प्रधान आरक्षक की खुल सकती है पोल इसलिए नव पदस्थ पटना प्रभारी को अपनी गिरफ्त में करने की जुगत में लगे प्रधान आरक्षक
कोई है जो सुपर कॉप प्रधान आरक्षक के खिलाफ जांच कर कार्यवाही करेगा?
पटना थाना के नए प्रभारी स्वयं आकर नहीं कर सकते थे पदभार ग्रहण, जो प्रधान आरक्षक को लेकर आना पड़ा?
गांजा व सट्टा प्रकरण में पैसे के लेनदेन को लेकर प्रधान आरक्षक की भूमिका संदिग्ध, दोनों मामले पटना थाने में दर्ज
आखिर क्या वजह है की सुपर कॉप प्रधान आरक्षक की शिकायतों पर उच्च अधिकारी हो जाते हैं मौन,कहीं अधिकारियों को वश में करने में माहिर तो नहीं प्रधान आरक्षक?
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,11 अगस्त 2023 (घटती-घटना)। जब भी कोरिया जिले में खराब पुलिसिंग की बात सामने आती है तो एक प्रधान आरक्षक का नाम उसमे जरूर शामिल रहता है, यह प्रधान आरक्षक कितने चर्चित है और कितने जुगाड़ू हैं इन्हें सुपर कॉप के नाम से भी जाना जाता है, लाख शिकायत और गलतियों के बाद अधिकारियों की मेहरबानी इन पर बरसती रहती है, जिसका नतीजा यह है की किसी भी कार्यवाही से बार-बार बच निकलते हैं, इन पर कार्यवाही करने के लिए ईमानदार छवि वाले अधिकारी को कोरिया जिले की कमान देनी होगी, अब वह अधिकारी कब आएंगे यह तो समय की बात है, अनगिनत शिकायतें और कई बार हुई फजियतों के बावजूद प्रधान आरक्षक की कार्यप्रणाली में सुधार आने की संभावना दिखती नहीं है, समय दर समय इनके ऊपर आरोप ना लगे यह तो मुमकिन नहीं, पूर्व शिकायतों को छोड़ दिया जाए और वर्तमान की बात की जाए तो इनके ऊपर थाने के सामने पैसा लेनदेन की बात का भी आरोप लगा है, भले ही शिकायत नहीं हुई पर यह बात पूरी तरह से सर्वजनिक हो चुकी है, जिसका साबुत थाने के ही सीसीटीवी में कैद है, ऐसा दावा है वहीं उच्च अधिकारियों को इसकी जानकारी भी है लेकिन इसके बावजूद उस सीसीटीवी की ना तो जांच हो रही है और ना ही प्रधान आरक्षक पर कोई कार्यवाही हो रही है और ना ही इस पर कोई कार्यवाही होनी है, यह भी सभी को पता है क्योंकि प्रधान आरक्षक अधिकारियों को किस कदर गिरफ्त में ले चुके हैं यह किसी से छुपा नहीं है, सट्टा प्रकरण में भी पैसे के लेनदेन को लेकर इनका नाम खूब चर्चा में रहा, जिस वजह से कई लोग बच निकले थे और जो पकड़े थे उनसे जमकर उगाही हुई थी, जिसे लेकर चर्चा आम हुई थी, प्रधान आरक्षक जितने मामले सुलझा नहीं रहे हैं उससे ज्यादा तो उलझा कर पुलिस विभाग को ही बदनाम कर देते हैं, यही वजह है कि इनके साथ कोई काम करने को नहीं तैयार होता, जहां यह होते हैं वहां से कर्मचारी 100 कोस दूर भागना चाहते हैं कि यह काम तो खुद करेंगे और दूसरे को फंसा कर निकल जाएंगे। पर उच्च अधिकारियों को प्रधान आरक्षक कुछ ऐसे अपने गिरफ्त में कर रखे हैं कि उनसे अच्छा पुलिस वाला कोई है ही नहीं जो बड़े से बड़े मामला सुलझा सकता है, पर कई ऐसे बड़े मामले हैं जो आज तक अनसुलझे हैं जिसमें से तत्कालीन मामले पर ही गौर किया जाए तो पांडवपारा का चोरी मामला अभी तक सुलझ नहीं पाया, यहां तक कहे