- नहीं थमने का नाम नहीं ले रहा राजहंस बस के संचालक की मनमानी
- अवैध तरीके से संचालित कर रहा है रांची और पटना की यात्री बसें फर्जी नामों पर बना रहा है बारात परमिट,
- दूसरे नाम के यात्रियों को बैठाकर कर रहा है धोखा घड़ी व फर्जीवाड़ा
- यात्रियों और प्रदेश सरकार के साथ कर रहा बड़ा षड्यंत्र, परिवहन विभाग के अधिकारी नहीं कर रहे हैं कार्यवाही
-रवि सिंह
एमसीबी/अंबिकापुर 24 जुलाई 2023 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ प्रदेश के राज्य परिवहन प्राधिकार के अधिकारियों के निर्देश के बाद भी राजहंस कंपनी के बस मालिक अपनी मनमानी करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, बारात परमिट के नाम पर राजनगर से बिहार पटना अवैध तरीके से बस का संचालन कर रहे हैं विभाग बारात परमिट जारी करता है तो उसमें बारातियों के नाम की सूची होती है जिन व्यक्तियों की सूची होगी वही व्यक्ति उस बस में यात्रा कर सकेगा, लेकिन राजहंस बस संचालक अपनी जालसाजी करने की आदत से बाज नहीं आ रहे हैं किसी अन्य व्यक्ति के नाम का परमिट लेकर किसी अन्य व्यक्ति को धोखे में बैठा कर फर्जी तरीके से यात्रियों को राजनगर से रांची बिहार पटना तक यात्रा करवा रहे हैं शासन और बीमा कंपनी की ओर से मिलने वाली राहत राशि से यात्रियों को वंचित कर रहा है सनद रहे कि इन बारात परमिटो में जिन जिन व्यक्तियो का नाम रजिस्टर्ड रहता है उस व्यक्ति को ही आपातकाल में लाभ मिलता है ऐसा मोटर व्हीकल एक्ट कहता है।
उल्लेखनीय है कि पिछले 1 माह से बैतूल और उसका भांजा इरशाट, एक अवैध बस का संचालन मध्यप्रदेश के राजनगर से बिहार पटना तक कर रहे हैं जिसमें यह समय-समय पर सीजी 15 एबी 1235 सीजी 15 ए बी 0773, बी आर 02 पी बी 8287 सीजी 15 एबी 0788 के अतरिक्त कई बसों में बारात परमिट लेकर सरकार और यात्रियों दोनों की आंख में धूल झोंक रहे हैं,88.8 और रिजर्व पार्टी परमिट संचालन के नियमों में यह आता है कि जिस व्यक्ति का नाम पर परमिट बना है वही व्यक्ति उस बस में बैठकर जा सकता है लेकिन बस संचालक दूसरे व्यक्तियों को बैठाकर फर्जी तरीके से बस का संचालन कर रहा है बेचारा सीधा-साधा यात्री जो इन सारे नियमों को नहीं जानता वह इन चतुर और षड्यंत्रकारी बस मालिकों के षड्यंत्र में फंस रहा है।
संबंधित विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता से बस संचालक को मिला है अभय वरदान
संबंधित विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता से बस संचालक को मिल गया है अभय वरदान, यही वजह है कि वह नियमों की धज्जी उड़ा रहे हैं और अधिकारी हाथ में हाथ धरे बैठे हैं, चाहे जिसको जितनी शिकायत करनी है कर ले, पर कार्यवाही तो इस बस संचालक पर नहीं होगी, क्या जब तक अधिकारी ना बदल जाए और जब तक रायपुर के मंत्रालय से फरमान ना आ जाए तबतक कार्यवाही नहीं होगी? उल्लेखनीय है कि बीते दिवस बस मालिकों की शिकायत पर एसटीए के अधिकारियों ने अंबिकापुर के आईटीओ को निर्देश दिया था कि इस प्रकार की बस अवैध तरीके से राजहंस कंपनी के द्वारा चलाई जा रही है उसे तत्काल बंद किया जाए अधिकारियों ने उसकी जांच करने सड़कों पर बेड़ा लगाया लेकिन इस बीच में इस बस मालिक को उसके बस पकड़े जाने की खबर हो गई वह दूसरे रास्ते से भाग गया, बस मालिक अपनी काली कमाई की जुगत में यात्रियों के साथ धोखा कर रहा है वह प्रतिदिन मनेंद्रगढ़ चिरमिरी बैकुंठपुर सूरजपुर विश्रामपुर भटगांव जरही के यात्रियों को बारात परमिट के नाम पर बस में बैठा कर ले जाता है और पुनः बिहार से दूसरे यात्रियों को बैठा कर ले आता है, नियमों के तहत जो यात्री यहां से जा रहे हैं वही यात्री वहां से वापस लौटेंगे लेकिन या बस मालिक अपने लाभ के लिए यात्रियों के साथ धोखा कर रहा है वही बी आर नंबर की बसों का छत्तीसगढ़ के भाग का लगभग एक माह का रूपए 39000 टैक्स होता है उसे बिना पटाया बस का संचालन कर रहा है रामानुजगंज में आरटीओ का बैरियर भी है वहां पर प्रति गाड़ी रुपए 1000 रुपए प्रति चक्कर देकर आने की बात उसका कंडक्टर करता है।
बस मालिक सरकार को लगा रहे चूना,परमिट बारात का ढो रहे यात्री
बस मालिक सरकार को भी चूना लगा रहा है 88,8 रिजर्व पार्टी एवं बारात परमिट मात्र 1 फेरे के लिए बनते हैं एक बार बस मालिक यहां से बारातियों को बैठा कर ले जाएगा और उन्हीं बारातियों को 1 दिन या 2 दिन बाद वापस ले आएगा लेकिन यह विभाग से सांठगांठ कर 1 महीने का परमिट लेता है और एक चक्कर का टैक्स पटाता है बस मालिक सरकार को अभी तक इस मार्ग पर लाखों रुपए का चूना लगा चुका है।