अंबिकापुर/ कोरिया@संयुक्त संचालक शिक्षा सरगुजा हुए निलंबित,भ्रष्टाचार का लगा था आरोप

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  • फर्जी मेडिकल प्रमाण-पत्र,पद हाइड कर,आपसी सहमति का आधार तैयार कर,पदस्थापना आदेश जारी होने के बाद संशोधन कर पदस्थापना में हुआ था भ्रष्टाचार…
  • कमिश्नर जांच में भ्रष्टाचार की हुई पुष्टि,स्कूल शिक्षा विभाग ने दोषी पाए जाने पर किया निलंबित
  • क्या भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही के बाद दोषपूर्ण तरीके से पोस्टिंग पाए शिक्षकों की पोस्टिंग भी होगी निरस्त?
  • पदोन्नति पदस्थापना प्रक्रिया में शासन के नियमों की अनदेखी कर पदस्थापना करने का है आरोप,आरोप सच साबित होने पर हुई कार्यवाही
  • फिर से हो पदस्थापना काउंसलिंग,पीडि़त और पदोन्नति से वंचित पात्र शिक्षक कर रहे मांग
  • पूर्व पदोन्नति पदस्थापना काउंसलिंग प्रक्रिया को निरस्त करने की उठ रही मांग,प्रक्रिया दोषपूर्ण थी कह रहे कई शिक्षक
  • पैसे लेकर कई ऐसे शिक्षकों को दी गई मनचाही पोस्टिंग जिन्हे शासन के नियम से नहीं मिलती मनचाही पोस्टिंग,अब न्याय हो ऐसी है शिक्षकों की मांग
  • एक एक शिक्षक ने मनचाही पोस्टिंग के नाम पर दिया है लाखों,क्या उन पैसे देकर पद प्राप्त किए शिक्षकों की पोस्टिंग निरस्त होगी?

-रवि सिंह-
अंबिकापुर/ कोरिया 01 अगस्त 2023 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा विभाग ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध बड़ी कार्यवाही करते हुए प्रदेश के चार संभागों के संयुक्त संचालक शिक्षा को निलंबित कर दिया है और यह पूरी कार्यवाही एक माह के भीतर की गई है जिसमे पहले बिलासपुर संयुक्त संचालक शिक्षा के विरुद्ध कार्यवाही की गई और वहीं इसके बाद एक साथ तीन तीन संभाग के संयुक्त संचालक शिक्षा निलंबित कर दिए गए जो बहुत बड़े भ्रष्टाचार को साबित करने के लिए काफी है। भ्रष्टाचार मामले में सरगुजा संभाग के संयुक्त संचालक शिक्षा द्वारा पदोन्नति पदस्थापना प्रक्रिया में पूरी प्रकिया को ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया है और जमकर शिक्षकों से पैसों की वसूली करते हुए उन्हें ही मनचाही पोस्टिंग दी जा रही है जो लाखों रुपए देने सहमत हो रहें हैं, ऐसी खबर लगातार दैनिक घटती घटना प्रकाशित करता चला आ रहा था और किस तरह बीमारी का फर्जी आधार बताकर, आपसी सहमति बताकर, संशोधन कर साथ ही पदोन्नति पदस्थापना काउंसलिंग के दौरान पद हाइड कर भ्रष्टाचार किया गया और उन्हें ही मनचाही पोस्टिंग दी गई जिन्होंने पैसा दिया यह बात खबरों के माध्यम से सामने लाती जाति रही और पैसों के इस खेल का पर्दाफाश किया जाता रहा है और इसका ही असर देखने को मिला और संयुक्त संचालक शिक्षा सरगुजा भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित कर दिए गए।
संयुक्त संचालक के निलंबन के पश्चात बड़ा सवाल क्या अब पुनः काउंसलिंग होगी या दोषपूर्ण पैसे लेकर की गई पोस्टिंग को ही मान्य कर दिया जायेगा?
