- क्या प्रीति हत्याकांड व बस मालिकों पर बम बारी-गोली बारी करने वाले आरोपियों के दबाव में काम कर रहा क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी?
- क्या राजहंस बस के मालिक परिवहन मंत्री के रिश्तेदार… क्या यही वजह है कि इनकी मनमानी है चरम पर है?
- 88.8 के परमिट पर सिर्फ राजहंस बस को कहीं भी जाने की अनुमति? बाकी बस संचालकों को पूरा
- करना होगा नियम?
- राजहंस से प्रतिस्पर्धा करने वाले सिंहलोक बस को किया जब्त कार्यवाही पर उठा सवाल
-रवि सिंह-
अंबिकापुर/एमसीबी,26 जुलाई 2023 (घटती-घटना)। बीते सोमवार को बनारस चौक में शाम 8 बजे से लेकर रात्रि 10 बजे तक क्षेत्र के नामचीन बस मालिकों ने गुंडागर्दी कर चिरमिरी से बिहार पटना की तरफ जाने वाली सिंहलोक बस को राजहंस बस संचालक और उसके तथा कथित गुर्गों ने रास्ता रोक कर लगभग 2 घंटे तक जबरदस्त ढंग से ड्रामेबाजी की गई, 2 घंटे बाद जब परिवहन विभाग के अधिकारी आए तो बस की जप्त प्रक्रिया संपन्न हुई, जप्ती की कार्यवाही इस आरोप पर किया गया की बस पर परमिट था वह बैध नहीं था, जिस कारण उसी तरह का परमिट में बस संचालन करने वाले बस मालिक अपने घर में बिहार प्रदेश के बस मालिक की बस को जबरदस्ती जप्त करवा दिया, सवाल यह उठता है कि इसी परमिट पर जप्त कराने वाले बैतूल नौशाद वशी उर रहमान और इरशाद आलम अपनी बसें लगातार झारखंड और बिहार में संचालित कर रहे हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि बसे परमिट से लैस हैं, उसके बाद भी उन बसों पर 88.8 परमिट क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के दफ्तर से जारी हो रहा है सवाल यह उत्पन्न होता है कि बिहार प्रदेश की गाडç¸यां जिस परमिट पर हमारे प्रदेश में आकर उन्हें अवैध बताकर क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी जप्त कर रहे हैं, उन्हीं परमिटो को राजहंस बसों को लगातार जारी करके अपने दोहरे मापदंड व कार्यशैली का परिचय दे रहे हैं, जो परमिट हमारे राज्य में अवैध है वही परमिट बिहार प्रदेश में चल रहा है और उसे क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी वैध बताकर लगातार परमिट जारी कर रहे हैं।
उल्लेखनीय रहे कि क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी और राजहंस बस संचालक के सांठगांठ और मनमानी अब चरम पर हो चला है, बीते कई महीनों से क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी पंजीकृत बस सीजी 15 एबी 1235 पर बिहार पटना का लगातार 88.8 परमिट देकर बस का संचालन करवा रहे हैं, जो कभी चिरमिरी से पटना चलती है तो कभी अंबिकापुर से पटना जाती है, उसी तरह सीजी 15 एबी 0773 पर भी बिहार पटना का 88.8 परमिट दिया गया है वह गाड़ी भी लगातार बिहार पटना चल रही है वही बिहार की भी कुछ गाडç¸यों पर 88.8 परमिट लेकर बैतूल और इरशात कोरबा रायपुर चिरमिरी मनेंद्रगढ़ बसों का संचालन कर रहे हैं, उन पर क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी की और उनके स्पेक्टर गुप्ता और पटेल की नजर नहीं पड़ रही है, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी दोहरा मापदंड अपना रहे हैं।
परिवहन अधिकारी राजहंस के खिलाफ एक शब्द भी सुनने को क्यों तैयार नहीं
