बैकुण्ठपुर@2 साल पहले कोरिया पुलिस अधीक्षक के स्टेनो का हुआ था तबादला…2 साल बाद भी नहीं मिली रवानगी,आखिर क्यों?

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  • स्टेनो के साथ के सभी लोग रवानगी लेकर अपने-अपने स्थांतरित जगह चले गए लेकिन स्टेनो विकास नामदेव ही अपने पुराने जगह पर जम रहे।
  • क्या काफी प्रभावशाली व्यक्ति हैं कोरिया पुलिस अधीक्षक के स्टेनो विकास नामदेव?

बैकुण्ठपुर 04 सितम्बर 2023 (घटती-घटना)। कोरिया जिला पुलिस बल जो अब जिला स्तरीय बल है तो जरूर लेकिन उसका कार्यक्षेत्र अधिकार क्षेत्र काफी सिमट गया है छोटा हो गया है, जो जिले के विभाजन के बाद हुआ है और जिसके बाद अब कुल चार पुलिस थानों का ही यह जिला शेष रह गया है, एक तरफ अब इस जिले में कोई बड़ा अधिकारी किसी विभाग का आना नहीं चाहता है और वहीं अब यहां के ही निवासी हैं वह अब यहां से जाने नहीं चाहते क्योंकि वह किसी तरह अपने गृह जिले में पहुंच सकें हैं और उन्हे अब यहीं अपना कार्यकाल पूरा समाप्त करना है जैसी उनकी मंशा भी नजर आ रही है।
ऐसे ही एक गृह जिले में वर्षों के लगातार पदस्थ रहने का रिकॉर्ड बना चुके पुलिस अधिक्षक कार्यालय के स्टोनो का नाम है जिनका तबादला दो वर्ष पहले हुआ जरूर था लेकिन तब जिला पुलिस बल में पुलिसकर्मियों की कमी बताकर उनको तबादला स्थल पर रवानगी नहीं दी गई थी और वह किसी तरह गृह जिले में ही पदस्थ चले आ रहें हैं, जबकि जब उन्हे तबादला होने के बाद दो वर्ष पूर्व रवानगी नहीं दी गई थी, यह कहकर की जिला पुलिस बल में बल की कमी थी, तब जिला कोरिया विभाजित नहीं हुआ था और अब दो वर्ष बाद जिला विभाजन के बाद यह जिला चार पुलिस थानों का ही जिला रह गया है जो अब पुलिस बल की कमी की बात नहीं कर सकता। कुल मिलाकर माना जा सकता है की अब उन्हे रवानगी दी जा सकती है, क्योंकि छोटे से जिले में जो उनका गृह जिला भी है में अब पर्याप्त पुलिस बल है कर्मचारियों की कोई कमी नहीं है और ऐसे में उन्हें अब यह कहकर जिले से रवानगी न देना की बल की कमी है पचाने लायक बात नहीं है। काफी नाम कमा चुके पुलिस अधिक्षक कोरिया कार्यालय के स्टेनो विकास नामदेव का कोरिया गृह जिला भी है और नियमानुसार उनका कार्यकाल भी गृह जिले में काफी लंबा हो चुका है और इस नाते भी उनकी रवानगी अब जरूरी है, क्योंकि गृह जिले में एक जिला स्तरीय कार्यालय और जिला स्तरीय अधिकारी के स्टेनो का लंबे समय तक कार्यरत रहना कई सवालों को जन्म दे रहा है जो आज पुलिस कर्मियों के ही जबान से निकलने वाली बात बन चुकी है जो कई बार स्थानांतरित हो चुके हैं। पुलिस मुख्यालय के स्थानांतरण आदेश क्रमांक-पुमु/स्था/ए-8(7-बी)/एम -692/2020 सहायक उपनिरीक्षक -अ का उप निरीक्षक -अ के पद पर पदोन्नति करते हुए निम्नलिखित उपनिरीक्षक -अ को प्रशासनिक दृष्टिकोण से आगामी आदेश पर्यंत उनके नाम के सम्मुख दर्शित नवीन पदस्थापना ईकाई में स्थानांतरित कर पदस्थ किया था।
गृह जिले से सत्ताधारी दल के नेताओं के काफी करीबी
वैसे जहां तक विकास नामदेव स्टेनो पुलिस अधिक्षक कोरिया की बात की जाए तो वह अब तक के अपने पूरे कार्यकाल में दो ही जिले में पदस्थ रह चुके हैं जिसमे से एक सूरजपुर जिला था जहां उन्हे पहली पदस्थापना मिली थी और दूसरा कोरिया जिला जहां वह सूरजपुर से स्थानांतरण कराकर पंहुचे थे। उन्होंने सूरजपुर से गृह जिले में तबादला कराया था और तभी से वह गृह जिले में पदस्थ चले आ रहे हैं। उनका तबादला जो दो वर्ष पूर्व किया गया था भले ही उसे जिला बल में पुलिसकर्मियों की कमी बताकर रोका गया था लेकिन उसके पीछे की वजह उनकी ऊंची पकड़ थी यह भी बताया जाता है। जब की तबादला पदोन्नति के बाद हुआ था, वह सभी दलों में अपना वर्चस्व रखते हैं और