अब संयुक्त संचालक के निलंबन के पश्चात सबसे बड़ा सवाल यह उठता है की क्या अब पुनः काउंसलिंग होगी या दोषपूर्ण पैसे लेकर की गई पोस्टिंग को ही मान्य कर दिया जायेगा जिसके कारण कई शिक्षक पदोन्नति से वंचित रह गए थे और उन्हे आज भी न्याय की उम्मीद है वहीं कई ऐसे भी शिक्षक हैं जो पैसा नहीं दे पाने की वजह से दूरस्थ भेज दिए गए उनको दूरस्थ पोस्टिंग दे दी गई वहीं वह अब इस आस में हैं की भ्रष्टाचार की पोल खुलते ही उनके साथ न्याय होगा और उन्हे भी मनचाही पोस्टिंग का या तो लाभ मिलेगा या फिर जिन्हें पैसे लेकर मनचाही पोस्टिंग दी गई है उनका भी निरस्त होगा और न्याय उनके इस तरह ही सही होगा। पदोन्नति मामले में पदस्थापना के लिए शासन ने काउंसलिंग का निर्देश दिया था और काउंसलिंग प्रक्रिया को पारदर्शी रखने का भी शासन ने निर्देश दिया था लेकिन शासन की मंशा को ही ताक पर रख दिया गया और काउंसलिंग की पूरी प्रक्रिया को ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया।
ऐसे हुआ था पूरा मनचाही पोस्टिंग खेल
काउंसलिंग मात्र दिखावे के लिए किया गया और जिन्हे मनचाही पोस्टिंग प्राप्त करनी थी उनसे पहले ही पूरी तरह सेटिंग कर ली गई थी जिसके लिए संभाग के प्रत्येक विकासखंड के एक एक अधीनस्थ अधिकारी को जिम्मा दिया गया था जो पैसा दे सकें ऐसे शिक्षकों से संपर्क कर उनसे पैसा एकत्र कर संयुक्त संचालक शिक्षा तक पहुंचा रहे थे और साथ ही कुछ शिक्षक संघ के नेताओं को भी दलाली का जिम्मा मिला हुआ था जो भी ऐसे शिक्षकों की तलाश कर रहे थे जो पैसा दे सकें और जिनका नाम पदोन्नति वरिष्ठता सूची में निचले क्रम पर हो और उन्हे मनचाही पोस्टिंग नियम अनुसार प्राप्त न हो रही हो। इस तरह पूरी काउंसलिंग प्रक्रिया को प्रक्रिया आरंभ होने से पहले ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया और शिक्षा विभाग को ही कलंकित करते हुए शिक्षकों को ही ठगने काम किया गया जमकर वसूली जहां अधिकारियों ने की वहीं शिक्षक नेताओं ने दलाली की। पूरे भ्रष्टाचार की पोल पदोन्नति पदस्थापना आदेश जारी होने से पूर्व ही खुल गया और फिर कुछ दलाल शिक्षक नेता मामले में पर्दा डालने सक्रिय नजर आए और प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जेडी सरगुजा के कसीदे उन्होंने पढ़े।
शिक्षक नेताओं के गाल पर भी बड़ा तमाचा
ऐसे शिक्षक नेताओं के गाल पर भी यह बड़ा तमाचा है जो पदोन्नति मामले में गड़बड़ी के दौरान इस गड़बड़ी में दलाली कर अपनी जेब भर रहे थे और जब उन्हें इस दौरान ऐसा आभास हुआ कि उनकी दलाली की कमाई में असर पड़ सकता है वह शिक्षकों की बजाए जेडी की बड़ाई करने लगे और प्रेस विज्ञप्ति में शिक्षक हित की बात करना छोड़कर वह अधिकारी की जेडी की चापलूसी में ही नजर आए। जब शिक्षक नेताओं की जरूरत शिक्षकों को थी तब वह जेडी के साथ भ्रष्टाचार में सहभागी नजर आए और इसलिए भी यह मामला तुल पकड़ गया क्योंकि शिक्षक नेताओं के प्रेस विज्ञप्ति से आम पीडç¸त शिक्षक अक्रोशित हुए और उन्होंने शिकायत कर जांच की मांग रखी जो सही पाई गई और जेडी निलंबित हुए।
क्या अब पदोन्नति पोस्टिंग सूची भी होगी निरस्त,क्या फिर से होगी काउंसलिंग?
