- 2023 में दोनों को एक साथ चुनाव लड़ने का मौका मिलता तो भईयालाल के पास अपनी हार का बदला लेने व अंबिका के पास दिग्गज नेता को दोबारा मात देने का होगा मौका
- भईयालाल राजवाड़े का घमंड जनता तोड़ चुकी अब क्या अंबिका सिंहदेव का भी घमंड तोड़ना चाहती है जनता?
- दोनों के कार्यकाल की समीक्षा 2023 विधानसभा चुनाव के परिणाम से होगा,लोगों का है मानना
- बैकुंठपुर विधानसभा के चुनावी खेल में वर्तमान व पूर्व के बीच टक्कर चाहती है जनता, जिससे इस बार मुकाबला बराबरी का हो
- वर्तमान विधायक सहित विधायक समर्थक नहीं चाहते सामने हों चुनाव में भईयालाल, भईयालाल से चुनाव जीतना होगा मुस्किल उनका है मानना
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 05 अगस्त 2023 (घटती-घटना)। विधानसभा चुनाव 2023 के लिए बहुत ही कम समय बचा है, जैसे जैसे समय बीत रहा है वैसे वैसे चुनाव को लेकर सरगर्मियां बढ़ रही हैं, छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में इस बार एक चीज तुलनात्मक होगी, वह है चेहरे और शासन के कार्यकाल का, इस बार जनता फैसला तुलना पर करेगी पहले के सरकार के विधायक मंत्री बेहतर थे या अबकी बार वाले विधायक मंत्री बेहतर हैं? सारी चीजों की समीक्षा तुलनात्मक होगी और जनता दोनों की बुराई और अच्छाई की गणना करेगी, जिसकी अच्छाई ज्यादा होगी जनता उसे मौका देगी, ऐसा इस समय जनता के बीच सुनने को मिल रहा है, लुभावने वादे कम फ्री की स्कीम पर भी जनता का नहीं होगा फोकस, जनता का सिर्फ ध्यान होगा तुलना कर अपने लिए जनप्रतिनिधि चुनने में, यही वजह है कि जनता पूर्व व वर्तमान चेहरे के बीच ही मुकाबला देखना चाह रही है, जिस कड़ी में बैकुंठपुर विधानसभा की बात की जाए तो बैकुंठपुर विधानसभा के लोगों का यह मानना है कि चुनाव यदि हो तो वर्तमान विधायक व पूर्व विधायक के बीच मुकाबला हो, पिछली बार की ही तरह फिर से मुकाबला देखने को लोगों को मिले ताकि इस बार का परिणाम यह तय कर सके कि कौन बेहतर जनप्रतिनिधि है या था?
जनता ने पूर्व विधायक भईयालाल राजवाड़े का घमंड 2018 के चुनाव में तोड़ दिया था अब वर्तमान विधायक के समर्थकों का कहना है कि वह इस बार 10000 से अधिक मतों से अपने सामने वाले प्रत्याशी को पराजित करेंगी, अब यह आत्मविश्वास किन विकास कार्यों को लेकर है यह तो सोचने वाली बात है, वही पूर्व कैबिनेट मंत्री भईयालाल राजवाड़े के बारे में लोगों का यह कहना है की वर्तमान विधायक से अच्छा तो पूर्व का कार्यकाल था क्योंकि अब तुलना हो चुकी है 5 साल के कार्यकाल से 10 साल का कार्यकाल लोग बेहतर मान रहें हैं, 10 साल जनता ने पूर्व कैबिनेट मंत्री भईयालाल राजवाड़े को मौका दिया, उस समय उनके भी तेवर काफी कड़े थे और घमंड उनमें भी दिखने लगा था, जिसे लेकर जनता ने उनके घमंड को चकनाचूर कर दिया, और उन्हें विधानसभा में नई नवेले प्रत्याशी से हार का सामना करना पड़ा, अब नए नवेली प्रत्याशी के भी 5 साल का कार्यकाल जनता ने देख लिया गया है और इस बार तुलना पुराने जनप्रतिनिधि व वर्तमान जनप्रतिनिधि के बीच जनता कर रही है, हर दिन समीक्षा चौक चौराहों पर होती है जिसमें लोगों का यही मानना है कि यह चुनाव पूर्व व वर्तमान विधायक के बीच होने चाहिए ताकि इस बार यह पता लग सके की असली जन नायक कौन है? इस बार मौन मतदाताओं की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण होगी, इस बार व्यक्तित्व की पहचान होगी इस बार यदि इन दोनों के बीच मुकाबला होता है तो बहुत सारी चीजें छनकर सामने आएंगी, दोनों नेताओं का जनाधार भी इस बार समझ में आएगा, इस बार यह समझ में आएगा कि जनता की नाराजगी किस विधायक प्रत्याशी से ज्यादा है?
