- आखिर यह रिश्वत की प्रथा कब होगी खत्म..तनख्वाह के बावजूद लोक सेवक रिश्वत को ही क्यों मान रहें हैं अपना अधिकार?
- पेट्रोल पंप संचालक से रिश्वत की हुई थी मांग
- छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार का लगातार सामने आ रहा कारनामा,हर शासकीय विभाग में जारी है भ्रष्टाचार
- भ्रष्टाचार पर लगाम लगा पाने में सरकार भी लगातार हो रही नाकाम,प्रदेश में भ्रष्टाचार अपने चरम पर
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 04 अगस्त 2023 (घटती-घटना)। शासकीय दफ्तरों के शासकीय अधिकारी व कर्मचारियों द्वारा रिश्वत मांगने व लेने की बात आम हो चली है, छत्तीसगढ़ में तो इस तरह के भ्रष्टाचार ने हद ही पार कर दी है,शिक्षा विभाग में करोड़ों का भ्रष्टाचार और उसपर कार्यवाही अभी जारी ही थी की अब कोरिया जिले से नई खबर सामने आई है जहां रिश्वत लेते अधिकारी कैमरे में कैद हुए हैं, प्रदेश में शासकीय अधिकारी कर्मचारी को रिश्वत लेने में अब डर भी नहीं लगता क्योंकि यह भी जानते हैं कि कार्यवाही तो कुछ होने नहीं है, जिस वजह से रिश्वत के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे, सरकार भी इस पर पाबंदी नहीं लगा पा रही है या कहा जाए तो सरकार भी रिश्वतखोर कर्मचारी व अधिकारियों के सामने नतमस्तक है या फिर उन्हीं के सह पर यह सब हो रहा है? एक बार फिर कोरिया जिले से रिश्वत लेने का मामला सामने आया है, इस बार कोरिया जिले के खाद्य अधिकारी रिश्वत लेते कैमरे में कैद हो गए। खाद्य अधिकारी इतने रिश्वत के भूखे हैं कि रिश्वत के पैसे को भी पूरी तरीके से गिन के पूरे होने पर ही उन्होंने पैसे को लिया, नोट कम ना हो इसलिए सामने गिनवा कर लिया।
जानकारी के मुताबिक पेट्रोल पंप संचालक को डरा कर कि उनके पेट्रोल पंप पर कार्यवाही हो जाएगी और यह कार्यवाही भी इसलिए हो जाएगी क्योंकि उन्होंने एसडीएम के वाहन में डीजल डालने से इंकार कर दिया था, जिसके बाद एसडीएम का डर दिखाकर खाद्य अधिकारी पेट्रोल पंप संचालक से 20000 की डिमांड करते हैं, साहब का डिमांड फिलहाल 20 हजार रूपये का रहा, पर इन्हे 20 मिंनट के भीतर दस हज़ार रूपये दिए गए, साहब जेब में रख लिए। संचालक का कहना था की एसडीएम बैकुंठपुर की सरकारी गाडीयों में डीजल -पेट्रोल डलवा तो लिया जाता है परन्तु सरकारी बिल सरकारी तरीके से पास होता है, जिससे थककर इन्होने एसडीएम बैकुंठपुर की शासकीय गाड़ी में पेट्रोल देने में असहमति जताई थी, बाद में जिले के खाद्य अधिकारी व्ही एन शुक्ला ने यह कहकर इन्हे प्रताçड़त करना शुरू कर दिया की मेडम नाराज हैं पर हम आपकी मदद करेंगे फिलहाल 20 हज़ार पहुंचा दो, पेट्रोल पम्प संचालक का कहना है की 60 हजार रिश्वत के तौर पर कुछ माह पहले ही इन्होने खाद्य अधिकारी को दिया था, अब फिर से 20 हजार देने कहा गया, इनका पेट इनके सैलरी से नहीं भरता यह भी कहा जा सकता है। पेट्रोल पंप में जाकर जिन वजहों से पंप के मालिक को परेशान किया गया, संचालक को परेशान भी इसलिए किया गया की वो बिल यदि हाथ से बना है तो कार्रवाई तय है , स्टॉक का डिटेल यदि हिंदी में लिखा है या इंग्लिश में तो भी कार्रवाई तय है, ऐसे-ऐसे मामलों में यदि पम्प संचालकों से खाद्य अधिकारी वसूली करते हैं तो अंदाजा लगाइए जो सीधे पेट्रोल में मिलावट कर पेट्रोल बेचते हैं उनसे इनका महीने में कितना रिश्वत तय होगा? बहरहाल ये विडियो देखकर कुछ लोगों को यह भी याद आ गया होगा की अभी हाल में इसी कोरिया जिले में एक महिला पटवारी का रिश्वत लेने का ऑडिओ और उसके पहले एक और पटवारी का विडिओ भी सामने आया था, ये सभी घटनाएं ये बताने के लिए पर्याप्त हैं की इस जिले में क्या कुछ चल रहा है वैसे प्रदेश में शिक्षा विभाग का कारनामा भी नया ही है और कुल मिलाकर कहा जा सकता है की प्रदेश में ही व्यवस्था रिश्वत के भरोसे है और अधिकारी बिना रिश्वत काम नहीं करना चाहते और इसमें उन्हे शर्म भी नहीं आती, कोरिया विकास की नई गाथा लिख रहा है।
प्रदेश में भ्रष्टाचार है चरम पर, हर विभाग में जारी है भ्रष्टाचार
कोरिया जिले में खाद्य अधिकारी का रिश्वत लेते विडियो समाने आने के बाद जिले में रिश्वत लेने के मामले में इजाफा हुआ है,आए दिन ऐसी खबरे बताती हैं की बीन रिश्वत अधिकारी काम नहीं करते साथ ही रिश्वत नहीं देने पर वह परेशान अलग करते हैं। प्रदेश में शिक्षा विभाग का बड़ा भ्रष्टाचार जहां हाल ही में समाने आया था उसके बाद यह मामला सिद्ध करने काफी है की प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर है।
वेतन लेने वाले अधिकारी रिश्वत को समझते हैं अधिकार,क्या रिश्वत लेना है उनका कानूनी अधिकार?