शिक्षक पदोन्नति प्रक्रिया सरगुजा संभाग में सबसे पहले पूर्ण की गई,शासन ने निर्देश जारी कर काउंसलिंग के माध्यम से पदस्थापना का निर्देश जारी किया था और पूरा कार्य पारदर्शिता के साथ पूर्ण किया जाए इसको लेकर भी सख्त निर्देश जारी किया था,वहीं जेडी सरगुजा ने काउंसलिंग प्रक्रिया में ही सेंध लगा दी और भ्रष्टाचार कर दिखाया जबकि उन्हें पदस्थापना काउंसलिंग में नियम अनुसार पहले वरिष्ठ को सभी पद काउंसलिंग के दौरान दिखाने थे और फिर क्रमशः कनिष्ठ और उनसे कनिष्ठ को,जेडी सरगुजा ने पैसा लेकर मनचाही पोस्टिंग की ईक्षा रखने वाले शिक्षकों को पहले ही वह पद प्रदान कर दिए गए जिनपर वरिष्ठ का हक था और वरिष्ठ को वह पद काउंसलिंग के दौरान दिखाए ही नहीं गए। पूरी प्रक्रिया जो दोषरहित होनी थी उसे पूरी तरह दोहसपूर्ण बना दिया और इस तरह असली पात्र शिक्षक पदोन्नति लेने से इंकार कर गया या दूरस्थ जाकर कार्यभार ग्रहण करने मजबूर हो गया वहीं जिनसे पैसा लिया गया उन्हें बीमारी के आधार पर,आपसी सहमति के आधार पर,साथ ही संशोधन कर आदेश में मनचाही पोस्टिंग दे दी गई। अब सवाल यह उठता है की जब पूरी प्रक्रिया को ही दोषपूर्ण मान लिया गया है और मामले की जांच में यह सामने आ चुका है की भ्रष्टाचार हुआ है तो क्या अब पुनः काउंसलिंग कर पोस्टिंग की जाएगी,क्या अन्य शिक्षकों जिनके साथ पैसा नहीं देने की वजह से अन्याय हुआ है उनके साथ न्याय होगा,न्याय सूची निरस्त कर पुनः काउंसलिंग के बाद ही संभव है। अब देखना है की जेडी के निलंबन के बाद उनके ऊपर क्या कार्यवाही होती है जिन्होंने पैसा देकर पद अपने लिए खरीदा है।
पदस्थापना आदेश जारी होने के पहले गड़बड़ी की शिकायत आ गई थी सामने
सरगुजा संभाग में काउंसलिंग प्रक्रिया पूरी तरह से पदोन्नति के दौरान भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है और पैसे लेकर मनचाही पोस्टिंग दी जा रही है वहीं पैसा नहीं देने वालों को पद दिखाए नहीं जा रहें हैं हाइड किए जा रहे हैं जो पूरी तरह से गलत है इस बात की शिकायत शिक्षक पदोन्नति पदस्थापना आदेश जारी होने के पूर्व ही जेडी सरगुजा से मिलकर कर चुके थे और जिसपर जेडी सरगुजा हेमंत उपाध्याय शिकायत करने वाले शिक्षकों पर भड़क भी गए थे और उन्होंने कुछ शिक्षकों को निलंबित भी कर दिया था। निलंबित करते हुए शिकायतकर्ता शिक्षकों से जेडी सरगुजा ने यह भी कहा था जिन नामों को लेकर शिकायत है वह जिन्हे गलत तरीके से मनचाही पोस्टिंग का लाभ देने का आरोप शिक्षक लगा रहे थे जेडी का कहना था उन्हे वह स्कूल नहीं मिलने वाले जिनको लेकर शिकायत हुई है, वहीं आदेश जारी हुआ तो उन्हे वह स्कूल पोस्टिंग में नहीं मिले अन्य जिलों के स्कूल मिले