बैकुण्ठपुर@क्या यही कोरिया जिले के जननेता के प्रति नेताओं के मन  में उनका सम्मान है,क्या उनके प्रतिमा को ढंककर नेता नहीं कर रहे उनका अपमान?

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  • स्व. कुमार साहब चौक बना प्रचार चौक,बैनरों पोस्टरों के बीच स्व. कुमार साहब की प्रतिमा हो जा रही है अदृश्य।
  • बैनर पोस्टरों के पटा रहता है स्व.कुमार साहब चौक का पूरा रेलिंग,कुमार साहब की प्रतिमा नजर ही नहीं आती।
  • कभी घड़ी चौक,कभी घड़ा चौक,कभी प्रचार चौक की ख्याति पा चुका चौक स्वर्गीय कुमार साहब चौक…बनने के बाद फिर बन गया प्रचार चौक।
  • स्व.कुमार साहब की प्रतिमा स्थापित कर चौक का नया किया गया था नामकरण,अब फिर से बदला नजर आ रहा है चौक का नाम।
  • कभी किसी नेता के जन्मदिन पोस्टर से कभी किसी नेता के शुभकामना संदेश से ही शुशोभित हो रहा चौक,कुमार साहब की प्रतिमा ऐसे में हो जा रही है अदृश्य।
  • स्वतंत्र दिवस पर लगा हुआ था पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष का पोस्टर ऐसा क्या आन पड़ी की रातों-रात हटाकर विधायक का लग गया पोस्ट?
  • क्या कोरिया कुमार चौक पर दोनों राजनीतिक दलों के पोस्टर लगाने की चल रही है प्रतिस्पर्धा?

बैकुण्ठपुर 22 अगस्त 2023 (घटती-घटना)। किसी जननेता किसी महापुरुष किसी विकासपुरुष की आज वर्तमान में राजनीतिक दलों के नेता कितना सम्मान करते हैं वह उनको कितना इज्जत देते हैं यदि यह देखना हो तो कोरिया जिले के बैकुंठपुर जिला मुख्यालय के हृदय स्थल पर स्थापित की गई स्वर्गीय कुमार साहब की प्रतिमा और उस चौक के रेलिंग में लगे हुए पोस्टर बैनर देखकर इसका अंदाजा लगाइए जिस चौक का नाम स्वर्गीय कुमार साहब चौक रखा गया और जहां उनकी प्रतिमा स्थापित कर उनकी जिले क्षेत्र सहित शहर के विकास के लिए एक सम्मान दिया गया। चौक का नामकरण स्वर्गीय कुमार साहब चौक किया गया उनकी प्रतिमा लगाई गई रेलिंग कर उस चौक को सुंदर बनाया गया, प्रदेश स्तर के नेताओं ने चौक में स्वर्गीय कुमार साहब की प्रतिमा का अनावरण किया और चौक का नाम अपनी उपस्थिति में स्वर्गीय कुमार साहब चौक किया और आज यदि बात की जाए तो उन्हीं नेताओं ने उस चौक को प्रतिमा के समाने की रेलिंग को प्रचार का अड्डा बना लिया और अब वह स्वर्गीय कुमार साहब की प्रतिमा भी अदृश्य कर दे रहें हैं और जो देखा जा सकता है।
