एमसीबी@रसूखदार डॉक्टर का रसूख आया काम,दुर्घटना में घायल व्यक्ति जिसकी डॉक्टर के विलंब से आने से हुई थी मौत,उसके परिजनों व अन्य पर दर्ज हुई प्राथमिकी

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  • सीएमएचओ के प्रभाव में कर्मचारियों ने हड़ताल का दबाव बनाकर प्रशासन को झुका अपराध करवाया दर्ज पर पीडि़त की शिकायत पर आज तक अपराध नहीं हो पाया दर्ज
  • क्या पीडि़त को भी करना होगा आंदोलन तब पुलिस करेगी अपराध दर्ज, जिस तरह स्वास्थ्य कर्मचारियों ने अपने सीएमएचओ को बचाने के लिए किया आंदोलन?
  • क्या सीएमएचओ को घर में इलाज करने की है अनुमति और अस्पताल में सिर्फ व्यवस्था देखने की उनकी है नियुक्ति?
  • सीएमएचओ तिवारी क्यों मांग रहे सुरक्षा पर आम आदमी किससे मांगे सरकारी अस्पताल में जान की सुरक्षा?
  • बीजेपी कांग्रेसी मैचों के प्रभाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी पीडि़त के लिए करेगी आंदोलन
  • क्या एमसीबी जिले के सीएमएचओ है काफी शातिर अपने बचने पूरा पैंतरा आजमाया?


-रवि सिंह-
एमसीबी 13 अगस्त 2023 (घटती-घटना)। एमसीबी जिले के सीएमएचओ व बीएमओ निकले बड़े खिलाड़ी अपने ऊपर लगे आरोपों व दर्ज होने वाले अपराधों से बचने के लिए लिया सत्तापक्ष के नेताओं सहारा साथ ही अपने विभाग के निचले स्तर के कर्मचारियों को आगे करके करवाया आंदोलन और मारपीट करने वाले पर करवा दिया अपराध पंजीबद्ध, सारी चीजें षड्यंत्र के तहत हुई जो किसी से छुपी नहीं है, पर वही जिसके घर का सदस्य वह भी कमाऊ सदस्य अस्पताल की लापरवाही से स्वर्ग सिधार गया जैसा की परिजनों का ही आरोप है की डॉक्टर के एक घंटे विलंब से आने की वजह से घायल मौत की आगोश में समा गया उस परिवार के लिए कोई नहीं आया सामने। भाजपा ने भी पहले दिन आंदोलन किया फिर वह भी ठंडी पड़ गई, मामले को ठंडा करने के लिए भी सीएमएचओ को छुट्टी देकर क्षेत्र से बाहर कर दिया ताकि मामला ठंडा होने तक वह बाहर रहें, सीएमएचओ की लापरवाही से जिस व्यक्ति की जान गई उसमें अलग-अलग तर्क वितर्क चल रहे हैं कोई कहता है कि सीएमएचओ का काम थोड़ी है इलाज करना उसका काम तो है व्यवस्था देखना है तो फिर सवाल यह उठता है कि फिर वह अपने घर में क्यों करते हैं पैसे लेकर इलाज? यह भी तो उनका काम नहीं है, क्या उन्हें सरकार की तरफ से छूट मिली हुई है की घर में अपना क्लीनिक बनाकर वह इलाज करते रहें और वेतन सरकार से भी उन्हे मिलता रहे? यह कहां लिखा है कि सीएमएचओ बनने के बाद आप सरकारी अस्पताल में इलाज नहीं कर सकते? पर यदि आप इलाज नहीं कर सकते तो फिर किसी को आश्वासन क्यों दे रहे थे कि मैं आ रहा हूं जो इस मामले में हुआ और जो घायल होने के बाद मृत व्यक्ति के परिजनों का ही आरोप है? नवीन एमसीबी जिले के मनेंद्रगढ़ मुख्यालय से जुड़ा मामला जिसमें दुर्घटना के बाद अस्पताल ले गए व्यक्ति का डॉक्टर के इंतजार में मौत हो गई मौत होने पर आक्रोशित लोगों ने सीमाओं पर अपना गुस्सा भी उतार और उस समय गुस्सा होना लाजिमी भी था क्योंकि किसी के जान की बात थी, शिकायत मृतक के परिजनों के द्वारा भी किया गया पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई पर वहीं जिस डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगा वह डॉक्टर इतने खिलाड़ी