तो पुलिस उसको सुलझा पाने में असमर्थ है, जबकि उस मामले में भी सुपर कॉप प्रधान आरक्षक आगे होकर चल रहे थे। एक चोरी के मामले में तो प्रधान आरक्षक के कहने पर प्रभारी साहब ने एफआईआर दर्ज नहीं की यही वजह है कि पटना थाना से महज 300 मीटर दूर चोरी की घटना वाले मामले में एफआईआर दर्ज नहीं हुई, अब नए पुलिस थाना प्रभारी पदस्थ हुए हैं अब देखना है कि मामला पंजीबद्ध होता है या नहीं? और इस बार नव पदस्थ थाना प्रभारी प्रधान आरक्षक की गिरफ्त से बाहर रहेंगे या फिर उसी से सहायता प्राप्त कर आगे बढ़ेंगे यह देखने वाली बात होगी।
पटना थाना प्रभारी के सहयोग से प्रधान आरक्षक अपने दो आरोपों को निपटा सकते हैं
पटना थाना प्रभारी जो अभी हाल ही में पटना थाना प्रभारी के तबदला होने के बाद कार्यभार ग्रहण किए हैं और जिनको कार्यभार ग्रहण कराने खुद प्रधान आरक्षक पहुंचे थे, सूत्रों की माने तो प्रधान आरक्षक पटना थाने में ही लगे अपने दो आरोपों को निपटा सकते हैं, ऐसी संभावना बताई जा रही है। एक मामला पुलिस थाना पटना के सामने पैसे लेनदेन का है और जैसा कि दावा है की उक्त लेनदेन पुलिस थाना पटना के सीसीटीवी कैमरे में दर्ज है को प्रधान आरक्षक जरूर सीसीटीवी से मिटवाने का प्रयास करेंगे और वह सीसीटीवी की रिकॉर्डिंग डिलीट करा कर ही दम लेंगे यह माना जा रहा है, इसलिए वह नव पदस्थ थाना प्रभारी के साथ उनका कार्यभार ग्रहण कराने भी पहुंचे थे जिससे पटना थाने का उनके खिलाफ का मामला वह थाना प्रभारी से निपटावा सकें। अब थाना प्रभारी प्रधान आरक्षक के मामले को निपटाते हैं यह निष्पक्ष होकर मामले में प्रधान आरक्षक के विरुद्ध जांच करते हैं सीसीटीवी की रिकॉर्डिंग सुरक्षित रखते हैं यह देखने वाली बात होगी।
पटना थाना की सीसीटीवी के फुटेज को रखना होगा सुरक्षित पर क्या रख पाएगी पुलिस उसे सुरक्षित?
पटना थाने की सीसीटीवी फुटेज में प्रधान आरक्षक की पैसे की लेनदेन जो थाने के समाने हुई है वह दर्ज हुई है। प्रधान आरक्षक का लेनदेन सीसीटीवी में दर्ज हुआ है यह दावा पूरे विश्वास के साथ किया जाने वाला दावा है, अब देखना यह है की क्या उस सीसीटीवी फुटेज को नव पदस्थ थाना प्रभारी सुरक्षित रख पाते हैं या फिलहाल जिले में थाना प्रभारियों के ऊपर भी हुक्म चला रहे प्रधान आरक्षक के कहने पर उसे डिलीट कर देते हैं मिटा देते हैं।
प्रधान आरक्षक जिले में थाना प्रभारियों से भी ऊपर,उन्हे मिला हुआ है विशेष अधिकार,क्या यह अधिकार है नियमानुसार
सूत्रों की माने तो सुपर कॉप प्रधान आरक्षक जो अभी जिले के सभी थाना प्रभारियों से ऊपर रहकर काम कर रहे हैं और जिनका आदेश थाना प्रभारियों को भी मानना मजबूरी है, क्योंकि उन्हें विशेष अधिकार इसके लिए मिला हुआ है। प्रधान आरक्षक को मिला विशेष अधिकार क्या नियमानुसार है क्या विभाग में सुपर टीम गठन का कोई नियम है यह भी एक बड़ा सवाल है। वैसे कोरिया जिले में अभी पुलिस विभाग एक प्रधान आरक्षक की गिरफ्त में है और वह जैसा जब जो करना चाहे वह स्वतंत्र है और उसके विरुद्ध हुई किसी शिकायत पर भी विभाग मौन रहता है माना जाता है वह अधिकारियों की दुखती रग से वाकिफ है और उसी का फायदा उठाकर वह अपनी मनमानी लगातार कर रहा है।