स्वर्गीय कुमार साहब ने कोरिया जिले को एक नई पहचान दिलाई है उन्होंने जिला भी बनाया जिले में सिंचाई योजनाओं का जिस तरह उन्होंने जाल बिछाया वह जनता की जबानी सुनी जा सकती है और जो उनके दूरदर्शी सोच साथ ही जिलेवासियों के लिए सौगात के रूप में मानी जा सकती है। जिले को प्रदान उनके योगदान को देखते हुए ही शहर का सबसे पुराना चौक जिसका कई बार नामकरण अलग अलग हो चुका है का जब नामकरण स्वर्गीय कुमार साहब चौक रखा गया सभी दलों के नेताओं ने सभी शहरवासियों ने इसका स्वागत किया और जिसका परिणाम हुआ की भव्य आयोजन के बीच कुमार साहब की प्रतिमा स्थापित कर चौक उनके नाम से विख्यात हुआ। चौक में कहने को स्वर्गीय कुमार साहब की आदम कद प्रतिमा स्थापित की गई है सामने सुंदर रेलिंग की गई है और पूरी भव्यता प्रदान की गई है पूरे प्रतिमा स्थल पर लेकिन आज जब चौक को लोग देखते हैं उनके मुंह से अनायास ही यह निकल जाता है की यह चौक फिर प्रचार चौक हो गया और जो सम्मान स्वर्गीय कुमार साहब को दिया गया उनकी प्रतिमा स्थापित कर लोगों के जेहन में उन्हे अजीवन जीवंत रखने का जो प्रयास किया गया उसे अब नेता शहर के भूल गए और अब उन्हें अपने सम्मान सहित अपनी ही पहचान की चिंता है जिसकी वजह से वह स्वर्गीय कुमार साहब की प्रतिमा के सामने की रेलिंग पर अपने बैनर पोस्टर लगा रहें हैं और कुमार साहब की प्रतिमा नजर भी आ जाए इतनी भी जगह छूट जाए यह भी ध्यान नहीं रख रहे।
क्या कोरिया कुमार चौक पर दोनों राजनीतिक दलों के पोस्टर लगाने की चल रही है प्रतिस्पर्धा?
देखा जाए तो इस समय दोनों राजनीतिक दलों के पोस्टर लगाने की प्रतिस्पर्धा भी देखी जा रही है, सत्ता पक्ष चाहता है कि उसे चौक पर सिर्फ उन्हीं का पोस्टर लगा रहे, तो वहीं विपक्ष भी अपने पोस्टर लगाने से पीछे नहीं हटता, यही वजह है कि पोस्टर हटाना और लगाना देखा जाता है, कुछ ऐसा ही दृश्य इस बार स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देखा गया, जब भाजपा के उपाध्यक्ष के जन्मदिन व स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में कोरिया कुमार चौक को पोस्ट से पाट दिया गया था, पर जो 1 दिन भी वहां पर टिक नहीं पाया, यह कैसे सत्ता पक्ष के लोगों को गवारा रहता है कि सत्ता में वह काबिज है और विपक्ष का पोस्टर कोरिया कुमार चौक पर लग जाए, ऐसा एक बार नहीं कई बार देखने को मिला पर इस बार सिर्फ एक दिन ही विपक्ष के नेता के जन्मदिन का पोस्टर कोरिया कुमार चौक पर टिक पाया। विपक्ष के नेता के पोस्ट को रातों-रात हटाकर सत्ता पक्ष की विधायक का पोस्टर रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस की बधाई का लगा दिया गया। चर्चा यह भी है कि यह पोस्ट दवा पूर्वक हटाया गया।
क्या कुछ नेता या कुछ दल के ही लोग बैनर पोस्टर लगाकर स्वर्गीय कुमार साहब की प्रतिमा को लोगों की नजर से छिपाने का प्रयास कर रहें?
