- फर्जी दस्तावेज लगाकर बेची गई थी जमीन,सभी नामांतरण को शून्य घोषित करते हुए दिया गया स्थगन
- स्थगन मिलने से विष्णु सिंह के लिए अच्छी खबर तो वही बिल्डर के लिए बढ़ी मुसीबत
- मामला न्यायलय में विचाराधीन था फिर भी जमीन बिकती गयी,नामांमरण होता गया
- कुंभकरण भी एक बार जरूरत पढ़ने पर उठ़ा पर राजस्व पूरे चार साल सोता रहाःविष्णु सिंह
-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,20 जुलाई 2023 (घटती-घटना)। बहुचर्चित बैकुंठपुर प्रेमा बाग जमीन मामले में नया अपडेट अनुसार विष्णु सिंह के लिए राहत वाली खबर है न्यायालय के द्वारा स्थगन आदेश जारी किया गया है सारे नामांतरण शून्य घोषित करते हुए। अपर जिला न्यायाधीश बैकुंठपुर जिला कोरिया पीठासीन अधिकारी विनय कुमार प्रधान के न्यायालय में बहुचर्चित मामला प्रेमाबाग जमीन का सुना जा रहा था, जिसमें विष्णु सिंह आत्मा स्व. धनुषधारी सिंह उम्र 63 वर्ष जाति राजगोंड निवासी ग्राम नवापारा पटना तहसील बैकुंठपुर जिला कोरिया के द्वारा 11 लोगों को पार्टी बनाया गया था, जिसमें माँ वैष्णो एसोसिएट प्रा. लिमिटेड द्वारा निर्देशक संजय अग्रवाल आ. मंहगीलाल अग्रवाल, उम्र 47 वर्ष, निवासी स्कूलपारा बैकुंठपुर, तहसील बैकुंठपुर, जिला कोरिया (छ.ग.), अब्दुल रहीम आ. अब्दुल अजीज, उम्र 40 वर्ष, निवासी ग्राम मानी पो. लोलकी थाना व तहसील प्रतापपुर, जिला सूरजपुर (छ.ग.), विनोद कुमार सिंह उर्फ रघुनंदन प्रताप सिंह, उम्र 65 वर्ष, निवासी ग्राम नवापारा पटना, तहसील बैकुंठपुर, जिला कोरिया (छ.ग.), लोकप्रिया सिंह पति स्व. के. के. सिंह, उम्र 50 वर्ष,अन्नपूर्णा सिंह आ. स्व. के. के. सिंह,अपर्णा सिंह आ. स्व. के. के. सिंह क्र. 4 से 6 सभी निवासी कवितानगर रायपुर तहसील एवं जिला रायपुर (छ.ग.), विजय लक्ष्मी सिंह आ. स्व. धनुषधारी सिंह पति विरेन्द्र कुमार सिंह, निवासी मकान नं. सी / 138 विद्यानगर होशंगाबाद भोपाल मध्यप्रदेश, आशा सिंह पुत्री स्व. धनुषधारी सिंह, उम्र 48 वर्ष, पति उदय सिंह मरावी, निवासी सेंधवा, जिला बड़वानी मध्यप्रदेश, डॉ. जितेन्द्र कुमार सिंह आ. पुरुषोतम सिंह, उम्र 60 वर्ष, डायरेक्टर महामाया हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर, निवासी चोपडा कॉलोनी अंबिकापुर, जिला सरगुजा (छ.ग.), अमित गुप्ता आ. हेतराम गुप्ता, उम्र 30 वर्ष, निवासी स्कूलपारा बैकुंठपुर, जिला कोरिया (छ.ग.) छत्तीसगढ़ राज्य के विरुद्ध सुनवाई की जा रही थी, इनमें जमीन खरीदने वाले से लेकर, फर्जी उत्तराधिकारी बन फर्जी दस्तवेज लगाने वाले से लेकर शासन तक को पार्टी बनाया गया है। विष्णु सिंह द्वारा इस मामले को न्यायालय में लाया गया था, जिसकी सुनवाई के दौरान न्यायालय ने स्थगन आदेश जारी कर दिया है जिसमें जमीन खरीदने वाले सभी लोगों को झटका लगा है साथ ही सारे लोगों का नामांतरण भी शुन्य घोषित किया गया।
यह है पूरा मामला
