बैकुण्ठपुर@बैकुंठपुर के बिल्डर को मिला उच्च न्यायालय से झटका,याचिका हुई खारिज

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  • बिल्डर की याचिका पर उच्च न्यायालय ने की टिप्पणी,अब बिल्डर की याचिका हुई खारिज
  • बिल्डर ने एक दर्जन से अधिक लोगों पर लगाया था आरोप,पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों पर भी था आरोप

-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,14 जुलाई 2023 (घटती-घटना)। कोरिया जिले के बैकुंठपुर के बिल्डर को उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ से बड़ा झटका लगा है, उच्च न्यायालय ने बिल्डर की एक याचिका खारिज कर दी है जिसमे बिल्डर ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों सहित एक दर्जन से अधिक लोगों पर आरोप लगाया था। शहर के बिल्डर संजय अग्रवाल की पत्नी सीमा अग्रवाल के द्वारा लगाई गई, रिट पिटीशन को हाई कोर्ट बिलासपुर ने खारिज कर दिया, इस रिट पिटीशन में राज्य के प्रमुख सचिव, कलेक्टर, एसपी, सीएमओ के साथ तत्कालीन कलेक्टर, एसपी, डीएसपी, नगर पालिका सीएमओ, दो टीआई और दो शिकायतकर्ताओ को पार्टी बनाया गया था।
जानकारी के अनुसार बिल्डर संजय अग्रवाल के साथ उनकी पत्नी सीमा अग्रवाल के खिलाफ कई मामले दर्ज है, वर्ष 2020 में बिल्डर संजय अग्रवाल को पुलिस ने जेल दाखिल कर दिया था लगभग 7 माह जेल में रहने के बाद अप्रैल 2021 में जमानत पर वो रिहा हुए, उसके बाद उनकी पत्नी सीमा अग्रवाल ने राज्य के प्रमुख सचिव, कलेक्टर, एसपी, सीएमओ के साथ तत्कालीन कलेक्टर सत्य नारायण राठौर, तत्कालीन एसपी चंद्रमोहन सिंह, तत्कालीन डीएसपी धीरेंद्र पटेल, तत्कालीन नगर पालिका सीएमओ ज्योत्स्ना टोप्पो, तत्कालीन टीआई विमलेश दुबे और केके शुक्ला के साथ दो शिकायतकर्ता संजय जायसवाल और रामजी सिंह रवि के खिलाफ रिट पिटिशन दायर की, पिटीशन में कहा गया था कि उनके पति और उनको तत्कालीन जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के प्रमुख और सभी 13 लोगो ने षड्यंत्र के तहत उनके पति और उनके परिवार को फंसाया। जिसके बाद सभी 13 लोगो को हाई कोर्ट ने नोटिस जारी किया और सभी से जवाब मांगा, जवाब के बाद हाई कोर्ट ने 11 जुलाई 2023 को दायर पिटीशन को खारिज कर दिया। जिसे 11 जुलाई को माननीय उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा व न्यायाधीश रजनी दुबे याचिकाकर्ता के वकील व राज्य/प्रतिवादियों की ओर से उपस्थित विद्वान महाधिवक्ता और विद्वान वकील को सुना गया, संबंधि के लिए हस्तक्षेपकर्ता, बिलास डे व वर्तमान रिट याचिका के माध्यम से, याचिकाकर्ता ने निम्नलिखित राहत के लिए प्रार्थना की है: संबंधित उत्तरदाताओं को उन आपराधिक मामलों का रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश देना जिनमें याचिकाकर्ता आरोपी है या उसके खिलाफ कोई जांच कर रहा है, अरनेश कुमार बनाम बिहार राज्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने और उनका सख्ती से पालन करने के लिए संबंधित उत्तरदाताओं को आवश्यक रिट, आदेश और निर्देश जारी करना। (2014) 8 एससीसी 273 और धारा में निहित प्रावधान। सीआरपीसी की धारा 41ए जब भी याचिकाकर्ता की कंपनी के रियल एस्टेट व्यवसाय से संबंधित वाणिज्यिक लेनदेन के संबंध में कोई शिकायत पुलिस को प्रतिवादी संख्या 3 के तहत प्राप्त होती है, यह निर्देश देना कि याचिकाकर्ता के खिलाफ किसी भी अपराध की जांच केवल वरिष्ठ डिप्टी एसपी द्वारा की जाए, कोई अन्य राहत देने के लिए जिसे यह माननीय न्यायालय याचिका की लागत के साथ मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में उचित समझे। याचिकाकर्ता के विद्वान