निकले कि अपने विभाग के कर्मचारियों को आगे करके आंदोलन कर प्रशासन पर दबाव बना उल्टा कई लोगों पर अपराध पंजीकृत करा दिया पुलिस भी संवेदनशील मामला बता कर अपराध पंजीकृत करती है कितने लोगों पर हुआ क्यों हुआ यह सब जानकारी पुलिस भी देने से बच रही अब अंदर खाने में क्या चल रहा है यह तो पुलिस जाने पर सीएमएचओ के खास सलाहकार जान भी जान रहें हैं की किन पर अपराध दर्ज हुआ है, फिलहाल इस पूरे मामले में दोनों राजनीतिक पार्टी या भाजपा और कांग्रेस डॉक्टर के साथ खड़ी है क्योंकि सरकार किसी की भी रहे सीएमएचओ दोनों के साथ रहते हैं क्योंकि वह शहर के रसूखदार व्यक्ति हैं,इनका मैनेजमेंट इतना तगड़ा है कि दोनों पार्टियों के नेताओं को अपने पक्ष में कर लेते हैं अब ऐसे में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से पीडि़त ने उम्मीद लगाई है जबकि पीडि़त भाजपा की समर्थक है फिर भी भाजपा उसकी मददगार नहीं बन रही वहीं अब गोंडवाना गणतंत्र पार्टी उनकी मददगार बनेगी।
विधायक से लेकर मंत्रियों तक सीएमएचओ ने की मुलाकात
सूत्रों व जन चर्चाओं की माने तो सीएमएचओ मनेंद्रगढ़ साहब पूरी छुट्टी भर नेताओं और मंत्रियों से मुलाकात कर अपने बचाव का रास्ता तलाशते रहे जहां पर माहौल बिगड़ने पर सिर्फ एक अफवाह फैला दी गई थी क्यों नहीं निलंबित किया जा रहा है पर आज तक उनके निलंबन का आदेश नहीं आया वह सिर्फ बातों में ही अटक गया, डॉक्टर साहब बचाव के रास्ते में उन्होंने जो जो हथकंडे अपनाए उसमें वह अभी तक सफल है। वह सही तरीके से अभी तक चल रहा है अभी तक की स्थिति में डॉक्टर पर ना तो अपराध पंजीबद्ध हुआ ना ही कोई विभागीय कार्यवाही हुई, वहीं लापरवाही के इनाम पर उन्हें फिर से इस पद पर आसीन कर दिया जाएगा ऐसा माना जा रहा है। डॉक्टर ने लापरवाही की है यह सबको पता है फिर भी कार्यवाही करने की हिम्मत किसी के पास है नहीं क्योंकि डॉक्टर बहुत वह पकड़ वाले माने जाते हैं पैसे की भी इनके पास कोई कमी नहीं है और यह पैसा कैसे अर्जित किया यह भी किसी से छुपा नहीं है।
सीएमएचओ साहब की अनियमितताओं की जांच हो जाए तो खुल सकते हैं कई राज
सीएमएचओ साथ ही बीएमओ डॉक्टर तिवारी को लेकर यदि जांच की जाए तो कई राज खुल सकते हैं।।यह शहर के ऐसे डॉक्टर हैं जो शासकीय सेवा में होने का पूरा फायदा अपने निजी क्लीनिक सह अस्पताल में लेते हैं,शासकीय अस्पताल में आने वाले मरीज जिन्हे शल्य चिकित्सा की जरूरत होती है उन्हे यह सर्जन होने के नाते निजी क्लीनिक आने को कहते हैं और फिर वहीं उसका इलाज करते हैं,इलाज यदि यह शासकीय चिकित्सालय में भी करते हैं तो शुल्क अपना यह लेते ही हैं,कुल मिलाकर यह डॉक्टर होने का पूरा फर्ज निभाते जरूर हैं लेकिन शुल्क लेकर ही यह इलाज करते हैं जो जन चर्चा का भी विषय है और जो लोग पैसा देकर इलाज शासकीय अस्पताल में करा चुके हैं उनका भी कहना है। डॉक्टर तिवारी केवल शासकीय अस्पताल या अपने निजी अस्पताल में ही इलाज नहीं करते वह शहर के किसी भी निजी अस्पताल में जाकर सेवा प्रदान करते हैं सर्जन होने का शुल्क लेते हैं और यह सब कुछ वह अपने सी एम एच ओ एवम बी एम ओ होने के प्रभाव के कारण कर पाते हैं जिसकी वजह यह है की निजी अस्पताल भी इनसे इनके पद से भय खाते हैं।
