- विधानसभा क्रमांक १के भी स्वेक्षानुदान राशि की सूची आई सामने,विधायक ने अपने प्रतिनिधियों व कांग्रेसी नेताओं का किया भला।
- ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष भरतपुर की धर्मपत्नी को भी मिली है डेढ़ लाख रुपए की स्वेक्षानुदान राशि।
- विधायक गुलाब कमरों के स्वेक्षानुदान पर भी भाजपा ने उठाया सवाल?
- विधायक नंबर एक और विधायक नंबर दो की सूची तो आ गई, विधायक नंबर तीन की सूची का है इंतजार।
- विधायक नंबर एक के प्रतिनिधि का स्वेक्षानुदान पर अधिकार तो कुछ प्रतिनिधि शासकीय जमीन पर जमा बैठे अधिकार।
- भाजपा विधायकों के स्वेक्षानुदान पर सवाल उठाकर की जनता को अपने पक्ष में कर पाए थे आज के कांग्रेस विधायक।
- क्या अब वह अपने स्वेक्षानुदान के बंदरबांट को लेकर जनता से नजरे मिला पाएंगे,उठ रहा सवाल।
-रवि सिंह-
एमसीबी 25 अगस्त 2023 (घटती-घटना)। कांग्रेस में यदि विधायकों की नजर में कांग्रेस के बड़े पदाधिकारी ही स्वेक्षानुदान के हकदार तो क्यों नहीं विधायक स्वेक्षानुदान की जगह कांग्रेस उत्थान रख दिया जा रहा है योजना का नाम। विधायक स्वेक्षानुदान जो विधायक का एक ऐसा अधिकार है जिसका वह उपयोग कर अपने विधानसभा के जरूरतमंद गरीब और बीमार व्यक्ति जिसके पास इलाज का खर्च उठाने की क्षमता न हो उसको आर्थिक सहायता प्रदान कर सकते हैं और वह उन्हे तात्कालिक लाभ प्रदान कर उसे उसके सामने संकट जो खड़ा है उससे निकाल सकते हैं लेकिन विधायक क्षेत्र के जरूरतमंद लोगों, गरीब असहाय लोगों को मिल सकने वाले अधिकार से लगातार वंचित कर रहे हैं और वह स्वेक्षानुदान की राशि अपने पार्टी के नेताओं को अपने प्रतिनिधियों को और पत्रकारों को बांट रहे हैं और एक तरह से वह इस तरह अपने लिए कार्यकर्ताओं और अपना गुणगान करने वालों की एक संख्या तैयार कर रहें हैं और योजना का माखौल उड़ा रहे हैं, जो है तो गरीब जरूरतमंदों के लिए लेकिन जिसका लाभ सत्ताधारी दल के नेता और विधायक का गुणगान करने वाले प्राप्त कर रहें हैं, और असल जरूरतमंद आज भी मुसीबत के वक्त अकेला है बीना सहायता के, जबकि गरीबों की सहायता और उनका उत्थान हम करेंगे पिछला नेता नहीं कर रहा है, यही कहकर लोग विधायक बनकर आते हैं। वैसे यह किसी एक दल से जुड़ा मामला भी नहीं है अविभाजित कोरिया जिले की ही बात की जाए तो पिछले चुनाव में अविभाजित कोरिया जिले की तीनों विधानसभा में विधायक स्वेक्षानुदान राशि के बंदरबांट का मामला प्रमुख चुनावी मुद्दा था हर विपक्षी दल के लिए जनता के बीच उस समय के भाजपा विधायकों ने कैसे स्वेक्षानुदान अपने पार्टी के लोगों के बीच संपन्न लोगों के बीच बांटा यह सभी विपक्षी विधायक पद के दावेदार मंचो से जनता को बताया करते थे और जिसका संदेश भी आम मतदाता के बीच वैसा ही पहुंचा जैसा विपक्षी दल चाहते थे और अविभाजित कोरिया जिले की तीनो विधानसभा उस समय की सत्ता पर काबिज भाजपा और उसके निर्वाचित विधायक चुनाव हार गए।
पूर्व के विधयाक के तर्ज वर्तमान विधयाक कर रहे काम
