चेन्नई,10 सितम्बर 2023(ए)। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन उस समय प्रतिक्रिया देने वाले पहले लोगों में से थे, जब यह पता चला कि जी-20 प्रतिनिधियों को दिया गया निमंत्रण पारंपरिक प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया के बजाय प्रेसीडेंट ऑफ भारत की ओर से था।
इसे केंद्र सरकार द्वारा देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत करने का कदम माना गया। स्टालिन ने कहा कि 2014 में सत्ता में आने के बाद से पिछले नौ वर्षों में, देश के प्रति नरेंद्र मोदी सरकार का एकमात्र योगदान शायद नाम को इंडिया से बदलकर भारत करने का विचार है।
तमिलनाडु पर शासन कर रही डीएमके कई मुद्दों पर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के साथ टकराव की स्थिति में है।
स्टालिन ने सोशल मीडिया पर यह भी कहा कि विपक्षी गुट ने अपने गठबंधन का नाम इंडिया रखा है और इस नाम ने भाजपा को परेशान कर दिया है, इसके कारण वह देश का नाम बदलने पर विचार कर रही है।
एक माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर एक पोस्ट में स्टालिन ने कहा, ऐसा लगता है कि बीजेपी इंडिया नामक एक शब्द से परेशान है। वे विपक्ष के भीतर एकता की ताकत को पहचानते हैं। चुनाव के दौरान इंडिया बीजेपी को सत्ता से बाहर कर देगी। इंडिया, इंडिया ही रहेगा
डीएमके के उप महासचिव और थूथुकुडी से सांसद कनिमोझी करुणानिधि, जो मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की बहन भी हैं ने कहा कि आरएसएस पूरे देश के लिए एजेंडा तय कर रहा है।
उन्होंने कहा कि गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के बजाय गवर्नमेंट ऑफ भारत का उपयोग अभूतपूर्व था और इस तरह के राजनीतिक कदम का कोई कारण नहीं था।
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार आरएसएस और उसके प्रमुख मोहन भागवत के कहे का पालन कर रही है और जी-20 प्रतिनिधियों को निमंत्रण इसका स्पष्ट संकेत है। उन्होंने कहा कि आरएसएस प्रमुख ने पहले कहा था कि इंडिया का नाम बदलना होगा और सरकार उसका अनुसरण कर रही है।
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