जिम्मेदार बने अनजान,दिया मौन स्वीकृति का अभयदान
कानून बनाने वालों ने ही कानून को ठेगा दिखा दिया है और जिन लोगों ने प्रदेश की बागडोर संभाल रखी है वो ही उद्योगपतियों,आईएएस,आईपीएस अफसरों
और खद्दरधारियों की फिरंगी बन गए हैं…इन दिनों जिले की सबसे बड़ी विद्युत इकाई मोजर बीयर इन दिनों सुर्खियों में है…जिसे खाक में मिलाने का काम
कोई और नहीं बल्कि मंत्री से लेकर संत्री तक कर रहे हैं…वहीं परिवहन नियमों को ठेंगा दिखाते हुए एक बार फिर राखड़ का कारोबार बेखौफ शुरू हो गया है…
-अरविन्द द्विवेदी-
अनुपपुर,03 अगस्त 2023 (घटती-घटना)। जिले के जैतहरी में संचालित विद्युत परियोजना में लगभग 1200 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। विद्युत उत्पादन के बाद कोयले से निकली राखड़ प्रदेश के विभिन्न सीमेंट फैक्टि्रयों में भेजी जा रही है। नियमों की अगर बात की जाए तो 14 चक्के के बल्करों में परिवहन नियमों के तहत 42 टन राखड़ लोड की जानी चाहिए जबकि 18 चक्के में 45 टन एवं 22 चक्के में 52 टन से ज्यादा राखड़ लोड नहीं होनी चाहिए। लेकिन परिवहन के नियमो की बात कौन करें यहां तो नियमों को तोड़कर एक बार फिर बेहिचक, बेझिझक ओव्हर लोड का सिलसिला शुरू हो चुका है।
पैसा बोलता नहीं,गूंगा बना देता है…
ऐसा नहीं है कि राखड़ के ओव्हर लोडिंग की जानकारी प्रदेश के ऊर्जा मंत्री या प्रमुख सचिव या फिर एमडी जनरेशन या फिर जिले के विधायक एवं प्रदेश सरकार में मंत्री बिसाहू लाल, जिले के कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को राखड़ के ओव्हर लोड की जानकारी नहीं है। कोल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के द्वारा मामला उठाने के बाद लगभग 15 दिनों तक तो ताप विद्युत परियोजना से राखड़ की ओव्हर लोडिग का सिलसिला थमा रहा और अधिकारी अपनी ईमानदारी का गुणगान करते रहे। किंतु एक बार फç¸र बल्करों की ओव्हर लोडिग को लेकर यातायात प्रभारी जमकर वसूली का कार्य कर रहे हैं जिन्होंने शहडोल से सबक लेना भी मुनासिफ नहीं समझा है। शायद उनका मूल उद्देश्य अपने व्यक्तिगत हितों को साधना मात्र रह गया है।
मौन स्वीकृति न बन जाए मौत का कारण…
जैतहरी स्थित मोजर बियर प्लांट से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में राखड़ से भरे अधिकांश भारी वाहन बिना उसे ढके शहर से धमाचौकड़ी करते गुजरते रहते हैं, लेकिन जिम्मेदारों को ना तो यह ओवरलोड वाहन नजर आते हैं और ना ही बिना तिरपाल लगे दौड़ते डंपर। हवा के कारण राखड उड़ता है और इन वाहनों के पीछे चलने वाले बाइक चालकों के लिए खतरा तो है ही, साथ ही इससे प्रदूषण भी फैलता है। तेज गति से दौड़ रहे बिना तिरपाल लगे ओवरलोड वाहनों से जहां वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है वही उन वाहनों के पीछे चलने वाले तथा रास्तों पर गुजर रहे आसपास रहवासियों को भी खतरा उत्पन्न होता है। लेकिन प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही न करने से इनके हौसले बुलंद है।
मातहत के दम पर राजू बन गया जेंटलमैन…
ताप विद्युत परियोजना के जिम्मेदारों ने तो अपनी ईमानदारी का दावा प्रस्तुत किया था और राखड़ के ओव्हर लोड नहीं जाने देने की बात कहीं थी। वहीं पुलिस अधीक्षक अपनी पद स्थापना से लेकर अब तक के कार्यकाल को बेदाग बताते हुए ईमानदारी के लंबे-चौड़े कसीदे लगातार पढ़ रहे हैं किंतु उनके मातहत ही उनकी छवि को बदनाम करते नज़र आ रहे हैं। सूत्रों की अगर माने तो राखड़ के ओव्हर लोड का प्रमुख कारोबारी राजू सिंह ताप विद्युत परियोजना से ओव्हर लोड राखड़ ले जाने का कम कर रहा है और इस पूरे खेल में राजू सिंह का खेल जारी है और वो प्लांट के अंदर घुसकर ओव्हर लोड वाहनों को भेजने का काम कर रहा है। इस मामले में पुलिस अधीक्षक ने ठोस कार्यवाही का आश्वासन जरूर दिया था लेकिन उनका यह आश्वासन कहां गुम हो गया यह समझ से परे हैं।
नियमों को धता बता बेखौफ दौड़ रहे वाहन
वर्तमान समय में नियमों को धता बताते हुए राखड़ से भरे ओवरलोड वाहन सड़को पर बेखौफ दौड़ रहे हैं लेकिन प्रशासन की नजर अब तक इन पर नहीं पड़ी है। यही कारण है कि यह वाहन बेरोकटोक 24 घंटे नगर के मुख्य मार्ग से आवाजाही कर रहे हैं जबकि अन्य वाहनों के लिए प्रशासन शक्ति दिखाती है। यही कारण है कि ये वाहन अब लोगों के लिए परेशानी का सबब बन चुके हैं। जबकि समय-समय पर नगर वासियों द्वारा शासन प्रशासन से इस संबंध में कठोर कार्यवाही का निवेदन किया जाता रहा है। लेकिन ना जाने किसके डर अथवा शह के कारण इन वाहनों के चालान तो दूर की बात, रोक कर इनसे ओवरलोड अथवा नियमों का पालन करने के बारे में पूछने तक की जहमत नहीं उठाई जाती।
चंद सिक्कों के फेर में जिम्मेदार बने अंधे
राखड़ से भरे ओवरलोड हाईवा फर्राटा मारकर नियम और कायदों को रौंदते हुए धड़ल्ले से निकल रहे हैं। वहीं कानून के रखवाले सिर्फ अपनी जेब भरने में लगे हुए हैं। जबकि इससे सड़क उखड़ रही है, जिससे शासन को करोड़ों की क्षति हो रही है जो जनता की खून-पसीने की कमाई है। 24 घंटे फराटे मारकर चलती ओवर लोडिंग गाडç¸यां जिले के सड़कों को बदहाली तक पहुंचा रही है। ऐसा नहीं है कि फराटे मारकर राखड़ से लदी ओवरलोड गाडç¸यों के बारे में कोई नहीं जानता, या यूं कहे कि इन ओवरलोड वाहनों को अपनी मौन स्वीकृति देते हुए अधिकारी अनजान बने बैठे हैं। जिसके कारण रात-दिन जिले की सड़कों पर पाराशर की गाडç¸यां छाती चीरकर ओवरलोडेड बेखौफ दौड़ रही है और राजू सिंह के चंद सिक्को के फेर में जिम्मेदारों ने आंखे फेर रखी है।