दर्जनों शिकायतों के जवाब में फर्जी रिपोर्ट तैयार कर भेज रहे विवि के जिम्मेदार
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार,घोटाला,क्षेत्रवाद,जातिवाद,देश तोड़ने,भारतीय जनता पार्टी-भारत सरकार तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर आपत्तिजनक सार्वजनिक पोस्ट करने के मामले में शिक्षा मंत्रालय जांच करवा रहा है तथा मंत्रालय ने विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा था…लेकिन शिक्षा मंत्रालय को बेवकूफ बनाने,विश्वविद्यालय विरोधी कार्य पर पर्दा डालकर गुमराह करने वाला गोल-मोल जवाब तैयार करके भेजा गया। हालाँकि जवाब तैयार और हस्ताक्षर करने वाले अधिकारियों के बीच मतभेद हो गया है तथा वर्तमान प्रभारी कुलसचिव ने हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था,किन्तु बाद में कुलपति के मनाने पर हस्ताक्षर करके फर्जी जवाब भेजा गया है जिससे मामला बेहद चर्चा में है…
-अरविन्द द्विवेदी-
अनूपपुर,30 जुलाई 2023(घटती-घटना)। शिक्षा मंत्रालय की जांच को रुकवाने के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति तथा अनेक प्रोफेसर तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। विश्वविद्यालय के छात्रावास अधीक्षक ने ही छात्रावास घोटाला तथा नियुक्ति घोटाला का संदर्भ सार्वजनिक रूप से फेसबुक पर लिखा है। वहीं एक ओर विश्वविद्यालय के छात्रावास अधीक्षक द्वारा घोटाला/भ्रष्टाचार होने की बात लिखी जा रही है तथा सबूत होने की बात भी कही गई है। तो दूसरी ओर उसी विश्वविद्यालय के दूसरे अधिकारी द्वारा किसी भी प्रकार का घोटाला ना होने की फर्जी रिपोर्ट शिक्षा मंत्रालय को भेजी है।
जिम्मेदार दे रहे अपूर्ण, बनावटी एवं भ्रामक लिखित उत्तर
विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव पी. सिलुवेनाथन स्वयं कहते हैं कि कुलपति प्रो. प्रकाशमणि त्रिपाठी के कहने पर हमने लोकसभा में जानबूझकर गुमराह करने वाला अधूरा जवाब देकर लोकसभा को गुमराह किया है। कुलसचिव सिलुवेनाथन यह भी कहते है कि – मैं तो स्वयं राष्ट्रपति का पावर उपयोग कर आदेश जारी कर चुका हूं। मैं कुलपति प्रो श्रीप्रकाशमणि के भ्रष्टाचार की 70 फाइलों की फोटोकॉपी करा कर रखा हूं। मैंने कुलपति पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में केस कर दिया है। पूर्व कुलसचिव दावे से कह रहे हैं कि प्रो. प्रकाशमणि लोकसभा को गुमराह करवाए है, इसकी विस्तार से जांच होनी चाहिए।
अतारांकित प्रश्नों के जवाब पर संसद को बनाया बेवकूफ
भारत की संसद 17वीं लोकसभा के मानसून सत्र 2021 में अतारांकित प्रश्न संख्या 2111 जवाब दिनांक 02/08/2021 में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय द्वारा अपूर्ण, बनावटी एवं भ्रामक लिखित उत्तर देकर लोकमहत्व के विषय पर संसद को गुमराह करने के गम्भीर मामले की जाँच करवाने तथा जवाबदेही तय कर गम्भीर मामलों के दोषी कुलपति प्रो. प्रकाशमणि पर कार्यवाही करने की माँग जनजातीय समुदाय कर रहा है। लोकसभा प्रश्न 2111 (ए) और (डी) में पूछे गए सवालों का सही उत्तर नहीं दिया गया है तथा एक्ट के उस पैरा का हवाला नहीं दिया गया है जिसमें यह लिखा हो कि एनजीओ कोटा से कार्यपरिषद सदस्य को कुलपति अपने मन से नामित करेंगे और इसमें मंत्रालय से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है।
फर्जी जवाब देकर शिक्षामंत्री व लोकसभा को किया गुमराह
लोकसभा प्रश्न 3659 के उत्तर (सी) में विश्वविद्यालय ने 13 बिल्डिंग को हैंडओवर होना बताया जबकि उसकी तारीख नहीं बता कर जानकारी छुपाई गयी है। लोकसभा प्रश्न 3659 के उत्तर (डी) में बेहद भ्रामक एवं झूठी जानकारी प्रस्तुत की गई है। तालाब, छात्रावास, सीवरेज, ट्रीटमेंट प्लांट, वाणिज्य भवन के निर्माण कार्य में भारत सरकार के रुपयों पर लगभग 50 परसेंट के कमीशन के साथ कंस्ट्रक्शन का कार्य करवाया गया है। जबकि यह सारी बातें स्वयं वहां के प्रोफ़ेसर फेसबुक पर लिख रहे हैं। लेकिन मंत्रालय/लोकसभा के प्रश्न पर विश्वविद्यालय फर्जी जवाब बनाकर भेजने में अपनी विशेषज्ञता हासिल कर लिया है।