वर्तमान विधायक और उनके समर्थक नहीं चाहते सामने हों भईयालाल राजवाड़े प्रतिद्वंदी
बैकुंठपुर विधानसभा में यदि वर्तमान विधायक और उनके समर्थकों की मंशा जानी जाए तो यह बात सामने आएगी की वह भी भाजपा से भईयालाल राजवाड़े को प्रत्याशी नहीं चाहते हैं। भईयालाल राजवाड़े के चुनाव में सामने होने से वर्तमान विधायक का चुनाव जीतना निश्चित नहीं है यह उनके समर्थक भी कहते सुने जा सकते हैं। भईयालाल राजवाड़े का जनाधार और उनकी लोकप्रियता साथ ही उनके कार्य करने के ढंग साथ ही जनता से उनके मिलने का ढंग जैसा मंत्री रहकर भी बना हुआ था, वैसा वर्तमान विधायक के व्यवहार में शामिल व्यवहार कभी लोगों को नजर नहीं आया वह लोगों से जुड़ पाने में असमर्थ रहीं, यह मानने वाले विधायक के ही करीबी हैं। जैसा सुनने को मिलता रहता है की स्वयं विधायक भी चाहती हैं की भईयालाल राजवाड़े उनके प्रतिद्वंदी न हों क्योंकि उनके सामने उनकी जीत तय नहीं है और इसका प्रमाण भी समाने आ चुका है, जब जिला पंचायत के उप चुनाव में भईयालाल राजवाड़े की पुत्रवधु रिकार्ड मतों से विजई हुईं, जबकि शासन सत्ता का भी पूरा जोर विधायक ने लगाने से परहेज नहीं किया। जिस जिस जगह विधायक स्वयं प्रचार में गईं वहां जमानत भी पार्टी समर्थित प्रत्याशी की नहीं बची जो परिणाम से सामने आया।
वर्तमान विधायक और पूर्व विधायक यदि होंगे चुनाव में आमने-सामने उनकी कार्यों की भी होगी परीक्षा,जो जीत सका वही माना जाएगा बेहतर
पिछले चुनाव में भईयालाल राजवाड़े चुनाव हार गए थे, उन्हे वर्तमान विधायक ने अच्छे मतों से पराजित किया था, उस समय यह माना गया था की सत्ता विरोधी लहर में भईयालाल राजवाड़े चुनाव हार गए हैं और उनकी लोकप्रियता साथ ही उनके द्वारा किए गए कार्यों से जनता नाराज नहीं थी बल्कि संयोग था जो उन्हे मात मिली, इस चुनाव में यदि वर्तमान विधायक साथ ही भइयालाल राजवाड़े यदि आमने सामने होंगे तो चुनाव परिणाम यह तय करेगा की कौन बेहतर है। किसका कार्यकाल बेहतर रहा है क्योंकि वर्तमान सहित पूर्व के कार्यकाल की समीक्षा जनता कर रही है और लगातार कर भी रही है। अब टिकट वितरण के बाद यह तय हो सकेगा को कौन कौन आमने सामने होगा लेकिन जनता वर्तमान व पूर्व के बीच ही टक्कर चाहती है जो जनता से विचार से सामने भी आ रहा है।
पिछड़ा वर्ग समाज का अच्छा खासा है जनाधार,भईयालाल राजवाड़े को इसका भी मिलेगा फायदा
बैकुंठपुर विधानसभा में पिछड़ा वर्ग समुदाय की संख्या अच्छी खासी है मतों के हिसाब से भी यह संख्या निर्णायक है, भइयालाल राजवाड़े भी पिछड़ा वर्ग समुदाय से आते हैं और विधानसभा में उनके भी समाज का अच्छी संख्या है जो उनके लिए हर स्थिति में खड़ी रहने वाली है। ऐसे में भईयालाल राजवाड़े को प्रत्याशी बनाए जाने से समाज का भी भरपूर समर्थन उनको मिलेगा जिसमे कोई शक बिल्कुल भी नहीं है। ऐसे में भईयालाल राजवाड़े एक सशक्त प्रत्याशी बनकर आज भी मैदान में हैं और जिनका विकल्प भी फिलहाल भाजपा में नहीं है।
पिछला चुनाव भईयालाल राजवाड़े का घमंड तोड़ने वाला साबित हुआ था,क्या इस बार खुद में बदलाव लाकर भईयालाल राजवाड़े तय करेंगे अपनी जीत
पिछले चुनाव में जहां एक तरफ यह माना गया था की भईयालाल राजवाड़े सत्ता विरोधी लहर की वजह से चुनाव हार गए थे वहीं यह भी माना गया था की चुनाव परिणाम उनका घमंड तोड़ने वाला साबित हुआ था, इस बार यदि भईयालाल राजवाड़े को उनकी पार्टी मौका देती है तो क्या वह अपनी पुरानी गलतियों को दूर करते हुए चुनावी मैदान में होंगे और जीत अपनी तय करेंगे यह भी सवाल सामने है। भईयालाल राजवाड़े अपनी जीत सुनिश्चित करने किस तरह जनता के बीच जाएंगे यह भी देखने वाली बात होगी यदि वह प्रत्याशी बनाए जाते हैं।
भईयालाल को टिकट नहीं मिलने पर होगी अंदरूनी बगावत
वर्तमान विधायक और उनके समर्थक यह मानकर चल रहें हैं की जैसा सुनने में भी आ रहा है की यदि भईयालाल राजवाड़े को टिकट नहीं मिलता है तो भाजपा से किसी और को उम्मीदवार बनाया जायेगा और ऐसे में भाजपा में बगावत तय है क्योंकि भाजपा में कई नेता टिकट की कतार में हैं,अब ऐसे उम्मीदवार जिन्हे टिकट नहीं मिलेगा और वह नाराज होगें तो वह बगावत करेंगे जिसका फायदा वर्तमान विधायक को होगा यह भी वह मानकर चल रहें हैं,लेकिन यह मानना की भाजपा में बगावत होगी यह भी पूर्ण रूप से सही नहीं माना जा सकता क्योंकि भाजपा अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को यह जरूर समझा रही है की पहले सत्ता में वापसी जरूरी है पद और टिकट की लालसा में कहीं सत्ता ही दोबारा हांथ से न चली जाए जिसको लेकर विचार करना जरूरी है।