मनेंद्रगढ़@भाजपा के विरोध पर पलटवार करने की बजाए मनेद्रगढ़ विधायक पत्रकारों से कराते दिखे अपनी ही समीक्षा

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  • पत्रकार ने पूछा सवाल विधायक ने कहा आप भाजपाई हो या पत्रकार
  • मनेंद्रगढ़ विधायक हमेशा अपने ही किए कार्य पर हो जाते हैं आलोचनाओं का शिकार
  • विधायक के प्रेसवार्ता में पत्रकारों की चुप्पी समझ के परे,सैकड़ों सवाल के बावजूद सवाल का दिखा अकाल

-रवि सिंह-
मनेंद्रगढ़ 16 जुलाई 2023 (घटती-घटना)। भाजपा के द्वारा मनेंद्रगढ़ विधानसभा के चिरमिरी नगर निगम क्षेत्र में भ्रष्टाचार की बारात निकालने के बाद स्थानीय विधायक ने आनन-फानन में मनेंद्रगढ़ में आयोजित की प्रेस वार्ता जहां पर वह पूर्व विधायक के ऊपर पुराने आरोप को ही लगाते नजर आए और उन आरोपों की कमियों पर पत्रकार सवाल पूछ पाने में असमर्थ दिखे, पत्रकार विधायक की सुनते रहे और 1-2 पत्रकारों ने यदि उनसे सवाल पूछने की कोशिश भी की तो विधायक ने कहा आप पत्रकार हैं या फिर भाजपा के नेता? अब यह बात पत्रकार को नागवार गुजरी तो जरूर पर वह भी कुछ बोल नहीं पाए, अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब पत्रकार नहीं भाजपा के नेता थे तो उन्हें बुलाया ही क्यों गया? आनन-फानन में किया गया प्रेसवार्ता उन्हीं के लिए उल्टा पड़ गया, प्रेसवार्ता के दौरान स्थानीय विधायक अपनी ही समीक्षा पूछते में नजर आए, वह खुद भी अपने कार्यों को लेकर कॉन्फिडेंस नहीं है, जिस वजह से पत्रकारों से पूछ रहे थे कि मेरी क्या स्थिति है? और पत्रकार भी उन्हें क्या बताते हैं कि उनकी क्या स्थिति है? क्योंकि वह बुलाए हुए पत्रकार थे और ज्यादा उनसे बोल सकते नहीं थे, हो सकता है कि ज्यादा सवाल पूछने पर उन्हें मिलने वाला पुरस्कार नहीं मिलता? विधायक ने पूरे पत्रकारवार्ता के दौरान अपनी आगामी चुनाव में जीत हार की स्थिति पर ही ज्यादा समीक्षा की और पत्रकारों से इस बात की पुष्टि चाही की क्या वह जीत सकते हैं क्या उनकी दावेदारी मजबूत है?
आखिर विधायक जी को पत्रकारों से अपनी समीक्षा क्यो करानी पड़ी?
मनेद्रगढ विधायक को पत्रकारों से अपनी ही समीक्षा करते पत्रकार वार्ता में देखा सुना गया। विधायक पत्रकारों से यही पूछते रहे की उनकी स्थिति आगामी विधानसभा चुनाव में क्या होगी? उनके टिकट मिलने को लेकर क्या संभावनाएं हैं और उनकी जीत कितनी तय है, अब विधायक के द्वारा आयोजित पत्रकार वार्ता के बाद यह सवाल उठता है की आखिर विधायक को पत्रकारों से अपनी ही समीक्षा क्यों करवानी पड़ रही है, क्या विधायक अपने ही कार्यकाल से संतुष्ट नहीं हैं? क्या उन्हे विश्वास खुद के कार्यकाल पर नहीं है? जो वह पत्रकारों से ही खुद की समीक्षा प्राप्त कर रहें हैं? विधायक की तरफ से पत्रकार वार्ता में भ्रष्टाचार की बारात को लेकर जवाबी दांव खेलना था लेकिन वह अपनी ही समीक्षा पत्रकारों से करते देखे गए जो पत्रकार वार्ता का पूरे आयोजन में देखा सुना गया।
पत्रकार विधायक से सवाल क्यों नहीं कर पाए?