यूजीसी के कई अधिकारी कर रहे करोड़ों की हेरा-फेरी
राष्ट्रपति भवन से भी अनेक मामलों की जांच के लिए नोटिस भेजे गए थे लेकिन कुलपति प्रो. प्रकाशमणि ने फर्जी जवाब भेजवाकर अपनी फाइल को राष्ट्रपति भवन के अधिकारीयों से सेटिंग करके बंद करवा लिया है। यूजीसी के कई अधिकारी तथा तलरेजा जनजातीय विश्वविद्यालय से करोड़ों का लाभ ले चुके हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सेक्रेटरी, ज्वाइंट सेक्रेट्री तथा भ्रष्ट बाबू तलरेजा के माध्यम से सेटिंग होती है, सूत्रों के मुताबिक जनजातीय विश्वविद्यालय में बिना रिटेन एग्जाम दिए 8 लोगों का सिलेक्शन हो गया है, वे 8 लोग तलरेजा के आदमी थे। उन 8 लोगों से तलरेजा ने लाखों रूपए प्रति व्यक्ति लेकर उनका सिलेक्शन जनजाति विश्वविद्यालयों में करवाया है।
शिक्षा से वंचित,न्याय की आस में छात्र बलराम बैगा
विश्वविद्यालय ने एक बैगा छात्र बलराम बैगा को बेहद अपमानित किया, उसे जातिगत रूप से प्रताडç¸त किया गया। उसे जूठा खाना परोसा गया, गाली-गलौज करके उसे पढ़ाई से वंचित कर भगा दिया गया। उसका विश्वविद्यालय में प्रवेश वर्जित कर दिया गया है जिसकी शिकायत बलराम बैगा ने मुख्यमंत्री से लेकर राष्ट्रीय जनजाति आयोग तक किया। जिसमे एक सदस्य ने जांच की, जांच में विश्वविद्यालय के पक्ष में रिपोर्ट देने के लिए विश्वविद्यालय ने उन्हें 40 लाख रुपए का उपहार दिया, ऐसा चर्चा है। जनजातीय के साथ अन्याय हो गया और उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई और तत्कालीन एसपी ने इस मामले में सेटिंग करने के लिए कई लाखों की रकम लेकर मामले को ठंडे बस्ते में दाल दिया। लेकिन आज तक उस जनजाति बैगा को न्याय नहीं मिल पाया।
कार्यवाही के इतर आरोपियों को प्रमोशन देते हैं कुलपति
जनजातीय छात्रा के छेड़छाड़ के आरोपी को प्रमोशन देना तथा डिप्टी प्रॉक्टर बनाने के मामले में कुलपति प्रो. प्रकाशमणि जांच के घेरे में हैं। इसके अलावा मोदी, अमित शाह, बीजेपी, आरएसएस का कार्टून बनाकर सार्वजनिक पोस्ट करने वाले डॉ पवन सिंह को एनओसी देकर प्रमोशन दिलवाने के लिए दूसरे विश्वविद्यालय के कुलपति को फोन करके प्रमोट करवाने के मामले में भी कुलपति प्रो. प्रकाशमणि पर जांच चल रही है। कुछ प्रतिबंधित संगठनों के स्लीपर सेल के युवाओं को विश्वविद्यालय में प्रवेश देने और उन्हें छात्रावास देकर, विशेष प्रकार की सुविधा प्रदान करने के मामले में भी गलत जवाब दिया जा रहा है। देश की सुरक्षा के साथ विश्वविद्यालय लगातार खिलवाड़ कर रहा है, यहां तक कि राहुल गांधी तथा दिग्विजय सिंह से सेटिंग कर अपने विरुद्ध खुद मामला उठवाकर सरकार के नजदीक जाने के मामले में भी फर्जी रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है,
फर्जी रोस्टर व भर्ती के विरोध में शिक्षक संघ हुआ लामबंद
बैकलॉग भर्ती के मामले में फर्जी एवं गैर कानूनी विज्ञापन जारी करने के मामले में विज्ञापन निकालने से पहले टीम बनाकर केमिस्ट्री विभाग के एक प्रोफेसर, एजुकेशन विभाग के प्रोफेसर तथा पुरातत्व के प्रोफेसर से हस्ताक्षर कराकर फर्जी रोस्टर तैयार करवाया गया है। इसको लेकर शिक्षक संघ में मतभेद खड़ा हो गया है जिसके कारण सैकड़ों शिक्षक ने फर्जी रोस्टर का विरोध कर दिया है। अनुसूचित जाति के कुछ शिक्षकों की आवाज दबाने के लिए कुलपति अपने चेंबर में उन्हें धमकाते हैं। एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने बताया कि अनुसूचित जाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के कुछ प्रोफेसर को लाभ का पद देकर उनसे अपने मनमाफिक गैरकानूनी काम कराने तथा लोकसभा एवं शिक्षा मंत्रालय को अपूर्ण, बनावटी एवं भ्रामक जवाब देकर गुमराह किया जाता है। कुलपति के सामने अपना मुंह नहीं खोल पाते हैं लेकिन अपने साथियों से इसकी चर्चा करते हैं जिससे मामला सामने आता है।