बैकुण्ठपुर@कोरिया जिला पुलिस का नया कारनामा,चोरी का सामान खुद कर रहे थे इस्तेमाल,दूसरी चोरी के बाद खुली पोल

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  • पहली चोरी के जब्त सामान को उसके मालिक को सुपुर्द करने की बजाए पुलिसकर्मी कर रहे थे उपयोग
  • दूसरी चोरी के बाद साइबर टीम ने की जांच तो खुली पोल,एक पुलिसकर्मी हुआ लाइन हाजिर
  • कहीं वसूली की खबरें,कहीं अवैध कार्यों में संलिप्तता की बात अब चोरी में भी हिस्सेदारी, क्या यही है पुलिस का असली काम
  • मामला उजागर होने के बाद निलंबित करने के बजाए दो पुलिसकर्मियों को किया लाइन हाजिर
  • चोरी के बरामद सामान को दूसरे के ऊपर लादकर पुलिस को बचाने का प्रयास:सूत्र
  • चोरी की वारदात बढ़ रही जिले में फिर भी पुलिसकर्मी अपने ही कारनामों से पुलिसिंग को कर रही बदनाम
  • आखिर कोरिया पुलिस पर लोगों का भरोसा कैसे आएगा वापस?
  • कोरिया पुलिस की स्तरहीन कार्यप्रणाली जनता के लिए बना समस्या

-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर, 07 अगस्त 2023 (घटती-घटना)। चरचा में एक डॉक्टर के घर हुई चोरी में एक महीने तक पुलिस ने नहीं लिखा एफआईआर…चोरी का समान पुलिस ने कर किया बरामद…सोचा की दब जाएगी बात और खुद चोरी का सामान पुलिसकर्मी करते रहे इस्तेमाल…दूसरे चोरी की घटना होने पर हुआ खुलासा, अब एफआईआर भी होगा और पुलिस की बदनामी को बचाने का प्रयास भी।
पुलिस लोगों की सुरक्षा के लिए होती है पर पुलिस से सुरक्षा पाना क्या लोगों के लिए आसान रह गया यह बड़ा सवाल है? और खासकर कोरिया में तो और दिक्कत है, कोरिया में एक मामला सामने आया है जो अजीबोगरीब है यह मामला विशेष सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार है 7 जुलाई को चरचा में पदस्थ एक डॉक्टर के घर चोरों के द्वारा चोरी की घटना को अंजाम दिया जाता है, जिस घटना में चोर डॉक्टर के घर में रखा नया मोबाइल, कैमरा और कुछ सोने के आभूषण ले जाते हैं, जिसकी सूचना डॉक्टर के द्वारा थाने में दी जाती है पर एफआईआर दर्ज नहीं की जाती है और इसी बीच चरचा थाने की पुलिस चोर से चोरी के सामान को बरामद कर लेती है पर एफआईआर दर्ज ना होने की वजह से वह चाहती है कि यह मामला दब जाए और चोरों को बचाने के लिए चोरी के सामान को चोर से ले लेते हैं और खुद इस्तेमाल करने लगते है, इसकी पोल तब खुलती है जब चरचा के एसईसीएल अस्पताल के सीएमओ के घर फिर चोरों का हमला होता है, जिसके बाद साइबर की टीम जांच में जाती है और वहां पर वह डॉक्टर बोल देती है कि उसके यह भी चोरी हुई है, जिस डाक्टर के यहां की चोरी का सामान बरामद कर पुलिसकर्मी उपयोग कर रहे थे, गठित टीम पीçड़त डाक्टर से चोरी हुए मोबाइल का ईएमआई नंबर मांग लेती है और जब उस नंबर को पता किया जाता है तो वह पुलिस वाले के पास मिलता है, फिर पूरा मामला ही खुलकर सामने आ जाता है, पर जैसे ही इस मामले का खुलासा होता है 2 में से एक