वही बिहार प्रदेश की सिंहलोक कंपनी की बस जो पिछले दिनों पहली बार अंबिकापुर की तरफ से बिहार की तरफ जा रही थी, उसे बनारस चौक पर कुछ कथित प्रीति हत्याकांड जैसे संगीन अपराध घटित करने वाले आरोपियों के द्वारा रोककर घंटों हुज्जत की गई, एक व्यक्ति अपराधियों को इकट्ठा कर फिर किसी अपराध को अंजाम देने के फिराक में था, खुद भी अपराधी रहा है यही वजह है कि गुंडागर्दी करके किसी अन्य बस संचालक को रोकने का हमेशा प्रयास करता है, बसों में यात्री बैठे थे, जो बस मालिकों की नग्नता को देखकर अपने आप को बेबस महसूस कर रहे थे, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी को बस जप्त करने के दौरान सिंह लोक बस के मालिक ने यह भी कहा कि आप मेरी बस पर कार्यवाही करिए लेकिन मेरे कंपटीशन में राजनगर मनेंद्रगढ़ चिरमिरी से मेरे साथ साथ आ रही बस बीआर 02 पीबी 8287 पर भी कार्यवाही करिए जो मेरे बस के साथ-साथ आ रही है, लेकिन क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी राजहंस के खिलाफ एक शब्द भी सुनने के लिए तैयार नहीं थे और उस बस पर किसी तरह की कार्यवाही भी नहीं की और उस बस को जाने दिया रोका भी नहीं, इस पूरे घटनाक्रम के बाद राजहंस कि उसी 88,8 में चलने वाली बस में सिंहलोक की सवारियों को बैठा कर भेज दिया गया, राजनगर से आ रही थी अंबिकापुर स्थित जिला परिवहन अधिकारी की मनमानी चरम पर है वाह राजहंस बस के खिलाफ कोई भी कार्यवाही नहीं करना चाहते और उनके पूरे काले कारनामों में बराबर साथ देते आ रहे हैं आखिर वजह क्या है?
कार्यालय में बैठ कर कराई कार्यवाही
बताया जाता है कि जिस दिनसिंह लोक बस जप्त की गई उस दिन दो लोग जिला परिवहन अधिकारी के चेंबर में शाम 4.00 बजे से लेकर 7.00 बजे तक मौजूद थे जिला परिवहन अधिकारी उनके कार में बैठकर कहीं घूमने भी गए थे, उन्हीं की कार में बैठकर अपने फ्लाइंग के स्पेक्टर गुप्ता और पटेल को कहा था कि सिंहलोक नामक बस अभी आ रही हैं उसे जप्त करना है आप इरसाद नामक व्यक्ति से बात कर लीजिए, खबर यह भी है कि उस बस को जप्त करने पर इनाम के तौर पर राजहंस बस संचालक ने लाखों रुपए भी पहुचे, बस संचालक उस मार्ग पर अपना दबदबा रखना चाहता है इसलिए किसी अन्य व्यक्ति को बस संचालित नहीं करने देना चाहता, इसलिए वह बस जप्त कराने के लिए लाखों रुपए अधिकारियों को देकर कार्यवाही कर आता है ऐसा उसका पुराना इतिहास रहा है सिंह लोक बस जप्त करने के लिए रायपुर के किसी अधिकारी से भी जिला परिवहन अधिकारी की बात कराई जा रही थी। ऐसा सूत्रों का कहना है, यह अपुष्ट खबर की घटती घटना पुष्टि नहीं करता है पर जांचा की मांग जरुर करता है।
क्या राजहंस बस के संचालक परिवहन मंत्री छत्तीसगढ़ के रिश्तेदार हैं?
इन दिनों झारखंड और बिहार राज्य में इस बात की भी चर्चा जोरों पर है कि राजहंस बस संचालक के रिश्तेदार परिवहन मंत्री छत्तीसगढ़ में हैं यही कारण है इनके विरुद्ध परिवहन विभाग कोई कार्यवाही नहीं करता? जहां चाहते हैं वहां का परमिट ले लेते हैं इन के विरुद्ध शिकायत करने वाले एक बस कंपनी जिसकी बस अंबिकापुर से रायपुर चलती है उसके 10 मिनट आगे सीजी 15 एबी 0773 पर परमिट लेकर शिकायतकर्ता बस मालिक को बर्बाद कर देंगे ऐसा लगातार बस संचालक बस स्टैंड ओं में धमकी दे रहे हैं, उन्होंने यह भी कहा कि मंत्री जी से बात हो गई है मंत्री जी ने कहा है कि शिकायतकर्ता बस मालिक की और कहां-कहां गाड़ी चल रही है उनके 10 मिनट आगे आप परमिट ले लो छत्तीसगढ़ प्रदेश के परिवहन मंत्री की दोस्ती और रिश्तेदारी का धौंस देकर इनके द्वारा झारखंड बिहार और छत्तीसगढ़ की सड़कों पर अपना एक तरफा दबदबा बनाया हुआ है कहीं कहीं तो यह बातें भी जन चर्चा में खूब आ रही है कि राजहंस बस संचालक बैतूल मंत्री जी के परिवार के साथ अभी विदेश भी गया था खबर कि हम पुष्टि नहीं करते परंतु ऐसी चर्चा बस संचालकों एजेंटों कंडक्टर के बीच जोरों पर है।
एसटीए के अधिकारी कर रहे नियम विरुद्ध कार्य,राजहंस बस संचालक छत्तीसगढ़ निवासी तो बिहार झारखंड से काउंटर साइन के लिए आए पेपर पर क्यों करते हैं प्रति हस्ताक्षर?
