- खेतों में सिंचाई हेतु पानी के लिए कर रहे किसान जद्दो जहद
- मरम्मत के अभाव में दर्जनों किसानों ने किया श्रमदान
-मनोज कुमार-
लखनपुर,08 सितम्बर 2023(घटती-घटना)।चंदनई वयापर्तन परियोजना के तहत करोड रुपए लागत राशि से ठेकेदार विभागीय अधिकारियों के द्वारा आधा अधूरा नहर का निर्माण कराया गया जो आज किसानों के लिए अभिशाप बना हुआ है। जगह जगह नहर टूटने के कारण कृषकों को धान की सिंचाई हेतू पानी नहीं मिल पा रहा है। और वही जल संसाधन विभाग द्वारा नहर मरम्मत की राशि जहां उपयोग करना था वहां उपयोग ना करते हुए राशि का दुरुपयोग करते हुए अन्यत्र स्थान में रिटर्निंग वॉल बनाया गया है। जबकि कृषकों द्वारा स्वयं पानी खेतों में पहुंचने के लिए श्रमदान कर नहर के माध्यम से खेतों में पानी पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है।
लखनपुर विकासखंड के अंतर्गत जल संसाधन विभाग का कई भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं वहीं हमेशा सुर्खियों में रहे चंदनई वयापर्तन परियोजना के तहत करोड रुपए लागत से डैम और नहर का आधा अधूरा निर्माण किया गया था। जो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है। और किसानों के लिए अभिशाप बनकर रह गया है।जब भी नहर में पानी छोड़ा जाता है। तब तब नहर के मेड़ टूट जाते हैं जिससे खेतों में सिंचाई हेतु पानी किसानों को उपलब्ध नहीं हो पाता और काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है । आज दिनांक तक अधूरा नहर निर्माण देखा जा सकता है और उक्त नहर निर्माण में गुणवत्ता विहीन नहर निर्माण किया गया है जहां जगह-जगह नहर पूरी तरह से टूटती जा रही है। और उसी क्रम में ग्राम पंचायत कोसंगा के कृषकों के लिए हजारों हेक्टेयर फसल की सिंचाई के मनसा अनुरूप यह परियोजना के तहत शासन करोड रुपए खर्च किया गया था परंतु कार्य इतना गुणवत्ता विहीन की नहर कई जगह में अलग- अलग हिस्से में टूट कर बिखरे हुए देखे जा सकते हैं । वही क्षेत्र के किसान खेतों में दोहरी मार्ग झेल रहे किसानों को अच्छी बारिश नहीं होने की वजह से रोपाई के उपरांत धन की फसल में इन दिनो पानी की आवश्यकता दिख रही है जिसे देखते हुए ग्राम पंचायत कोसंगा के ग्रामीणों में अमरसाय,काशीराम, हरभजन, शिवनारायण, शनि,शंकर,भोलू,उमेश, दुर्गा, अमरजीत, कन्नो राम,पंकज, किसानों द्वारा क्षतिग्रस्त नहर को स्वयं के श्रमदान से मरम्मत किया जा रहा है जिससे उनके खेतों में पानी पहुंच सके कई बार जल संसाधन विभाग के ऑला अधिकारियों व जनप्रतिनिधियो के पास गुहार लगाया गया परंतु आज दिनांक तक वह टूटा हुआ नहर का कार्य पूर्ण नहीं हो पाया।
जल संसाधन विभाग के द्वारा विभाग के काम को स्थानीय ठेकेदार के माध्यम से लगभग 5 से 10 लख रुपए की गुणवत्ता विहीन रिटर्निंग वॉल का निर्माण कर दिया गया है जबकि जिस दिशा की और रिटर्निंग वॉल एवं नहर टूटा है उसकी मरम्मत कराया जाना था परंतु उसके विपरीत दिशा में रिटर्निंग वाल बनाया गया है कृषकों के द्वारा बताया गया कि जब शुरुआती दौर में ही नहर टूट गया है वहां से ही पानी आगे नहीं बढ़ेगा इससे बनवाने का कोई जरूरत नहीं है जल संसाधन विभाग महज खानपूर्ति कर रही है और किसानों के हितों में काम नहीं कर रही है।
भ्रष्टाचार को छुपाने मनरेगा के योजना से किया गया नहर में कार्य
चंदनाई व्याप्रत्न योजना के तहत विभागीय अधिकारियों और ठेकेदार के मिली भगत से धरातल पर करोड़ों रुपए की लागत राशि से नहर का आधा अधूरा निर्माण कार्य कराया गया। और कागजों में नहर निर्माण कार्य पूर्ण हो चुके हैं। नहर निर्माण भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका था। विभागीय अधिकारियों के द्वारा भ्रष्टाचार को छुपाने उक्त आधा अधूरे नहर में मनरेगा के तहत 19 लाखो रुपए से मरम्मत कार्य कराया गया है। साथ ही विभाग की ओर से नहर का मरम्मत न कराकर रिटर्निंग वॉल का कार्य कराया गया है जो आज किसानों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। नहर क्षेत्र के किसानों के लिए अभिशाप बना हुआ है।
इस संबंध पर जल संसाधन विभाग के ईई अरुण मिश्रा से संपर्क किया गया परंतु मोबाइल ऑफ था इसलिए उनका पक्ष नहीं रखा गया ।