शहर में कोई अच्छा सर्जन न होने की वजह से सीएमएचओ पर ही लोगों का भरोसा है इसीलिए उसका उठाते हैं गलत फायदा
डॉक्टर तिवारी सर्जन हैं और शहर में अच्छे सर्जन का अभाव है ऐसे में डॉक्टर तिवारी इसका पूरा फायदा उठाते हैं,मरीज उनके पास शासकीय अस्पताल में कम निजी क्लीनिक में ज्यादा मिलने संपर्क कर इलाज कराने जाता है क्योंकि वह जानता है की डॉक्टर साहब बिना शुल्क इलाज करेंगे नहीं इसलिए वह पहले उनसे उनके निजी क्लीनिक में मिल लेता है और फिर वह जैसा चाहते हैं वैसा उसका इलाज होता है,जरूरत पड़ने पर मरीज को शासकीय अस्पताल में इलाज की सुविधा दी जाती है और शुल्क निजी लिया जाता है।
भाजपा व कांग्रेस दोनों की सरकार में इनकी बोलती है तूती
रसूखदार होने के नाते डॉक्टर तिवारी की दोनो प्रमुख दलों की सरकार में तूती बोलती है,कांग्रेस की वर्तमान सरकार हो या भाजपा की पुरानी सरकार डॉक्टर तिवारी का कद बराबर दोनो दलों के नेताओं के बीच समान ही बना रहा है। कुल मिलाकर डॉक्टर तिवारी सभी के साथ सामंजस्य बनाकर अपना निजी क्लीनिक भी चलाते हैं और वह शासन से पैसा लेकर शासकीय डॉक्टर भी बने हुए हैं वहीं वह जिला स्वास्थ्य अधिकारी खंड चिकित्सा अधिकारी दो प्रमुख पदों पर भी एक साथ काम कर रहें हैं जिसका कोई विरोध करने वाला नहीं है।
शासकीय सर्जन ही चलाएंगे ऑपरेशन की अपनी निजी दुकान तो कैसे गरीब को मिलेगा मुफ्त किसी ऑपरेशन का लाभ
शासकीय अस्पतालों में पदस्थ सर्जन ही यदि अपनी निजी दुकान चलाएंगे तो ऐसे में गरीब को कैसे निशुल्क सर्जरी की सुविधा मिल सकेगी यह भी बड़ा सवाल है,सरकार कहने को तो सभी तरह के विशेषज्ञ डॉक्टर शासकीय अस्पतालों में पदस्थ करती है लेकिन वही निजी स्वार्थ पूरा करने निजी क्लीनिक खोलकर बैठ जाते हैं और फिर वहीं से वह इलाज करते हैं,शासकीय अस्पताल का उपयोग वह मरीज ढूंढने में करते हैं और वहां आने वाले मरीज को शासकीय अस्पताल की बुराई बताकर निजी क्लीनिक ले जाकर उसका इलाज करते हैं शुल्क लेते हैं,अब ऐसे में शासकीय अस्पताल कैसी सेवाएं दे रहा है यह समझा जा सकता है।
जब सीएमएचओ एवम बीएमओ को नहीं करना है चिकित्सक का काम,नहीं करना है जब उनको इलाज तो क्यों विशेषज्ञ चिकित्सक को दी जा रही ऐसी जिम्मेदारी
जैसा की सुनने में आ रहा है की मनेंद्रगढ़ मामले में सीएमएचओ साथ ही बीएमओ का प्रभार एक साथ सम्हालने वाले डॉक्टर का कहना है की उनका काम इलाज करना नहीं स्वास्थ्य व्यवस्था की जिम्मेदारी सम्हालना है प्रशासनिक कार्य करना है तो ऐसे में सवाल उठता है की फिर क्यों विशेषज्ञ डॉक्टरों को इन पदों की जिम्मेदारी दी जा रही है। एक तरफ सरकार विशेषज्ञ डॉक्टर हर शासकीय जिला एवम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ कर आम लोगों को बेहतर स्वास्थ्य स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने की बात करती है वहीं उन्ही विशेषज्ञ डॉक्टरों को वह प्रशासनिक जिम्मेदारी देकर उन्हें उनके मुख्य कार्य से अलग कर दिया जा रहा है। कुल मिलाकर आम जनता व्यवस्था के इन्ही चकरियो के बीच फंसा हुआ है और जब उसे अच्छी स्वास्थ्य सुविधा की जरूरत आन पड़ी तब उसे यह सोचना पड़ रहा है की कौन उसका इलाज करेगा जबकि जिनकी जिम्मेदारी है वह तो प्रशासनिक काम देख रहे हैं।


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