लेकिन बाद में संशोधन आदेश जारी कर उन शिक्षकों को उन्हीं स्कूलों में भेज दिया गया जहां के लिए उन्होंने पैसा दिया था और जिन स्कूलों में पदस्थापना को लेकर उनकी शिकायत हुई थी। कुल मिलाकर जेडी सरगुजा ने शिकायत के बाद भी भ्रष्टाचार की अपनी मंशा को पूरा किया और जैसे भी बन सका उन्होंने शिक्षकों से पैसा लिया किसी से मेडिकल सर्टिफिकेट को मान्य करने के लिए पैसे लिए गए क्योंकि वह फर्जी थे,किसी से पद हाइड कर उन्हे मनचाही पोस्टिंग के लिए पैसे लिए गए,किसी से आपसी सहमति बताकर संशोधन करने के नाम पर पैसे लिए गए। कुल मिलाकर पैसा लेकर पहुंचे हर शिक्षक को उसकी मनचाही पोस्टिंग मिली और बिना पैसे वालों के साथ शासन की मंशानुरूप अन्याय हुआ।
काउंसलिंग का था पदोन्नति पदस्थापना में नियम,आदेश संशोधन करने का नहीं था शासन से कोई नियम, फिर भी हुआ संशोधन
शिक्षकों की पदोन्नति लंबे समय बाद हो रही थी, शासन की मंशा थी की शिक्षकों की पदोन्नति साथ ही उनकी पोस्टिंग मामले में उन्हे ऐसी व्यवस्था प्रदान की जाए जिससे पूरी पदोन्नति प्रक्रिया बेहतर तरीके से संपन्न हो सके साथ ही शिक्षकों को भी प्रकिया में कोई ऐसी त्रुटि नजर न आए जिससे उन्हें खुद के साथ अन्याय होने का आभास हो। शासन साथ ही विभाग ने काउंसलिंग की प्रक्रिया इसी लिए तय की क्योंकि यही एक ऐसी व्यवस्था थी जिसे शिक्षकों ने भी स्वीकार किया। काउंसलिंग में यह तय हुआ की वरिष्ठता सूची के क्रम से शिक्षकों को मौका मिलेगा और जिसका जिस क्रम में नंबर आयेगा उसे उस अनुसार स्कूल पोस्टिंग के लिए मिल जायेगा और इस दौरान क्रमशः सभी रिक्त पद दिखाए जायेगें जो पदोन्नति से भरे जाने हैं,जैसे जैसे शिक्षक पद चयन करते जायेंगे उन पदों को हाइड कर दिया जायेगा और क्रमशः वरिष्ठता सूची में निचले क्रम वाले शिक्षकों को रिक्त पद के हिसाब से पोस्टिंग मिलती चली जायेगी। काउंसलिंग में लिए गए पद का बाद में संशोधन होगा एक बार की गई पोस्टिंग पैसा लेकर निरस्त की जायेगी साथ ही पैसा देने वाले शिक्षकों को कार्यभार ग्रहण करने के लिए साथ ही संशोधन हेतु आवेदन करने के लिए अलग से समय प्रदान किया जाना है ऐसा कोई नियम शासन का नहीं था, इस के बावजूद ऐसे नियम बनाए गए और फिर जिनसे पैसे लिए गए उन्हे संशोधन के लिए समय दिया गया और जब उनका संशोधन हो गया नया आदेश जारी कर उन्हे पोस्टिंग देकर अलग से कार्यभार ग्रहण करा लिया गया, मेडिकल आधार ,आपसी सहमति के आधार पर भी इसी तरह भ्रष्टाचार का खेल हुआ और जिन बीमारियों और जिन मेडिकल परिस्थितियों के आधार पर काउंसलिंग में छूट मिलनी थी उसके अलावा भी शिक्षकों को छूट दी गई और काउंसलिंग में उन्हे वरिष्ठता प्रदान किया गया जबकि वह उस छूट के लिए पात्र नहीं थे,वहीं आपसी सहमति का आधार भी तैयार किया गया केवल भ्रष्टाचार के लिए,अब जब सब कुछ उजागर है शिक्षक कार्यवाही के इंतजार में हैं।