वकील का कहना है कि ऐसा प्रतीत होता है याचिकाकर्ता और उसके पति के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए और इसलिए, प्रतिवादी अधिकारियों को अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य, (2014) 8 एससीसी 273 के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया जाए। यह विदित नहीं है कि याचिकाकर्ता के पति को किसी अन्य मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था और जमानत पर रिहा किया गया है। इसलिए जहां तक याचिकाकर्ता का संबंध है, हाई कोर्ट ने अर्नेश कुमार (सुप्रा) के मामले में माननीय शीर्ष न्यायालय के फैसले के अनुपालन के लिए इस न्यायालय से संपर्क किया है। कानून का एक सुस्थापित सिद्धांत है कि सर्वोच्च न्यायालय या इस न्यायालय द्वारा पारित निर्णय और आदेश संबंधित अधिकारियों पर बाध्यकारी हैं। न्यायालय को ऐसे दिशानिर्देशों के अनुपालन के लिए बार-बार निर्देश जारी करने की आवश्यकता नहीं है। यदि प्रतिवादी अधिकारियों द्वारा ऐसे दिशानिर्देशों से कोई विचलन या उल्लंघन होता है, तो याचिकाकर्ता कानून का सहारा लेकर इसे चुनौती देने के लिए स्वतंत्र है। अंत में तत्काल याचिका बिना किसी तथ्य के है ख़ारिज किये जाने योग्य कह कर ख़ारिज कर दिया।
जिनके खिलाफ दायर की गई थी याचिका उन्हें मिली राहत
जिनके विरुद्ध याचिका याचिकाकर्ता ने दायर की थी खारिज होने के बाद उन्हें तो राहत मिलती दिख रही, पर याचिकाकर्ता की राहत की उम्मीद कम दिख रही है, लंबे समय से याचिकाकर्ता समस्याओं से जूझ रहे हैं और समस्या है कि उनका पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रही है उन्हें हर कदम पर हार का सामना करना पड़ रहा है, ऐसा बोला जा रहा है कि यह उनके कर्मों का नतीजा है, अब मामला पूरी तरह से न्यायिक होगा जब सारे मामले ट्राई में शुरू होंगे अब देखने वाली बात होगी कि मामले में बिल्डर को राहत मिलेगी या फिर उन्हें सजा होगी।
क्या है मामला,क्यों दायर की गई थी याचिका
पूरा मामला बैकुंठपुर के बिल्डर संजय अग्रवाल से जुड़ा हुआ है जिनकी गिरफ्तारी हुई थी और जिसके बाद उनकी तरफ से पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। पुलिस द्वारा पैसे मांगने और बिल्डर को प्रताडç¸त करने का भी आरोप बिल्डर ने लगाया था, वहीं पैसा किसी अधिवक्ता के माध्यम से लिया गया था यह भी आरोप था। पुलिस अधिकारियों सहित कुछ कर्मचारियों पर बिल्डर ने करोड़ों रुपए इसलिए लेने का आरोप लगाया था की पुलिस की तरफ से बिल्डर को यह धमकी दी गई थी की पैसा नहीं देने पर उसे ऐसे मामलो में उलझाया जायेगा जिससे वह कभी जेल से बाहर नहीं आ सकेगा। जिस पर भी उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
पुलिस विवेचना जारी रहेगी
अब बिल्डर के सभी मामलों में जिनको लेकर याचिका दायर की गई थी पुलिस विवेचना जारी रहेगी,उच्च न्यायालय ने बिल्डर की पत्नी की याचिका खारिज कर दिया और जिससे स्पष्ट हो गया की बिल्डर को पुलिस विवेचना का सामना करना पड़ेगा। कुल मिलाकर बिल्डर की दिक्कत कम होने की बजाए बढ़ जाएगी।
गिरफ्तारी नहीं होगी लेकिन सारे चालान पेश होंगे
जानकारों का मना है की उच्च न्यायालय द्वारा बिल्डर की पत्नी की याचिका खारिज करने के बाद अब यह भी स्पष्ट हो गया है की बिल्डर की गिरफ्तारी उन मामलो में भले न हो जिन्हे लेकर उन्होंने उच्च न्यायालय की शरण ली थी लेकिन मामलो का चालान पेश होता रहेगा।
अब न्यायालय से ही होगा फैसला
बिल्डर के संबंधित मामलो में अब न्यायालय से ही फैसला होगा। अब न्यायालय ही बिल्डर को दोषी या दोषमुक्त साबित करेगा।


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