वहीं प्रतिमा स्थल साथ ही उसकी रेलिंग पर कुछ लोग कुछ नेता या कुछ दल के ही लोग बैनर पोस्टर लगाकर स्वर्गीय कुमार साहब की प्रतिमा को लोगों की नजर से छिपाने का प्रयास कर रहें हैं ऐसा भी नहीं है वह जीवन भर जिस दल की विचारधारा के साथ राजनीति से जुड़कर जनता की सेवा करते रहे जिस सेवा के परिणाम और जिसके ही कारण आज उनके ही परिवार की सदस्य क्षेत्र से निर्वाचित हैं वह परिवार की सदस्य भी इस बात से परहेज नहीं कर रहीं हैं की स्वर्गीय कुमार साहब के नाम से विख्यात साथ ही उनकी प्रतिमा के समक्ष लगी रेलिंग पर कोई प्रचार सामग्री न चिपकाए कोई बैनर पोस्टर न लगाए स्वर्गीय कुमार साहब की प्रतिमा को कोई अदृश्य करने की चेष्टा न करे वह खुद ऐसा कर रही हैं और जो देखा जा सकता है हाल के बैनर पोस्टरों को देखकर जो क्षेत्रीय विधायक ने लगवाए हैं जिनसे स्वर्गीय कुमार साहब की प्रतिमा अदृश्य नजर आ रही है।
अपने दल के पुरोधा का भी सम्मान भूल बैठे हैं सत्ताधारी दल के नेता
सत्ताधारी दल जिसकी वर्तमान में प्रदेश में सरकार है जिसकी ही क्षेत्र से विधायक हैं वह भी अपने दल के दिवंगत पुरोधा जन नायक का सम्मान भूल बैठे हैं और उनके बैनर पोस्टर भी स्वर्गीय कुमार साहब की प्रतिमा को ढेंकने का काम कर रहे हैं जो नजर आ रहा है। कुल मिलाकर अपनी तस्वीर आगे कर स्वर्गीय कुमार साहब की प्रतिमा पीछे कर दी जा रही है।
क्या प्रचार करने के लिए ही बनाया गया है स्वर्गीय कुमार साहब चौक?
सवाल यह भी उठता है जो तस्वीर देखकर भी कहा जा सकता है की क्या चौक का निर्माण रेलिंग का निर्माण प्रचार के लिए ही किया गया है,क्या वह कुमार साहब चौक की सुंदरता के लिए न होकर नेताओं के प्रचार के लिए है। जैसा लगातार देखा जा रहा है आए दिन वह रेलिंग जो चौक और प्रतिमा की शोभा है वहां प्रचार बोर्ड लगे रहते हैं और वह भी अनगिनत संख्या में जो प्रतिमा को ढकने का ही काम कर रहे हैं।
अपनी पहचान के लिए महापुरुषों का अपमान करने जैसा है उनकी प्रतिमाओं उसके सामने की रेलिंग में नेताओं के बैनर पोस्टर लगना
नेताओं को अपनी पहचान कितनी प्यारी है और उन्हे अपनी पहचान से कितना लगाव होता है यह स्वर्गीय कुमार साहब चौक की आज की हालत देखकर समझा जा सकता है,नेताओं के बैनर पोस्टर जैसे स्वर्गीय कुमार साहब की प्रतिमा को ढंक कर बैठ गए हैं,कुमार साहब कोरिया जिले के लिए किसी महापुरुष से कम नही माने जाते और उसके बावजूद जिले के नेता उनका कितना सम्मान करते हैं यह उनके बैनर पोस्टर स्वर्गीय कुमार साहब की प्रतिमा को जब ढंकते नजर आते हैं समझा जा सकता है। कुल मिलाकर नेताओं को अपने मान सम्मान के समाने महापुरुषों का सम्मान भी महत्वपूर्ण नजर नहीं आता जो देखा जा सकता है चौक को देखकर।
स्वर्गीय कुमार साहब की प्रतिमा करती होगी घुटन महसूस,यह कहना भी नहीं होगा गलत
जिला गठन की बात हो या जिले में सिंचाई सुविधाओ के विस्तार की बात हो स्वर्गीय कुमार साहब हमेशा याद रहेंगे जिलेवासियों के मन में यह कहना गलत नहीं होगा,वहीं उन्हे सम्मान देने उनकी प्रतिमा शहर के मुख्य चौक में लगाई गई रेलिंग से चौक को सुंदर बनाया गया लेकिन अब उस रेलिंग पर नेताओं ने कब्जा कर लिया है और स्वर्गीय कुमार साहब की प्रतिमा को एक तरह से ढंक दिया है,स्वर्गीय कुमार साहब की प्रतिमा घुटन महसूस कर रही होगी बैनर पोस्टरों से यह भी कहना सौ टके की बात होगी जो सत्य है।


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