कर्मचारियों को चरचा थाने से लाइन हाजिर कर दिया जाता है, और मामले को दबाने का प्रयास शुरू हो जाता है। इस मामले में जो 2 पुलिस वालों का नाम आ रहा है उसमें एक प्रधान आरक्षक प्रेमलाल और दूसरा नाम आरक्षक साकेत का सामने आ रहा है, उच्च अधिकारियों को जहां ऐसे पुलिसकर्मियों को निलंबित करके कार्यवाही करनी चाहिए थी, ताकि आगे भी कोई पुलिसकर्मी ऐसा करने के लिए सौ बार सोचे, लेकिन पुलिसकर्मियों को ही बचाने के लिए अधिकारी लग गए और अधिकारी उस सामान को चोर से बरामद हुआ है ऐसा कह कर पुलिस कर्मचारियों को बचाने में लगे हुए हैं। घटती-घटना इस की पुष्टि नहीं करता है पर मामले की निष्पक्ष जांचा की मांग जरुर करता है।
एसईसीएल रीजनल अस्पताल चरचा में पदस्थ डॉक्टर एस मींस के घर हुई थी चोरी
7 जुलाई 2023 को एसईसीएल रीजनल अस्पताल चरचा में पदस्थ डॉ एस मींज के पिता की तबीयत खराब होने की वजह से रांची गई हुई थी इस बीच उनके घर चोरों ने धावा बोला और उनके घर में रखा नया मोबाइल, कैमरा और कुछ आभूषण सहित कुछ समान तकरीबन 70-80 हजार की चोरी थी, रांची से आने के बाद डॉक्टर ने इसकी शिकायत चरचा थाने में देने गई थी पर उस पर एफआईआर नहीं हो पाया था, जैसे जैसे दिन बीत रहा था वैसे वैसे यह मामला दबता जा रहा था और चोरी बड़ी ना होने की वजह से डॉक्टर भी इस मामले में शांत थीं, अचानक 5 अगस्त 2023 को उसी अस्पताल में पदस्थ सीएमओ डॉ. कल्याण सरकार के घर भी चोरी हो जाती है, जिसके बाद पुलिस अधीक्षक द्वारा गठित टीम उसकी जांच करने पहुंचती है और इसी बीच उन पुलिस वालों से डॉ एस मिंज की मुलाकात हो जाती है, और वह कहती हैं कि उनके घर भी चोरी हुई थी जिस पर वह पुलिसकर्मी उनसे जानकारी मांगते हैं और वह उस मोबाइल का ईएमआई नंबर दे देती हैं, उसके बाद क्या था पुलिस जब उस नंबर को जांच करती है तो पता चलता है कि वह मोबाइल एक पुलिसकर्मी के घर में है जिसके बाद पुलिस भी अपना माथा पीट लेती है पुलिस भी अब क्या करें पुलिस की बदनामी होनी है इसलिए पुलिस भी मामले को ठंडे बस्ते में डालने के लिए एक तरकीब निकाल रखी है।
पटना चोरी में भी नहीं हुआ एफआईआर
पुलिस थाना पटना अंतर्गत भी कई चोरी के वारदात हाल फिलहाल में घटे हैं और मामलों में प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है,प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की गई है ,प्रथिमिक दर्ज क्यों नहीं की गई है यह तो पटना पुलिस ही बता सकती है लेकिन पुलिस थाना चरचा में जैसी घटना घटी है उसको देखकर पटना थाना अंतर्गत घटित चोरियों का समान बरामद हो चुका होगा ऐसा मानना गलत नहीं होगा। चोरी मामला पंजीबद्ध करने से क्या पुलिस इसी लिए बचती है यह भी सवाल उठ रहा है।
कोरिया पुलिस की कार्यप्रणाली पर लग गया सवालिया निशान