मतदाताओं ने माना था की विपक्ष का आरोप सही है और गरीब जरूरतमंद के लिए लागू स्वेक्षानुदान योजना का लाभ विधायक अपने चेहरे को चमकाने के लिए कर रहें हैं और असल जरूरतमंद योजना से उसके लाभ से वंचित हो जा रहा है और उसने तख्ता पलट दिया जिसका परिणाम देखने को भी मिला लेकिन आज वही विधायक वही राजनीतिक दल जो उस समय सत्ता पर काबिज दल और निर्वाचित विधायक के खिलाफ स्वेक्षानुदान बंदरबांट को लेकर मुखर थे इसलिए मौन हैं क्योंकि जब उनकी बारी आई जनता ने उन्हें चुना जिससे उनका हक उन्हे मिल सके वह भी वही करने लगे जो पहले के लोगों ने किया। अविभाजित कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़ विधायक का स्वेक्षानुदान किस तरह और कैसे पार्टी के ही बड़े नेताओं पदाधिकारियों सहित पत्रकारों को बांटा गया जो संपन्न हैं यह मामला और आरोप अभी विपक्ष का ठंडा भी नहीं हुआ था की अब विधानसभा क्रमांक १ का मामला सामने आ गया जहां विधायक सबसे आगे निकल गए और उन्होंने अपने प्रतिनिधियों के परिवारजनों को रेवड़ी की तरह स्वेक्षानुदान राशि का वितरण कर दिया जो सूची से जाहिर हो रहा है।
आम गरीब जरूरतमंद यदि सूची में लाभार्थी बना भी है तो पांच दस बीस हजार तक ही पा सका है
आम गरीब जरूरतमंद यदि सूची में लाभार्थी बना भी है तो पांच दस बीस हजार तक ही पा सका है लेकिन सफेद कुर्ता पायजामा और लाखों करोड़ों की गाड़ियों में घूमने वाले विधायक भरतपुर सोनहत के करीबियों उनका गुणगान करने वालों और उनके प्रतिनिधियों को लाखों में स्वेक्षानुदान प्रदान किया गया है जो यह दर्शाता है की आम गरीब की कद्र आज भी वही है जो पहले थी और असल जरूरतमंद वही है जो विधायक के साथ घूमता हो उनका गुणगान करता हो और भले ही वह करोड़पति हो।भरतपुर सोनहत विधायक के द्वारा वितरित स्वेक्षानुदान की सूची लेकर अब भाजपा के नेता उनसे सवाल पूछ रहे हैं क्या यही असली जरूरतमंद हैं जिन्हे आपने स्वेक्षानुदान प्रदान किया है,यदि ऐसा है तो यदि स्वेक्षानुदान प्राप्त करने के लिए कांग्रेस पार्टी का पदाधिकारी होना जरूरी है कार्यकर्ता होना जरूरी है तो क्यों नहीं इस योजना का नाम कांग्रेस पार्टी उत्थान विधायक निधि रख दिया जा रहा है यह भी भाजपा नेता प्रश्न उठा रहे हैं।
पिछले चुनाव में विधायक स्वेक्षानुदान बंदरबांट मामला ही था मुख्य चुनावी मुद्दा,इस बार भी यही मुद्दा होगा प्रमुख, अभी से नजर आने लगा
बात यदि पिछले विधानसभा चुनाव की हो तो उस चुनाव में विधायक स्वेक्षानुदान बंदरबांट मामला प्रमुख चुनावी मुद्दा था, उस समय का विपक्ष इसी एक मामले में सत्ताधारी दल के विधायक पद के दावेदारों पर सबसे ज्यादा आक्रमक था क्योंकि विपक्ष के सामने विधायक रहते हुए दूसरी बार विधायक बनने उस समय के सत्ताधारी दल के प्रत्याशी मैदान में थे। विपक्ष के उम्मीदवारों ने उस चुनाव में सभी मंचो से केवल मतदाता आम जनता के बीच यही संदेश प्रेषित किया की कैसे उनके हक का पैसा विधायक अपना चेहरा चमकाने और अपने समर्थकों को खुश करने बांट रहें हैं और गरीबों का हक मार रहे हैं। उस समय जनता ने मतदाता ने भी इसको लेकर गंभीरता से मंथन किया और उन्होंने तख्ता पलट दिया।
