद और अजीब मामला है, जहां उच्च अधिकारी के जानकारी में आए बगैर उसके हस्ताक्षर के इनिशियल से बाबूओं ने नाक के नीचे बड़ा खेल रच दिया।
क्या घोटाला, घोटाले पर घोटाला और फिर घोटाला?
विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान में जिन शिक्षकों के पदस्थापना संशोधन आदेश की निरस्तीकरण की गई है, सूची अनुसार उनकी संख्या 385 है। परंतु घोटाले पर घोटाला वाली बात यह थी की 385 से अधिक संशोधन आदेश कार्यालय में पदस्थ कर्मचारियों द्वारा जारी किए गए थे, जिसकी जानकारी उच्च अधिकारी को नहीं थी, उनका नाम निरस्तीकरण सूची में लिपिबद्ध नहीं है। लिपिबद्ध ना होने देने के लिए संयुक्त संचालक कार्यालय में पदस्थ कर्मचारियों द्वारा एक और घोटाला किया गया, जिसमें सूची में नाम ना आने देने के एवज में ऐसे प्रभावित शिक्षक जिनका अंधेरे में संशोधन आदेश जारी किया गया था उनसे वर्तमान में पुन: 15 से 25 हजार की वसूली की गई है यह जानकारी पुष्ट सूत्रों के द्वारा प्राप्त है। प्रमोशन उपरांत पोस्टिंग मामले में जिसे राज्य शासन को भी हिला कर रख दिया और कार्यवाही करने को मजबूर कर दिया, कार्यवाही उपरांत भी भ्रष्टाचार के इस प्रकार की हिमाकत इस बात को मजबूती से बल प्रदान करते हैं कि कार्यालय को अधिकारी नहीं अपितु वहां पदस्थ बाबू संचालित करते हैं।
निरस्तीकरण आदेश से प्रभावित शिक्षकों ने किया हाई कोर्ट का रुख
प्रमोशन पदोन्नति घोटाला के उजागर होने के बाद राज्य शासन ने काउंसलिंग उपरांत समस्त संशोधित आदेशों को निरस्त करने के लिए आदेश जारी किए। जिसके परिपालन में शिक्षकों को आदेश की तामिल करा दी गई और उन्हें 10 दिन का समय दिया गया है, प्रथम आदेश में जारी विद्यालयों में अपनी उपस्थिति देने के लिए। और आदेश में यह भी स्पष्ट रूप लिखित है कि यदि 10 दिवस के भीतर स्थल पर पदस्थापना ग्रहण नहीं की जाती है तो पदोन्नति स्वयमेव निरस्त हो जाएगी। और इसके परिपालन के लिए शिक्षकों को एक तरफा कार्यभार मुक्त भी कर दिया गया है। अब प्रभावित शिक्षकों ने हजारों की तादाद में हाई कोर्ट का रुख किया है, और साथ ही वर्तमान में कार्यरत विद्यालयों में चिकित्सा प्रमाण पत्र देकर अवकाश ले लिया है। हाई कोर्ट से शिक्षकों को राहत मिलेगी, इस बात पर संशय है क्योंकि राज्य शासन ने पहले से ही मामले को लेकर हाईकोर्ट में कैवियेट दाखिल किया हुआ है, और किसी भी आपत्ति पर सबसे पहले सुनवाई राज्य शासन की होनी है। हां इस पूरे मामले में जहां पहले शिक्षकों ने घोटाले के एवज में लाखों रुपए अधिकारियों को अर्पित किए, वहीं अब हजारों रुपए हाई कोर्ट के वकीलों को चढ़ाना पड़ेगा। पूरे मामले का सार यह है कि हर तरफ से इस पूरे प्रकरण में शिक्षकों की जेब ही ढीली हुई है।
संशोधन मामले में कोई मुरव्वत नहीं बरती जाएगी,प्रत्येक संशोधन होगा निरस्त
संजय गुप्ता संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संचालनालय सरगुजा से वहीं इस मामले में जब बातचीत की गई तो उन्होंने स्पष्ट रूप से बताया की संशोधन मामले कोई निरस्तीकरण से नहीं बचेंगे, जिनका नाम प्रथम निरस्तीकरण सूची में नहीं है उनकी जानकारी मंगाकर संबंधित जिले और लॉक से शासन को निरस्तीकरण के लिए भेज दिया गया है जल्द आदेश जारी होगा और सभी संशोधन आदेश निरस्त होंगे यह तय है।


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