शिक्षक संघ के नेताओं की भूमिका भी रही दलालों वाली,शिक्षक संघ भी पोस्टिंग आदेश निरस्त न करने शिक्षा मंत्री से लगा रहे थे गुहार
प्रदेश में शिक्षकों की बहु प्रतीक्षित मांग थी उनकी पदोन्नति जिसे शासन ने गंभीरता से लेते हुए पूरा करने का निर्णय लिया और सरकार ने बकायदा इसके लिए नियम भी तय किए। संभाग स्तर पर सहायक शिक्षकों से शिक्षक,और शिक्षक से प्रधान पाठक पूर्व माध्यमिक शाला की पदोन्नति करना तय हुआ और प्रधान पाठक प्राथमिक शाला की पदोन्नति नियम अनुसार जिला शिक्षा अधिकारी के जिम्मे छोड़ा गया, जिला स्तर पर हुई पदोन्नति में ज्यादा गड़बड़ी सामने आई हो यह ज्यादा कहीं से सुनाई नही दिया और गड़बड़ी हुई भी तो बात दबा ली गई, शिक्षक नेताओं ने इसमें मध्यस्थ बनकर रास्ता निकाला और मामला शांत हुआ ऐसी खबरों के साथ जिला स्तर की प्रक्रिया पूर्ण हो गई, वहीं संभाग स्तर की पदोन्नति में जमकर भ्रष्टाचार हुआ जिसकी शिकायत शुरू से ही सामने आने लगी थी और जिसे बाद में सही पाते हुए जेडी को ही निलंबित कर दिया गया है और मामले में अब आगे की कार्यवाही का इंतजार है वहीं मामले में दूसरा सबसे गंभीर पहलू यह है की जब शिक्षकों का शोषण हो रहा था तब शिक्षक संघ ही इस शोषण के बीच दलालों की भूमिका निभा रहे थे।
शिक्षक नेता शिक्षकों से वसूली कर अधिकारी को पैसा पहुंचाया
कुछ शिक्षक नेता शिक्षकों से वसूली कर अधिकारी को पैसा पहुंचा एह थे और वह यह भी शिक्षकों से कह रहे थे की बिना पैसा मनचाहे जगह पोस्टिंग पाना मुस्किल है इसलिए पैसा देना ही एकमात्र विकल्प है। शिक्षक नेता काउंसलिंग में जब शिक्षकों को इस बात का एहसाह हो गया की पैसा लेकर पद हाइड किया जा रहा है और कनिष्ठ को मनचाही पोस्टिंग नियम विरुद्ध तरीके से दी जा रही है नाराज और पीडç¸त प्रभावित हो रहे शिक्षकों के पक्ष में खड़े होने की बजाए अधिकारियों की दलाली में ही व्यस्त रहे और और जब शिकायत करने वाले शिक्षकों को जेडी सरगुजा ने निलंबित कर दिया भयभीत करने के लिए यही शिक्षक नेता थे जो माला लेकर मिठाई लेकर जेडी सरगुजा का सम्मान कर रहे थे और एक शिक्षक नेता तो अपनी शिक्षकों के प्रति जवाबदेही ही भूल गए थे और केवल दलाली की हड्डी के टुकड़े के लिए वह जेडी सरगुजा के लिए प्रेस विज्ञप्ति उनके पक्ष में तब जारी कर रहे थे जब जेडी सरगुजा शिक्षकों को लूट रहे थे और विरोध करने वालों को डराने निलंबित कर रहे थे। अब ऐसे शिक्षक संघ के नेता अपने बड़े नेताओं के हांथ पैर जोड़कर उनसे निवेदन कर रहे हैं की वह भ्रष्टाचार की यह सूची पोस्टिंग वाली निरस्त न होने दें क्योंकि यदि यह निरस्त हुई शिक्षक नेताओं की भी पोल खुल जायेगी।