चरचा में पुलिसकर्मियों ने जो कुछ किया वह पुलिस विभाग के लिए बेहद शर्मनाक बात है, जिस पुलिस के होने की बात मानकर लोग निश्चिंत रहते हैं यदि वही चोरों से मिली हो तब समझा जा सकता है की सुरक्षा का जिम्मा सम्हालने वाले अपने कर्त्तव्य के प्रति कितने ईमानदार हैं। पुलिसकर्मियों का कृत्य जो चरचा से समाने आया है उसके बाद पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग गया है। अब चोरी के मामलो में पुलिस पर जिले के लोग कितना विश्वास करेंगे यह भी सोचने वाली बात है और लोग चोरी हो जाने पर रिपोर्ट करने से भी परहेज करेंगे क्योंकि वह यही सोचकर चुप रह लेंगे की जब बरामद होने के बाद समान पुलिसकर्मी ही उपयोग करेंगे तो फिर क्यों रिपोर्ट करना।
अवैध कार्यों को संरक्षण,जबरन वसूली की शिकायतें पहले भी पुलिस को लेकर आती रहीं हैं सामने
कोयले के अवैध कारोबार,कबाड़ के अवैध कारोबार की बात हो या फिर जबरन वसूली की कोरिया पुलिस पर ऐसे आरोप लगते ही रहे हैं और पुलिस की छवि धूमिल होती ही रही है लेकिन ताजा घटना सोने पर सुहागा कहावत को चरितार्थ करती साबित होने जा रही है जहां विश्वास से चोरी की रिपोर्ट करने वाले के सामान की बरामदगी कर पुलिस खुद उसका उपयोग करती जा रही थी जो जांच में सामने आने के बाद अब पुलिस अपनी साख बचाने में लगी हुई है।
प्रधान आरक्षक हुए लाइन हाजिर,मददगार आरक्षक अभी भी हैं थाने में पदस्थ
चरचा पुलिस थाने में चोरी का सामान जब्त कर बिना उसके मालिक को सुपर्द किए या जानकारी दिए उपयोग करने के मामले में साइबर टीम की जद में आए प्रधान आरक्षक को तो लाइन हाजिर कर दिया गया लेकिन उनके मददगार आरक्षक आज भी थाने में पदस्थ हैं और यह भी चर्चा का विषय है।बताया जाता है की मामले में दोषी पाए गए प्रधान आरक्षक और उक्त आरक्षक की जोड़ी काफी प्रसिद्ध थी थाना क्षेत्र में और कोई भी काम दोनो मिलकर किया करते थे। अब सवाल यह उठता है की इस मामले में भी दोनो साथ साथ एक राय जरूर रहे होंगे और ऐसे में आरक्षक को छोड़ देना समझ से परे है।
मनचाही जगह आज भी पदस्थ है एक पुलिसकर्मी
चरचा थाने में एक पुलिसकर्मी अपनी मर्जी से पदस्थ हुआ और आज भी वह वहीं जमा हुआ है,उसे मनचाही जगह पदस्थ रहने का जैसे वरदान मिला हुआ है। कई वर्षों से पदस्थ उक्त पुलिसकर्मी को लेकर यही कहा जा सकता है की मनचाही पोस्टिंग में वह महारत रखे हुए हैं। ऐसे ही एक आरक्षक है जिन्हें वर्दी से परहेज है पटना थाना में रखते हुए उन्होंने तो बिना वर्दी पहना, नहीं फिर अचानक उनका तबादला चरचा थाने हो गया था पर चरचा थाना उन्हें रास नहीं आया, जुगाड़ बना कर फिर से पटना थाने में ही पड़े हैं, ऐसा लग रहा है कि पटना में रहना है इनकी मजबूरी। बिना वर्दी के इस आरक्षक की पहचान है बिना वर्दी वाला आरक्षक बोलने से कोई भी जान जाएगा कि कौन आरक्षक है वसूली में माहिर है नशे में धुत रहना उनका काम है।
नहीं हो पाई बात
इस संबंध में पुलिस अनुविभागीय अधिकारी बैकुंठपुर से बात करने का प्रयास किया गया पर संपर्क ना होने की वजह से बात नहीं हो पाई।


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