प्रेमाबाग जमीन मामला काफी पेचिदा के साथ रोचक भी था है पर यदि इसकी कहानी के तह जाये जाये तो प्रार्थी विष्णु सिंह अपने ही काबिज जमीन के लिये कई सालों न्याय की गुहार लगाते रहे। पर पैसे के दम पर संजय अग्रवाल उस जमीन को हड़पने के लिये साम, दाम, दण्ड भेद सभी लगाया और एक प्रार्थी को अपने ही जमीन से बेदखल करने का कारनामा कर दिखाया। जबकी प्रार्थी के पास अपनी जमीन की रजिस्ट्री, ऋण पुस्तिका व जमीन का पटाया हुआ मालगुजारी रसीद यहां तक कि नगर पालिका बैकुण्ठपुर को भी आवास शुल्क पटाया गया था। फिर भी राजस्व विभाग कुंभकरण की नींद सोया रहा और अपनी ही मनमानी चलाता रहा। एक बार कुंभकरण भी जरूरत पर उठता था पर राजस्व ने लगभग चार साल तक उठ¸ने की न सोची। जिसका नतीजा यह है कि आज पुलिस को चार साल बाद इस मामले में आना पड़ा और प्रार्थी विष्णु सिंह के ही चार साल पुराने एफआईआर पर कार्यवाही सुनिश्चित कर बिल्डर को जेल भेजा गया। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि 2017 से 2020 में कई थाना प्रभारी व एसपी बदले पर किसी ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया पर वहीं तकालीन पुलिस अधीक्षक चन्द्रमोहन सिंह ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुये जमीन घोटाले की सबसे बड़ी कार्यवाही शुरू की जो आज प्रदेश में बहुचर्चित है। साथ ही भूमाफिया व राजस्व विभाग पुलिस अधीक्षक के इस कार्यवाही से घबराया।
1950 क्रेता मुज्जफर वल्द नूरखां से खरीदा गया था जमीन
प्रेमाबाग जमीन मामले के प्रार्थी विष्णु सिंह ने बताया कि यह जमीन उनके पिता धनुषधारी सिंह ने 1950 क्रेता मुज्जफर वल्द नूरखां खरीदा था और उस समय से उस जमीन पर कब्जा था जिसका वर्तमाना वर्तमान खसरा नं. 330 है जिसमें घर, कुंआ व आम का पेड़ था जिसमें हम लोग रहा करते थे। फिर हम लोग पटना आ गये और पटना में रहने लगे। इसी बीच वहां घर खाली पड़ा था हमारे पास जमीन की रजिस्ट्री व ऋण पुस्तिका मौजुद थी जिसमें जमीन का शुल्क भी पटना दर्शाया हुआ है। यहां तक कि बने आवास का नगर पालिका बैकुण्ठपुर में शुल्क पटाने की रसीद मौजुद है। पर 29 अप्रैल 2017 को संजय अग्रवाल ने अपने साथियों के साथ जबरन, बलपूर्वक मेरे मकान को तोड़ा, पेड़ को काटा और कुएं को भी पाट दिया जिसकी शिकायत मैंने 01 मई 2017 को बैकुण्ठपुर थाने में दर्ज करायी तब पता चला कि मेरी जमीन संजय अग्रवाल के नाम पर हो गयी है। मैंने राजस्व विभाग से व पुलिस विभाग को अपने तमाम दस्तावेज दिखाये पर किसी ने मेरी नहीं सुनी। मामला न्यायलय में था और ईधर राजस्व विभाग के साथ मिलीभगत कर जमीन बेचता रहा और रजिस्ट्री व नामांतरण होती रही। सबसे ताजुब तो तब हुआ जब राजस्व विभाग मेरी न सुनकर संजय अग्रवाल के ईशारों पर नाचता रहा। 2017 से लेकर 2020 तक जमीन बिकती रही और नामांतरण होते रहे। राजस्व विभाग के जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी संजय अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत फर्जी दस्तावेज के आधार पर मेरी जमीन को दूसरे के नाम करते रहे। जब संजय अग्रवाल का स्थानीय विधायक से पंगा फंसा तब मेरे ही एफआईआर के आधार पर संजय अग्रवाल को गिरफ्तार किया गया। और जब पुलिस जांच शुरू की तो परत दर परत मामले से पर्दा उठ¸ा और कई जिम्मेदार, पुलिस के हाथ लगे फिर भी इस प्रकरण में दोषीयों को सजा होनी बाकी है।
प्रेमाबाग जमीन मामले के कुछ महत्वपूर्ण पहलू
