- सरगुजा में भी 300 से अधिक शिक्षकों को दी गई है पैसे लेकर मनचाही पोस्टिंग,किया गया है उनके आदेश में भी संशोधनःसूत्र
- पदोन्नति में पोस्टिंग का खेल खेलकर राज्य के पांचों संयुक्त संचालक शिक्षा ने कमाया करोड़ों,अब विभाग करा रहा जांच
- जांच में पहली कार्यवाही सामने आई,बिलासपुर संयुक्त संचालक शिक्षा हुए निलंबित।
- संशोधन सहित काउंसलिंग में पैसे लेकर की गई पदोन्नत शिक्षकों की पोस्टिंग,यह है आरोप
- सरगुजा संभाग में भी पोस्टिंग संशोधन सहित मनचाही पोस्टिंग के नाम हुई है जमकर वसूली
- क्या सरगुजा संयुक्त संचालक शिक्षा पर भी गिरेगी निलंबन की गाज,उठ रहा सवाल?

-रवि सिंह-
अंबिकापुर/कोरिया 24 जुलाई 2023 (घटती-घटना)। प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग में जमकर भ्रष्टाचार हुआ और यह भ्रष्टाचार संभागीय संयुक्त शिक्षा कार्यालय के द्वारा किया गया अब जिसकी जांच की जा रही है और विभाग मामले में पांचों संभागीय संयुक्त संचालक कार्यालय की जांच करा रहा है जिसमे पहली कार्यवाही सामने भी आ गई है और बिलासपुर के जेडी निलंबित कर दिए गए हैं। बिलासपुर जेडी के द्वारा पदोन्नति में शासन की मंशा के विपरीत कार्य किया गया और पदोन्नत शिक्षकों से पैसे लेकर उन्हें मनचाही पोस्टिंग दी गई जिसके बाद मामला तुल पकड़ा और शिकायत हुई और जिसके बाद जांच संस्थित की गई और आरोप सही पाए जाने पर कार्यवाही हुई।
बिलासपुर जेडी पर कार्यवाही के बाद अब देखना यह है की प्रदेश के अन्य चार शेष बचे जेडी जिनके ऊपर भी पदोन्नति पोस्टिंग में पैसे लेकर पोस्टिंग करने का आरोप लगा है और शासन की मंशा पर पानी फेरकर उन्होंने अपनी जेबें भरी यह भी आरोप उनके ऊपर लगा है। मामले में स्कूल शिक्षा विभाग ने पांचों जेडी की जांच का जिम्मा जो पदोन्नति से जुड़े मामले की जांच है संभाग आयुक्त सभी पांचों संभाग छत्तीसगढ़ को दिया गया है जिसमे बिलासपुर संभाग आयुक्त की तरफ से पहली कार्यवाही की गई है और जेडी बिलासपुर अब निलंबित कर दिए गए हैं क्योंकि आरोप सही पाए गए हैं।
क्या सरगुजा संयुक्त संचालक शिक्षा के विरुद्ध भी होगी कार्यवाही,उठ रहे सवाल?
पदोन्नति मामले में पैसा लेकर मनचाही पोस्टिंग दिए जाने का आरोप सरगुजा संभाग के संयुक्त संचालक शिक्षा पर भी आरोप लगे हैं, शासन स्कूल शिक्षा विभाग ने इसकी भी जांच का आदेश दिया हुआ है जो संभाग आयुक्त राजस्व सरगुजा द्वारा जांच की जा रही है। अब देखना है की सरगुजा जेडी के विरुद्ध भी कार्यवाही होती है,क्योंकि प्रदेश में सबसे पहले आरोप भी सरगुजा जेडी के ऊपर लगा था और उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत बताने का प्रयास किया था जबकि सरगुजा में ही 300 से ज्यादा शिक्षकों से पैसे लेकर उन्हें मनचाही पोस्टिंग दी गई और जिसके लिए संशोधन भी बड़े पैमाने पर किया गया।
संशोधन कर मनचाही पोस्टिंग देने मामले में सरगुजा संभाग अव्वल हो सकता है,जांच हुई तो खुलेंगे राज
केवल सरगुजा संभाग में ही पदोन्नति पश्चात मनचाही पोस्टिंग इस पैमाने पर किया गया की यदि अन्य संभागों से तुलना की जाए तो यह संभाग संशोधन मामले में अव्वल हो सकता है। जिन्हे मनचाही पोस्टिंग चाहिए थी उन्हे काउंसलिंग में उपस्थित रहने से भी छूट प्रदान किया गया था जिससे अन्य शिक्षकों से मामले को छिपाया जा सके। प्रदेश का सबसे पहले पदोन्नति प्रकिया पूर्ण करने वाला संभाग भी सरगुजा ही था और पोस्टिंग में खेल की शुरुआत भी यहीं से हुई थी जिसका कई बार खबर भी प्रकाशित हुआ था।
करोड़ों की हुई है वसूली,एक एक शिक्षक से डेढ़ से दो लाख तक लेकर दी गई मनचाही पोस्टिंग
सरगुजा संयुक्त संचालक शिक्षा कार्यालय द्वारा पूरी पदोन्नति प्रक्रिया को इस तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाया गया की मामले में कई करोड़ शिक्षकों से उन्हें मनचाही पोस्टिंग देने के नाम पर वसूल लिए गए। एक एक शिक्षक जिसे मनचाही पोस्टिंग की दरकार थी उससे डेढ़ से दो लाख तक की राशि वसूली गई और उन्हें या तो काउंसलिंग के दौरान ही या संशोधन कर मनचाही पोस्टिंग दी गई। पूरा भ्रष्टाचार का खेल कई करोड़ों का होने के कारण ही अब मामले में जांच भी सुस्त है क्योंकि मामला आर्थिक लाभ से जुड़ा हुआ है।
