अनूपपुर@लाड़ली बहना के सहारे भाजपा,तो महिलाओं को रिझाने में कांग्रेस भीं पीछे नहीं

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टिकट मिलेगा या नहीं को लेकर सर्वे का दौर शुरू,दावेदार भांप रहे जनता का मिजाज
प्रदेश में अब राजनैतिक जमावट शुरू हो चुकी है जिसके तहत अब टिकट दिया जाए या नहीं के सांगठनिक सर्वे के बाद अब टिकट मिलेगा या नहीं को लेकर व्यक्तिगत सर्वे का दौर अनूपपुर में शुरू है…


मतदाताओं के फैसले से जनता का मिजाज भांपने के लिए हर स्तर पर कोशिशें तेज हो गई है, फिर बात चाहे विधायक की हो या टिकट के दूसरे दावेदारों की…


वहीं सभी दावेदारों ने क्षेत्र में भ्रमण तेज कर दिया है जिससे माननीयों के माथे पर बल पड़ना लाज़मी है…
फिलहाल शिवराज के दौरे ने भाजपा के दावेदारों के साथ-साथ कांग्रेस को भी जनता के बीच जाने को मजबूर कर दिया है…


-अरविंद द्विवेदी-
अनूपपुर,12 अगस्त 2023 (घटती-घटना)।
चुनावी मैदान में उतरने से पहले सभी दावेदार मतदाता का मिजाज भांपने व्यक्तिगत स्तर पर अपना निजी और एकल सर्वे करवा रहे हैं। कुछ तो इसलिए सर्वे करा रहे हैं ताकि अगर परिस्थितियां अनुकूल नहीं निकली तो क्यों व्यर्थ में टिकट के लिए भोपाल और दिल्ली की दौड़ लगा कर, जेब का लाखों रुपया फूंका जाए। वहीं मौजूदा विधायक इसलिए अपना निजी सर्वे करा रहे हैं क्योंकि पार्टी स्तर पर हुए सर्वे के फीडबैक ने उन्हें टिकट की दौड़ में पीछे धकेल दिया है। अब समस्या तो उन विधायकों के सामने खड़ी हो गई है जिनकी निजी एकल सर्वे में भी रिपोर्ट निगेटिव निकली। अब माननीयों की चिंता बढ़ गई है और वे सर्वे में सामने आई कमियों को दूर करने के जतन में लगे हैं। साथ ही वे दोबारा सर्वे कराने के मूड में भी हैं ताकि जनता के बीच स्थिति में सुधार हुआ या नहीं, ये जाना जा सके।


महिला मतदाता निभाएंगी निर्णायक की भूमिका


प्रदेश सरकार द्वारा 10 जून से लाड़ली बहना योजना के तहत बहनों के खाते में पैसा डाला जा रहा है। इस मुद्दे को भुनाने में भाजपा कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है, वही केंद्र सरकार द्वारा शिवराज को फ्री हैंड क्षेत्र में चुनावी माहौल बनाने के लिए कह दिया गया है जिसकी बानगी अब दिखाई भी देने लगी है। भाजपा इस बार लाडली बहना के सहारे सत्ता में वापिसी करना चाह रही है जिसके लिए प्रयास भी भरपूर किए जा रहे हैं। वही दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी ने भी सत्ता में आने पर बहनों को हर माह 15 सौ रुपए देने की बात कही है। जाहिर है इसका असर टिकट पर भी पड़ेगा क्योंकि दोनों ही पार्टियों की तैयारी यह भी है कि जहाँ महिला मतदाता निर्णायक भूमिका निभाती है, वहां मैदान में महिलाओं को उतारा जाए।


राजनीतिक उठा-पटक के लिए मशहूर अनुपपुर


अनिश्चितता की धुंध में समाए होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए घर-घर दस्तक दे रही कांग्रेस अनुपपुर विधानसभा सीट के लिए क्या पालिटिकल स्टेटजी अपनाएगी, इसको लेकर चर्चाओं का दौर अभी से शुरू हो गया है। राजनीतिक उठा-पटक के लिए मशहूर अनुपपुर विधानसभा सीट से यूं तो कांग्रेस के कई नेता चुनावी मैदान में लड़ाका के तौर पर चुनावी किला लड़ाने के लिए तैयार हैं। लेकिन इनमें से पार्टी प्रबंधन को कौन प्रभावित कर पाता है यह देखना दिलचस्प होगा। कभी कांग्रेस के लिए बेहद सशक्त मानी जाने वाली इस सीट का समीकरण बिसाहुलाल ने बिगाड़ दिया है जिसे दुरुस्त करने की कवायद कांग्रेस कर रही है। इसके अलावा प्रत्येक विधानसभा में जाति और समाज का गणित भी देखा जा रहा है जिससे सर्वसम्मति से उम्मीदवार का नाम तय किया जा सके।


दोनों दलों के दावेदार हैं पूरे दम-खम से तैयार


अनुपपुर में कांग्रेस का कारवां बढ़ाने के लिए कई नेता अपना दावा जता रहे हैं। इनमें से कांग्रेस के नए नवेले नेता रमेश सिंह तो हैं हीं, साथ ही सौम्य राजनीति का चेहरा माने जाने वाले विश्वनाथ भी है। यहां युवा चेहरों के तौर पर राजीव सिंह का नाम भी है जो अनुपपुर में कांग्रेस की नैया खेने के लिए तैयार हो रहे हैं। वही अनुपपुर सीट पर भाजपा से बात करे तो वर्तमान विधायक व मंत्री बिसाहूलाल सिंह पहले ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। इसके इतर पूर्व विधायक रामलाल भी लगातार क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं।इन सबसे जुदा बीते दिनों जिला अध्यक्ष रामदास पुरी की हवाई यात्रा ने दोनो दावेदारों की नींद उड़ा दी है। पिछले कई वर्षों से बिना पादुका के आगे बढ़ रहे रामदास को हो सकता है इस बार संगठन आगे कर इस रण को भेदने का प्रयास करे।


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