गृह जिले के होने का वह पूरा लाभ भी लेते हैं राजनीतिक, वह अपनी पदस्थापना बदली न जाए इसको लेकर सत्ताधारी दल के नेताओं के भी संपर्क में रहते हैं यह बताया जाता है। वैसे फिलहाल अब जब जिला छोटा हो चुका है और सामने चुनाव भी है ऐसे में एक बड़े अधिकारी और कार्यालय के स्टेनो को गृह जिले में ही पदस्थ रखना कहां तक उचित है यह भी बड़ा सवाल है, वैसे बताया जा रहा है की स्टेनो भी जान रहें हैं की उन्हे हटाया जा सकता है और वह बगल के ही किसी जिले में अपनी पदस्थापना के लिए प्रयास भी कर रहे हैं,वैसे भी वह गृह जिले से सत्ताधारी दल के नेताओं के काफी करीबी हैं और वह इस नाते भी अपने अभियान में सफल होंगे इसकी संभावना ज्यादा है।
दो वर्ष पूर्व जारी तबादला सूची की रवानगी को लेकर कुछ तथ्य
सूत्रों की माने तो ट्रांसफर लिस्ट में से सिर्फ एक को कार्यमुक्त एवं रवानगी नहीं दी गई है, बाकी सभी 56 को रवानगी दे दी गई थी, जब भी विकास नामदेव को रवानगी के संबंध में कोई भी आवेदन किसी के भी द्वारा प्रस्तुत किया जाता है तो यह लिखकर नस्तीबद्ध कर दिया जाता है कि जिला कोरिया में बल की कमी होने के कारण विकास नामदेव को कार्यमुक्त नहीं किया गया है प्रश्न यह है कि अगर बल की कमी थी तो एमसीबी जिले के गठन के समय दो बाबुओं का ट्रांसफर जिला एमसीबी क्यों किया गया? जबकि वहां एक ही बाबु की जरूरत उस दौरान थी, तबादले का नियम क्या सिर्फ निचले स्तर के पुलिसकर्मियों पर ही लागु होता है? क्या यह आफिस वर्क वाले बाबु विकास नामदेव के ऊपर तबादले का नियम लागु क्यों नहीं है? अविभाजित कोरिया जिले में लिपिक श्रेणी के बाबु जो पदस्थ थे उसमे विकास नामदेव, एस आर महेश, राजीव गुप्ता, फ्रांसिस जेवियर, कोमल देव सोनवानी, रंजीता एक्का, प्रशांत गुप्ता शामिल है जिसमे बंटवारे में जिला एमसीबी में एस आर महेश व प्रशांत गुप्ता भेजा गया था पर अभी जिला कोरिया में 05 आफिस कर्मचारी हैं, ऐसे में बल की कमी कैसे कहा जा सकता है?
पदोन्नति स्वीकार पर तबादला क्यों स्वीकार नहीं,सवाल?
पुलिस अधीक्षक कोरिया के स्टेनो विकास नामदेव पदोन्नति पाकर बड़े खुश हुए पहले यह सहायक उप निरीक्षक थे पदोन्नति पाकर उप निरीक्षक-अ के पद पर सुशोभित हुए जिसे उन्होंने स्वीकार भी किया और कंधे पर दो स्टार भी सजा लिए सारी सुविधाएं भी ग्रहण कर ली पर यदि ग्रहण नहीं किया और यदि स्वीकार नहीं किया तो अपना तबादला, ऐसे में सवाल यह उठता है की क्या स्टेनो को सिर्फ सुविधा चाहिए वह भी अपने शर्तों पर वह प्रशासन के आदेशों का पालन नहीं करेंगे कहीं ना कहीं पुलिस मुख्यालय छत्तीसगढ़ नए रायपुर के आदेशों की उन्होंने अवहेलना करते हुए आज भी वह कोरिया जिले में जमे हुए हैं। फिर भी उच्च अधिकारी इन पर कार्यवाही करने के बजाय इन्हें अभयदान दिए बैठे हैं क्या इसी वजह 14 वीं बटालियान छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल धनोरा बालोद स्थानांतरण स्थल नहीं गए? तबादला आदेश के अनुसार स्टेनो विकास नामदेव का तबादला 14 वीं बटालियन छत्तीसगढ़  सशस्त्र बल धनोरा बालोद हुआ था पर आदेश को दरकिनार करते हुए आज भी यह कोरिया जिले में ही पुराने पद पर कार्य कर रहे हैं।
निर्वाचन आयोग में भी हुई शिकायत
सूत्रों के माने तो कोरिया पुलिस अधीक्षक के स्टेनो काफी राजनीतिक पकड़ रखते हैं चाहे वह बीजेपी की सरकार हो या फिर कांग्रेस की दोनों में उनकी पकड़ काफी तगड़ी है स्थानीय नेताओं के साथ उनका संबंध निकल ही जाता है यही वजह है कि एक राजनीतिक पार्टी ने उनके राजनीतिक कार्यप्रणाली को लेकर निर्वाचन आयोग को शिकायत की है और उनके ऊपर कार्यवाही करते हुए इन्हें जिले से बाहर करने की मांग की है।


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