सूत्रों की माने तो राजहंस बस का संचालक बैतूल खान, बशीर रहमान, नौशाट, इरशाट जो छत्तीसगढ़ के निवासी बताते हैं इनके द्वारा द्वारा झारखंड का फर्जी निवास प्रमाण पत्र बनाकर उसी तरह बिहार में फर्जी निवास प्रमाण पत्र बनाकर तीनों राज्य की रिक्तियां पूरी तरह से कब्जा जमाए हुए हैं, राज्य परिवहन प्राधिकार के नियमों के तहत एक मार्ग पर एक परिवार का एक राज्य से 50 प्रतिशत ही रिक्तियां दी जानी है, लेकिन इन लोगों ने सभी राज्य से 100 प्रतिशत रिक्तियां अपने कब्जे में कर रखी हैं सवाल यह उत्पन्न होता है कि जब राज्य परिवहन प्राधिकार रायपुर अपने यहां का निवासी बता कर इस मार्ग का परमिट इन्हें झारखंड और बिहार का बस संचालन करने के लिए दिया गया है तो केवल यह छत्तीसगढ़ के निवासी बंद कर छत्तीसगढ़ की रिक्तियों पर ही बस का संचालन करें लेकिन इनके द्वारा केंद्र सरकार अधिनियम मोटर वाहन 1988 में धारा 69 (1) में स्पष्ट उल्लेख है कि परमिट के लिए प्रत्येक आवेदन उस क्षेत्र के क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार में किया जाएगा, जिसमें आवेदक निवास करता है या उसका व्यवसाय का मुख्य स्थान है और (2) में दिए गए प्रावधानों में यह स्पष्ट लिखा है कि आवेदन उस क्षेत्र के क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार को किया जाना चाहिए, जिसमें आवेदक निवास करता है या उसका व्यवसाय का मुख्य स्थान है राजहंस बस संचालक परिवहन प्राधिकार के अधिकारियों के आंख में धूल झोंक कर सभी राज्यों से परमिट प्राप्त कर रहे हैं. तो बिहार और झारखंड राज्य से यह किस आधार पर परमिट ले रहे हैं और यदि परमिट ले भी रहे तो हमारे राज्य के अधिकारी उसका सीएसबी कैसे कर दे रहे हैं? राजहंस बस संचालक दूसरे राज्यों की रिक्तियों पर फर्जी निवास प्रमाण पत्र लगाकर वहां से परमिट प्राप्त कर लेते हैं फिर सीएसके लिए छत्तीसगढ़ राज्य में पेपर लाते हैं तो छत्तीसगढ़ का राज्य परिवहन प्राधिकार के अधिकारी क्या धृतराष्ट्र बन बैठे हैं? जो इन्हीं चुनिंदा नामों के फर्जीवाड़ा करने वाले लोग दूसरे राज्यों का फर्जी निवासी बनकर दूसरे राज्यों से लाए गए अंतर राज्य परमिट लाए गए परमिटो पर सीएस कर रहे हैं? क्या वहां बैठे अधिकारी मार्ग पर किसी का 100 प्रतिशत कब्जा ना हो इस नियम से वाकिफ नहीं है? किसी भी रोड में एक मालिक का जब कब्जा हो जाता है तो वह मनमानी करने लगता है और यात्रियों से गंदा व्यवहार करने लगता है, वही इस नाम के चारों लोग लगातार एसटीए कार्यालय जाते हैं और अधिकारियों से मिलते भी हैं इनके बीच घंटों चर्चाएं भी होती है इसके बाद भी इन्हें बिहार और झारखंड राज्य का किस नियम के तरह से वहां का निवासी मानकर छत्तीसगढ़ के सीएस कर रहे हैं?