भरतपुर सोनहत विधायक की स्वेक्षानुदान राशि वितरण सूची में कांग्रेस पार्टी के दिग्गजों के परिजनों को बांटी गई लाखों रूपये की स्वेक्षानुदान राशि
अविभाजित कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़ विधायक की स्वेक्षानुदान राशि वितरण सूची कई महीनो वर्षो से वायरल हो रही है हर बार लाभार्थी कांग्रेस नेता, पार्षद, पार्टी पदाधिकारी,युवा मोर्चा पदाधिकारी और पत्रकार ही बनते रहे और वह आरोप लगने के बाद भी बंदरबांट करते रहे। अब भरतपुर सोनहत विधायक की स्वेक्षानुदान राशि वितरण सूची सामने आई है,इसमें भी लाभार्थी बड़े कांग्रेसी नेता हैं और अधिकांश पार्टी के ही कार्यकर्ता और विधायक के करीबी लोग,आम लोग लाभार्थी के श्रेणी में शामिल भी हैं तो गिने चुने। भरतपुर सोनहत विधायक की स्वेक्षानुदान सूची देखकर यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है की उन्होंने बड़े नेताओं को पार्टी के बड़े पदों पर बैठे नेताओं को बड़ी बड़ी राशि प्रदान की है वहीं असल जरूरतमंद को नाममात्र का सहयोग प्रदान किया है। सबसे आश्चर्यजनक नाम ब्लॉक कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष की धर्मपत्नी का इस लाभार्थी सूची में है जिन्हे डेढ़ लाख जैसी बड़ी राशि विधायक ने प्रदान की है जबकि ब्लॉक अध्यक्ष अच्छे संपन्न परिवार से हैं और कम से कम उन्हे किसी अनुदान की जरूरत नहीं यह उन्हे जानने वाला कोई बता सकता है।
ब्लॉक अध्यक्ष कांग्रेस यदि है सबसे जरूरतमंद,ऐसी स्थिति में विधानसभा के अन्य गरीबों की क्या है?
भरतपुर सोनहत विधायक की स्वेक्षानुदान राशि वितरण सूची यदि देखी जाए तो पूरी सूची में अधिकांश लाभार्थी कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारी और सदस्य हैं,वहीं डेढ़ लाख जैसी बड़ी सहायता पाने वाली एक महिला ब्लॉक कांग्रेस कमेटी भरतपुर सोनहत अध्यक्ष की धर्मपत्नी हैं जो संपन्न या अति संपन्न परिवार से आती हैं यदि ऐसे लोग विधायक की नजर में जरूरतमंद हैं तो उनकी नजर में जो असल जरूरतमंद हैं उनके लिए क्या श्रेणी है यह सवाल जरूर खड़ा होता है। यदि संपन्न आर्थिक सहायता का अधिकारी है तो गरीब की सहायता योग्य विधायक को सरकार ने बनाया नहीं है यह भी सवाल उठता है,कुल मिलाकर क्षेत्र के गरीब जो असल जरूरतमंद हैं उन्हे उनकी जरूरत पर और अधिक राशि की जरूरत है जो विधायक उन्हे उपलब्ध नहीं करा पा रहें हैं यह भी इस सूची अनुसार समझ में आता है।
क्या गरीब जरूरतमंद के लिए मुफ्त अनाज,पेंशन योजना,शासकीय अस्पताल में लचर व्यवस्था के बीच इलाज तक की ही सुविधा तय है