पत्रकार वार्ता में पत्रकार विधायक से सवाल नहीं पूछ पाए, पूरे पत्रकार वार्ता के दौरान विधायक के ही सवाल सुने गए जो उन्होंने पत्रकारों से पूछे और विधायक ने जो कुछ खुद भाजपा नेताओं पर आरोप लगाए उन्हीं पर पत्रकारों के पास जवाब आए, एक भी पत्रकार विधायक से सवाल पूछ पाने में सफ़ल नहीं हुआ, जिस पत्रकार ने सवाल पूछा भी उसे भाजपाई कहकर विधायक ने चुप करा दिया, इस तरह पत्रकार वार्ता संपन्न हुई। विधायक पूरी तरह सत्ता की धमक पत्रकारों पर दिखाते नजर आए और पत्रकार भी इसी वजह से विधायक की ही सुनते रहे और खुद कोई सवाल उन्होंने ने नहीं पूछा।
विधायक की प्रेस वार्ता में सिर्फ विधायक की सुनी पत्रकारों ने
विधायक द्वारा आयोजित पत्रकार वार्ता में पत्रकार इतने मजबूर नजर आए की उन्हे वही कुछ सुनना पड़ा जो विधायक ने उन्हें कहा विधायक पूरी तरह तैयारी से पहुंचे और जिन भाजपा नेताओं पर उन्हे आरोप लगाने थे उन्होंने आरोप लगाए लेकिन पत्रकारों को कोई सवाल पूछने की छूट उन्होंने नहीं दी, इस तरह पत्रकार भी भ्रष्टाचार की बारात मामले में विधायक से पूछने जो सवाल लेकर पहुंचे थे, वह सवाल वापस लेकर लौट आए। विधायक ने भ्रष्टाचार की बारात मामले में भाजपाइयों पर ही सवाल उठाए और भाजपा के युवा मोर्चा के नेताओं पर जुआ मामले में आरोप भी लगाए, जबकि विधायक को जवाब देना था की उनके कार्यकाल में उनकी ही सरकार में जुआ हो कैसे रहा है वह जवाब देने की बजाए खुद प्रश्न ही करते रहे आरोप ही लगाते रहे।
विधानसभा से जुड़े कई सवाल फिर भी पत्रकारों के पास दिखा सवालों का अकाल
मनेंद्रगढ़ विधानसभा से जुड़े कई ऐसे सवाल थे जो पत्रकार चाहते तो विधायक से पूछ सकते थे,भ्रष्टाचार की बारात में ही जो आरोप भाजपा ने विधायक पर लगाए वह भी सवाल थे जो पत्रकार पूछ सकते थे लेकिन पत्रकारों के पास सवालों का अकाल दिखा,विधानसभा क्षेत्र में जुआ,अवैध शराब,अवैध कबाड़, अवैध कोयला उत्खनन, सड़कों की गुणवत्ता, स्वेक्षानुदान बंदरबांट सहित निगम की लचर स्थिति जिनको लेकर भाजपा की भ्रष्टाचार की बारात आयोजित थी जो सवाल हो सकते थे वह सवाल भी पत्रकार नहीं पूछ सके। इसके पीछे की वजह यह भी रही की जब स्वेक्षानुदान में खुद ही लाभार्थी हों पत्रकार ऐसे में सवाल पूछने की हिम्मत कौन दिखाए।
पत्रकारों के लिए यह थे सवाल पर पूछने की हिम्मत नहीं दिखी…
सवाल- विधायक से पूछ सकते थे की पूर्व विधायक ने यदि अपने कार्यकाल में जमीन बनाई है तो कितनी जमीन बनाई है इसकी सूची प्रदान करें?
सवाल- यदि अपने कार्यकाल में बहुत ज्यादा जमीन व संपत्ति अर्जित की है तो यह मामला आय से ज्यादा संपत्ति का है आखिर इसका आरोप क्यों नहीं है अब तक पूर्व विधायक पर?
सवाल- कितने वन भूमि पट्टा उन्होंने फर्जी तरीके से लिए इसकी सूची कहां है?
सवाल- 2018 से 2023 तक पूर्व विधायक के मामले में आप क्यों रहे चुप?
सवाल- आखिर चुनाव से पहले ही आरोप क्यों? उससे पहले आपको क्या नहीं पता था? जबकि आप खुद विधायक के दावेदार थे यहां तक कि विपक्षी नेता भी?
सवाल- किन-किन आदिवासी व्यक्ति की पूर्व विधायक ने ली जमीन और किन-किन आदिवासियों को किया उन्होंने प्रताड़ित इसकी सूची भी मांग नहीं पाए पत्रकार?


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