कई शिक्षक भ्रष्टाचार की वजह से वंचित हो गए पदोन्नति से
सरगुजा में कई ऐसे शिक्षक भी सामने आए जिन्होंने विरोध तो सामने से नहीं किया लेकिन जब उन्हें बड़े स्तर पर लेनदेन की बात पता चली उन्होंने पदोन्नति लेना ही अस्वीकार कर दिया क्योंकि उनके हक का स्कूल पोस्टिंग में पैसे लेकर किसी और को दे दिया गया। बताया जा रहा है की जो शिक्षक वरिष्ठ थे सूची में और जिन्हे मनचाही पोस्टिंग मिल सकती थी उन्हे वह पद काउंसलिंग में दिखाए ही नहीं गए जो उनके हक के थे वरिष्ठ होने के नाते और वह पद चूंकि पैसे लेकर किसी और को दे दिए गए इसलिए उन्होंने पदोन्नति नहीं लेने का निर्णय लिया और पदोन्नति छोड़ दी।
शिक्षकों के वॉट्सऐप समूह में आदेश से पहले ही पोस्टिंग का बधाई संदेश हो गया था वायरल,वहीं से भ्रष्टाचार का मामला हुआ था उजागर
सरगुजा संभाग में संयुक्त संचालक शिक्षा कार्यालय द्वारा जो पदोन्नति प्रक्रिया काउंसलिंग के द्वारा संपन्न की जा रही थी उसमें भ्रष्टाचार हो रहा है इसकी पोल कुछ शिक्षकों ने ही खोल दी थी जिन्होंने पैसे देकर पद पहले से अपने लिए तय कर लिए थे और उन्होंने आदेश निकलने का भी इंतजार नहीं किया था और अपनी पोस्टिंग जो उन्हे पैसों के बल पर मिली थी उसको लेकर उन्होंने वाट्सएप समूह में बधाई लिख दी थी और तब अन्य शिक्षकों को भ्रष्टाचार का मामला पता चल सका था और उन्होंने जाकर विरोध भी दर्ज किया था ।
विरोध दर्ज करने पर शिक्षकों पर ही की थी सरगुजा जेडी ने कार्यवाही,कुछ को भयभीत करने किया था निलंबित
पदोन्नति पोस्टिंग में पैसों का खेल चल रहा है और इसकी पुष्टि जब शिक्षकों के सामने हुई जो एक शिक्षकों के ही वॉट्सएप समूह के माध्यम से पुष्टि हुई जिसमे बिना आदेश जारी हुए ही पोस्टिंग की बधाई दी जा रही थी तब कुछ शिक्षकों ने मामले में जेडी कार्यालय पहुंचकर इसका विरोध दर्ज करने का प्रयास किया था। विरोध दर्ज करने पहुंचे शिक्षकों को पहले तो जेडी ने बाहर से ही भगाने का प्रयास किया लेकिन जब शिक्षक विरोध करते रहे तो उनमें से ही कुछ को जेडी ने भयभीत करने निलंबित कर दिया और जिन्हे बाद में बहाल भी कर दिया जिससे बात आगे न बढ़े और भ्रष्टाचार का खेल पूरा हो सके।
संशोधन कर,पद हाईड कर,आपसी सहमति के लिए मैदान तैयार कर…फर्जी चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर…शिक्षकों इस तरह दी गई मनचाही पोस्टिंग…
जेडी अंबिकापुर के द्वारा जिन शिक्षकों से पैसा लिया गया मनचाही पोस्टिग के लिए उनके लिए कई तरह से उनकी मनचाही पोस्टिंग की व्यवस्था की गई,सबसे पहले जितनों का संभव हो सका पद काउंसलिंग से हटाकर उन्हे लाभ दिया गया,जैसे वरिष्ठ जिन्हे पहले पद दिखाए जाने थे उन्हे वह पद रिक्त दिखे ही नहीं जो उनसे कनिष्ठ को मिल गए,फर्जी चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर भी लाभ दिया गया,जो या जिन्हे वह बीमारियां नहीं थीं जिनको लेकर काउंसलिंग में छूट मिलनी थी उन्हे भी चिकित्सा प्रमाण पत्र का लाभ दिया गया जबकि वह प्रमाण पत्र मेडिकल बोर्ड के होने चाहिए थे जबकि मेडिकल बोर्ड खुद जेडी बन बैठे थे और जिन्हे लाभ देना था उन्हे प्रदान किया। कुछ शिक्षकों के लिए आपसी सहमति का रास्ता भी तैयार किया गया भ्रष्टाचार करने के लिए,कुछ शिक्षक को पहले अलग अलग जिलों में पोस्टिंग दी गई जिससे विरोध जन्म न ले सके और फिर आपसी सहमति बताकर संशोधन कर दिया गया। संशोधन भी व्यापक स्तर पर किया गया,जिनका संशोधन करना था उन्हे पहले ही निर्देश था वह कार्यभार ग्रहण न करें और जहां मिल सके पोस्टिंग ले लें,बाद में संशोधन कर दिया जायेगा,हुआ भी वही,जिनसे पैसा लिया गया सभी का संशोधन हुआ और वह आज मनचाही जगह पर कार्यरत हो चुके हैं और जिन्होंने पैसा नहीं दिया या तो वह वंचित रह गए या दूरस्थ भेज दिए गए।