विधायक स्वेक्षानुदान देखा जाए तो वह योजना है जिसके अंतर्गत यदि विधायक चाहे तो अपने क्षेत्र के उन जरूरतमंदों का चयन करके उन्हे बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराकर उनका जीवन बचा सकता है जिन मामलों में जरूरतमंद निजी और महंगे इलाज से वंचित रह जाता है,विभिन्न मंडलियों के नाम पर भी भुगतान किया जाता है उसे भी अनुचित नहीं कहा जा सकता लेकिन यदि इस योजना का कोई सबसे अच्छा उपयोग है या हो सकता है तो वह इलाज क्षेत्र में ही मदद कर हो सकता है। वहीं विधायक इसे अपना ऐसा अधिकार मानकर चल रहें हैं जिसका जैसा चाहें वह उपयोग कर लें और अधिकांश मामलों में देखा जा रहा है यह राशि विधायक अपना चेहरा चमकाने में ही प्रयोग कर रहे हैं। अब ऐसे में असल जरूरतमंद इस योजना से वंचित रह जा रहा है। सवाल उठता है की गरीबों की बात करने वाले नेता जो अधिकांशतया उन्ही गरीबों वंचित लोगों के बीच से आते हैं और ऐसे ही मामलो का विरोध कर आते हैं क्या आते ही वह भी पुरानी परंपरा में ढल जाते हैं। क्या आज भी गरीब जरूरतमंद के लिए मुफ्त अनाज,वृद्धावस्था,निराश्रित,बेरोजगारी भत्ता जैसे पेंशन और शासकीय अस्पतालों में लचर व्यवस्था के बीच इलाज तक का ही अधिकार प्राप्त है उनके नाम पर जारी योजनाएं आज भी संपन्न लोगों की ही गिरफ्त में हैं यह सवाल बड़ा सवाल है।
भरतपुर सोहनत विधायक के मीडिया प्रभारी पर शासकीय जमीन पर कब्जे का भी लगा आरोप
भरतपुर सोनहत विधायक भी चुनाव जैसे जैसे करीब आते जा रहें हैं सुर्खियां बटोर रहे हैं,स्वेक्षानुदान बंदरबांट के साथ ही उनके एक मीडिया प्रभारी ने शासकीय जमीन पर कब्जा जमाया है और जो उनके सबसे करीबी हैं दिनभर साथ साथ रहने वाले निज सचिव हैं यह भी बात सामने आ रही है की यह जमीन कीमती है और इसीलिए इस पर कब्जा विधायक की मौन सहमति के आधार पर दर्ज किया जा रहा है जिससे इसकी कीमत बाद में वसूली जा सके। यह जमीन जिला संयुक्त कार्यकाल के पीछे तरफ है और इस लिहाज से आने वाले समय में इसकी कीमत क्या होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है और इसीलिए मीडिया प्रभारी विधायक जमीन पर कब्जा जमाए हुए हैं और क्योंकि सैयां भए कोतवाल तो डर काहे का मानकर मिडिया प्रभारी भी निश्चिंत हैं। वैसे जमीन कब्जा मामला भी सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार सही ही है और इस तरह एक मीडिया प्रभारी विधायक जल्द करोड़पति का खिताब पा सकेंगे यह बताया जा रहा है। शासन प्रशासन भी मौन है, क्योंकि मामला विधायक के निज सचिव से जुड़ा हुआ है, आम आदमी या कोई भूमि विहीन कब्जा कर आशियाना बनाना चाहता तब भले प्रशासन बुलडोजर लेकर आता अब जब सरकार ही सामने है किसमें है हिम्मत जो उन्हे रोक सके।
जिला पंचायत सदस्य रविशंकर भरतपुर सोनहत विधायक पर हो चुके हैं आक्रमक,घूम घूमकर बता रहे जनता को उनकी गलतियां
भरतपुर जनकपुर क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य नंगे पांव चलने के नाम पर प्रसिद्ध क्षेत्र में अत्यंत लोकप्रिय जिला पंचायत सदस्य साथ ही भाजपा से विधानसभा क्रमांक १ के दिए संभावित उम्मीदवार रविशंकर आज कल विधायक भरतपुर सोनहत को लेकर आक्रमक हैं,स्वेक्षानुदान बंदरबांट मामले में वह विधायक को हर मंच पर घेरते नजर आ रहे हैं और अब वह पूरे क्षेत्र में भ्रमण पर हैं और विधायक की कमियां जनता के सामने रखकर विधायक से सवाल कर रहें हैं की क्या असली जरूरतमंद की श्रेणी में कांग्रेसी ही मात्र शामिल हैं क्या आम जरूरतमंद उनकी लिस्ट से बाहर है।