प्रदेश में रिश्वत के मामले साथ ही भ्रष्टाचार के मामले लगातार सामने आ रहें हैं,इन खबरों से यह लगने लगा है की क्या अधिकारी जो शासन से वेतन प्राप्त करते हैं वह रिश्वत को अपना अधिकार मानते हैं,क्या उन्हे इसके लिए छूट मिली हुई है। रिश्वत के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहें हैं और अब रिश्वत मांगने वाले शर्म हया लाज भी भूल चुके हैं उन्हे केवल अपनी गर्म जेब चाहिए जिससे वह अपनी सुख सुविधा अपने घर परिवार की सुख सुविधा बढ़ा सकें भले इसके एवज में वह अपना ईमान ही बेच डालें। प्रदेश में रिश्वत लेने को कानूनी अधिकार मिल गया है ऐसा भी अब प्रतीत होने लगा है क्योंकि रिश्वत लेने वालो का मनोबल बढ़ा हुआ है।
वेतन भत्ते से नहीं भर रहा क्या अधिकारियों का पेट,नहीं कर पा रहे परिवार का भरण पोषण अधिकारी?
रिश्वत के बढ़ते मामलों के बीच यह भी सवाल उठ रहा है की क्या प्रदेश में अधिकारी रिश्वत बिना परिवार पलने में असमर्थ हो चुके हैं क्या उनका और उनके परिवार का भरण पोषण वेतन भत्तों से नहीं हो पा रहा है जिसकी वजह से उन्हें रिश्वत लेना पड़ रहा है। अब सच्चाई जो हो लेकिन शर्म हया सब छोड़कर जिस तरह प्रदेश में रिश्वत लेने अधिकारी तत्पर नजर आ रहे हैं लगता है वह शासकीय सेवा में रिश्वत लेने ही आए हुए हैं और उनके परिवार को भी रिश्वत के पैसों से ही सुख सुविधा मिल पा रहा है।
पहले रिश्वत लेना होता था झिझक और शर्म का काम, अब माना जा रहा है अधिकार
पहले रिश्वत लेना शर्म का और झिझक का काम माना जाता था और बड़ी मुस्किल से कोई रिश्वत मांगने की हिम्मत कर पाता था अब ऐसा लगने लगा है की यह रिश्वत मांगने और लेने वालो का अधिकार हो गया है और वह बड़ी बेशर्मी से इसको अंजाम दे रहे हैं।
भ्रष्टाचार सहित रिश्वत से अधिकारी बन रहें हैं धनकुबेर,क्या कर रहा है सतर्कता विभाग
प्रदेश में अधिकारी रिश्वत और भ्रष्टाचार के पैसे से धनकुबेर बनते जा रहें हैं,आए दिन उनकी संपत्ति बढ़ती चली जा रही है ऐसे में सवाल यह उठता है की सतर्कता विभाग क्या कर रहा है। अधिकारियों की संपत्ति में हो रहे इजाफे को लेकर सतर्कता विभाग क्यों संज्ञान नहीं ले रहा है। सतर्कता विभाग यदि ध्यान देता प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामले इतने बड़े पैमाने पर सामने नहीं आते।
अधिकारी कर्मचारियों की संपत्ति की हो जांच,भ्रष्टाचार के बड़े बड़े मामले आ सकते हैं
सामने प्रदेश में यदि अधिकारियों की संपत्तियों की जांच की जाए तो भ्रष्टाचार के बड़े बड़े मामले सामने आ सकते हैं। किस तरह अधिकारियों की संपत्ति में इजाफा हो रहा है कैसे इजाफा हो रहा है यह जांच का विषय होना चाहिए वरना अब वह दिन प्रदेश में दूर नहीं जब रिश्वत भी एक शुल्क के रूप में तय कर दिया जायेगा जो अभी भी लिया तो जा रहा है लेकिन तब और अधिकार के साथ लिया जाएगा