आखिर पुलिस विभाग अपने विभाग के कर्मचारियों के विरुद्ध हुई शिकायतों की जांच को लेकर क्यों हो जाता है मौन,जांच के नाम पर केवल मामले को दबाने में विश्वास
पुलिस विभाग अपने कर्मचारियों की होने वाली शिकायतों को लेकर जांच की ही बात केवल करता है,पुलिस विभाग अपने कर्मचारियों को बचाने हर स्थिति में तैयार रहता है जबकि मामला किसी और से जुड़ा हो वह तत्काल कार्यवाही करता है। पुलिस विभाग का काम है कानून की मौजूदगी साबित करना लेकिन अपने ही विभाग के कर्मचारियों की मनमानी वह नहीं रोकता और जब शिकायत सामने आती है वह जांच की बात कर मामले को ठंडे बस्ते में डालने का प्रयास करता है। सवाल उठता है ऐसा क्यों है,क्या पुलिस विभाग जो स्वयं जांच और कार्यवाही के लिए किसी अपराध या शिकायत की अधिकृत है और जब शिकायत उसके ही कर्मचारी की हो जाए वह अपने अधिकार का दुरुपयोग करता है और दोषी पुलिसकर्मी को बचाता है यही सही है। वैसे पुलिस को निष्पक्ष होने का शपथ मिला हुआ होता है लेकिन अपने मामलो में उनकी निष्पक्षता कहां जाति है यह बड़ा सवाल है।
क्या जिले के पुलिस थाने अपराध रोक पाने में हो रहे हैं असफल, क्या इसीलिए बना है स्पेशल दस्ता,यदि ऐसा है तो पुलिस थानों की क्या है उपयोगिता?
कोरिया जिले में पुलिस विभाग ने स्पेशल दस्ता गठित किया है जो प्रत्येक थाना क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से खुद कार्यवाही कर रहा है, यह दस्ता किसी भी थाना क्षेत्र में बिना थाना प्रभारी की अनुमति कहीं भी छापामार कार्यवाही करता है साथ ही यह लगातार थाना क्षेत्र के प्रत्येक मामलों में आगे रहकर काम करता है,अब ऐसे में सवाल यह उठता है की क्या जिले के पुलिस थाने साथ ही वहां के पुलिसकर्मी अपने थाना क्षेत्र में कार्यवाही कर पाने में असफल साबित हो रहे हैं, क्या वह क्षेत्र में अपराध पर अवैध कार्यों पर अंकुश लगा पाने में नाकाम साबित हो रहें हैं? इसीलिए स्पेशल दस्ता बनाया गया है,यदि ऐसा है तो फिर पुलिस थानों की उपयोगिता क्या है यह बड़ा सवाल है। वैसे स्पेशल दस्ता किसी भी थाना क्षेत्र में उस थाने के पुलिसकर्मियों की बिना जानकारी लगातार कार्यवाही कर रही है और जिससे यह भी साबित हो रहा है की पुलिस थाने नाकाम हैं कार्यवाही करने में।
क्या स्पेशल दस्ता कोयले और कबाड़ के अवैध कारोबार पर भी अंकुश लगाएगा,इन कारोबारों पर कभी अंकुश लगा पान में पुलिस थाने रह चुके हैं नाकाम
जिले का स्पेशल दस्ता क्या जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में होने वाले कोयला और कबाड़ के अवैध कारोबार पर भी अंकुश लगाएगा यह भी एक बड़ा सवाल है। आज तक इन कारोबारों पर कोई पुलिस थाना अंकुश नहीं लगा सका है अब देखना है की यह स्पेशल दस्ता किस तरह इस अवैध कारोबार पर अंकुश लगाता है,या इस मामले में जिसमे सबकुछ सफेदपोशों की निगरानी में होता है वह कभी बंद नहीं होने वाला कारोबार बना रहेगा।