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अनूपपुर@जिले में युवाओं के रगो में दौड़ रही जहरीली दवा

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जिले में नशीली दवाओं का बढ़ता कारोबार इस कदर हावी हो गया है कि युवाओं को आसानी से ये सब उपलब्ध कराया जा रहा है…कानून के मुताबिक बिना डॉक्टर की पर्ची के मेडिकल स्टोर में नशीली दवाइयां नहीं बेची जा सकती…लिहाजा युवा वर्ग नशा करने के लिये कोई भी कीमत चुकाने को तैयार है…इसके लिये नशीली दवाइयों को बेचने तथा कालाबाजारी करने के लिये पूरा नेटवर्क काम कर रहा है…इस तरह युवा पीढ़ी इनके चंगुल में फंसकर खोखली होती जा रही है…
जीवन रक्षक बेच रहे जहर, जिले में नशीली दवाओं का बढ़ता जा रहा कारोबार
-अरविंद द्विवेदी-
अनूपपुर,16 जुलाई 2023 (घटती-घटना)।
इन दिनों नशे के लिये उपयोग की जाने वाली दवाइयों में इंजेक्शन, टेबलेट और सिरप तीनों प्रकार से नशीली दवाईयां बाजार में उपलब्ध हैं। दवाईयों का नशा करने का जो सबसे बड़ा फायदा युवाओ को होता है, वो ये कि नशे की हालत में उनके मुंह से दुर्गंध नही आती व आंखों में लाल डोरे नहीं दिखाई पड़ते। जिसकी वजह से नशा करने के बाद भी युवा अपने परिजनो, दोस्तों के बीच रहे आते हैं और किसी को भी उनके नशे में होने की भनक तक नही लगती।
ऐसे मिलती है दवाइयां
शहर के कुछ मेडिकल स्टोर्स में नशीली दवाओ का कारोबार फल-फूल रहा है। हालांकि ये दुकानदार कानून से बचने के लिये जान पहचान वाले तथा नियमित ग्राहकों को ही दवाइयों की बिक्री करते हैं। जबकि अंजान ग्राहक को देखते ही दवा न होने का बहाना बना लेते हैं। इस तरह उनका धंधा भी चल रहा है और कानून का फंदा इनके गले तक नहीं पहुंच पा रहा है।
सम्पूर्ण जिला बना सेन्टर
शहर में दवाईयों के न मिलने पर युवा वर्ग जिले के कोतमा, बिजुरी, भालूमांडा तथा पुस्पराजगढ तक जाकर इसे खरीदते हैं। जबकि मेडिकल दुकान संचालकों द्वारा जबलपुर, कटनी के साथ ही बुढ़ार से इन दवाइयों की खेप मंगाई जाती है। जानकारी के अनुसार नशीली दवाइयों को सस्ती कीमत में खरीदकर मंहगे दामों पर बेचने में अच्छा खासा मुनाफा होता है। जिसकों देखते हुए दवाईयों की कालाबाजारी चरम पर हो रही है। इस कारोबार में हाईप्रोफाईल से लेकर लो कटेगरी तक के लोग शामिल हैं और एक नेटवर्क बनाकर इस पूरे धंधे को अंजाम तक पहुंचा रहे हैं।
अकुशल दे रहे दवा

● टेबलेट का नाम-नाईट्रावेट (10एमजी), निद्राजिपम, विलियम 10, नाईट्राबेट
● इंजेक्सन का नाम-जोसीन, फोर्टवीन, कम्पोज
● सिरप का नाम -कोरेक्स, रेसकप, फैंसीडिल
एक खास बात यह है कि जिले में कई मेडिकल स्टोर ऐसे हैं जहां पर फार्मासिस्ट तथा प्रोप्राईटर के अलावा दूसरे लोग अवैध रूप से मेडिकल दुकानों को संचालित करते हैं। इनमें से कुछ लोग स्वास्थ्य की शिक्षा से भी कोसो दूर है। जिनके द्वारा मरीजों को दवाईयां देने का काम किया जा रहा है। ऐसे में मरीजों की जान को खतरा है।
तैनात है ड्रग इंस्पेक्टर
नशीली दवाईयों की अवैध बिक्री पर रोक लगाने के लिये शासन द्वारा जिले में एक ड्रग इंस्पेक्टर को तैनात किया गया है जो अनुपपुर में न रहकर जबलपुर से ही काम पूरा कर रहे हैं। महीने में एक बार आते हैं और कागजी खानापूर्ति कर कोरम पूरा कर लिया जाता है। यही वजह है कि नशीली व एक्सपायरी डेट की दवाईयां धड़ल्ले से खपाई जा रही हैं। इतना ही नही अशिक्षित ग्राहकों को फार्मूला बदलकर दवा थमा दी जाती है।
क्या कहता है कानून
डॉक्टर द्वारा लिखी पर्ची देखने के बाद ही नशीली दवा देने का प्रावधान है। यहां तक कि पर्ची पुरानी नही, उसी दिन की होनी चाहिये और इसका लेजर भी मेंटेन भी होता है।
जिम्मेदार के बोल
डॉक्टर के लिखे अनुसार ही दबाई देने का प्रावधान है, यदि कोई इसके विपरित दवा बेंच रहा है तो गलत है।
राजेश जैन
अध्यक्ष दवा विक्रेता संघ अनूपपुर

आपके माध्यम से जानकारी प्राप्त हुई है, निश्चित ही कार्यवाही की जाएगी।
अशोक अवधिया
मुख्य चिकित्सा अधिकारी, अनूपपुर


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