पदस्थापना आदेश किया जाए निरस्त,फिर से हो काउंसलिंग, पीडç¸त शिक्षकों की है मांग
अब पूरे मामले में पीडि़त शिक्षक जो असल हकदार होकर भी दूरस्थ स्कूलों में सेवा देने मजबूर हुए साथ ही कई ऐसे हैं जिन्हें पदोन्नति छोड़नी पड़ी वह मांग कर रहें है की पूरी सूची पोस्टिंग की निरस्त की जाए और पुनः काउंसलिंग की जाए,उनका यह भी कहना है की जब भ्रष्टाचार की बात साबित हो चुकी है और दोषी अधिकारी निलंबित कर दिए गए हैं तो उन शिक्षकों का भी पोस्टिंग आदेश निरस्त हो जिन्हे कनिष्ठ होकर भी घर के आस पास के स्कूलों में पैसा देकर पोस्टिंग मिला है,जिनका पोस्टिंग आदेश संशोधित किया गया है,जिन्हे फर्जी मेडिकल आधार पर काउंसलिंग में वरीयता देकर मनचाही पोस्टिंग दी गई है,जिनका आपसी सहमति के नाम पर संसाधन किया गया है और जबकि वह एक कूट रचना है। पीडç¸त शिक्षकों ने शिक्षा मंत्री,स्कूल शिक्षा सचिव से मांग की है की शिक्षक संघ के नेताओं के पत्र पर ध्यान दिए बगैर पूरी पोस्टिंग दोबारा किए जाने की जरूरत है,इस बार शिक्षक संघों के नेताओं को पूरी प्रक्रिया के दूर भी रखा जाए जिससे पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और सही तरीके से संपन्न हो सके।
पोस्टिंग आदेश नहीं हुआ निरस्त तो स्कूल शिक्षा विभाग सहित शासन की छवि भी होगी धूमिल, पूरे प्रदेश में संशोधन के नाम पर हुआ अरबों का खेल
प्रदेश में संभागीय संयुक्त संचालक कार्यालयों द्वारा जिनकी संख्या पांच है हजारों शिक्षकों की पदोन्नति की गई वहीं पदोन्नति पश्चात पदस्थापना की गई,पदस्थापना में संयुक्त संचालकों ने शिक्षकों से पदस्थापना के नाम पर जमकर वसूली की और जिन्होंने पैसा दिया उनके लिए शासन के द्वारा बनाए नियम ही दरकिनार कर दिए गए और संशोधन का भी लाभ पैसा लेकर उन्हे प्रदान किया गया,वहीं पूरे मामले की शिकायत भी शिक्षकों ने ही लगातार की और जिन्हे पैसा नहीं दे पाने की वजह से दूर दूर पदस्थापना दी गई वह न्याय की मांग करते रहे और जब जांच हुई संयुक्त संचालक दोषी पाए गए और सभी को निलंबित कर दिया गया। अब पूरी सूची निरस्त कर दोबारा काउंसलिंग की मांग की जा रही है,और यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो यह भी माना जाएगा की मामले में अरबों के लेनदेन में सभी की हिस्सेदारी बराबर नहीं बंटी इसलिए केवल जेडी निलंबित किए गए सूची निरस्त नहीं हुई,अब यदि सूची निरस्त होगी तभी विभाग सहित शासन की साख कायम रह सकेगी, वरना इसपर भी असर पड़ने के आसार हैं।


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