प्रार्थी विष्णु सिंह के अनुसार संजय अग्रवाल ने इस जमीन के राजस्व विभाग के साथ मिलकर जिसे मेरे पिता ने जमीन ख़रीदा था उनके वंशावली व उसका फर्जी मृत्यू प्रमाण पत्र अन्य जिले से बनवा लिया। जिसके आधार पर यह मेरी भूमि को अपने ही आदमी राजेश सिंह को मुख्तियारनामा आम तैयार कर अपने नाम पर रजिस्ट्री करा ली। पर सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि मुख्तियारनामा देने वाले के नाम पर ही जमीन नहीं हुयी और मुख्तियारनामा रजिस्ट्रार ने राजेश सिंह के नाम बना दिया जो नियम के विपरीत था। मामला यहीं से शुरू हुआ जब रजिस्ट्रार ने मुख्तियारनामा बनाया और उसी मुख्तियारनामा के आधार पर संजय अग्रवाल ने अपने नाम पर रजिस्ट्री करा ली। मुख्तियार नामा के आधार पर संजय अग्रवाल ने जमीन अपने नाम रजिस्ट्री कराने के उपरांत कई नामी लोगों को जमीन विक्रय भी कर लिया। जिन-जिन लोगों को जमीन बेची गयी उनके नाम पर जमीन का नामांतरण भी हो गया पर इस बीच यह प्रकरण न्यायलय में लंबित था। और धड़ल्ले से राजस्व अधिकारीयों ने नामांतरण भी जारी कर दी।
बुलडोजर से वादी के मकान को तौड़कर कब्जा किया गया
विविध व्यवहार अपील क्र. 02/2021 वर्ष 2017 में जैसे ही उसने नामांतरण कराया बुलडोजर ले करके वादी के मकान को तौड़कर कब्जा कर लिया गया, जिसके संबंध में वादी के शिकायत पर संजय अग्रवाल और अन्य लोगों के विरुद्ध थाना बैकुंठपुर में अपराध क्रमांक 131/2017 धारा 188, 294, 506, 323, 395, 427, 447, 448, 467, 468, 120 बी भा.दं.सं. एवं धारा 3 (2) (वीआई) (वी) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 पंजीबद्ध किया गया है।
इस आधार पर मिला स्थगन
न्यायलय में प्रस्तुत जवाबदावा का अवलोकन से पता चला की शमशेर खान और मुजफर खान के अकेले उत्तराधिकारी नूर जहां और अब्दुल रहीम नहीं बल्कि शकीना, फरीद खान, शरीफ खान, बशीरून भी हैं। परन्तु उनके बारे में कोई जानकारी दिये बिना उक्त तथ्य को छिपाते हुए अब्दुल रहीम अपने नाम पर भूमि नामांतरण कराकर विक्रय कर दिया है। प्रकरण में उक्त संबंध में कलेक्टर कोरिया द्वारा डिप्टी कलेक्टर सुमन राज से जाँच करायी गयी थी। जिसमें यह पाया गया था कि समस्त नामांतरण नियमों को दरकिनार करते हुए तहसीलदार द्वारा वादभूमि का नामांतरण अब्दुल रहीम के पक्ष में किया गया और फिर आम मुख्त्यार राजेश सिंह के विक्रय के आधार पर विक्रय किया गया। भूमि जिला अस्पताल के पीछे हैं जो बेश कीमती है। उक्त संपूर्ण कार्यवाही उप पंजीयक, तहसीलदार बैकुंठपुर एवं हल्का पटवारी द्वारा क्रेता संजय अग्रवाल को लाभ पहुंचाने हेतु किया गया है। प्रथम दृष्टया प्रतिवादीगण के जवाबदावा के अवलोकन से दर्शित होता है कि अकेले अब्दुल रहीम के नाम पर वादभूमि का नामांतरण नहीं हो सकता था और विविध व्यवहार अपील क्र. 02/2021 अकेले विक्रय करने का अधिकार भी नहीं था। ऐसे में क्रेतागण को भी उससे प्रथम दृष्टया कोई अधिकार उत्पन्न नहीं होता है। प्रथम दृष्टया यह भी दर्शित होता है कि वादभूमि वादी के कब्जे में थी। ऐसे में बिना कब्जे के विक्रय पत्र के आधार पर प्रतिवादीगण को भी कोई स्वत्व उत्पन्न नहीं होता है, क्योंकि कब्जे के बिना विक्रय पत्र के आधार पर अंतरण पूर्ण नहीं होता है। यह भी उल्लेखनीय है कि वादभूमि एक आदिवासी वादी के आधिपत्य में थी और उसका कब्जा गैर आदिवासी द्वारा बलपूर्वक प्रथम दृष्टया ले लिया गया था।