अंबिकापुर,@नक्सलों को खदेडऩे वाले सीआरपीएफ 62 वीं बटालियन के जवानों ने मनाया 44 वां स्थापना दिवस

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अंबिकापुर,13 अगस्त 2023 (घटती घटना) सरगुजा के संभाग के बलरामपुर से नक्सलों को खदेडऩे वाले सीआरपीएफ 62वीं बटालियन के जवानों ने अपना 44 वॉ स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया। अम्बिकापुर स्थित 62 वीं बटालियन में प्रमोद कुमार सिंह कमाण्डेन्ट के नेतृत्व में बटालियन मुख्यालय अम्बिकापुर तथा भिन्न-भिन्न स्थानों पर तैनात बटालियन की कम्पनियों के तैनात कार्मिकों के लिए कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रमों की शुरुआत करते हुए प्रमोद कुमार सिंह कमाण्डेन्ट द्वारा देश के लिए कर्तव्य वेदी पर न्योछावर हुए 62 वीं बटालियन के 84 शहीद कार्मिकों को श्रद्धांजलि दी गई। उन्होंने यूनिट के मर्टर गार्ड पर सलामी ली गई। कमाण्डेन्ट ने बटालियन के सभी जवानों को सम्बोधित करते हुए बताया कि, आज ही के दिन 13 अगस्त 1979 को 62 वीं वाहिनी की स्थापना भुवनेश्वर ग्रुप केन्द्र में तत्कालीन आंतरिक सुरक्षा विरोधी परिस्थितियों से निपटने हेतु हुई थी। आज इस बटालियन ने मातृभूमि की सेवा व रक्षा में 44 वर्ष पूर्ण कर लिये हैं। कमाण्डेन्ट ने बताया कि 2009 में यह बटालियन घनघोर रूप से नक्सलवाद की आग में जलते हुए छाीसगढ़ राज्य के बस्तर संभाग के सुकमा जिले में तैनात की गई। इसी क्रम में अपने कर्ाव्यों को दृढ़ता से निभाने के दौरान 62 वीं बटालियन ने 6 अप्रैल 2010 को तत्कालीन सुकमा जिले के ताड़मेटला, चिंतलनार गाँव के पास 700 से अधिक नक्सलियों का सामना बहादुरी से करते हुए और अपने प्राणों की परवाह न करते हुए सर्वोाम बलिदान देकर मातृभूमि का कर्ज अदा किया। कमाण्डेन्ट ने बताया कि विगत एक दशक से 62 वीं बटालियन, सरगुजा संभाग के बलरामपुर जिले में तैनात रहकर झारखण्ड सीमा से सटे बूढ़ा पहाड़ के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों जैसे कुसमी, चान्दो, रामानुजगंज, सामरी, सबाग, बन्दरचुआ, चूनचूना, जलजली, चरहो, भुताई, पुन्दाग आदि क्षेत्रों में जबरदस्त नक्सल विरोधी ऑपरेशन चलाती रहती है। विगत वर्ष 2022 के मार्च माह में भूताही मोड़ तथा सितम्बर 2022 में पुन्दाग गाँवों में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के व छाीसगढ़ पुलिस के संयुक्त टास्क फोर्स हेतु कैम्पों की स्थापना की। इसी बजह से दबाव में आकर तथा लगातार ऑपरेशन लान्व होते रहने से पुन्दाग क्षेत्र के नक्सल ग्रुपों की कमर टूट गई है। यही कारण है कि पिछले 18 माह में कई नक्सल आत्मसमर्पण कर चुके हैं। कमाण्डेन्ट ने 62 वीं बटालियन के सबाग से पुन्दाग तक लगे कैम्पों में रह रहे जवानों को विशेष रूप से बधाई दी तथा कहा कि आपलोगों के जोश व कर्तव्य के प्रति जज्बे के कारण आज आजादी के 77 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है कि बन्दरचुआ से भुताई, पुन्दाग तक के गाँव वालों को लोकतांत्रिक व्यवस्था दिखाई देने लगी। 62 वीं बटालियन के सुरक्षा कवच की ओट में सुरक्षित रहते हुए ग्रामीणों ने हाट-बाजार लगाना बेधडक¸ शुरू कर दिया है। सडक¸ तथा बिजली के खंभे भी स्थानीय प्रशासन के प्रयास द्वारा नक्सल प्रभावित गाँवों तक पहुंचने लगे है। चाहे राशन वितरण हो या 62 बटालियन का सिविक एक्शन कार्यक्रम द्वारा खेल-कूद, पढ़ाई-लिखाई, घरेलू प्रयोग का सामान बाँटने का कार्यक्रम हो, चाहे 62वीं बटालियन द्वारा लगाये गये चिकित्सा जाँच शिविर हो सभी में ग्रामीण मारी संख्या में बेधडक¸ पहुँचते हैं तथा लाभ उठाते है। अपने वाले विधानसभा तथा लोकसभा चुनावों को सफलता पूर्वक जनता के बीच करवाकर 62वीं बटालियन नये आयाम स्थापित करेगी ऐसा कमाण्डेन्ट ने विश्वास जताया। बटालियन मुख्यालय में वृक्षारोपण का भी आयोजन किया गया तथा क्रिकेट मैच का आयोजन भी किया गया। साथ ही प्रमोद कुमार सिंह कमाण्डेन्ट एवं उपस्थित अधिकारीगण, अधिनस्थ अधिकारीगण एवं जवानों ने मिलकर बड़ेखाने में भाग लेकर 62 वीं वाहिनी के स्थापना दिवस का सफल समापन भी किया।


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